NCERT Solution Class 10th Social Science History Chapter – 2 भारत में राष्ट्रवाद (Nationalism in India) Notes In Hindi

NCERT Solution Class 10th Social Science History Chapter – 2 भारत में राष्ट्रवाद (Nationalism in India)

Text BookNCERT
Class  10th
Subject  Social Science (History)
Chapter 2nd
Chapter Nameभारत में राष्ट्रवाद (Nationalism in India)
CategoryClass 10th Social Science (History)
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solution Class 10th Social Science History Chapter – 2 भारत में राष्ट्रवाद (Nationalism in India) Notes In Hindi हम इस अध्याय में भारत में राष्ट्रवाद, राष्ट्रवाद का अर्थ, पहला विश्व युद्ध, खिलाफत और असहयोग, महात्मा गाँधी द्वारा भारत में किए गए सत्याग्रह, रॉलेट ऐक्ट के परिणाम, जलियावाला बाग हत्याकांड की घटना, हिंद स्वराज, असहयोग आंदोलन, चौरी चौरा की घटना, साइमन कमीशन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और इतिहास की पुनर्व्याख्या आदि के बारे में भारत में राष्ट्रवाद के अंतर्गत पढ़ेंगे। 

NCERT Solution Class 10th Social Science History Chapter – 2 भारत में राष्ट्रवाद (Nationalism in India)

Chapter – 2

भारत में राष्ट्रवाद

Notes

भारत में राष्ट्रवाद (समय के अनुसार क्रमांक)

• 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हुआ।
• 1870 बंकिम चंद्र द्वारा वंदे मातरम की रचना हुई।
• 1885 में कांग्रेस की स्थापना मुंबई (मुंबई) में हुई। व्योमेश चंद्र बनर्जी कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष बने।
• लार्ड कर्जन ने 1905 में बंगाल के विभाजन का प्रस्ताव किया।
• 1905 में अबनीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत माता का चित्र बनाया।
• 1906 में आगा खां एवं नवाब सलीमुल्ला ने मुस्लिम लीग की स्थापना की।
• 1907 में कांग्रेस का विभाजन नरम दल एवं गरम दल में हुआ।
• 1911 में दिल्ली दरबार का आयोजन। दिल्ली दरबार में बंगाल विभाजन को रद्द किया गया। दिल्ली दरबार में राजधानी कोलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित की गई।
• 1914 में प्रथम विश्व युद्ध का आरम्भ।
• 1915 में महात्मा गाँधी की स्वदेश वापसी।
• 1917 में महात्मा गाँधी ने नील कृषि के विरोध में चंपारण में आंदोलन किया।
• 1917 में महात्मा गाँधी ने गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों के लिए सत्याग्रह किया।
• 1918 में महात्मा गाँधी ने गुजरात के अहमदाबाद में सूती कपड़ा मिल के कारीगरों के लिए सत्याग्रह किया।
• 1918 में प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति हुई।
• ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों की स्वशासन की माँग को ठुकरा दिया।
• 1919 में ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों पर रॉलेट एक्ट जैसा काला कानून दिया।
• 13 अप्रैल 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ।
• 1919 में खिलाफत आंदोलन की शुरुआत मुहम्मद अली व शौकत अली ने की।
• महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन की शुरूआत की।
• 1922 में चौरी – चौरा में हुई । हिंसक घटना के बाद महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया।
• 9 अगस्त 1925 को काकोरी में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी खजाना ले जा रही ट्रेन को लूट लिया।
• 1928 में साइमन कमीशन भारत आया जिसका विरोध करते हुए लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई।
• 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त ने असेम्बली पर बम फेंका
• 12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी ने साबरमती से दांडी यात्रा आरम्भ की।
• 6 अप्रैल 1930 को दांडी पहुँचकर महात्मा गाँधी नमक कानून तोड़ा व सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की।
• 1930 में डॉ . अम्बेडकर ने अनुसूचित जातियों को दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया।
• 23 मार्च 1931 को भगत सिंह , सुखदेव एवं राजगुरु को फांसी दे दी गई।
• 1931 गांधी इरविन समझौता व सविनय अवज्ञा आंदोलन को वापस ले लिया।
• 1931 में महात्मा गाँधी ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया। परंतु उन्हें वहाँ अपेक्षित सफलता हाथ नहीं लगी।
• 1932 में महात्मा गाँधी एवं अम्बेडकर के मध्य पूना पैक्ट हुआ।
• 1933 में चौधरी रहमत अली सर्वप्रथम पाकिस्तान का विचार सामने रखा।
• 1935 में भारत शासन अधिनियम पारित हुआ व प्रांतीय सरकार का गठन।
• 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध का आरंभ।
• 1940 के मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में पाकिस्तान की मांग का संकल्प पास किया गया।
• 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत व गांधी जी ने करो या मरो का नारा दिया।
• 1945 में अमेरिका ने जापान पर परमाणु हमला किया व द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया।
• 1946 में कैबिनेट मिशन संविधान सभा के प्रस्ताव के साथ भारत आया।
• 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ।

राष्ट्रवाद – राष्ट्रवाद का अर्थ अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना एकता की भावना तथा एक समान चेतना राष्ट्रवाद कहलाती है। अक्सर लोग विभिन्न भाषाई समूह के हो सकते है (जैसे भारत) लेकिन राष्ट्र के प्रति प्रेम उन्हें एक सूत्र में बांधे रखता है।

भारत में राष्ट्रवाद की भावना पनपने के कारक

• साहित्य, व गीतों के माध्यम से राष्ट्रवाद का प्रसार।
• भारत माता की छवि रूप लेने लगी।
• लोक कथाओं द्वारा राष्ट्रीय पहचान।
• चिह्नों और प्रतीकों के प्रति जागरूकता उदाहरण झंडा।

पहला विश्व युद्ध, खिलाफत और असहयोग – प्रथम विश्व युद्ध का भारत पर प्रभाव तथा युद्ध पश्चात परिस्थितियाँ

• युद्ध के कारण रक्षा संबंधी खर्चे में बढ़ोतरी हो गई। इसे पूरा करने के लिए कर्जे लिये गए और टैक्स बढ़ाए गए। अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए कस्टम ड्यूटी और इनकम टैक्स को बढ़ाना पड़ा।

• युद्ध के वर्षों में चीजों की कीमतें बढ़ गईं। 1914 से 1918 के बीच चीज़ो के दाम दोगुने हो गए। दाम बढ़ने से आम आदमी को अत्यधिक परेशानी हुई।

• ग्रामीण इलाकों से लोगों को जबरन सेना में भर्ती किए जाने लगे, इस कारण से लोगों में बहुत गुस्सा बढ़ गया। 

• भारत के कई भागों में फसल खराब होने के कारण भोजन की कमी हो गई। और साथ में फ़्लू की महामारी ने समस्या को और गंभीर कर दिया। 1921 की जनगणना के अनुसार, अकाल और महामारी के कारण 120 लाख से 130 लाख तक लोग मारे गए।

सत्याग्रह का विचार – सत्याग्रह का अर्थ यह सत्य तथा अहिंसा पर आधारित एक नए तरह का जन आंदोलन करने का रास्ता था। महात्मा गाँधी के लिए सत्याग्रह का अर्थ सभी प्रकार के अन्याय, अत्याचार और शोषण के खिलाफ शुद्ध आत्मबल का प्रयोग करने से था। गाँधी जी का मानना था कि यदि कोई सही मकसद के लिए लड़ रहा हो तो उसे अपने ऊपर अत्याचार करने वाले से लड़ने के लिए ताकत की जरूरत नहीं  है। बल्की अहिंसा के माध्यम से भी एक सत्याग्रही लड़ाई जीती जा सकता है।

महात्मा गाँधी द्वारा भारत में किए गए सत्याग्रह

(1) महात्मा गाँधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। लौटने के बाद भारत में सबसे पहले 1917 में चंपारण (बिहार) के दमनकारी बागान व्यवस्था के खिलाफ नील की खेती करने वाले किसानों के लिए सत्याग्रह आंदोलन किया। जिसमे नील की खेती का विरोध किया। 

(2) गाँधी जी ने 1917 में खेड़ा सत्याग्रह किया जो की गुजरात के खेड़ा ज़िले में किसानों के लिए अंग्रेजी सरकार की कर वसूली के विरुद्ध में यह सत्याग्रह आंदोलन किया। जिसमे कर की वसूली को कम किया। 

(3) अहमदाबाद (गुजरात) इस आंदोलन का प्रमुख कारण मिल मालिकों एवं मज़दूरों के बीच प्लेग बोनस विवाद था। फसल खराब हो जाने व प्लेग महामारी के कारण खेड़ा जिले के किसान लगान चुकाने की हालत में नहीं थे। तब महात्मा गाँधी ने 1918 में कपड़ा कारखाने में काम करने वाले मजदूरों के समर्थन में सत्याग्रह आंदोलन किया।

रॉलेट एक्ट – रॉलेट एक्ट को काले कानून के नाम से भी जाना जाता है यह कानून भारत में 1919 को ब्रिटिश सरकार द्वारा लागू किया गया। रॉलेट एक्ट के अंदर में किसी भी व्यक्ति को केवल शक के आधार पर उसे  2 साल तक जेल में रखा जा सकता था। इस काले  कानून से अंग्रेजों को एक शक्ति मिल गई जिससे उभर रहे राष्ट्रीय आंदोलन और क्रांतिकारियों की आवाजों का दमन किया जा सके। 

रॉलेट ऐक्ट का मुख्य प्रावधान – राजनीतिक कैदियों को बिना मुकदमा चलाए दो साल तक जेल में बंद रखने का प्रावधान

रॉलेट ऐक्ट का उद्देश्य – भारत में राजनीतिक गतिविधियों का दमन करने के लिए।

रॉलेट एक्ट अन्यायपूर्ण क्यों था–

(i) भारतीयों की नागरिक आजादी पर प्रहार किया।
(ii) भारतीय सदस्यों की सहमति के बगैर पास किया गया।

रॉलेट ऐक्ट के परिणाम

• 6 अप्रैल को महात्मा गाँधी जी के नेतृत्व में एक अखिल भारतीय हड़ताल का आयोजन।
• विभिन्न शहरों में रैली व जूलूस हुए।
• रेलवे वर्कशॉप में कामगारों का हड़ताल हुई।
• दुकाने बंद हो गई।
• स्थानीय नेताओं को हिरासत में ले लिया गया।
• बैंकों, डाकखानों और रेलवे स्टेशन पर हमले हुए।

रॉलेट ऐक्ट 1919 (विस्तार से)

• इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल द्वारा 1919 में रॉलैट ऐक्ट को पारित किया गया था। भारतीय सदस्यों ने इसका समर्थन नहीं किया था, लेकिन फिर भी यह पारित हो गया था। इस ऐक्ट ने सरकार को राजनैतिक गतिविधियों को कुचलने के लिए असीम शक्ति प्रदान किया इसकेअंदर बिना ट्रायल के ही राजनैतिक कैदियों को दो साल तक बंदी बनाया जा सकता था। 

• 6 अप्रैल 1919, को रॉलैट ऐक्ट के विरोध में गाँधी जी ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन की शुरुआत की। हड़ताल के आह्वान को भारी समर्थन प्राप्त हुआ। अलग – अलग शहरों में लोग इसके समर्थन में निकल पड़े, दुकानें बंद हो गईं और रेल कारखानों के मजदूर हड़ताल पर चले गये।

• अंग्रेजी हुकूमत ने राष्ट्रवादियों पर कठोर कदम उठाने का निर्णय लिया। कई स्थानीय नेताओं को बंदी बना लिया गया। महात्मा गांधी को दिल्ली में प्रवेश करने से रोका गया।

जलियावाला बाग हत्याकांड की घटना

• 10 अप्रैल 1919 को अमृतसर में पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कारियों पर गोली चलाई। इसके कारण लोगों ने जगह – जगह पर सरकारी संस्थानों पर आक्रमण किया। अमृतसर में मार्शल लॉ लागू हो गया और इसकी कमान जेनरल डायर के हाथों में सौंप दी गई।

• जलियांवाला बाग का दुखद नरसंहार 13 अप्रैल को उस दिन हुआ जिस दिन पंजाब में बैसाखी मनाई जा रही थी। ग्रामीणों का एक जत्था जलियांवाला बाग में लगे एक मेले में शरीक होने आया था। यह बाग चारों तरफ से बंद था और निकलने के रास्ते संकीर्ण थे।

• जेनरल डायर ने निकलने के रास्ते बंद करवा दिये और भीड़ पर गोली चलवा दी। इस दुर्घटना में सैंकड़ो लोग मारे गए। सरकार का रवैया बड़ा ही क्रूर था। इससे चारों तरफ हिंसा फैल गई। महात्मा गांधी ने आंदोलन को वापस ले लिया क्योंकि वे हिंसा नहीं चाहते थे।

जलियावाला बाग हत्याकांड का प्रभाव

• भारत के बहुत सारे शहरों में लोग सड़कों पर उतर आए।
• हड़ताले होने लगी, लोग पुलिस से मोर्चा लेने लगे और सरकारी इमारतों पर हमला करने लगे।
• सरकार ने निर्ममतापूर्ण रवैया अपनाया तथा लोगों को अपमानित और आतंकित किया।
• सत्याग्रहियो को जमीन पर नाक रगड़ने के लिए, सड़क पर घिसकर चलने और सारे ‘साहिबों‵ (अंग्रेजों) को
• सलाम करने के लिए मजबूर किया गया।
• लोगों को कोड़े मारे गए तथा गुजरांवालां (पंजाब) के गांवों पर बम बरसाये गए।
• नोट – हिंसा फैलते देख महात्मा गांधी ने रॉलट सत्याग्रह वापस ले लिया।

आंदोलन के विस्तार की आवश्यकता – रॉलेट सत्याग्रह मुख्यतया शहरों तक ही सीमित था। महात्मा गांधी को लगा कि भारत में आंदोलन का विस्तार होना चाहिए। उनका मानना था कि ऐसा तभी हो सकता है जब हिंदू और मुसलमान एक साथ आ जाए।

महात्मा गांधी ने क्यों खिलाफत का मुद्दा उठाया – रॉलेट सत्याग्रह की असफलता के बाद से ही महात्मा गांधी पूरे भारत में और भी ज्यादा जनाधार वाला आंदालन खड़ा करना चाहते थे। उन्हे विश्वास था कि बिना हिंदू और मुस्लिम को एक दूसरे के साथ लाए ऐसा कोई अखिल भारतीय आंदोलन खड़ा नही किया जा सकता इसलिए उन्होने खिलाफत का मुद्दा उठाया।

खिलाफत का मुद्दा – खिलाफत शब्द ‘खलीफा’ से निकला हुआ है जो ऑटोमन तुर्की का सम्राट होने के साथ – साथ इस्लामिक विश्व का आध्यात्मिक नेता भी था। प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की की हार हुई थी यह अफवाह फैल गई थी कि तुर्की पर एक अपमानजनक संधि थोपी जाएगी। इसलिए खलीफा की तात्कालिक शक्तियों की रक्षा के लिए मार्च 1919 में अली बंधुओं द्वारा बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया।

हिंद स्वराज – महात्मा गांधी द्वारा लिखित प्रसिद्ध पुस्तक, जिसमें इन्होंने भारत में स्वदेशी को पूरी तरह अपनाने की जरूरत बताते हुए। ब्रिटिश शासन के असहयोग पर जोर दिया। इसके बाद असहयोग आंदोलन की शुरुआत की गई।

असहयोग आंदोलन – अपनी प्रसिद्ध पुस्तक हिंद स्वराज (1909) में महात्मा गाँधी ने लिखा कि भारत में अंग्रेजी राज इसलिए स्थापित हो पाई क्योंकि भारतीयों ने उनके साथ सहयोग किया और उसी सहयोग के कारण अंग्रेज हुकूमत करते रहे। यदि भारतीय सहयोग करना बंद कर दें, तो अंग्रेजी राज एक साल के अंदर चरमरा जाएगी और स्वराज आ जाएगा। गाँधीजी को विश्वास था कि यदि भारतीय लोग सहयोग करना बंद करने लगे, तो ऐसा संभव होगा की अंग्रेजों के पास भारत को छोड़ चले जाने के अलावा और कोई चारा नहीं रहेगा।

असहयोग आंदोलन के कारण

• प्रथम विश्वयुद्ध की समाप्ति पर अंग्रेजों द्वारा भारतीय जनता का शोषण।
• अंग्रेजों द्वारा स्वराज प्रदान करने से मुकर जाना।
• रॉलेट एक्ट का पारित होना।
• जलियाँवाला बाग हत्याकांड।
• कलकत्ता अधिवेशन में 1920 में कांग्रेस द्वारा असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव बहुमत से पारित।

असहयोग आंदोलन के कुछ प्रस्ताव

• अंग्रेजी सरकार द्वारा प्रदान की गई उपाधियों को वापस करना।
• सिविल सर्विस, सेना, पुलिस, कोर्ट, लेजिस्लेटिव काउंसिल और स्कूलों का बहिष्कार।
• विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार।
• यदि सरकार अपनी दमनकारी नीतियों के बाज से आये, तो संपूर्ण अवज्ञा आंदोलन शुरु करना।

असहयोग आंदोल से संबंधित कांग्रेसी अधिवेशन सितंबर 1920 – असहयोग पर स्वीकृति अन्य नेताओ द्वारा। दिसंबर 1920 – स्वीकृति पर मोहर तथा इसकी शुरूआत पर सहमति।

• आंदोलन के भीतर अलग – अलग धाराएँ 
• असहयोग – खिलाफत आंदोलन की शुरुआत जनवरी 1921 में हुई थी।
• विभिन्न सामाजिक समूहों ने आंदोलन में हिस्सा लिया परंतु प्रत्येक वर्ग की अपनी-अपनी आकांक्षाएँ थी।
• प्रत्येक सामाजिक समूह ने आंदोलन में भाग लेते हुए ❛स्वराज❜ का मतलब एक ऐसा युग लिया जिसमें उनके सभी कष्ट और सारी मुसीबते खत्म हो जाएगी।

शहरों में असहयोग आंदोलन का धीमा पड़ना

• इसके कई कारण थे। खादी का कपड़ा मिलों में भारी पैमाने पर बनने वाले कपड़ों के मुक़ाबले प्रायः मँहगा होता था।और ग़रीब उसे नहीं खरीद सकते थे। वे मिलों के कपड़े का लंबे समय तक बहिष्कार कैसे कर सकते थे  ब्रिटिश संस्थानों के बहिष्कार से भी समस्या पैदा हो गई। 

• आंदोलन की कामयाबी के लिए वैकल्पिक भारतीय संस्थानों की स्थापना ज़रूरी थी ताकि ब्रिटिश संस्थानों के स्थान पर उनका प्रयोग किया जा सके। लेकिन वैकल्पिक संस्थानों की स्थापनाकी प्रक्रिया बहुत धीमी थी। फलस्वरूप, विद्यार्थी और शिक्षक सरकारी स्कूलों में लौटने लगे और वकील दोबारा सरकारी अदालतों में दिखाई देने लगे।

असहयोग आंदोल की समाप्ति – यह फरवरी 1922 में महात्मा गांधी द्वारा आंदोलन को वापस ले लिया गया। क्योंकि चौरी चौरा में हिंसक घटना हो गई थी।

चौरी चौरा की घटना – चौरी चौरा कि यह घटना उत्तर प्रदेश में हुई थी। जो में 4 फ़रवरी 1922 को भारतीयों ने बिट्रिश सरकार की एक पुलिस चौकी को आग लगा दी थी जिससे उसमें छुपे हुए 22 पुलिस कर्मचारी जिन्दा जल के मर गए थे। इस घटना को चौरी चौरा काण्ड के नाम से जाना जाता है। और चौरी चौरा की इस घटना से महात्मा गाँधी द्वारा चलाये गये असहयोग आन्दोलन को आघात पहुँचा, क्योंकि असहयोग आन्दोलन जैसा होना चाहिए वैसा नहीं हो रहा है यह अहिंसा के बजाए हिंसा का रूप ले रहा था इस कारण उन्हें असहयोग आन्दोलन को स्थागित करना पड़ा, इस कारण से  ब्रिटिश सरकार ने इस घटना के बाद, 19 लोगों को पकड़ कर उन्हें फाँसी दे दी थी।

साइमन कमीशन – 1927 में ब्रिटेन में साइमन कमिशन का गठन हुआ ताकि भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन किया जा सके। 1928 में साइमन कमीशन का भारत आना- पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन हुआ। कांग्रेस ने इस आयोग का विरोध किया क्योंकि इसमें एक भी भारतीय शामिल नही था। दिसंबर 1929 में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन हुआ था। इसमें पूर्ण स्वराज के संकल्प को पारित किया गया। 26 जनवरी 1930 को स्वाधीनता दिवस घोषित किया गया और लोगों से आह्वान किया गया कि वे संपूर्ण स्वाधीनता के लिए संघर्ष करें।

नमक यात्रा और सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) – जनवरी 1930 में महात्मा गांधी ने लार्ड इरविन के समक्ष अपनी 11 मांगे रखी। ये मांगे उद्योगपतियो से लेकर किसान तक विभिन्न वर्ग से जुड़ी हुई थी। इनमें सबसे महत्वपूर्ण मांग नमक कर को खत्म करने की थी। लार्ड इरविन इनमें से किसी भी माँग को मानने के लिए तैयार नही थे। 12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी द्वारा नमक यात्रा की शुरूआत हुई और 6 अप्रैल 1930 को नमक बनाकर नमक कानून का उल्लंघन किया। यह घटना सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत थी।

गाँधी इरविन समझौते की विशेषताएँ

• 5 मई 1931 ई. को गाँधी इरविन समझौता हुआ।
• सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित कर दिया जाये।
• पुलिस द्वारा किए अत्याचारों की निष्पक्ष जाँच की जाये।
• नमक पर लगाए गए सभी कर हटाए जाएँ।

सविनय अवज्ञा आंदोलन – यह आंदोलन महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में शुरू हुआ था, जिसकी शुरुआत गांधीजी के प्रसिद्ध दांडी मार्च से हुई थी। 12 मार्च 1930 को गांधीजी और आश्रम के 78 अन्य सदस्यों ने अहमदाबाद से 241 मील दूर भारत के पश्चिमी तट के एक गाँव दांडी तक पैदल ही साबरमती आश्रम से अपनी यात्रा शुरू की थी।और इसके बाद वह 6 अप्रैल 1930 को दांडी पहुंचे, जहां उन्होंने नमक कानून तोड़ा। उस समय किसी के द्वारा भी नमक बनाना गैरकानूनी था क्योंकि उस पर सरकार का एकाधिकार था। गांधीजी ने समुद्र के पानी के वाष्पीकरण से बने नमक को मुट्ठी में उठाकर सरकार की अवज्ञा की। नमक कानून की अवज्ञा के साथ, सविनय अवज्ञा आंदोलन पूरे देश में फैल गया।

आंदोलन में किसने भाग लिया

• देश के विभिन्न हिस्सों में सविनय अवज्ञा आंदोलन लागू हो गया। गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी तक अपने समर्थक के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया।

• ग्रामीण इलाकों में, गुजरात के अमीर पाटीदार और उत्तर प्रदेश के जाट आंदोलन में सक्रिय थे। चूंकि अमीर समुदाय व्यापार अवसाद और गिरती कीमतों से बहुत प्रभावित थे, वे सविनय अवज्ञा आंदोलन के उत्साही समर्थक बन गए।

• व्यापारियों और उद्योगपतियों ने आयातित वस्तुओं को खरीदने और बेचने से इनकार करके वित्तीय सहायता देकर आंदोलन का समर्थन किया।

• नागपुर क्षेत्र के औद्योगिक श्रमिक वर्ग ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी भाग लिया। रेलवे कर्मचारियों, डॉक वर्कर्स, छोटा नागपुर के खनिज आदि ने विरोध रैली और बहिष्कार अभियानों में भाग लिया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन में ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया

• कांग्रेस नेताओं को हिरासत में लिया गया।
• निर्मम दमन
• सत्याग्रहियों पर आक्रमण।
• महिलाओं, बूढ़ो, बच्चों और क्रांतिकारियों को मारा गया था।
• लगभग 1,00,000 लोगो कि गिरफ्तारी।

सविनय अवज्ञा आंदोलन

• लोगों से औपनिवेशिक कानूनों का उल्लंघन करने के लिए आह्वान किया गया।
• किसानों ने लगान और चौकीदारी क्र चुकाने से इन्कार कर दिया।
• देशवासियों ने नमक क़ानून तोड़ा।
• गांवों में तैनात कर्मचारी इस्तीफे देने लगे।
• जंगलों में रहने वाले लोग वन कानून का उल्लंघन करने लगे।

सविनय अवज्ञा आंदोलन में महिलाओं की भूमिका

• औरतों ने बहुत बड़ी संख्या में गाँधीजी के नमक सत्याग्रह में भाग लिया।

• हजारों औरतें ने गाँधी जी की बाते सुनने के लिए यात्रा के दौरान घरों से बहार आ निकल आती थीं। महिलाओं ने जलूसों में भाग लिया, नमक बनाया, विदेशी कपड़ों और शराब की दुकानों की पिकेटिंग की और इन्हीं सब के दौरान कई महिलाओं को जेल भी भेज दिया गया।

• ग्रामीण क्षेत्रों की औरतों ने राष्ट्र की सेवा को अपना पवित्र दायित्व माना।

सविनय अवज्ञा आंदोलन कैसे असहयोग आंदोलन से अलग था

• असहयोग आंदोलन में लक्ष्य ‘स्वराज‘ था लेकिन इस बार पूर्ण स्वराज की मांग थी।
• असहयोग में कानून का उल्लंघन शामिल नही था जबकि इस आंदोलन में कानून तोड़ना शामिल था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन की सीमाएँ

• अनुसूचित जन जातियां की भागीदारी नहीं थी क्योंकि लंबे समय से कांग्रेस इनके हितों की अनदेखी कर रही थी।
• हिंदू महासभा ‘जैसे हिंदू धार्मिक संगठनों के करीब आने लगी थी।
• दोनो समुदायों के बीच संदेह और अविश्वास का माहौल बना हुआ था।

1932 की पूना संधि के प्रावधान – इससे दमित वर्गों (जिन्हें बाद में अनुसूचित जाति के नाम से जाना गया) को प्रांतीय एवं केंद्रीय विधायी परिषदों में आरक्षित सीटें मिल गई हालाँकि उनके लिए मतदान सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में ही होता था।

सामूहिक अपनेपन का भाव – वे कारक जिन्होने भारतीय लोगों में सामूहिक अपनेपन की भावना को जगाया तथा सभी भारतीय लोगों को एक किया।

चित्र व प्रतीक – भारत माता की प्रथम छवि बंकिम चन्द्र द्वारा बनाई गई। इस छवि के माध्यम से राष्ट्र को पहचानने में मदद मिली।

लोक कथाएँ – राष्ट्रवादी घूम घूम कर इन लोक कथाओं का संकलन करने लगे ये कथाएँ परंपरागत संस्कृति की सही तस्वीर पेश करती थी तथा अपनी राष्ट्रीय पहचान को ढूढने तथा अतीत में गौरव का भाव पैदा करती थी।

चिन्ह – उदाहरण झंडा – बंगाल में 1905 में स्वदेशी आंदोलन के दौरान सर्वप्रथम एक तिरंगा ( हरा , पीला , लाल ) जिसमें 8 कमल थे । 1921 तक आते आते महात्मा गांधी ने भी सफेद , हरा और लाल रंग का तिरंगा तैयार कर लिया था।

इतिहास की पुनर्व्याख्या – बहुत से भारतीय महसूस करने लगे थे कि राष्ट्र के प्रति गर्व का भाव जगाने के लिए भारतीय इतिहास को अलग ढंग से पढ़ाना चाहिए ताकि भारतीय गर्व का अनुभव कर सकें।

गीत जैसे वंदे मातरम – 1870 के दशक में बंकिम चन्द्र ने यह गीत लिखा मातृभूमि की स्तुति के रूप में यह गीत बंगाल के स्वदेशी आंदोलन में खूब गाया गया।

NCERT Solution Class 10th History All Chapter Notes in Hindi
Chapter – 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय
Chapter – 2 भारत में राष्ट्रवाद
Chapter – 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना
Chapter – 4 औद्योगीकरण का युग
Chapter – 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया
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