NCERT Solution Class 7th Social Science (Civics) Chapter – 8 बाजार में एक कमीज (A Shirt in The Market)
Textbook | NCERT |
Class | 7th |
Subject | Civics |
Chapter | 8th |
Chapter Name | बाजार में एक कमीज (A Shirt in the Market) |
Category | Class 7th राजनीतिक शास्त्र (Civics) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 7th Social Science (Civics) Chapter – 8 बाजार में एक कमीज (A Shirt in the Market) Question & Answer in Hindi जिसमे हम साप्ताहिक बाजार में विक्रेता कौन होते हैं?, साप्ताहिक बाजार को ऐसा क्यों कहा जाता है?, बुनकर क्या काम करते हैं?, बुनकर व्यक्ति कौन है?, बुनकर समाज कौन है?, बुनाई की शुरुआत कहां से हुई?, वस्तु सस्ती क्यों होती है?, बाजार का क्या महत्व है? आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे |
NCERT Solution Class 7th Social Science (Civics) Chapter – 8 बाजार में एक कमीज (A Shirt in the Market)
Chapter – 8
बाजार में एक कमीज
प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. स्वप्ना ने अपनी रुई कुर्नुल के रूई – बाजार में न बेचकर, व्यापारी को क्यों बेच दी ?
उत्तर – स्वप्ना ने ऋण लेते समय व्यापारी से वादा किया था कि वह अपनी सारी रुई उसे ही बेचेगी। जबकि उसे कम क़ीमत मिली फिर भी उसने बहस नहीं की क्योंकि व्यापारी गाँव का शक्तिशाली आदमी है और किसानों को कर्ज के लिए उस पर निर्भर रहना पड़ता है, न केवल खेती के लिए बल्कि अन्य आवश्यकताओं के लिए भी, जैसे- बीमारी, बच्चों की स्कूल की फीस आदि।
फिर वर्ष में ऐसा समय भी आता है, जब किसानों को कोई काम नहीं मिलता है उनकी कोई आय भी नहीं होती है। उस समय केवल ऋण लेकर ही जीवित रहा जा सकता है। इसलिए स्वप्ना कम मूल्य में ही रुई व्यापारी को बेच देती है।
प्रश्न 2. वस्त्र निर्यातक कारखाने में काम करने वाले मजदूरों के काम के हालात और उन्हें दी जाने वाली मजदूरी का वर्णन कीजिए। क्या आप सोचते है कि मजदूरों के साथ न्याय होता है ?
उत्तर – कारखाने में काम करने वाले मजदूरों को अस्थायी रूप से रखा जाता था जब भी कारखाने के मालिक को लगता अब इस व्यक्ति की जरूरत नहीं उसे निकाल देते जो कि मजदूरों के लिए अन्याय था।
लेकिन उन्हें मजदूरी उनके कौशल के अनुसार ही दी जाती थी, जो जितना काम करता उन्हें उनके पैसे मिल जाते। दर्जी को 3000रु प्रति माह मिलता था। इस्त्री करने वाले को 1.50 रु प्रति पीस मिलता था। जांच करने वाले को 2000रु प्रति माह और धागे काटने और बटन लगाने वाले को 1500रु प्रति माह मिलता था।
प्रश्न 3. ऐसी किसी चीज़ के बारे में सोचिए, जिसे हम सब इस्तेमाल करते हो, वह चीनी, चाय, दूध, पेन, काग़ज, पेंसिल आदि कुछ भी हो सकती है। चर्चा कीजिए कि यह वस्तु बाजारों को किस श्रृंख्ला से होती हुई, आप तक पहुँचती है। क्या आप उन सब लोगों के बारे में सोच सकते हैं, जिन्होंने इस वस्तु के उत्पादन व व्यापार में मदद की होगी ?
उत्तर – हम चीनी के बारे में बात करते है। सबसे पहले किसान अपने खेत में गन्ना उगाते है। किसान के पास गन्ने का बीज़ खुद का भी हो सकता है और वह अन्य किसानों से भी ले सकता है या बाज़ार से भी ला सकता है।
जब फसल पक जाती है तो किसान गन्ने को साफ करने चीनी मिल में दे देता है। वहां इसकी चीनी बनाई जाती है। जिसे व्यापारी खरीद लेते है। व्यापारियों से दुकानदार ख़रीद लेते है और फिर हम दुकान से ख़रीद कर घर ले आते है।
प्रश्न 4. यहाँ दिए गए नौ कथनों को सही क्रम में कीजिए और फिर नीचे बनी कपास की डोडियों के चित्रों में सही कथन के अंक भर दीजिए। पहले दो चित्रों में आपके लिए अंक पहले से ही भर दिए गए है।
1. स्वप्ना व्यापारी को रुई बेचती है।
2. ग्राहक सुपरमार्केट में इन कमीजों को खरीदते है।
3. व्यापारी जिनिंग मिलों को रुई बेचते है।
4. गार्मेट निर्यातक कमीज बनाने के लिए व्यापारियों से कपड़ा खरीदते है।
5. सूत के व्यापारी, बुनकरों को सूत देते हैं।
6. वस्त्र निर्यातक, संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यवसायी को कमीज़े बेचता है।
7. सूत कातने वाली मिल, रुई खरीदती हैं और सूत के व्यापारी को सूत बेचती है।
8. बुनकर कपड़ा तैयार करके लाते है।
9. जिनिंग मिलें रूई को साफ़ करती हैं और उनके गट्ठर बनाती हैं।
उत्तर –
पाठ के बीच में पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. क्या स्वप्ना को रुई का उचित मूल्य प्राप्त हुआ ?
उत्तर – स्वप्ना को रुई का उचित मूल्य प्राप्त नहीं हुआ क्योंकि जब स्वप्ना रुई बेचने के लिए बाज़ार में जाती है तब व्यापारी के परिसर में दो आदमी रुई के बोरे तोल रहे थे। 1500 प्रति क्विंटल के हिसाब से रुई ₹6000 की हुई।
व्यापारी ने दिए हुए ऋण तथा ब्याज के ₹3,000 काट लिए और स्वप्ना को ₹3,000 ही दिए और कहा कि बाजार में बहुत रूई आ गई है। यद्यपि स्वप्ना जानती है कि कपास कम से कम 1800 प्रति क्विंटल में बिकेगी, लेकिन उसने आगे बहस नहीं की क्योंकि व्यापारी गाँव का शक्तिशाली आदमी है।
किसानों को कर्ज के लिए उस पर निर्भर रहना पड़ता है – न केवल खेती के लिए बल्कि अन्य आवश्यकताओं के लिए भी, जैसे- बीमारी, बच्चों की स्कूल की फीस आदि। फिर वर्ष में ऐसा समय भी आता है। जब किसानों को कोई काम नहीं मिलता है उनकी कोई आय भी नहीं होती है। उस समय केवल ऋण लेकर ही जीवित रहा जा सकता है। इसलिए स्वप्ना कम मूल्य में ही रुई बेच देती है।
प्रश्न 2. व्यापारी ने स्वप्ना को कम मूल्य क्यों दिया ?
उत्तर – स्वप्ना ने ऋण लेते समय व्यापारी से वादा किया था कि वह अपनी सारी रुई उसे ही बेचेगी। इस बात का फायदा उठाकर व्यापरी ने स्वप्ना को कम मूल्य दिया और साथ में ऋण के पैसे भी काट लिए। क्योंकि स्वप्ना के पास उस व्यापारी को रुई बेचने के अलावा कोई और सुझाव नहीं था। हालांकि वह जानती भी थी कि उसकी रुई कम भाव में बिक रही है।
प्रश्न 3. आपके विचार से बड़े किसान अपनी रुई कहा बेचेंगें ? उनकी स्थित किस प्रकार स्वप्ना से भिन्न है ?
उत्तर – बड़े किसान अपनी रुई बाज़ार या मंडी में बेच सकते है और वह यह फैसला लेने में भी स्वतंत्र होते है कि उन्हें जहाँ रुई बेचते हुए घाटा हो रहा है वहां रुई बेचनी है या नहीं।
जबकि स्वप्ना अपनी रुई सिर्फ उसी स्थानीय व्यापारी को बेच सकती थी जहाँ से उसने ऋण लिया था। क्योंकि उसने उस व्यापारी को वादा किया था कि वह अपनी सारी रुई व्यापारी को बेचेगी चाहे उसे कोई मुनाफा हो या घाटा।
प्रश्न 3. आपके विचार से बड़े किसान अपनी रुई कहा बेचेंगें ? उनकी स्थित किस प्रकार स्वप्ना से भिन्न है ?
उत्तर – बड़े किसान अपनी रुई बाज़ार या मंडी में बेच सकते है और वह यह फैसला लेने में भी स्वतंत्र होते है कि उन्हें जहाँ रुई बेचते हुए घाटा हो रहा है वहां रुई बेचनी है या नहीं।
जबकि स्वप्ना अपनी रुई सिर्फ उसी स्थानीय व्यापारी को बेच सकती थी जहाँ से उसने ऋण लिया था। क्योंकि उसने उस व्यापारी को वादा किया था कि वह अपनी सारी रुई व्यापारी को बेचेगी चाहे उसे कोई मुनाफा हो या घाटा।
प्रश्न 4. इरोड के कपड़ा बाजार में निम्नलिखित लोग क्या काम कर रहे हैं- व्यापारी, बुनकर, निर्यातक ?
उत्तर – तमिलनाडु में सप्ताह में दो बार लगने वाला इरोड का कपड़ा बाजार संसार के विशाल बाजारों में से एक है। आसपास के गांवों में बुनकरों द्वारा बनाया गया कपड़ा भी इस बाजार में बिकने के लिए आता है।
बाजार के पास कपड़ा व्यापारियों के कार्यालय है। जो इस कपड़े को खरीदते हैं। दक्षिणी भारत के शहरों के अन्य व्यापारी भी इस बाजार में कपड़ा खरीदने आते हैं। बाजार के दिनों में आपको वे बुनकर भी मिलेंगे, जो व्यापारियों के ऑर्डर के अनुसार कपड़ा बनाकर यहाँ लाते है।
प्रश्न 5. बुनकर व्यापारियों पर किस तरह से निर्भर है ?
उत्तर – बुनकर व्यापारियों के ऑडर के अनुसार कपड़ा बनाकर लाते है। ये व्यापारी देश व विदेश के वस्त्र निर्माताओं और निर्यातकों को उनके ऑर्डर के अनुसार कपड़ा उपलब्ध कराते हैं। ये सूत खरीदते हैं और बुनकरों को निर्देश देते हैं कि किस प्रकार का कपड़ा तैयार किया जाना है।
प्रश्न 6. यदि बुनकर खुद सूत खरीदकर बने हुए कपड़े बेचते हैं, तो उन्हें तीन गुना ज्यादा कमाई होती है ? क्या यह संभव है, चर्चा कीजिए।
उत्तर – हां ऐसा होता है कि बुनकर अगर खुद सूत खरीदकर कपड़े बेचें तो उन्हें तीन गुना मुनाफा होगा क्योंकि फिर बुनकर कपड़े खरीदने वालों के खुद ही सम्पर्क में आएंगे। उनके बीच में कोई नहीं होगा।
लेकिन ऐसा नहीं हो पता क्योंकि कई बुनकर ऐसे भी है जिन्हें कुछ नहीं पता होता और वे व्यापारियों से ही सूत खरीदते है और फिर उन्हें ही बेच देते है। बुनकरों के पास यह साधन भी नहीं होता कि वे किसके लिए कपड़ा बना रहे, किसे बेच रहे है, और कपड़ा कितनी कीमत पर बिकेगा।
प्रश्न 7. क्या इसी तरह की दादन व्यवस्था पापड़, बीड़ी और मसाले बनाने में भी देखने को मिलती है ? अपने इलाके से इस संबंध में जानकारी इकट्ठी कीजिए, और कक्षा में उस पर चर्चा कीजिए।
उत्तर – हमारे इलाके में भी इस प्रकार की व्यवस्था पाई जाती है जहाँ व्यापारी कच्चा माल देता है और उसे तैयार हुआ माल प्राप्त होता है। आलू, बेसन, दाल मैदा जैसी चीजे लेकर उनके पापड़ तैयार करवाए जाते है।
बीड़ी बनाने के लिए पत्ते लिए जाते है, कुछ तेंदू के पत्तों का भी प्रयोग करते है। ऐसे ही भिन्न भिन्न प्रकार के मसाले तैयार किए जाते है जिसमें हल्दी, जीरा, मिर्च, गर्म मसाला सब होते है।
प्रश्न 8. आपने अपने इलाके में सहकारी संस्थाओं के बारे में सुना होगा, जैसे दूध, किराना, धान आदि के व्यवसाय में। पता लगाइए कि ये किस के लाभ के लिए स्थापित की गई थी ?
उत्तर – हमारे इलाके में सहकारी संस्थाएं स्वयं संस्था खोलने वाले और लोगों के लाभ के लिए खोली गई। जहाँ कुछ व्यक्ति मिलकर दूध की डायरी खोलते है जहाँ सरकार और लोग दोनों को ही दूध दिया जाता है।
और किसान धान इक्ट्ठा करते है जहाँ मंडी से सरकार के पास और लोगों तक पहुंचाया जाता है। ऐसे ही किराना वाले दुकान और साथ में कुछ सहकारी संस्था खोलते है।
प्रश्न 9. विदेशों में खरीदार वस्त्र निर्यात करने वालों से क्या क्या अपेक्षाएं रखते है ? वस्त्र निर्यातक इन शर्तो को क्यों स्वीकार कर लेते ?
उत्तर – इरोड का व्यापारी, बुनकरों द्वारा निर्मित कपड़ा दिल्ली के पास बने – बनाए वस्त्र निर्यात करने वाले एक कारखाने को भेजता है। वस्त्र निर्यात करने वाली फैक्टरी इसका उपयोग कमीजें बनाने के लिए करती है।
ये कमीजें विदेशी खरीदारों को निर्यात की जाती हैं। कमीजों के विदेशी ग्राहकों में अमेरिका यूरोप के ऐसे व्यवसायी भी हैं, जो स्टोर्स की श्रृंख्ला चलाते है। ये बड़े – बड़े स्टोर्स के स्वामी केवल अपनी शर्तों पर ही व्यापार करते हैं।
वे माल देने वालों से न्यूनतम मूल्य पर माल खरीदने की मांग करते हैं। साथ ही वे सामान की उच्चतम स्तर की गुणवत्ता और समय पर सामान देने की शर्त भी रखते हैं। सामान जरा – सा भी दोषयुक्त होने पर या माल देने में जरा भी विलंब होने पर बड़ी सख्ती से निपटा जाता है। इसलिए निर्यातक इन शाक्तिशाली ग्राहकों द्वारा निश्चित की गई शर्तों को पूरा करने की कोशिश करते हैं।
प्रश्न 9. विदेशों में खरीदार वस्त्र निर्यात करने वालों से क्या क्या अपेक्षाएं रखते है ? वस्त्र निर्यातक इन शर्तो को क्यों स्वीकार कर लेते ?
उत्तर – इरोड का व्यापारी, बुनकरों द्वारा निर्मित कपड़ा दिल्ली के पास बने – बनाए वस्त्र निर्यात करने वाले एक कारखाने को भेजता है। वस्त्र निर्यात करने वाली फैक्टरी इसका उपयोग कमीजें बनाने के लिए करती है।
ये कमीजें विदेशी खरीदारों को निर्यात की जाती हैं। कमीजों के विदेशी ग्राहकों में अमेरिका यूरोप के ऐसे व्यवसायी भी हैं, जो स्टोर्स की श्रृंख्ला चलाते है। ये बड़े – बड़े स्टोर्स के स्वामी केवल अपनी शर्तों पर ही व्यापार करते हैं।
वे माल देने वालों से न्यूनतम मूल्य पर माल खरीदने की मांग करते हैं। साथ ही वे सामान की उच्चतम स्तर की गुणवत्ता और समय पर सामान देने की शर्त भी रखते हैं। सामान जरा – सा भी दोषयुक्त होने पर या माल देने में जरा भी विलंब होने पर बड़ी सख्ती से निपटा जाता है। इसलिए निर्यातक इन शाक्तिशाली ग्राहकों द्वारा निश्चित की गई शर्तों को पूरा करने की कोशिश करते हैं।
प्रश्न 10. वस्त्र निर्यातक विदेशी खरीदारों की शर्तो को किस प्रकार पूरा करते है ?
उत्तर – ग्राहकों की ओर से इस प्रकार के बढ़ते दबावों के कारण उनकी शर्तो को पूरा करने के लिए वे खर्चे में कटौती करने का प्रयत्न करते हैं। वें काम करने वालों को जहाँ तक संभव हो सके, न्यूनतम मजदूरी देकर अधिकतम काम लेते हैं।
इस तरह से वे अपना लाभ तो बनाते ही हैं और विदेशी ग्राहकों को भी सस्ते दामों पर वस्त्र देते हैं। वे खरीददारों की उचित गुणवत्ता का भी ध्यान रखते है।
प्रश्न 11. इम्पेक्स गार्मेंट फैक्टरी में अधिक संख्या में महिलाओं को काम पर क्यों रखा गया होगा ? चर्चा कीजिए।
उत्तर – इम्पेक्स गारमेंट फैक्टरी में 70 कामगार है। उनमें से अधिकांश महिलाएँ हैं। इनमें से अधिकतर कामगारों को अस्थाई रूप से काम पर लगाया गया है। इसका आशय यह है कि जब भी फैक्टरी मालिक को लगे कि कामगार की आवश्यकता नहीं है वह उसे जाने को कह सकता है।
कामगारों की मजदूरी उनके कौशल के अनुसार तय की जाती है। काम करने वालों में अधिकतम वेतन दर्जी को मिलता है जो लगभग 3000 प्रतिमाह होता है। स्त्रियों को सहायक के रूप में धागे काटने, बटन टाँकने, इस्त्री करने और पैकिंग करने के लिए काम पर रखा जाता है। इसलिए अधिक संख्या में महिलाएँ काम पर रखी जाती थी।
प्रश्न 12. नीचे दी गई कमीज के चित्र में दिखाया गया है कि व्यवसायी को कितना मुनाफा हुआ और उसको कितना खर्च उठाना पड़ा। यदि कमीज़ का लागत मूल्य 600 रु . है, तो इस चित्र में जानिए कि इस कमीज़ की कीमत में क्या – क्या शामिल होता है?
उत्तर – यदि कमीज़ की लागत 600 रू होती तो इस कमीज़ की कीमत में विज्ञापन में 250 रू भण्डारण आदि में 150 और क्रय मूल्य 200 रु शामिल होते।
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