NCERT Solution Class 7th Social Science (Civics) Chapter – 7 हमारे आस-पास के बाजार (Markets Around Us)
Textbook | NCERT |
Class | Class 7th |
Subject | Civics |
Chapter | Chapter – 7 |
Chapter Name | हमारे आस-पास के बाजार (Markets Around Us) |
Category | Class 7th Civics Question & Answer |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 7th Social Science (Civics) Chapter – 7 हमारे आस-पास के बाजार (Markets Around Us) Question & Answer in Hindi जिसमे हम साप्ताहिक बाजार के बारे में आप क्या जानते हैं?, लोग साप्ताहिक बाजार क्यों जाते हैं कोई दो कारण बताएं?,जार का क्या अर्थ होता है?, विश्व बाजार से आप क्या समझते हैं?, जार के 4 प्रकार क्या हैं?, जार से हमें क्या लाभ होता है?, जार के 4 प्रकार क्या हैं?, निया का सबसे बड़ा शेयर बाजार कौन सा है? आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढेंगें। |
NCERT Solution Class 7th Social Science (Civics) Chapter – 7 हमारे आस-पास के बाजार (Markets Around Us)
Chapter – 7
हमारे आस-पास के बाजार
प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. एक फेरीवाला, किसी दुकानदार से कैसे भिन्न है ?
उत्तर – फेरी वाले के पास अपनी दुकान नहीं होती, वह इधर उधर साइकिल, रेहड़ी पर सामान बेचते है। जबकि दुकानदार की स्थायी दुकान होती है। फेरी वालों के पास बेचने के लिए थोड़ी बहुत वस्तुएं होती है लेकिन दुकानदार कई सारी चीज़ बेचता है।
प्रश्न 2. निम्न तालिका के आधार पर एक साप्ताहिक बाजार और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की तुलना करते हुए उनका अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –
बाजार | बेची जाने वाली वस्तुओं के प्रकार | वस्तुओं का मूल्य | विक्रेता | ग्राहक |
साप्ताहिक बाजार | रोजमर्रा की जरूरत की साधारण चीजें | कम | कम पूँजी वाला | निम्न आर्थिक वर्ग से |
शॉपिंग कॉम्प्लेक्स | आराम और विलासिता की वस्तुएँ | अधिक | अधिक पूँजी वाला | मध्यम और उच्च वर्ग से |
प्रश्न 3. स्पष्ट कीजिए कि बाजारों की श्रृंख्ला कैसे बनती है? इससे किन उद्देश्यों की पूर्ति होती है।
उत्तर – बाजारों की श्रृंख्ला खुदरा तथा थोक व्यापारियों से मिलकर बनती है। सामानों का उत्पादन कारखानों, खेतों और घरों में होता है। लेकिन हम कारखानों और खेतों से सीधे सामान नहीं खरीदते हैं। चीजों का उत्पादन करने वाले भी हमें कम मात्रा में, जैसे- एक किलो या एक प्लास्टिक कप आदि बेचने में रुचि नहीं रखेंगे। वे लोग, जो वस्तु के उत्पादक और वस्तु के उपभोक्ता के बीच में होते हैं उन्हें व्यापारी कहा जाता है।
• पहले थोक व्यापारी बड़ी मात्रा या संख्या में सामान खरीद लेता है। जैसे- सब्जियों का थोक व्यापारी कुछ किलो सब्जी नहीं खरीदता है बल्कि वह बड़ी मात्रा में 25 से 100 किलो तक सब्जियां खरीद लेता है इन्हें वह दूसरे व्यापारियों को बेचता है।
यहाँ खरीदने वाले और बेचने वाले दोनों व्यापारी होते हैं। हम इसे यहाँ दिए गए उदाहरणों से समझेंगे हर शहर में थोक बाजार का एक क्षेत्र होता है यहाँ वस्तुएँ पहले पहुँचती हैं और यहीं से वे अन्य व्यापारियों तक पहुँचती हैं। सड़क किनारों की दुकान का छोटा व्यापारी, जिसके बारे में आपने पहले पढ़ा था।
प्रश्न 4. सब लोगों को बाजार में किसी भी दुकान पर जाने का समान अधिकार है। क्या आपके विचार से महंगे उत्पादों की दुकानों के बारे में यह बात सत्य है। उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – सब लोगों को बाज़ार में किसी भी दुकान पर जाने का समान अधिकार है। वह किसी भी दुकान से सामान ले सकता है। जैसे कि कविता और सुजाता अंजल मॉल गई। उन्होंने वहाँ एक दुकान में महँगे कपड़े देखें। वहाँ कोई भी कपड़ा 3000 रूपए से कम नहीं था।
उन्होंने देखा कि यह कीमत साप्ताहिक बाजारों की कीमत से पाँच गुना अधिक थी। इसलिए उन्होंने वहाँ कोई कपड़ा नहीं खरीदा और वे खाली हाथ घर वापस आ गयीं। साथ में सबको सामान लेने या ना लेने का भी अधिकार होता है।
प्रश्न 5. बाजार में जाए बिना भी खरीदना और बेचना हो सकता है। उदाहरण देकर इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – बाज़ार में जाए बिना भी खरीदना और बेचना हो सकता है क्योंकि आजकल पहले के मुकाबले बहुत सारी सुविधाए बढ़ गई है। जैसे:- हम इंटरनेट और मोबाइल के द्वारा घर पर कुछ मंगवा भी सकते है और बेच भी सकते है।
इनकी वजह से किसी भी व्यक्ति को दुकान पर बैठने की भी जरूरत नहीं होती और आजकल तो किसी को दुकान लेने की भी जरूरत नहीं होती वो घर में ही फोन और इंटरनेट के माध्यम से सामान खरीद और बेच सकते है।
पाठ के बीच में पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. लोग साप्ताहिक बाजारों में क्यों जाते हैं? तीन कारण बताइए।
उत्तर – लोगों के साप्ताहिक बाजारों में जाने के तीन कारण-
• साप्ताहिक बाजारों में बहुत-सी चीजें सस्ते दामों पर मिल जाती हैं।
• जरूरत का सभी सामान एक ही जगह पर मिल जाता है।
• खरीदारों के पास यह भी अवसर होता है कि वे मोल-तोल करके भाव कम करवा सकें।
प्रश्न 2. साप्ताहिक बाज़ारों में दुकानदार कौन होते हैं? बड़े व्यापारी इन बाजारों में क्यों नहीं दिखते?
उत्तर – साप्ताहिक बाजारों में प्रतिदिन खुलनेवाली पक्की दुकानें नहीं होती हैं। दुकानदार दिन में दुकान लगाते हैं और शाम होने पर उन्हें समेट लेते हैं। अगले दिन वे अपनी दुकानें किसी और जगह पर लगाते हैं। बड़े व्यापारी। को अपने स्थायी दुकानों से ही फुरसत नहीं मिलती, इसलिए वे साप्ताहिक बाजारों में नहीं दिखते।
प्रश्न 3. साप्ताहिक बाजारों में सामान सस्ते दामों में क्यों मिल जाता है?
उत्तर – साप्ताहिक बाजारों में बहुत-सी चीजें सस्ते दामों पर मिल जाती हैं। ऐसा इसलिए कि जो पक्की दुकानें होती हैं। उन्हें अपनी दुकानों के कई तरह के खर्चे जोड़ने होते हैं। उन्हें दुकानों का किराया, बिजली का बिल, सरकारी शुल्क आदि देना पड़ता है।
इन दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारियों की तनख्वाह भी इन्हीं खर्ची में जोड़नी होती है। साप्ताहिक बाजारों में बेची जाने वाली चीजों को दुकानदार अपने घरों में ही जमा करके रखते हैं।
प्रश्न 4. एक उदाहरण देकर समझाइए कि लोग बाज़ारों में कैसे मोल-तोल करते हैं? क्या आप ऐसी स्थिति के बारे में सोच सकते हैं, जहाँ मोल-तोल करना अन्यायपूर्ण होगा?
उत्तर – जब ग्राहक किसी सामान को लेने के लिए दुकानदार के पास जाता है और वह किसी सामान की कीमत पूछता है और जब दुकानदार द्वारा वस्तु की कीमत बतलाई जाती है, इसके बाद जब ग्राहक उस कीमत से संतुष्ट नहीं होता तो वह दुकानदार से मोल-तोल करने लगता है और जिस कीमत पर दुकानदार और ग्राहक वस्तु को देने और लेने के लिए सहमत हो जाते हैं, वस्तु की कीमत वहीं पर निर्धारित हो जाती है।
जिन वस्तुओं की कीमत सरकार द्वारा निश्चित की जाती है तथा बड़ी-बड़ी कम्पनियों की कीमत एक निश्चित होती है, वहाँ पर वस्तुओं की कीमत का मोल-तोल करना उचित नहीं होगा।
प्रश्न 5. सुजाता नोटबुक लेकर दुकान क्यों गई? क्या यह तरीका उपयोगी है? क्या इसमें कोई समस्या भी। आ सकती है?
उत्तर – सुजाता एक दिन अपने मोहल्ले की दुकान से कुछ सामान खरीदने पहुँची। दुकानदार सुजाता को जानने वाला था जो सुजाता को उधार सामान भी दिया करता था और उस उधार सामान की कीमत सुजाता के नोटबुक पर लिख देता था। इसलिए सुजाता को दुकानदार से जब उधार सामान लेना होता है, उसे अपने साथ नोटबुक लेकर जाना पड़ता था।
यह तरीका काफी उपयोगी है, क्योंकि कभी किसी ग्राहक के पास पैसा न होने परभी उसे दुकानदार द्वारा सामान उपलब्ध करा दिया जाता है। इससे दुकानदार को भी फायदा होता है कि ग्राहक जुड़ा रहता है और सारा सामान उसी से लेता है। इसमें कई बार दुकानदारों का पैसा डूब सकता है। दुकानदार भी ऐसे ग्राहकों को अधिक कीमत पर सामान उपलब्ध करवाता है।
प्रश्न 6. आपके मोहल्ले में अलग-अलग प्रकार की कौन-सी दुकानें हैं? आप उनसे क्या-क्या खरीदते हैं?
उत्तर – हमारे मोहल्ले में कई तरह की दुकानें हैं, जो कि निम्न हैं
• किराने की दुकान।
• कपड़े की दुकान।
• जनरल स्टोर।
• मोबाइल की दुकान।
• मिठाई की दुकान।
• सोने-चाँदी ज्वैलरी की दुकान।
• स्टेशनरी की दुकान।
हम इन दुकानों से खाने-पीने का सामान, पहनने का सामान, पढ़ने-लिखने के सामान एवं अन्य सामानों एवं सेवाओं को खरीदते हैं।
प्रश्न 7. सड़क किनारे की दुकानों या साप्ताहिक बाज़ार में मिलने वाले सामान की तुलना में पक्की दुकानों से मिलने वाला सामान महँगा क्यों होता है?
उत्तर – सड़क किनारे की दुकानों या साप्ताहिक बाजार में मिलने वाले सामान की तुलना में पक्की दुकानों से मिलने वाला सामान महँगा होने के कारण-
• पक्की दुकानों को कई तरह के खर्चे; जैसे-दुकानों का किराया, बिजली का बिल, सरकारी शुल्क आदि देना पड़ता है।
• इन दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारियों की तनख्वाह भी इन्हीं खर्चे में जोड़नी होती है।
• पक्की दुकानों पर स्थानीय उत्पाद कम और ब्रांडेड कम्पनी के सामान अधिक मिलते हैं। स्थानीय उत्पाद वस्तुओं की अपेक्षा ब्रांडेड कम्पनी की वस्तुएँ महँगी होती हैं।
प्रश्न 8. आप क्या सोचते हैं, सुरक्षा कर्मचारी ने सुजाता और कविता को अंदर जाने से रोकना क्यों चाहा होगा? यदि कहीं किसी बाज़ार में कोई आपको ऐसी ही दुकान में अंदर जाने से रोके तो आप क्या कहेंगे?
उत्तर – सुजाता और कविता अंजल मॉल में गयी थीं, जो कि एक पाँच मंजिला शॉपिंग कॉम्पलेक्स है। कविता और सुजाता इसमें लिफ्ट से ऊपर जाने और नीचे आने का आनंद ले रही थीं। इसमें से बाहर का नजारा देखती हुई ऊपर नीचे जा रही थीं। उन्हें यहाँ आईसक्रीम, बर्गर, पिज्जा आदि खाने की चीजें, घरेलू उपयोग का सामान, चमड़े के जूते, किताबें आदि तरह-तरह की दुकानों को देखना अद्भुत लग रहा था।
जब वे लोग रेडिमेड कपड़े की दुकान पर पहुँची तो सुरक्षा कर्मचारी ने उन्हें रोकना चाहा, इसका मुख्य कारण यह था कि वे दोनों मॉल में सामान लेने नहीं, बल्कि घूमने के इरादे से गई थीं और वे मॉल में स्थित विभिन्न दुकानों को आश्चर्यचकित होकर देख रही थीं, इसलिए सुरक्षाकर्मी को उनके इरादों पर संदेह हो रहा था। हमें ऐसी दुकान के अंदर जाने से रोकने पर हम उन सुरक्षाकर्मी को मॉल में आने के उद्देश्य बतलाएँगे अर्थात सामानों को खरीदने के बारे में बतलाएँगे।
प्रश्न 9. ऐसा क्यों होता है कि लोग मॉल में दुकानदारों से मोल-तोल नहीं करते हैं, जबकि साप्ताहिक बाज़ारों में ऐसा खूब किया जाता है?
उत्तर – लोग मॉल में दुकानदारों से मोल-तोल करना अपनी शख्सियत के खिलाफ मानते हैं। साथ-ही-साथ मॉल में कई दुकानों की कीमत निश्चित होती है। ऐसी स्थिति में लोग मॉल में दुकानदारों से मोल-तोल नहीं करते हैं।
साप्ताहिक बाजारों में ब्रांडेड कम्पनी के सामान नहीं मिलते हैं, जिसकी कीमत निश्चित होती है, बल्कि इन बाजारों में स्थानीय उत्पाद वाली वस्तुएँ मिलती हैं, जिसकी कीमत निश्चित नहीं होती। ऐसी स्थिति में लोग इन वस्तुओं के मोल-तोल करते हैं।
प्रश्न 10. आपको क्या लगता है, आपके मुहल्ले की दुकान में सामान कैसे आता है? पता लगाइए और कुछ उदाहरणों से समझाइए।
उत्तर – हमारे मुहल्ले की दुकान में सामान थोक विक्रेताओं से आता है। उदाहरणस्वरूप-हर शहर में थोक बाज़ार का एक क्षेत्र होता है। थोक व्यापारी या विक्रेता अपना सामान वितरक या उत्पादक से काफी मात्रा में खरीदता है। थोक विक्रेता अपना सामान खुदरा विक्रेता को बेचते हैं। खुदरा विक्रेता ही मोहल्ले में सामान बेचते हैं, जिसे उपभोक्ता खरीदते हैं।
प्रश्न 11. थोक व्यापारी की भूमिका जरूरी क्यों होती है?
उत्तर – बाज़ार में थोक व्यापारी की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण होती है। थोक व्यापारी वितरक तथा उत्पादक से काफी मात्रा में वस्तु खरीदते हैं। उस वस्तु को थोक व्यापारी खुदरा व्यापारी को उपलब्ध कराते हैं।
कई खुदरा व्यापारी के पास इतने अधिक पैसे नहीं होते कि वे वितरक तथा उत्पादक से काफी मात्रा में सामान खरीद सकें। खुदरा व्यापारी ही उपभोक्ता तक सामान को उपलब्ध कराता है।
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