महिलाओं को परिवार और समाज में पहचान कैसे मिलेगी?
उत्तर –
महिलाएँ तब तक सशक्त नहीं हो सकती जब तक कि घर पर किए गए उनके कार्यों का मूल्य नहीं आँका जाता और उसे सवेतन कार्य के बराबर नहीं माना जाता। महिलाओं को घर चलाने वाली (गृहिणी) मानते हुए घर पर किए गए उनके कार्यों का शायद ही मूल्यांकन किया जाता है और इसे आर्थिक गतिविधियों के रूप में भी गिना नहीं जाता। परंतु एक कहावत है ‘धन बचाना, धन कमाना है।
‘महिलाएँ परिवार के भरण-पोषण के लिए अपने जीवन के सभी स्तरों जैसे कि- माँ, बहन, बेटी, पत्नी और दादी के रूप में घरेलू काम-काज या परिवार के अन्य कार्य करती है] उसके लिए उन्हें जीवनभर ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस प्रकार का योगदान परिवार के अन्य सदस्यों को अधिक दक्षता से उनकी भूमिका निभाने और कर्त्तव्य पूरा करने में सहायक होता है। अतः महिलाओं द्वारा किए गए घरेलू कार्य को आर्थिक योगदान और उत्पादन गतिविधि की तरह महत्त्व देने की आवश्यकता है।
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