मध्य-पूर्व संकट – अफगानिस्तान (Middle East Crisis – Afghanistan) Details Notes in Hindi

मध्य-पूर्व संकट – अफगानिस्तान (Middle East Crisis - Afghanistan) Details Notes in Hindi
आइए इस लेख के माध्यम से हम आप सभी को मध्य पूर्व संकट अफगानिस्तान के बारे में विस्तार से बताते हैं। अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात को जिसे हम दूसरे नाम तालिबान के रूप में भी जानते हैं। पिछले कई वर्षों से अफगानिस्तान में वहां की सरकार और तालिबानियों के बीच में लंबा संघर्ष चलता आ रहा है। इसमें कई अन्य देशों ने भी अपनी हिस्सेदारी दिखाई और वास्तविक रूप से यदि देखा जाए तो आज के समय में अफगानिस्तान में तालिबानियों का कब्जा हो चुका है।
आज के समय में तालिबान पूरे देश में अपना राजपाट चला रहे हैं। हालांकि इस वर्चस्व की लड़ाई में संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी अपनी दावेदारी दिखाई। लेकिन अंततः अमेरिका को अफगानिस्तान से अपने सैनिकों हटाना पड़ा था। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि हाल में ही अप्रैल 2021 में अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति जो बिडेन (Joe Biden) ने यह कहा कि अब अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिक अब नहीं रहेंगे। वह अफगानिस्तान को छोड़कर वापस अपने देश में आ जाएंगे। यहां से अफगानिस्तान के लिए और ज्यादा संकट उत्पन्न होने लगा है।

अफगानिस्तान संकट की शुरुआत

1978 में अफगानिस्तान में एक क्रांति हुई और इसी क्रांति के दौरान अफगानिस्तान में कम्युनिस्ट पार्टी की सत्ता आ गई। यहां के नेता राष्ट्रपति दाऊद खान और नूर मोहम्मद तारकी को राज्य के नेता के रूप में प्रतिस्थापित किया गया। जिससे इनकी राजनीति पहले की अपेक्षा और ज्यादा गतिशील हो गई थी। जब अफगानिस्तान में तारकी की सरकार आई तो उन्होंने अफगानिस्तान में कई नए प्रकार के आधुनिकीकरण जैसी नीतियों को बनाया। जिसे बहुत जल्दी अमल में लाया गया और इसी आधुनिकीकरण के कारण ही अफगानिस्तान के छोटे छोटे कस्बे, गांव जैसे जगहों पर बिजली जैसी सुविधाओं को पहुंचाने का कार्य किया गया था।
लेकिन इसमें कुछ समस्याएं भी उत्पन्न हुई जैसे अफगानिस्तान के नागरिकों को यह लगा कि कुछ राजनीति करने वाले लोगों के द्वारा उनके समाज को अलग-थलग करने की कोशिश की जा रही है। अफगानिस्तान में सबसे बड़ा संकट तब आया जब आम लोगों के जीवन में अशांति और परेशानियों उत्पन्न होने लगी। जब आम लोग सड़क पर उतरने लगे तो वहां की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार इन्हें जबरन दबाने की कोशिश करने लगी। यहां पर सरकार के विरोध में नारे लगाना या किसी भी प्रकार का प्रदर्शन करने की भी छूट आम नागरिकों को नहीं दिया गया था।
नतीजा यह हुआ कि पूरे देश में वहां की सरकार के खिलाफ शस्त्र के साथ विरोध होना शुरू हो गया था। सरकार के भीतर ही सरकार का बंटवारा होना शुरू हो गया इसी दौरान तारिकी की हत्या हफीजुल्लाह अमीन ने कर दी जो एक प्रतिद्वंदी राजनेता था जिसके बाद में राष्ट्रपति पद को वह ग्रहण कर लिया इन्हीं सब कई कारणों के कारण अफगान में शुरुआती संकट उत्पन्न होना शुरू हो गया था।

अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति

अफगानिस्तान का दूसरा नाम अफगानिस्तान इस्लामी अमीरात है अफगानिस्तान दक्षिण एशिया में स्थित देश है अफगानिस्तान को सार्क देशों की सूची में 2007 में जोड़ा गया था अफगानिस्तान सार्क देशों में जुड़ने वाला 8वाँ देश था अफगानिस्तान के पूर्व दिशा में पाकिस्तान स्थित है वहीं दूसरी तरफ उत्तर-पूर्व की बात की जाए तो उत्तर पूर्व की दिशा में भारत स्थित है और इसी दिशा में अफगानिस्तान का सीमा चीन के साथ भी जोड़ा जाता है अफगानिस्तान मात्र एक ऐसा देश है जो अपने चारों तरफ जमीन से घिरा हुआ है
अफगानिस्तान के मुख्य भाग में हिंदूपुर पहाड़ी और दक्षिण भाग में केवल रेगिस्तान ही रेगिस्तान है यदि यहां की खेती से जुड़ी बातें को जाने तो यहां की भूमि बहुत ही कम उपजाऊ होती है यहां अधिक से अधिक फसलों को नहीं उगाया जा सकता क्योंकि सिंचाई की सुविधा यहां पर उपलब्ध नहीं हो पाती है अफगानिस्तान के संस्थापक अर्थात निर्माण करने वाले व्यक्ति की बात की जाए तो इसके संस्थापक के रूप में अहमद शाह अब्दाली का नाम सबसे ऊपर आता है
अफगानिस्तान के उत्तर में ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान तथा पश्चिम में ईरान जैसे देश स्थित हैं अफगानिस्तान के लोगों का मानना है कि कोई भी भगवान नहीं होता लेकिन अल्लाह होता है और मोहम्मद अल्लाह के रसूल माने जाते हैं यदि हम अफगानिस्तान की राजधानी की बात करें तो अफगान की राजधानी काबुल है जो अफगानिस्तान का सबसे बड़ा शहर माना जाता है अफगानिस्तान की भाषा दरी फारसी और पश्तो भाषा को माना जाता है
अफगानिस्तान के कुल आबादी में 42% पश्तून 27% ताजिक 9% हजारा हैं 9% उज्बेक 4% आइमाक 3% तुर्कमेन 2% बलोच 4% अफगानिस्तान में जातीय समूह हैं अफगानिस्तान की आबादी में 99.7% लोग इस्लाम को मानते हैं इसके अलावा 0.3 प्रतिशत लोग अन्य धर्म को मानने वाले भी यहां पर मौजूद है

अफगानिस्तान संकट एवं आक्रमण

अफगान संकट की शुरुआत 1978 में शुरू हो गई थी सन 1978 में अफगानिस्तान में दाऊद खान की सरकार को वहां की कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा गिरा दिया गया था कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार जब सत्ता में आई तो उन्होंने अफगानिस्तान में भूमि सुधार कार्यक्रम को शुरुआत किया जिसके तहत भूमि की अधिकतम सीमा को निर्धारित किया गया जिससे वहां के लोगों में अपने सरकार के प्रति घृणा उत्पन्न हो गई और सरकार के खिलाफ हो गए इस भूमि सुधार कार्यक्रम में ऐसा बताया गया कि जिन व्यक्ति के पास अधिक भूमि हैं उनसे भूमि लेकर ऐसे व्यक्तियों को दिया जाएगा जिनके पास जमीन बिल्कुल ना हो
यही मुख्य कारण है और इसी कारण से अफगान संकट की शुरुआत हो जाती है अब हम आप सभी को अफगान संकट के बाद अफगान आक्रमण के बारे में बताएंगे जब वहां के लोगों को अपने सरकार के प्रति इस भूमि सुधार कार्यक्रम को नापसंद किया गया तो उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया और विरोध इतना ज्यादा बढ़ गया कि अफगानिस्तान ने सोवियत संघ से मदद मांगी अफगानिस्तान के कम्युनिस्ट पार्टी का सोवियत संघ से मदद लेने के पीछे मात्र यही कारण था कि दोनों देशों में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार थी
इसी कारण से सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी ने अफगान के कम्युनिस्ट पार्टी के मदद करने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ा दिया 24 दिसंबर 1979 में अफगानिस्तान में अपनी सेना अफगानिस्तान के पार्टी की मदद के लिए भेज दिया इसी दौरान तालिबान ने अलकायदा आतंकवादी संगठन जिसका प्रमुख ओसामा बिन लादेन था उसको अपना समर्थन दे दिया जब तालिबान ने अलकायदा आतंकवादी संगठन को समर्थन दे दिया जिसका प्रमुख ओसामा बिन लादेन था जिसने 1998 में केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावास पर हमला किया। अमेरिका ने अलकायदा को जिम्मेदार माना और अलकायदा के खिलाफ ऑपरेशन इनफिनिट रीच शुरू कर दिया अमेरिका ने मिसाइलों से अफगानिस्तान पर हमला कर दिया इन्ही कारणों से अफगानिस्तान में आक्रमण होना शुरु हो गया था
9/11 के हमले के बाद जब अमेरिकी सेना ने कमान संभाला और अलकायदा और तालिबान के खिलाफ अपना जंग शुरू कर दिया इस जंग को हम ऑपरेशन इन ड्यूरिंग फ्रीडम के नाम से भी जानते हैं जब ऑपरेशन चल रहा था इसी के परिणाम स्वरूप अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार गिर गई और इसी कारण से अफगान संकट की समाप्ति हो गई यदि आपसे एक प्रश्न पूछा जाता है कि अफगान संकट की समाप्ति कब हुई तो आप बताएंगे 1979 से 1989 के बीच में अफगान संकट की समाप्ति हो गई थी

अफगानिस्तान और सोवियत संघ का युद्ध

दिसंबर 1979 से फरवरी 1989 के तौर को अफगानिस्तान और सोवियत संघ के युद्ध के रूप में जाना जाता है इसी युद्ध के दौरान सोवियत संघ अर्थात वर्तमान स्वरूप और अफगानिस्तान सरकार की तरफ से अफगान की शुरुआत हो गई थी हालांकि इस युद्ध के दौरान सोवियत संघ के सेना ने काबुल पर अपना कब्जा भी कर लिया था लेकिन वहां के आम जनता का विरोध जब उठा और उसको इस बात का पता चल गया कि वहां की आम जनता इसके खिलाफ है एक तरफ वहां की कम्युनिस्ट पार्टी को सोवियत संघ अपना समर्थन दे रहा था तो दूसरी तरफ एंटी पार्टी मुहावरों को अमेरिका के तरफ से पाकिस्तान उसका समर्थन दे रहा था 1987 में सूरत संघ ने कुछ आंतरिक कारणों से अपने सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस बुला लिया 15 मई 1988 से अफगानिस्तान से सोवियत संघ के सैनिक वापस आने शुरू हो गए और 15 फरवरी 1989 को अंतिम सुप्रीम भी वापस सोवियत संघ पहुंच गई थी।

मध्य-पूर्व संकट – अफगानिस्तान के परिणाम

मध्य पूर्व संकट के परिणाम की बात करें तो आज तक आप देख रहे हैं कि अफगानिस्तान एक ऐसा देश है जहां पर किसी ने किसी तरह की परेशानियां हमेशा चलती रहती है। अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति दयनीय है उन्हें अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए नौकरी नहीं करने दिया जाता है। उन्हें अपने सरकार अर्थात तालिबान के शर्तो पर काम करना पड़ता है अफगानिस्तान की स्वास्थ सेवा प्रणाली बहुत ही बुरी तरीके से वहां के लोगों को प्रभावित कर रहा है वहां के शिशु स्वास्थ्य और महिला एवं लड़कियों के यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में भी कमी हो रही है।

भारत ने अफगानिस्तान को सहायता कब और क्यों भेजी

22 फरवरी, 2022 को भारत के द्वारा अफगानिस्तान को 50 ट्रकों में 2,500 मीट्रिक टन गेहूं की पहली खेप भेजी गई है।अफगानिस्तान की हालत धीरे धीरे बहुत ज्यादा ख़राब होती जा रही है। इसी कारण से भारत ने मानवता को देखते हुए अफगानिस्तान की मदद कर रहा है। हालांकि अभी और भी कई अन्य प्रकार की मदद अफगानिस्तान को भारत के द्वारा दिया जाएगा। इसके अलावा 2 जनवरी, 2021 को भारत ने अफगानिस्तान को कोविड-19 के महामारी से लड़ने के लिए लगभग 5,00,000 टीकों की खुराक दान कीं थी। एवं अफगानिस्तान को मानवता के रिश्ते से सहायता के रूप में आने वाले दिनों में और 500,000 खुराक और भी दान के रूप में भेजेगा। अफगानिस्तान के राजधानी काबुल में मौजूद इंदिरा गांधी बाल अस्पताल में कोविड-19 के दवाइयों को दान किया गया है।
अफगानिस्तान संकट का कारण क्या है?

कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार जब सत्ता में आई तो उन्होंने अफगानिस्तान में भूमि सुधार कार्यक्रम को शुरुआत किया जिसके तहत भूमि की अधिकतम सीमा को निर्धारित किया गया जिससे वहां के लोगों में अपने सरकार के प्रति घृणा उत्पन्न हो गई और सरकार के खिलाफ हो गए इन्ही सभी कारको को अफगान संकट का कारण माना जाता है।

अफगानिस्तान में वर्तमान स्थिति क्या है?

अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति दयनीय है उन्हें अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए नौकरी नहीं करने दिया जाता है उन्हें अपने सरकार अर्थात तालिबान के शर्तो पर काम करना पड़ता है अफगानिस्तान की स्वास्थ सेवा प्रणाली बहुत ही बुरी तरीके से वहां के लोगों को प्रभावित कर रहा है वहां के शिशु स्वास्थ्य और महिला एवं लड़कियों के यौन तथा प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में भी कमी हो रही है।

अफगानिस्तान के संस्थापक कौन थे

अफगानिस्तान के संस्थापक अहमद शाह अब्दाली को माना जाता हैं।

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की सीमा – रेखा को क्या कहते है

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की सीमा – रेखा को डुरंड रेखा कहते है।

अफगानिस्तान में दाऊद खान की सरकार को कब गिराया गया

सन 1978 में अफगानिस्तान में दाऊद खान की सरकार को अफगानिस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी (PDPA – PEOPLE DEMOCRATIC PARTY OF AFGANISTAN) द्वारा गिरा दिया गया था।

सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में अपनी सेना कब भेजी थी

सोवियत संघ ने 24 दिसंबर 1979 को अफगानिस्तान में अपनी सेना को भेजा था।

अलकायदा (आतंकवादी संगठन) के प्रमुख का क्या नाम था

ओसामा बिन लादेन।

केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावास पर हमले कब हुए थे

7 अगस्त 1998 में केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावास पर हमला किया। अमेरिका ने अलकायदा को इस हमले का जिम्मेदार माना।

मध्य-पूर्व संकट – अफगानिस्तान की समाप्ति कब हुए थी

अफगानिस्तान संकट की समाप्ति 1979-1989 को हो गई थी।

ऑपरेशन इन ड्यूरिंग फ्रीडम (Operation Enduring Freedom) क्या है

9/11 के हमले के बाद जब अमेरिकी सेना ने कमान संभाला और अलकायदा और तालिबान के खिलाफ अपना जंग शुरू कर दिया इस जंग को हम ऑपरेशन इन ड्यूरिंग फ्रीडम (Operation Enduring Freedom) के नाम से जानते हैं।

ऑपरेशन इनफिनिट रीच (Operation Infinite Reach) क्या है

जब तालिबान ने अलकायदा आतंकवादी संगठन को समर्थन दे दिया जिसका प्रमुख ओसामा बिन लादेन था जिसने 1998 में केन्या और तंजानिया में अमेरिकी दूतावास पर हमला किया। अमेरिका ने अलकायदा को जिम्मेदार माना और अलकायदा के खिलाफ ऑपरेशन इनफिनिट रीच शुरू कर दिया अमेरिका ने मिसाइलों से अफगानिस्तान पर हमला कर दिया इन्ही कारणों से अफगानिस्तान में आक्रमण होना शुरु हो गया था।

अफगानिस्तान में वर्तमान में कौन सी सरकार है?

अफगानिस्तान में वर्तमान में तालिबान की सरकार है।

1979 में अफगानिस्तान में क्या हुआ था?

दिसंबर 1979 से फरवरी 1989 के तौर को अफगानिस्तान और सोवियत संघ के युद्ध के रूप में जाना जाता है इसी युद्ध के दौरान सोवियत संघ अर्थात वर्तमान स्वरूप और अफगानिस्तान सरकार की तरफ से अफगान की शुरुआत हो गई थी हालांकि इस युद्ध के दौरान सोवियत संघ के सेना ने काबुल पर अपना कब्जा भी कर लिया था।

1978 में अफगानिस्तान में क्या हो रहा था?

सन 1978 में PDPA पार्टी ने अफगानिस्तान में भूमि सुधार शुरू किया जिसके तहत भूमि की एक अधिकतम सीमा को निर्धारित किया गया और निर्धारित सीमा से अधिक भूमि जिस भी व्यक्ति के पास थी उससे भूमि लेकर उस व्यक्ति को भूमि दी गयी जिसके पास कम भूमि थी।

अफगानिस्तान का दूसरा नाम क्या है?

अफगानिस्तान का दूसरा नाम अफगानिस्तान इस्लामी अमीरात है

अफगानिस्तान में कौन सा धर्म है?

अफगानिस्तान में इस्लाम धर्म को मानते है और अफगानिस्तानी लोगों का धर्म इस्लाम है।

अफगानिस्तान का हिंदू राजा कौन था?

हिन्दू शाही राजवंश अफगानिस्तान का अंतिम हिन्दू वंश था जिसके शासक जयपाल थे।

अफगानिस्तान भारत से अलग कब हुआ?

18 अगस्त 1919 को भारत को अफगानिस्तान से अलग कर दिया गया।

इस्लाम को अफगानिस्तान में कौन लाया?

अफगानिस्तान में इस्लाम को मुस्लिम शासक अलप्तगीन द्वारा लाया गया।

हाल ही में अफगानिस्तान पर कब्ज़ा किसने किया?

अमेरिका और अफगानिस्तान का युद्ध 2 दशक तक चला जिसके बाद अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्ज़ा हो गया।

तालिबान का उदय किस देश से माना जाता है?

साल 1990 की शुरुआत में उत्तरी पाकिस्तान में तालिबान का उदय हुआ था।

नोशाक किस जगह है?

नोशाक पर्वत अफगानिस्तान के बदख्शां प्रांत में स्थित एक खूबसूरत जगह का नाम है

अफगानिस्तान की संसद को क्या कहते है?

अफगानिस्तान की संसद को नेशनल असेंबली के रूप में जाना जाता है

तालिबान कौन है?

तालिबान एक पश्तो शब्द है जिसका मतलब होता छात्र अर्थात ऐसे छात्र, जो इस्लामिक कट्टरवाद से पूरी तरह से प्रेरित हों उन्हें तालिबान कहा जाता है

अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा किस धर्म के लोग रहते हैं?

अफगानिस्तान एक इस्लामी अर्थात मुश्लिम गणराज्य है 99% यहाँ के नागरिक इस्लाम के मानने वाले हैं। इस 99% आबादी में 80% आबादी सुन्नी इस्लाम का पालन करती है। और बाकि सब शेष शिया को मानते हैं।

अभी हाल ही में अफगानिस्तान पर किसने कब्जा किया है?

हाल में अफगानिस्तान को तालिबानियों ने अपने कब्जे में ले लिया और यदि वर्तमान समय की बात करे तो अफगानिस्तान में तालिबानी का हुकूमत है

अफगानिस्तान पहले किस देश का हिस्सा हुआ करता था?

भारत के इतिहास में ईरान और अफगानिस्तान दोनों ही देश भारत के ही हिस्सा में था इतिहासकारों की माने तो ईरान पहले पारस्य देश था जो कि आर्यों के द्वारा ही निर्माण किया गया था. प्राचीन गांधार और कंबोज के हिस्सों को हीवर्तमान का अफगानिस्तान कहा जाता है यहाँ महाभारत काल में गांधार राज शकुनी का शासन हुआ करता था

अफगानिस्तान की राजधानी का नाम क्या है

काबुल अफगानिस्तान की राजधानी है। इसके अलावा काबुल अफगानिस्‍तान का सबसे बड़ा शहर भी है।

अफगानिस्तान पर तालिबानों के कब्ज़ा होने से पहले राष्ट्रपति कौन थे ?

मुल्ला अब्दुल गनी बरादर

अफगानिस्तान के मुद्रा का क्या नाम है?

अफगानी

अफगानिस्तान में मुस्लिम संप्रदाय से पहले क्या था?

 हिंदू, बौद्ध

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