माँड व गोंद में अंतर बताइए।
उत्तर – स्टार्च तथा कड़ा करने वाले अभिकर्मक (Starches and Stiffening Agents)
कपड़ों को बार-बार धोने के कारण उनकी चमक में कमी आती हैं तथा उनके रंग फीके पड़ने लगते है। कपड़ों को पुनः नए जैसा चमकदार चिकना तथा कड़ापन लाने के लिए उन पर विभिन्न प्रकार के स्टार्च तथा कड़ा करने वाले अभिकर्मकों का प्रयोग किया जाता है। स्टार्चको मांड तथा कलफ भी कहा जाता है। स्टार्च के प्रयोग से कपड़ों के छिद्र भर जाते हैं, जिससे वस्त्रों में मैल आसानी से नहीं पहुंचती तथा लम्बे समय तक साफ रहते हैं। मांड/स्टार्च लगे कपड़े पहनने में रोबीले लगते हैं तथा धोने पर आसानी से साफ हो जाते हैं। कोका करने वाले अभिकर्मक पशुओं तथा पौधों से प्राप्त होते हैं। वस्त्रों को कड़ा/स्टार्च करने वाले कुछ प्रमुख अभिकर्मकों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित हैं-
(a) मांड/स्टार्च (Starch) – मांड, गेहूँ (मैदा), चावल, अरारोट, टेपियोका (कसावा) इत्यादि से प्राप्त होती है। मांड का गाढ़ापन स्टार्च किए जाने वाले वस्त्र की मोटाई पर निर्भर करता है। कड़ा करने वाले अभिकर्मक के रूप में इसका प्रयोग केवल सूती या लिनन के कपड़ों पर किया जाता है। मोटे सूती कपड़ों पर हल्का स्टार्च लगाने की आवश्यकता होती है जबकि पतले वस्त्रों पर अधिक स्टार्च लगाया जाना चाहिए। आमतौर पर मांड पाउडर के रूप में उपलब्ध होती हैं तथा प्रयोग से पूर्व इन्हें पकाना पड़ता है, परंतु आजकल बाजारों में व्यापारिक रूप से तैयार की गई मांड भी आसानी से उपलब्ध होती है जो प्रयोग करने में काफी आसान होती है तथा उसे पकाने की भी आवश्यकता नहीं होती है।
(b) बबूल का गोंद या अरेबिक गोंद (Gum Acacia or Gum Arabic) – बबूल के पौधे से प्राप्त गोंद प्राकृतिक होती है जो दानेदार गाँठो में उपलब्ध होती है। किसी वस्त्र को कड़ा करने का घोल बनाने के लिए इसे रात भर पानी में भिगो दिया जाता है और फिर उसे एक गाँठ रहित घोल प्राप्त करने के लिए छान लिया जाता है। हालांकि इस प्रकार की गोंद से वस्त्र में केवल हल्का कड़ापन ही आता है जो अधिकतर चरचरेपन के स्वरूप में होता है। रेशमी वस्त्रों,अत्यधिक महीन सूती वस्त्रों, रेयान तथा रेशमी एवं सूती मिश्रित वस्त्रों को कड़ापन प्रदान करने के लिए गोंद का प्रयोग किया जाता है।
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