कुषोषण का क्या अर्थ है? यह कितने प्रकार के होते है?
उत्तर –
कुपोषण : “शरीर की आवश्यकतानुसार उचित तथा निश्चित मात्रा में पोषक तत्व न ग्रहण करना कुपोषण कहलाता है।” ‘कु’ अर्थात बुरा और कुपोषण अर्थात् बुरा पोषण; जिसे ग्रहण करने से व्यक्ति को उसकी शारीरिक आवश्यकताओं के अनुकूल पोषण तत्व नहीं मिलते और वह अस्वस्थ हो जाता है। कुपोषण तीन प्रकार का होता है-
(a) अत्यधिक पोषण : जब व्यक्ति शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक निश्चित मात्रा में पोषक तत्वों से अधिक मात्रा अपने भोजन से प्राप्त करता है तो वह अत्यधिक पोषण से ग्रस्त होता है। अत्यधिक पोषण को सरल भाषा में मोटापा कहा जाता है और यह किसी एक या एक से अधिक पोषक तत्व की अधिकता से हो सकता है।
(b) अपर्याप्त पोषण : जब व्यक्ति अपनी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक निश्चित मात्रा में पोषक तत्वों से कम मात्रा अपने भोजन से प्राप्त करता है तो वह अपर्याप्त पोषण से ग्रस्त होता है। अपर्याप्त पोषण के परिणामस्वरूप व्यक्ति का वृद्धि और विकास कम हो जाता है और उसमें कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
(c) असंतुलित पोषण : जब व्यक्ति की शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए निश्चित मात्रा में पोषक तत्वों के होने के स्थान पर पोषक तत्वों की मात्रा असंतुलित होती है तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति का पोषण असंतुलित पोषण कहलाता है। असंतुलित पोषण एक या एक से अधिक पोषक तत्वों की अधिकता अथवा कमी के कारण पाया जाता है तथा शरीर के लिए हानिकारक होता है।
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