किन कारणों से छोटे बच्चों को विद्यालय में विशेष अनौपचारिक कार्यक्रम की आवश्यकता होती है?

किन कारणों से छोटे बच्चों को विद्यालय में विशेष अनौपचारिक कार्यक्रम की आवश्यकता होती है?

उत्तर –

इस आयु वर्ग के बच्चों का अपने आस-पास की चीजों/वातावरण को समझने का बहुत अलग व्यवहार होता है अर्थात् उनके दुनिया को समझने के तरीके भिन्न-भिन्न होते हैं। घटनाओं को अपने तरीके से समझने के लिए उन्हें अनुकूल परिवेश की आवश्यकता होती है। बच्चों के सीखने के लिए उनकी आयु तथा सांस्कृतिक परिवेश अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है।

बाल-मनोवैज्ञानिक जीन पियाजे ने बच्चों की सीखने की प्रक्रिया समझाने के लिए ज्ञानात्मक विकास की विभिन्न अवस्थाओं को विस्तार से समझाया हैं। इन अवस्थाओं को हम कक्षा ग्यारहवीं में पहले ही पढ़ चुके है। सभी बाल मनोवैज्ञानिक के अनुसार बच्चों को सिखाने के लिए बच्चों को उनकी समझ एवं आयु के अनुसार अनुभव देने आवश्यक है। प्रारंभिक बाल्यावस्था में शिक्षा का उपागम (approach) अनिवार्य रूप से बच्चों के ऊपर ही केन्द्रित होना आवश्यक है। बच्चे सीखते समय विभिन्न सांस्कृतिक सन्दर्भों, मूल्यों जैसे अमूर्त विषयों में अन्तर को नहीं समझ पाते।

किसी जिस भी संस्था में उन्हें भले ही अनौपचारिक शिक्षा दी जाए वह उनके परिचित परिवेश के अनुसार होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, तटीय ग्रामीण, इलाके में बच्चा खेत, मिट्टी, बारिश से सम्बन्धित कविताओं एवं कहानी के माध्यम से शीघ्र सीखेगा जबकि बर्फ, क्रिसमस इत्यादि से संबंधित कविताएँ/कहानियाँ उन्हें इस आयु में अपरिचित सी लगेंगी।

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