खाद्य परिरक्षण की वर्तमान स्थिति तक इसके विकास का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर –
वैसे तो खाद्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शोध कार्य कई दशकों से किए जा रहे थे। लेकिन वर्ष 1810 में निकोलस ऐप्पर्ट द्वारा खाद्य पदार्थों को डिब्बों में बंद करने की प्रक्रिया को विकसित करना एक महत्वपूर्ण घटना थी। खाद्य पदार्थों की डिब्बाबंदी का खाद्य संरक्षण तकनीकों पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसके बाद वर्ष 1864 में लुई पाश्चर द्वारा अँगूरी शराब के खराब होने पर किए जा रहे शोध अर्थात् उसे खराब होने से कैसे बचाएँ का वर्णन खाद्य प्रौद्योगिकी को वैज्ञानिक आधार देने की शुरूआत थी।) अँगूरी शराब के खराब होने के अतिरिक्त पाश्चर ने ऐल्कोहल, सिरका, अँगूरी शराब और बीयर के अतिरिक्त दूध के खट्टा होने पर भी शोध कार्य किए। लुई पाश्चर ने ही विभिन्न प्रकार के खाद्यजनित रोग उत्पन्न करने वाले जीवाणुओं को नष्ट करने के लिए पाश्च्चुरीकरण (निर्जीवीकरण) विधि को विकसित किया। पाश्च्चुरीकरण विधि खाद्य पदार्थों को सूक्ष्मजीवों से सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में क्रांतिकारी कदम था।
राद्य प्रौद्योगिकी का प्रयोग बीसवीं सदी की शुरूआत में सेना की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया गया। इसके बाद दो विश्वयुद्ध अंतरिक्ष अभियानों तथा उपभोक्ताओं द्वारा विभिन्न उत्पादों की बढ़ती माँग ने खाद्य प्रौद्योगिकी के विकास को और अधिक प्रोत्साहित किया। इसी दौरान कामकाजी महिलाओं की आवश्यकताओं को विशेष रूप से पूरा करने के लिए तत्काल मिलाकर बनने वाले सूप मिश्रण (instant soup) और पकाने को तैयार खाद्य पदारथों (ready to cook food items) को विकसित किया गया। इसी दौरान
खाद्य उद्योग ने पोषण संबंधी मुद्दों पर भी ध्यान देना शुरू किया। फिर धीरे-धीरे लोगों की भोजन संबंधी मान्यताएँ और रुचियाँ बदलने लगी और लोगों ने विभिन्न क्षेत्रों और देशों के खाद्य उत्पादों एवं व्यंजनों को अपनाना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे खाद्य प्रौद्योगिकी का विकास होता गया वैसे-वैसे लोगों में ऐसे खाद्य उत्पादों की माँग बढ़ने लगी जो साल के किसी विशेष मौसम के दौरान ही पाए जाते थे। लोगों की इस माँग को ध्यान रखते हुए दुनिया भर के खाद्य प्रौद्योगिकीविदों ने नई-नई तकनीकों का उपयोग कर सुरक्षित और ताजे खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने का प्रयास किया।
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