संसाधनों की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालें।
उत्तर –
हालांकि सभी संसाधनों को विभिन्न रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता है परंतु सभी संसाधनों में कुछ-न-कुछ समानताएँ भी होती है। सभी प्रकार के संसाधनों की कुछ सामान्य विशेषताएँ निम्नलिखित है-
1. उपयोगिता (Utility) – किसी संसाधन की उपयोगिता उसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। संसाधन की उपयोगिता से तात्पर्य है कि कोई संसाधन किसी लक्ष्य प्राप्ति में कितना महत्वपूर्ण अथवा उपयोगी है। हालांकि संसाधन की उपयोगिता लक्ष्य और परिस्थिति पर निर्भर करती है। जैसे कि- किसी शहरी व्यक्ति के लिए गाय का गोबर किसी भी प्रकार से उपयोगी नहीं माना जाता है, जबकि वहीं गोबर ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए ईंधन और खाद बनाने के लिए उपयोगी होता है अर्थात् हर संसाधन की अपनी एक उपयोगिता होती है। सरल शब्दों में कहे तो- सभी साधन किसी न किसी विशेष परिस्थिति में उपयोगी होते हैं। वे कभी किसी विशेष परिस्थिति में महत्वपूर्ण साधन सिद्ध हो सकते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि जो साधन किसी एक व्यक्ति के लिए उपयोगी हैं, वे दूसरे व्यक्ति या परिस्थिति में उपयोगी न हो। परन्तु हर साधन का कभी न कभी, कोई न कोई उपयोग अवश्य होता है। कोई भी साधन किसी व्यक्ति या परिवार के लिए कितना उपयोगी है यह उस परिवार की आवश्यकताओं, समस्याओं तथा ज्ञान पर निर्भर करता है।
2. सुलभता / उपलब्धता (Accessibility/Availibility) – बहुत से संसाधन ऐसे है जो अन्य संसाधनों की अपेक्षा काफी आसानी से उपलब्ध होते हैं, जैसे कि- सूर्य की रोशनी ईंधन की अपेक्षा आसानी से उपलब्ध होती है। वहीं कुछ लोगों को दूसरों की तुलना में संसाधन अधिक सरलता से उपलब्ध होते हैं, जैसे कि- अमीर लोगों को गरीबों की अपेक्षा संसाधन आसानी से उपलब्ध होते है। इसके अतिरिक्त संसाधनों की उपलब्धता समय के अनुरूप भी बदलती रहती हैं जैसे कि- बारिश के मौसम में जल सूखे के मौसम की अपेक्षा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। अतः हम कह सकते हैं कि संसाधनों की सुलभता उपलब्धता प्रत्येक व्यक्ति के अनुसार, समय और परिस्थिति के अनुरूप बदलती रहती है। उदाहरण के लिए, प्रत्येक परिवार में धन रूपी संसाधन अलग-अलग मात्रा में उपलब्ध होता है, अर्थात् किसी के पास आवश्यकता से अधिक, किसी के पास आवश्यकता के अनुरूप तो किसी के पास आवश्यकता से कम
3. विनिमयता (Interchangeability) – लगभग सभी संसाधनों के विकल्प (alternate) होते हैं। यदि किसी परिस्थिति में एक संसाधन कम मात्रा में उपलब्ध हो या बिल्कुल भी उपलब्ध नहीं होता तो उसके स्थान पर दूसरे संसाधन को प्रतिस्थापित किया जा सकता है। जैसे कि- यदि किसी बच्चे की स्कूल बस छूट जाती है तो उसे उपलब्ध दूसरे संसाधनों जैसे कि- कार, स्कूटर, साइकिल या ऑटो इत्यादि द्वारा स्कूल तक छोड़ा जा सकता है। अतः एक ही कार्य कई संसाधनों द्वारा भी किया जा सकता है। उसी प्रकार यदि किसी विद्यार्थी को पाठ समझ न आए तो उसे पढ़ाई में सहायता की आवश्यकता होती है। वह-
(i) अतिरिक्त पाठ्य सामग्री खरीदेगा
(ii) ट्यूशन पढ़ने की व्यवस्था करेगा
(iii) अपने किसी साथी की सहायता लेगा।
प्रथम दोनों विकल्पों के लिए उसे अतिरिक्त धन व्यय करना पड़ेगा तथा तीसरे विकल्प के लिए उसे अपने साथी के ज्ञान व कुशलता का उपयोग करना होगा।
4. प्रबंधनीय (Manageable) – सभी संसाधनों का प्रबंधन योग्य होना भी उनकी प्रमुख विशेषता है। लगभग सभी संसाधन सीमित होते हैं इसलिए उनका उचित एवं प्रभावी प्रबंधन करना जरूरी होता है ताकि उनको इष्टतम तरीके से उपयोग किया जा सके। सभी संसाधनों का उपयोग इस प्रकार से किया जाना चाहिए ताकि हमें न्यूनतम संसाधनों के उपयोग से अधिकतम लाभ प्राप्त हो सकें, जैसे कि- रोज थोड़े से कपड़े धोने की अपेक्षा यदि तीन-चार दिन बाद एक साथ कपड़े धोएँ जाए तो इससे श्रम, समय, जल तथा साबुन इत्यादि जैसे संसाधनों की बचत की जा सकती है।
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