भारत और चीन के बीच सीमा विवाद एक जटिल और लंबे समय से चला आ रहा मुद्दा है। यह विवाद मुख्य रूप से वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control – LAC) के अस्पष्ट निर्धारण और ऐतिहासिक दावों से संबंधित है। इसे निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
1. सीमा विवाद का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- भारत और चीन के बीच लगभग 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो तीन क्षेत्रों में विभाजित है:
(i) पश्चिमी सेक्टर (लद्दाख),
(ii) मध्य सेक्टर (हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड), और
(iii) पूर्वी सेक्टर (अरुणाचल प्रदेश)। - विवाद मुख्य रूप से पश्चिमी और पूर्वी सेक्टर में है।
पश्चिमी सेक्टर (अक्साई चिन)
- अक्साई चिन क्षेत्र (लद्दाख) भारत के अनुसार इसका हिस्सा है, जबकि चीन इसे ज़िनजियांग प्रांत का हिस्सा मानता है।
- यह विवाद 1865 के “जॉनसन रेखा” और 1893 के “मैककार्टनी-मैकडोनाल्ड रेखा” पर आधारित है।
- चीन ने 1950 के दशक में अक्साई चिन पर कब्जा कर लिया और यहां सड़क का निर्माण किया।
पूर्वी सेक्टर (अरुणाचल प्रदेश)
- चीन अरुणाचल प्रदेश को “दक्षिण तिब्बत” के रूप में दावा करता है।
- 1914 की शिमला संधि के तहत खींची गई “मैकमोहन रेखा” को भारत ने मान्यता दी, लेकिन चीन इसे अस्वीकार करता है।
2. 1962 का भारत-चीन युद्ध
- सीमा विवाद ने 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध का रूप ले लिया।
- चीन ने अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ की।
- युद्ध के परिणामस्वरूप, चीन ने अक्साई चिन पर कब्जा बरकरार रखा, जबकि अरुणाचल प्रदेश से पीछे हट गया।
3. वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)
- LAC वह अस्थायी सीमा है, जो भारत और चीन के सैनिकों को अलग करती है।
- भारत के अनुसार LAC की परिभाषा 3,488 किमी है, जबकि चीन इसे 2,000 किमी मानता है।
- LAC पर स्थिति अस्पष्ट और विवादास्पद है, जिससे अक्सर सैनिकों के बीच झड़पें होती हैं।
4. हालिया तनाव
(i) डोकलाम विवाद (2017)
- भूटान के डोकलाम क्षेत्र में चीन की सड़क निर्माण की कोशिश ने भारत और चीन के बीच 73 दिनों तक सैन्य गतिरोध पैदा किया।
(ii) गलवान घाटी संघर्ष (2020)
- जून 2020 में लद्दाख के गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई।
- इस संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए, जबकि चीन को भी हताहतों का सामना करना पड़ा।
(iii) तवांग (अरुणाचल प्रदेश, 2022)
- दिसंबर 2022 में अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई।
- यह क्षेत्र चीन द्वारा बार-बार दावा किया जाता है।
5. सीमा विवाद के समाधान के प्रयास
- 1993 और 1996 समझौते: सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए भारत और चीन ने समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
- वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन (WMCC): सीमा विवाद सुलझाने के लिए 2012 में यह प्रणाली बनाई गई।
- कूटनीतिक वार्ता: दोनों देश समय-समय पर वार्ता करते रहे हैं।
6. मुख्य चुनौतियां
- अस्पष्ट LAC: LAC पर स्पष्टता का अभाव सैनिकों के बीच बार-बार झड़पों का कारण बनता है।
- चीन का विस्तारवादी रवैया: चीन अपनी सैन्य शक्ति और बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल कर दबाव बनाता है।
- भरोसे की कमी: ऐतिहासिक घटनाओं के कारण दोनों देशों के बीच भरोसे की कमी है।
7. भविष्य की दिशा
- कूटनीतिक समाधान: दोनों देशों को सीमा विवाद सुलझाने के लिए कूटनीतिक संवाद को प्राथमिकता देनी चाहिए।
- स्थायी समझौता: LAC को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना और आपसी सहमति से विवादित क्षेत्रों का समाधान करना आवश्यक है।
- बहुपक्षीय सहयोग: भारत और चीन को आर्थिक और वैश्विक मंचों पर आपसी सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसे सुलझाने के लिए संवाद और आपसी समझ बढ़ाने की आवश्यकता है। दोनों देशों को सैन्य टकराव से बचते हुए शांति और सह-अस्तित्व के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए।