गृहिणियाँ कौन होती हैं? परिवार की अर्थव्यवस्था में उनका क्या योगदान होता है?
उत्तर –
आज के आधुनिक दौर में शिक्षा, सामाजिक मान्यताओं में परिवर्तन तथा महंगाई के दौर में केवल पुरुष ही कमाने वाला हो तथा स्त्री घर-परिवार की देख-रेख करने वाली हों यह अवधारणा असंगत एवं नकारणीय सी प्रतीत होती है। यहाँ तक की शिक्षित न होने के बावजूद भी ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएँ हमेशा से ही कृ षि, पशुपालन, उत्पादन एवं विक्रय संबंधी कार्यों से जुड़ी रही है।
आजकल शहरी क्षेत्रों में महिलाएँ निर्माण कार्यों तथा कई प्रकार के अकुशल श्रम संबंधी कार्यों में कार्यरत हैं। इन सबके साथ परिवार की देख-रेख एवं गृहकार्य केवल महिलाओं का कार्य क्षेत्र समझ कर उनसे सब अपेक्षित होता है। हमारे समाज की यह एक अमानवीय विडम्बना है कि गाँवों कस्बों एवं शहरी क्षेत्रों में महिलाएँ अकुशल तथा कुशल श्रम एवं नौकरी कर के परिवार एवं देश की आर्थिक स्थिति में भागीदारी निभा रही है परंतु परिवार में उन्हें इस योगदान का श्रेय न के बराबर दिया जाता है।
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