भारत में भाषा नीति का वर्णन कीजिए।

भारत में भाषा नीति भारतीय संविधान के माध्यम से निर्धारित की गई है, जो देश की विविध भाषाई संस्कृति को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। यह नीति भारत की भाषाई एकता और विविधता दोनों को बनाए रखने का प्रयास करती है। इसका वर्णन निम्नलिखित बिंदुओं में किया जा सकता है:

1. राजभाषा

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 343 हिंदी को भारत की राजभाषा घोषित करता है।
  • देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी को संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया।
  • अंग्रेजी को भी प्रारंभ में 15 वर्षों के लिए सहायक आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई थी, लेकिन इसे राज्यों और केंद्र के बीच संवाद के लिए आज भी उपयोग में लाया जाता है।

2. अनुच्छेद 351: हिंदी का संवर्धन

  • हिंदी भाषा के विकास और इसे भारत के विभिन्न हिस्सों में समझने योग्य बनाने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
  • इसका उद्देश्य हिंदी को भारत की “संपर्क भाषा” बनाना है।

3. आठवीं अनुसूची और भाषाओं की मान्यता

  • भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है।
  • इन भाषाओं को “अनुसूचित भाषाएं” कहा जाता है। इनमें असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, कश्मीरी, मलयालम, मराठी, पंजाबी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, आदि शामिल हैं।

4. तीन-भाषा सूत्र

  • शिक्षा नीति के तहत, छात्रों को तीन भाषाएं सीखने की सलाह दी जाती है:
    1. क्षेत्रीय भाषा (मातृभाषा या राज्य की भाषा)।
    2. हिंदी या अंग्रेजी।
    3. एक आधुनिक भारतीय भाषा या विदेशी भाषा।

5. राज्य भाषा की नीति

  • राज्यों को अपनी आधिकारिक भाषाएं चुनने की स्वतंत्रता दी गई है।
  • कई राज्यों ने अपनी क्षेत्रीय भाषाओं को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया है। उदाहरण: तमिलनाडु में तमिल, पश्चिम बंगाल में बंगाली।

6. भाषाई विवाद और समाधान

  • कुछ राज्यों में हिंदी को लागू करने का विरोध हुआ, विशेषकर दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर के राज्यों में।
  • इसे देखते हुए, संविधान ने भाषाई विविधता का सम्मान करते हुए सभी भाषाओं को समान अधिकार दिए।

7. भाषाई अल्पसंख्यकों का संरक्षण

  • अनुच्छेद 29 और 30 के तहत भाषाई और सांस्कृतिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की गई है।
  • उन्हें अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति को संरक्षित करने का अधिकार है।

निष्कर्ष

भारत की भाषा नीति का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता को बनाए रखते हुए भाषाई विविधता को संरक्षित करना है। यह नीति भारत के बहुभाषी समाज को संतुलन और सामंजस्य के साथ प्रबंधित करने का प्रयास करती है।