देखभाल की वे कौन-सी विभिन्न व्यवस्थाएँ हैं जिनकी आवश्यकता छोटे बच्चों को हो सकती है?

देखभाल की वे कौन-सी विभिन्न व्यवस्थाएँ हैं जिनकी आवश्यकता छोटे बच्चों को हो सकती है?

उत्तर –

अपने आसपास की दुनिया के बारे में नयी बातें सीखने के साथ ही शिशु अपने परिवार के सदस्यों विशेषरूप से अपने माता-पिता और यदि कोई भाई-बहन हों तो उनके साथ लगाव विकसित करने लगता है। बच्चे का प्रथम विद्यालय उसका घर एवं शिक्षक माता-पिता होते हैं। जन्म के पश्चात् कुछ वर्षों तक बच्चा अपने माता-पिता अथवा वयस्कों पर निर्भर रहता है। अर्थात् यह अवधि वयस्को, सामान्यतः माता या पिता अथवा प्रमुख देखभालकर्त्ता (दादी/नानी अथवा अन्य कोई सहायक) पर अत्याधिक निर्भरता की अवधि होती है। ऐसे में यदि माँ घर से बाहर नौकरी करती हो, तो शिशु की देखभाल वैकल्पिक रूप से देखभाल करने वाले व्यक्ति द्वारा की जाती है, जो परिवार का कोई भी सदस्य या वेतन पर रखा गया कोई व्यक्ति हो सकता है। वैकल्पिक देखभाल की व्यवस्था घर के अतिरिक्त किसी संस्था या शिशु केंद्र/क्रेच (creche) में भी हो सकती है।

डे केयर केंद्र और शिशु केंद्र/क्रेच लगभग पूरे दिन के लिए शिशुओं और पूर्व स्कूलगामी बच्चों की देखभाल करते हैं। बच्चों की सुरक्षा, उनके खाने पीने, शौचालय आदतों, भाषा के विकास, सामाजिक और भावनात्मक जरूरतों को समझने और सिखाने के लिए विशेषरूप से प्रशिक्षित लोग होते है।। जिन शिक्षकों को तीन वर्ष से अधिक आयु के बच्चों की देखभाल करनी होती है, उन्हें कुछ अलग प्रकार के कौशलों की आवश्यकता होती है।

You Can Join Our Social Account

YoutubeClick here
FacebookClick here
InstagramClick here
TwitterClick here
LinkedinClick here
TelegramClick here
WebsiteClick here