Class 10th English (Footprints without feet) Chapter – 7 The Necklace Explanation In Hindi

Class 10th English (Footprints without feet) Chapter – 7 The Necklace

TextbookNCERT
Class10th
SubjectEnglish 
Chapter7th  
Chapter NameThe Necklace 
CategoryClass 10th English Explanation In Hindi
Medium English
SourceLast Doubt

Class 10th English (Footprints without feet) Chapter – 7 The Necklace

Chapter – 7

The Necklace

Explanation In Hindi

The Necklace

Matilda is invited to a grand party. She has a beautiful dress but no jewellery. She borrows a necklace from a friend…. and loses it. What happens then?

मतिलूडा को एक शानदार पार्टी पर आमंत्रित किया जाता है। उसके पास खूबसूरत पोशाक तो है परन्तु कोई जेवरात नहीं हैं। वह अपनी एक सहेली से एक हार उधार लेती है….. और उसे खो देती है। तब क्या घटित होता है?

She was one of those pretty, young ladies, born as if through an error of destiny, into a family of clerks. She had no dowry, no hopes, no means of becoming known, loved, and married by a man either rich or distinguished; and she allowed her self to marry a petty clerk in the office of the Board of Education. She was simple, but she was unhappy.

She suffered incessantly, feeling herself born for all delicacies and luxuries. She suffered from the poverty of her apartment, the shabby walls and the worn chairs. All these things tortured and angered her.

When she seated herself for dinner opposite her husband who uncovered the tureen with a delighted air, saying, “Oh! the good potpie! I know nothing better than that…,” she would think of elegant dinners, of shining silver; she thought of the exquisite food served in marvelous dishes. She had neither frocks nor jewels, nothing. And she loved only those things.

She had a rich friend, a schoolmate at the convent, who she did not like to visit – she suffered so much when she returned. She wept for whole days from despair and disappointment.

वह उन खूबसूरत, युवा स्त्रियों में से एक थी, जो कई बार मानो भाग्य की किसी गलती से, क्लर्कों के परिवार में जन्मीहो। उसके पास दहेज न था, न आशाएँ थीं, प्रसिद्ध बनने के लिए न साधन थे जिससे लोग उसे प्यार करें, अथवा कोई धनीतथा प्रसिद्ध व्यक्ति उससे शादी कर ले, और इसलिए वह शिक्षा बोर्ड में लगे एक छोटे से क्लर्क के साथ विवाह करने को सहमतहो गई थी। वह साधारण थी, परन्तु वह नाखुश थी।

वह नियिमत पीड़ाग्रस्त रहती, मानो उसका जन्म सभी प्रकार के स्वादिष्ट पदार्थों तथा ऐश्वर्य भोगने के लिए हुआ हो।वह दुखी रहती-अपने अपार्टमेंट की गरीबी के कारण, भद्दी दीवारों के कारण तथा टूटी-फूटी कुर्सियों के कारण। ये सभी चीजें उसे यातना पहुँचाती थीं और उसे क्रोधित कर देती थीं।

जब वह खाने बैठती और सामने की तरफ उसका पति बैठता जो शोरबे वाली रकाबी का ढक्कन उठाता और प्रसन्नचित्तभाव से कहता, “वाह ! कितना बढ़िया शोरबा ! मैंने तो इससे बढ़िया चीज कभी देखी ही नहीं”, तो उस समय वह मजेदार

दावतों के बारे में सोच रही होती, चाँदी के चमकदार बरतनों के बारे में, वह उन स्वादिष्ट पकवानों के बारे में सोच रही होती.जो शानदार प्लेटों में सजाकर परोसे जाते थे। उसके पास न बढ़िया पोशाकें थीं, न आभूषण, कुछ नहीं था। वह इन चीजों को
प्यार करती थी।

उसकी एक धनवान सहेली थी, कॉन्वेन्ट स्कूल के समय की, जिसके पास वह अब जाना और उससे मिलना पसन्द नहींकरती थी-क्योंकि लौटने के बाद उसे बहुत कष्ट महसूस हुआ करता था। निराशा से वह दिनों तक रोती रहती थी।

One evening her husband returned elated bearing in his hand a large envelope.

“Here,” he said, “here is something for you.”
She quickly drew out a printed card on which were inscribed these words:

The Minister of Public Instruction
And
Madame George Ram ponneau
ask the honour of M. and Mme Loisel’s company.
Monday evening, January 18, at the Minister’s residence.

Instead of being delighted, as her husband had hoped, she threw the invitation spitefully upon the table murmuring, “What do you suppose I want with that?”

एक सायंकाल उसका पति प्रफुल्ल मुद्रा में घर लौटा, उसके हाथ में एक बड़ा-सा लिफाफा था।
“यह लो,” उसने कहा, “इसमें तुम्हारे लिए एक चीज है।”
उसने शीघ्रता से एक छपा हुआ कार्ड खींचकर बाहर निकाला जिस पर ये शब्द अंकित थे :

“शिक्षा बोर्ड के मंत्री
तथा
श्रीमती जार्जी रेम्पान्यु
सोमवार 18 जनवरी को शाम को मंत्री के निवास स्थान पर श्रीमान तथा श्रीमती
लॉयजल की उपस्थिति का सम्मान प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं।”

प्रसन्न होने की बजाए, जैसा कि उसके पति को आशा थी, उसने धीमे और शिकायत भरे स्वर में बुदबुदाते हुए निमंत्रणपत्र को घृणा सहित मेज पर फेंक दिया।
“तुम क्या चाहते हो कि मैं इसका क्या करूँ?”

“But, my dearie, I thought it would make you happy. You never go out, and this is an occasion, and a fine one! Every body wishes one, and it is very select; not many are given to employees. You will seethe whole official world  there.”

She looked at him with an irritated eye and declared impatiently, “What do you suppose I have to wear to such a thing as that?”

He had not thought of that; he stammered, “Why, the dress you wear when we go to the theatre. It seems very pretty to me…” He was silent, stupefied, in dismay, at the sight of his wife weeping. He stammered, “What is the matter? What is the matter?”

“किन्तु, प्रिये, मैंने तो सोचा कि तुम खुश हो जाओगी। तुम कभी बाहर नहीं गई और यह कितना बढ़िया अवसरवहाँ हर कोई जाना चाहता है, बहुत गिने-चुने लोगों को बुलाया गया है और क्लर्क स्तर के लोगों को अधिक निमंत्रण-पत्र नहींदिए गए हैं। सारे अफसर लोग वहाँ पर होंगे।”

उसने खिन्न भाव से उसकी तरफ देखा, और अधीरतापूर्वक कहने लगी-
“और तुम क्या चाहते हो कि मैं अपने तन पर क्या पहनूँ ?”

यह बात तो उसने सोची नहीं थी, वह हकलाता हुआ बोला- “क्यों, वही पोशाक जिसे पहनकर तुम थियेटर जाती हो।मुझे तो बहुत अच्छी लगती है…..।” वह रुक गया, विचलित हुआ, जब उसने अपनी पत्नी को रोते हुए देखा। वह हकलाताहुआ बोला-“क्या बात है ? क्या बात है?”

By a violent effort, she had controlled her vexation and responded in a calm voice, wiping her moist cheeks, “Nothing. Only I have no dress and consequently I cannot go to this affair. Give your card to some colleague whose wife is better fitted out than I.”

He was grieved, but answered, “Let us see, Matilda. How much would a suitable costume cost, something that would serve for other occasions, something very simple?”

She reflected for some seconds thinking of a sum that she could ask for without bringing with it an immediate refusal and a frightened exclamation from the economical clerk. Finally she said, in a hesitating voice, “I cannot tell exactly, but it seems to me that four hundred francs ought to cover it.”

He turned a little pale, for he had saved just this sum to buy a gun that he might be able to join some hunting parties the next summer, with some friends who went to shoot larks on Sunday. Nevertheless, he answered, “Very well. I will give you four hundred francs. But try to have a pretty dress.”

किन्तु, बहुत यत्नपूर्वक, वह अपने दुःख पर काबू पा चुकी थी, और उसने अपने गीले गालों को पोंछते हुए एक शान्तस्वर में उत्तर दिया- “कोई बात नहीं। केवल मेरे पास कोई पोशाक नहीं है, और इसलिए मैं इस नृत्य-सभा में नहीं जा सकतीहूँ। अपना कार्ड किसी सहकर्मी को दे दो जिसकी पत्नी के पास मेरी अपेक्षा बेहतर वेश-भूषा हो ।”

वह निराशा में पड़ गया, परन्तु उत्तर दिया, “आओ, थोड़ा सोचते हैं, मतिल्डा। इसमें कितने पैसे लग जाएँगे, एक उपयुक्त पोशाक बनवाने में, जो तुम अन्य अवसरों पर भी पहन सको, कोई ऐसी चीज जो बहुत सादा-साधारण हो ?”

वह कुछ पल सोचती रही, अपना हिसाब-किताब लगाती हुई और यह भी सोचती हुई कि वह कितने पैसों की माँग करसकती थी जिससे वह किफायती क्लर्क कहीं उसे तुरन्त इन्कार न कर दे और भयभीत होकर चिल्ला न उठे। अन्त में उसनेझिझकते हुए उत्तर दिया, “मैं पूरा-पूरा तो नहीं जानती, किन्तु मैं समझती हूँ कि चार सौ फ्रैंक से काम चला लूँगी।”

वह थोड़ा घबरा सा गया, क्योंकि उसने इतने ही पैसे एक बन्दूक खरीदने के लिए बचाकर रखे हुए थे ताकि वह अगली ग्रीष्म ऋतु के दौरान अपने मित्रों के साथ थोड़ा शिकार का मनोरंजन प्राप्त कर सके, जो लार्क पक्षियों का शिकार करने कभी-कभी रविवार के दिन जाया करते थे। फिर भी, उसने उत्तर दिया, “ठीक है, मैं तुम्हें चार सौ फ्रैंक दे दूँगा। परन्तु एक अच्छी पोशाक लेने की कोशिश करना।”

The day of the ball approached and Mme Loisel seemed sad, disturbed, anxious. Never theless,have acted strangely for two or three days.”

And she responded, “I am vexed not to have a jewel, nothing to adorn myself with. I shall have such a poverty-stricken look. I would prefer not to go to this party.”
He replied, “you can wear some natural flowers. In this season they look very chick.”

She was not convinced. “No”, she replied, “there is nothing more humiliating than to have a He replied, “You can wear some natural flowers. In this season they look very chic. “shabby air in the midst of rich women.”

Then her husband cried out, “How stupid we are! Go and find your friend Mme. Forestier and ask her to lend you her jewels.”.

She uttered a cry of joy. “It is true!” she said. “I had not thought of that.’

नृत्य सभा का दिन समीप आ गया और श्रीमती लॉयजल उदास, बेचैन तथा उत्सुक दिखाई दे रही थी। बेशक, उसकी पोशाक लगभग तैयार थी। एक शाम उसके पति ने उसे कहा, “क्या बात है ? पिछले दो-तीन दिनों से विचित्र सा व्यवहार कर रही हों।”

और उसने उत्तर दिया, “मुझे इस बात से दुख हो रहा है कि मेरे पास एक भी आभूषण नहीं है, कुछ भी पहनने को नहींहै। मैं गरीबी की मारी नज़र आऊँगी। मुझे इस पार्टी में जाने का कोई मन नहीं है।”

उसने उत्तर दिया, “तुम कुछ ताजा फूल पहन सकती हो। इस ऋतु में ऐसा करना बड़ा फैशन माना जाता है।”उसे यह बात अच्छी न लगी। “नहीं,” उसने उत्तर दिया, “अन्य धनवान औरतों के मध्य दरिद्र नजर आना-इससे बढ़करअपमान वाली कोई बात नहीं है।”

तब उसका पति चिल्ला उठा, “हम कितने बुद्ध हैं ! जाओ और अपनी सहेली श्रीमती फोरेस्टियर को ढूँढकर उसे मिलोतथा कहो कि तुम्हें कुछ आभूषण उधार दे दे।”

उसने खुशी भरी चीख लगाई। “यह सत्य है!” उसने कहा, “मुझे इसका विचार ही नहीं आया था।”

The next day she took herself to her friend’s house and related her story of distress. Mme. Forestier went to her closet, took out a large jewel-case, brought it, opened it, and said, “Choose, my dear.”

She saw at first some bracelets, then a collar of pearls, then a Venetian cross of gold and jewels of admirable workmanship. She tried the jewels before the glass, hesitated, but could neither decide to take them nor leave them. Then she asked, “Have you nothing more?”

“Why, yes. Look for yourself. I do not know what will please you.”

Suddenly she discovered, in a black satin box, a superb necklace of diamonds. Her hand strembled as she took it out. She placed it about her throat against her dress, and was ecstatic. Then she asked, in a hesitating voice, full of anxiety, “Could you lend me this? Only this?” “Why, yes, certainly.”

She fell upon the neck of her friend, embraced her with passion, then went away with her treasure. The day of the ball arrived. Mme Loisel was a great success. She was the prettiest of all-elegant, gracious, smiling and full of joy. All the men noticed her, asked her name, and wanted to be presented.

She danced with enthusiasm, intoxicated with pleasure, thinking of nothing but all this admiration, this victory so complete and sweet to her heart.

अगले रोज वह अपनी सहेली के पास उसके घर गई और उसे अपनी परेशानी के बारे में बताया। श्रीमती फॉरस्टियरअलमारी के पास गई, आभूषणों का बड़ा डिब्बा निकाला, लाकर खोल दिया और कहा, “प्रिय, चुन लो।”

सबसे पहले उसने कुछ कंगन देखे, फिर मोतियों का हार, फिर एक वीनस के क्रास, सोने के आभूषण और बढ़ियाकारीगरी वाले कीमती नगीने देखे। उसने दर्पण के सामने खड़े होकर आभूषणों को पहन कर देखा, हिचकिचाई, परन्तु इस बातका निर्णय न कर पायी कि उन्हें उतार कर लौटा दे अथवा नहीं। तब उसने पूछा, “क्या तुम्हारे पास कुछ और नहीं है ?”“क्यों नहीं, देखो। अपने आप देखो। मुझे नहीं पता कि तुम्हें क्या पसन्द है ?”

अचानक उसे एक काले साटन के बॉक्स में हीरों का बना गजब का एक हार मिला। उसके हाथ काँपने लगे जब उसनेउसे बाहर निकाला। उसने इसे अपनी गर्दन के ईर्द-गिर्द बाँधकर देखा और स्वयं को निहारते हुए भावुक हो गई। तब उसनेपूछा, झिझकते हुए, उत्तेजना से भर कर, “क्या तुम मुझे यह उधार दे सकती हो, केवल यही ?”

“अरे, हाँ, बिल्कुल !”

वह उछल कर अपनी सहेली के गले लग गई, उसे कसकर आलिंगन किया और फिर अपना खजाना ले कर वहाँ से चली आई |

नृत्य-सभा का दिन आ गया। श्रीमती लॉयजल बड़ी सफल रही। वह उन सभी से अधिक सुन्दर लग रही थी-सुन्दर,आकर्षक, मुस्कानों से भरी और खुशी में पागल। सभी पुरुषों की नजरें उसकी तरफ थीं, वे उसका नाम पूछते और उससे परिचयकरवाए जाने की कोशिश करते |

वह मदहोश हुई नाचती रही, खुशी में मदमस्त हुई, सब-कुछ भुलाए हुए, अपनी सुन्दरता के विजयोल्लास में, अपनीसफलता की शान में, एक प्रकार की खुशी में जो उसके दिल को बहुत प्रिय होती है।

She went home towards four o’clock in the morning. Her husband had been half asleep in one of the little salons since midnight, with three other gentlemen whose wives were enjoying them selves very much.

He threw around her shoulders the mode stwraps they had carried whose poverty clashed with the elegance of the ball costume. She wished to hurry away in order not to be noticed by the other women who were wrapping themselves in rich furs.

Loisel detained her, “Wait,” said he. “I am
going to call a cab.”.

But she would not listen and descended the steps rapidly. When they were in the street, they found no carriage; and they began to seek for one, hailing the coachmen whom they saw at a distance. They walked along toward the river, hopeless and shivering. Finally they found one of those old carriages that one sees in Paris after nightfall.

It took them as far as their door and they went wearily up to their apartment. It was all over for her. And on his part, he remembered that he would have to be at the office by ten o’clock.

She removed the wraps from her shoulders before the glass, for a final view of herself in her glory. Suddenly she uttered a cry. Her necklace was not around her neck.

वह प्रातःकाल लगभग चार बजे वहाँ से मुक्त हुई। उसका पति आधी रात से सोया हुआ था, एक छोटे से खाली पड़े बाहर वाले कमरे में, तीन अन्य पुरुषों के साथ जिनकी पत्नियाँ बहुत मजे का समय बिता रही थीं।

उसने उसके कन्धों पर वह शॉल डाल दिया जो वह अपने साथ लेकर आया था, साधारण लोगों वाला हल्का सा शॉल, जिसका हल्कापन उसकी नृत्य वाली सुन्दर पोशाक की तुलना में स्पष्ट दिखलाई दे रहा था। उसने इस बात को महसूस किया और वहाँ से बच निकलना चाहती थी ताकि अन्य औरतों का ध्यान इस तरफ न पड़े जिन्होंने स्वयं को कीमती ऊनी शॉलों से लपेटा हुआ था ।

लॉयजल ने उसे पीछे ही रोक लिया, “तनिक प्रतीक्षा करो। मैं जाकर कोई घोड़ा-गाड़ी बुला लाता हूँ।”
किन्तु उसने उसकी बात न सुनी और जल्दी-जल्दी सीढ़ियों से नीचे उतर कर चली गई। जब वे गली में थे तो उन्हें कोई घोड़ा-गाड़ी न मिली और वे किसी एक की तलाश करने लगे-गाड़ीवानों को आवाजें लगाकर
पुकारते जिन्हें वे कुछ दूरी परगुजरते हुए देख लेते।

वे नीचे नदी की ओर चल दिए, आशाविहीन तथा काँपते-काँपते। आखिरकार उन्हें पुरानी किस्म की रात्रि में चलने वाली बग्घी मिली जो रात होने तक पेरिस के आसपास कभी दिखलाई नहीं पड़ती है।

वह उन्हें उनके दरवाजे तक ले गई और एक बार फिर वे उदासीपूर्वक घर की ओर ऊपर चढ़ने लगे। उसके लिए, सब कुछ समाप्त हो चुका था। और रही लॉयजल की बात, वह सोच रहा था कि उसे दस बजे दफ्तर अवश्य पहुँचना होगा।

उसने दर्पण के सामने खड़े होकर अपना शॉल उतार दिया ताकि वह स्वयं को एक बार अन्तिम रूप में फिर निहार सके।अचानक उसकी चीख निकल गई। अब उसकी गर्दन के इर्द-गिर्द कंठहार नहीं था।

Loisel already half undressed, asked, “What is the matter?”

She turned towards him excitedly. “I have – I no longer have Mme Forestier’s necklace.”

He arose in dismay, “What! How is that? It is not possible.’

And they looked in the folds of the dress, in the folds of the cloak, in the pockets, everywhere. They could not find it.

He asked, “You are sure you still had it when we left the Minister’s house?”

लायजल जो पहले ही अपने आधे वस्त्रउतार चुका था, पूछ उठा-“क्या हुआ है?”वह पागलों की भांति उसकी तरफ मुड़ी-

“मुझसे-श्रीमती फोरस्टियर का कंठहार खो गया है।”

वह घबराकर उठ खड़ा हुआ, “क्या ! कैसे हुआ? ऐसा नहीं हो सकता।”

और उन्होंने पोशाक की तहों में, लबादे कीतह में, जेबों में, हर जगह देखा। वे उसे ढूँढ नहीं सके।

उसने पूछा, “क्या तुम्हें विश्वास है कि तुमने इसे पहना हुआ था हमने मंत्री का घर छोड़ा।”

“Yes, I felt it as we came out.

“But if you had lost it in the street, we should have heard it fall. It must be in the cab.’

“Yes, it is possible. Did you take the number?”

“No. And you, did you notice what it was?”

“No.”

They looked at each other utterly cast down. Finally Loisel dressed himself again.

“I am going,” he said, “over the track where we went on foot, to see if I can find it.”

And he went. She remained in her evening gown, not having the force to go to bed.

Toward seven o’clock her husband returned. He had found nothing.

He went to the police and to the cab offices, and put an advertisement in the newspapers, offering a reward.

“हाँ, मैंने इसे बाहर निकलते ही देखा था। “
“किन्तु यदि तुमने इसे गलीं में गिराया होता तो इसके गिरने की आवाज आती। वह अवश्य ही बग्घी में गिरा होगा।”
“हाँ, यह सम्भव है। क्या तुमने उसका नम्बर पढ़ा था?”
“नहीं, और तुमने-क्या तुमने ध्यान दिया था?”
“नहीं।”

वे एक दूसरे की तरफ ऐसे देखने लगे मानो उन पर व्रजाघात हो गया हो। आखिर लॉयजल ने अपने वस्त्र पहन लिए ।“मैं जा रहा हूँ,” उसने कहा, “उसे पूरे रास्ते पर जो हमने तय किया है, और देखता हूँ शायद कहीं मिल जाए।”तथा यह बाहर चला गया। वह अपने सायंकालीन गाउन में ही बैठी रही, उसमें शक्ति नहीं थी कि बिस्तरपर जाकर लेट जाती ।

उसका पति लगभग सात बजे वापिस आया। उसे कुछ नहीं मिला था ।
वह पुलिस मुख्यालय गया तथा बग्घी-अड्डों पर गया तथा समाचार-पत्रों में विज्ञापन देकर इनाम देने की पेशकश की।

She waited all day in a state of bewilderment before this frightful disaster. Loisel returned in the evening, his face pale; he had discovered nothing.

He said, “Write to your friend that you have broken the clasp of the necklace and that
have it repaired. That will give us time.”

She wrote as he dictated.

At the end of a week, they had lost all hope. And Loisel, older by five years, declared, “We must replace this jewel.”
In a shop of the Palais-Royal, they found a chaplet of diamonds, which seemed to them exactly like the one they had lost. It was valued at forty thousand francs. They could get it for thirty-six thousand.

When Mme Loisel took back the jewels to Mme Forestier, the latter said to her in a frigid tone, “You should have returned them to me sooner, for I might have needed them.”

वह सारा दिन भर प्रतीक्षा करती रही, अत्यन्त भयभीत सी इस भयंकर संकट में दबी हुई। लॉयजल रात के समय लौटा, उसका चेहरा पीला पड़ गया था, उसे कुछ पता नहीं चल पाया था।

वह बोला, “तुम्हें अपनी सहेली को अवश्य लिखना चाहिए कि तुमसे कंठहार की कड़ी टूट गई है, और तुम इसकी मरम्मत करवा रही हो। इससे तुम्हें समय मिल जाएगा।”

उसने उसके बताए अनुसार लिख दिया।

सप्ताह के अन्त तक वे सब आशा खो चुके थे और लॉयजल, जो पहले से पाँच वर्ष अधिक बूढ़ा लगने लगा था, कहने लगा, हमें यह जेवरात वापिस करना होगा

उन्हें पैलेस रॉयल नामक मार्किट की एक दुकान में हीरों की एक माला मिल गई जो बिल्कुल वैसी ही लगती थी जिसकी उन्हें तलाश थी। वह चालीस हजार फ्रैंक के मूल्य की थी। वे उसे 36000 फ्रैंक में प्राप्त कर सकते थे।

लॉयजल के पास अठारह हजार फ्रैंक थे, जो उसका पिता उसके लिए छोड़ गया था। शेष राशि उसने उधार लेने का मन बना लिया। उसने विनाशकारी इकरार किए, सूदखोरों तथा उधार देने वालों की पूरी जाति के साथ लेना-देना कर लिया। तब वह नया कंठहार लेने पहुँचा तथा व्यापारी के काउंटर के ऊपर 36000 फ्रैंक रखे।

जब श्रीमती लॉयजल कंठहार लेकर श्रीमती फॉरेस्टियर के पास गई तो उसने बड़े रूखे ढंग से उसे कहा, “तुम्हें यह शीघ्रलौटा देना चाहिए था, हो सकता था मुझे इसकी जरूरत पड़ती।”

Mme Forestier did not open the jewel-box as Mme Loisel feared she would. What would she think if she should perceive the substitution? What should she say? Would she take her for a robber?

Mme Loisel now knew the horrible life of necessity. She did her part, however, completely, heroically. It was necessary to pay this frightful debt. She would pay it. They sent away the maid, they changed their lodgings; they rented some rooms in an attic.

She learned the odious work of a kitchen. She washed the dishes. She washed the soiled linen, their clothes and dishcloths, which she hung on the line to dry; she took down the refuse to the street like a woman of the people, she went to the grocer’s, the butcher’s and the fruiterer’s, with her basket each morning and brought up the water, stopping at each landing to catch her breath. And, clothed on her arm, shopping, haggling to the last sou of her miserable money.

The husband worked evenings, putting the books of some merchants in order, and nights he often did copying at five sous a page. And this life lasted for ten years. At the end of ten years, they had restored all.

Mme Loisel seemed old now. She had become a strong, hard woman, the crude woman of the poor household. Her hair badly dressed, her skirts awry, her hands red, she spoke in a loud tone, and washed the floors with large pails of water. But sometimes, when her husband was at the office, she
would seat herself before the window and think of that evening party of
former times, of that ball where she was so beautiful and so flattered.

श्रीमती फॉरेस्टियर ने जेवरात का डिब्बा खोलकर न देखा जैसा कि श्रीमती लॉयजल को डर था। यदि वह इस अदला-बदली को भाँप जाती तो क्या सोचती, क्या कहती ? क्या वह उसे चोर समझती ?

श्रीमती लॉयजल को अब गरीबी के भयानक जीवन का पता चल गया। फिर भी उसने तुरन्त अपनी भूमिका वीरतापूर्वक निभानी शुरू कर दी। उस भयानक ऋण को चुकाना आवश्यक था। वह उसे चुकता कर देगी। उन्होंने अपनी नौकरानी को हटा दिया, उन्होंने अपना मकान बदल लिया, उन्होंने एक अटारी में कुछ कमरे किराए पर ले लिए थे।

उसने रसोई का अरुचिकर कार्य सीखा। वह बर्तन धोती। वह गन्दी चादरें, अधोवस्त्र तथा बरतन साफ करने वाले कपड़ों को धोती, जिन्हें फिर वह एक रस्सी के ऊपर डालकर सुखाती, वह हर प्रातः गन्दगी नीचे गली में ले जाती और पानी ऊपर लाती तथा सीढ़ी के प्रत्येक मोड़ पर साँस लेने के लिए ठहरती। और साधारण औरतों के जैसे वस्त्र पहने वह फल विक्रेता, पंसारी, कसाई की दुकान पर जाती, अपनी बाँह पर टोकरी लटकाए हुए सौदेबाजी करती, अपने एक एक पाई की रक्षा के लिए अपमान भरी बातें सुनती ।

पति सायंकाल के समय अधिक कार्य करता, किसी व्यापारी के हिसाब-किताब को साफ-सुथरे ढंग से लिख देता और रात को देर तक प्रति पृष्ठ पाँच सोस (मुद्रा) के हिसाब से हस्तलेख लिखता। यह जीवन दस वर्ष तक चलता रहा। दस वर्षों के अन्त तक वे हर चीज चुकता कर चुके थे।

श्रीमती लॉयजल अब बूढ़ी दिखलाई देती थी। वह गरीबी के मारे घरों की औरत जैसी बन गई थी-कठोर, ठोस और सख्त। उसके बाल गन्दे, कमीजें बेढंगी और हाथ लाल रहते थे और वह बहुत ऊँचे स्वर में बोला करती, जब वह फर्श धोती हुई पानी को जोर-जोर से मारा करती। किन्तु कई बार, जब उसका पति दफ्तर गया होता, तो वह खिड़की के पास बैठ जाया करती, और बहुत समय पूर्व की उस खुशी भरी शाम के बारे में सोचा करती, उस नृत्य सभा के बारे में, जहाँ वह इतनी सुन्दर लग रही थी और जहाँ उसका इतना सम्मान हुआ था।

How would it have been if she had not lost the necklace? Who knows? How singular is life, and how full of changes! How small a thing will ruin or save one!

One Sunday as she was taking a walk in the Champs. Elysees to rid herself of the cares of the week, she suddenly perceived a woman walking with a child. It was Mme Forestier, still young, still pretty, still attractive. Mme Loisel was affected. Should she speak to her? Yes, certainly. And now that she had paid, she would tell her all. Why not?

She approached her. “Good morning, Jeanne.”

Her friend did not recognise her and was astonished to be so familiarly addressed by this common personage.| She stammered, “But, Madame – I do not know – you must be mistaken-“
“No, I am Matilda Loisel.”

Her friend uttered a cry of astonishment, “Oh! my poor Matilda! How you have changed!”

क्या हुआ होता यदि उससे वह कंठहार न खोया होता ? कौन जान सकता है ? कौन कह सकता है ? जीवन कितना अजीब और कितना परिवर्तनशील है ! कितनी छोटी सी चीज की जरूरत होती है हमें डुबोने के लिए या बचाने के लिए।

किन्तु एक रविवार को जब वह सप्ताह भर के कठिन परिश्रम के बाद स्वयं को फिर से ताजा करने के लिए चेम्पस्इ लिसीज में टहलने के लिए गई हुई थी तो उसे अचानक एक औरत दिखाई दी जो एक बच्चे की अंगुली पकड़े ले जा रही थी। वह श्रीमती फोरेस्टियर थी, अब भी युवा, अब भी सुन्दर और अब भी आकर्षक थी। श्रीमती लॉयजल भावुक हो उठी। क्या उसे जाकर उसके साथ बात करनी चाहिए थी ? हाँ, निश्चय ही। अब जबकि वह भुगतान कर चुकी थी, वह

अवश्य उसे इस सब के बारे में बताएगी। क्यों न बताए ?
वह चलकर उसके पास पहुँच गई। “शुभ प्रातः, जीन।”

उसकी सहेली, जो इस साधारण औरत के द्वारा अति परिचित ढंग से सम्बोधित किए जाने पर चकित रह गई, उसे बिल्कुल पहचान न सकी, और हकलाते हुए कहने लगी-“किन्तु मैडम-मुझे पता नहीं-आपको अवश्य गलती लगी होगी- “
“नहीं। मैं मतिलडा लॉयजल हूँ।”
उसकी सहेली की चीख निकल गई। “ओह, मेरी प्यारी मतिल्डा ! तुम कितनी बदल गई हो !”

“Yes, I have had some hard days since I saw you; and some miserable ones —
of you …”
“Because of me? How is that?”
“You recall the diamond necklace that you loaned me to wear to the Minister’s ball?”
“Yes, very well.”
“Well, I lost it.”
“How is that, since you returned it to me?”
“I returned another to you exactly like it. And it has taken us ten years to pay for it. You can understand that it was not easy for us who have nothing. But it is finished and I am decently content.” Mme Forestier stopped short. She said, “You say that you bought a diamond necklace to replace mine?”

“Yes. You did not perceive it then? They were just alike.”
And she smiled with proud and simple joy. Mme Forestier was touched and took both her hands as she replied, “Oh! My poor Matilda! Mine were false. They were not worth over five hundred francs!”

“हाँ, मुझे कठिन दिन बिताने पड़े हैं, तब से जब से मैं तुम्हें मिली थी, बहुत ही कष्ट-भरे दिन और सब तुम्हारी
“ओह, मेरी वजह से ! ऐसा कैसे ?”
“क्या तुम्हें वह हीरों वाला कंठहार याद है जो तुमने मुझे कमिश्नर की नृत्य-सभा के लिए पहनने को उधार दिया था ?”
“हाँ, अच्छी तरह से ।”
“वह मुझसे खो गया था।”
“ऐसा कैसे तुम तो उसे वापस दे गई थी ?”
“मैंने तुम्हें एक दूसरा ला दिया था, बिल्कुल उसी के जैसा। और इसके लिए हम दस वर्षों से भुगतान कर रहे हैं। तुम समझ सकती हो कि यह हमारे लिए आसान नहीं था, जिनके पास कुछ भी नहीं था। अन्ततः सब ठीक हो चुका है, और मैं बहुत प्रसन्न हूँ।” श्रीमती फोरेस्टियर चलते-चलते रुक गई। उसने कहा, “तुम कहती हो तुमने मेरा हार लौटाने के लिए हीरों का हार खरीदा था ?”
“हाँ। तो, तुम्हें इसका कभी पता नहीं चला ! वे बहुत मिलते-जुलते थे।” और वह एक ऐसी खुशी के साथ मुस्करा दी जिसमें गर्व और भोलापन दोनों एक साथ भरे हुए थे। श्रीमती फोरेस्टियर
द्रवित हो उठी थी। उसके दोनों हाथ अपने हाथों में ले लिए और बोली, “ओह, मेरी प्यारी मतिलुडा। मेरा हार तो नकली था। वह अधिक से अधिक पाँच सौ फ्रैंक का था।”

Word – Meaning

Destiny : luck, fate, नियति।
Distinguished : eminent, विशिष्ट।
Petty : inferior, छोटे पद पर।
Incessantly : continuously, लगातार
Delicacies : tasty meals, स्वादिष्ट भोजन।
Luxuries : means of comforts, विलासिता की सामग्री।
Shabby : poor looking, अशोभनीय।
Tortured : pained, पीड़ा पहुँचाई।
Tureen : a deep dish for holding soup, गहरी कटोरी।
Exquisite : of great excellence, अत्युत्तम।
Marvellous : astonishing, आश्चर्यजनक।
Despair : hopelessness, आशाहीनता।
Elated : became happy or proud, उल्लसित, गौरवान्वित।