Class 10th English (Footprints without feet) Chapter – 6 The Making of a Scientist
Textbook | NCERT |
Class | 10th |
Subject | English |
Chapter | 6th |
Chapter Name | The Making of a Scientist |
Category | Class 10th English Explanation In Hindi |
Medium | English |
Source | Last Doubt |
Class 10th English (Footprints without feet) Chapter – 6 The Making of a Scientist
Chapter – 6
The Making of a Scientist
Question & Answer
The Making of a Scientist
Richard Ebright has received the Searle Scholar Award and the Schering Plough Award for Biochemistry and Molecular Biology. It was his fascination for butterflies that opened the world of science to him. रिचर्ड एब्राइट ने जैव-रसायन और आणविक जीव-विज्ञान के लिए सियरले स्कॉलर पुरस्कार और शेरिंग प्लो पुरस्कार प्राप्त किया है। तितलियों के प्रति उसके आकर्षण ने उसके लिए विज्ञान के संसार का द्वार खोल दिया। |
At the age of twenty-two, a former ‘scout of the year’ excited the scientific world with a new theory on how cells work. Richard H. Ebright and his college room-mate explained the theory in an article in the Proceedings of the National Academy of Science. It was the first time this important scientific journal had ever published the work of college students. In sports, that would be like making the big leagues at the age of fifteen and hitting a home run your first time at bat. For Richard Ebright, it was the first in a long string of achievements in science and other fields. And it all started with butterflies. An only child, Ebright grew up north of Reading, Pennsylvania. “There wasn’t much I could do there,” he said. “I certainly couldn’t play football or baseball with a team of one. But there was one thing I could do collect things.” So he did, and did he ever! Beginning in kindergarten, Ebright collected butterflies with the same determination that has marked all his activities. He also collected rocks, fossils, and coins. He became an eager astronomer, too, sometimes star-gazing all night. बाइस वर्ष की आयु में एक भूतपूर्व ‘वर्ष के स्काउट (बालचर)’ ने वैज्ञानिक संसार को एक नये सिद्धांत से उद्दीप्त किया कि कोशिकाएँ कैसे काम करती हैं। रिचर्ड एच. एब्राइट और उसके कॉलेज के कमरे में साथ रहने वाले सहपाठी ने ‘प्रोसीडिंग्ज ऑफ दि नेशनल अकाडमी ऑफ साइंस’ में लिखे एक लेख में इसकी व्याख्या की। यह प्रथम बार था कि इस महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक पत्रिका में कॉलेज के विद्यार्थियों की कृति का कभी प्रकाशन हुआ खेलकूद में यह पंद्रह वर्ष की आयु में खेलों की क्लबों के समूह में खेलना और पहली बार बल्लेबाजी करते हुए ‘होम रन’ करने के समान होगा। रिचर्ड एब्राइट के लिए यह उसकी विज्ञान और दूसरे क्षेत्रों में उपलब्धियों की लम्बी लड़ियों में से पहली थी। एब्राइट इकलौता बच्चा था और वह रीडिंग के उत्तर में पेनसिलवेनिया में बड़ा हुआ। “वहाँ कर सकने को बहुत कुछ नहीं था।” वह कहता था। “निश्चित रूप से मैं फुटबॉल या बेसबॉल की टीम में नहीं खेल सकता था। परन्तु मैं एक चीज कर सकता था-चीजें इकट्ठी करना।” उसने यही किया और सदैव किया। बाल पाठशाला (किंडरगार्टन) से शुरू कर के एब्राइट ने उसी निश्चय से तितलियाँ इकट्ठी करनी शुरू कीं जिसने उसकी सभी गतिविधियों को व्यक्त किया है। उसने चट्टानें, जीवाश्म और सिक्के भी एकत्रित किए। वह एक व्यग्र खगोल विद्या में निपुण भी बना कई बार सारी रात तारे देखते हुए। |
From the first he had a driving curiosity along with a bright mind. He also had a mother who encouraged his interest in learning. She took him on trips, bought him telescopes, microscopes, cameras, mounting materials, and other equipment and helped him in many other ways. “I was his only companion until he started school,” his mother said. “After that I would bring home friends for him. But at night we just did things together. Richie was my whole life after his father died when Richie was in third grade.” She and her son spent almost every evening at the dining room table. “If he didn’t have things शुरू से ही उसमें तेज दिमाग के साथ महान प्रभाव रखते हुए जिज्ञासा की भावना थी। उसकी माँ भी थी जो उसे उसकी सीखने की रुचि को प्रोत्साहित किया करती थी। वह उसे छोटी यात्राओं पर ले जाती थी, उसे दूरबीन, खुर्दबीन, कैमरे, चढ़ाई पर चढ़ने का सामान और दूसरे उपकरण खरीद कर देती थी और दूसरे कई तरीकों से उसकी सहायता किया करती थी। “मैं उसकी एक यात्रा साथी थी जब तक उसने स्कूल जाना शुरू किया,” उसकी माँ ने कहा। “उसके बाद मैं घर में उसके लिए मित्र लाया करती थी। परन्तु रात्रि को हम इकट्ठे होते थे। उसके पिता की मृत्यु के बाद, जब रिकि तीसरे दर्जे में था, मेरा समस्त जीवन था ।” वह और उसका बेटा लगभग हर शाम खाने की मेज पर गुजारते थे । “यदि उसके पास कुछ करने-धरने को नहीं होता था, मैं उसके लिए काम ढूँढ़ती थी-शारीरिक काम नहीं, परन्तु चीजों को सीखने के बारे में,” उसकी माँ ने कहा । “वह इसे पसन्द करता था। वह सीखना चाहता था। ” और उसने सीखा। उसने स्कूल में सर्वोच्च वर्ग प्राप्त किया। “प्रत्येक रोज की चीजों में वह बिल्कुल किसी भी दूसरे बच्चे की तरह था,” उसकी माँ ने कहा। |
By the time he was in the second grade, Ebright had collected all twenty-five species of butterflies found around his hometown. (See following box.)
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That probably would have been the end of my butterfly collecting,” he said. “But then my mother got me a children’s book called The Travels of Monarch X.” That book, which told how monarch butterflies migrate to Central America, opened the world of science to the eager young collector. जब तक वह दूसरे दर्जे में था, एब्राइट ने अपने घर के आस-पास की पच्चीस तितलियों की जातियों को एकत्रित कर लिया था। (नीचे दी गई तालिका को देखिये) “वह शायद मेरा तितली एकत्रित करने का अन्त होता,” उसने कहा। “परन्तु तब मेरी माँ ने मुझे ‘दि ट्रैवल्ज ऑफ मोनार्क X’ नामक पुस्तक दी। उस पुस्तक ने, जिसमें बताया गया था कि मोनॉर्क नामक तितली कैसे मध्य अमेरिका को पलायन करती है, व्यग्र युवा संग्रह के लिए विज्ञान के संसार के द्वार खोल दिये। At the end of the book, readers were invited to help study butterfly migrations. They were asked to tag butterflies for research by Dr. Frederick A. Urquhart of the University of Toronto, Canada. Ebright’s mother wrote to Dr. Urquhart, and soon Ebright was attaching light adhesive tags to the wings of monarchs. Anyone who found a tagged butterfly was asked to send the tag to Dr. Urquhart. The butterfly collecting season around Reading lasts six weeks in late summer. (See graph below.) If you’re going to chase them one by one, you won’t catch very many. So the next step for Ebright was to raise a flock of butterflies. He would catch a female monarch, take her eggs, and raise पुस्तक के अन्त में पाठकों को आमंत्रित किया गया था किं वे तितलियों के प्रवास का अध्ययन करने में सहायता करें। उनसे कहा गया था कि वे डा. फ्रेड्रिक ए. उरक्युहार्ट जो टोरोन्टो की यूनिवर्सिटी, कैनेडा के हैं, की खोज के लिए पहचान का फीता लगाये। एब्राइट की माँ ने डा. उरक्युहार्ट को लिखा, और शीघ्र ही एब्राइट मोनार्क तितलियों के परों को चिपकने वाले रीडिंग के आस-पास तितलियाँ एकत्रित करने का उपयुक्त समय छः सप्ताह का गर्मी के अंत में होता है। निम्न ग्राफ (लेखाचित्र) देखिए, यदि आप एक-एक कर के उनका पीछा करते हैं तो आप बहुत अधिक नहीं पकड़ सकेंगे। इसलिए एब्राइट के लिए अगला चरण तितलियों के झुंड की संख्या बढ़ाना था। वह एक मादा मोनार्क तितली पकड़ता, उसके अंडे लेता और उन्हें अपने तहखाने में उनके जीवन चक्र के अनुसार बड़ा करता-अंडे से लावा, लारवा से जन्म की तीसरी अवस्था से वयस्क तितली तक। तब वह तितलियों के पंखों को फीता लगाता और उन्हें जाने देता। कई वर्षों तक उसका तहखाना हजारों मोनार्क तितलियों के विभिन्न चरणों के विकास का घर था। |
“Eventually I began to lose interest in tagging butterflies. It’s tedious and there’s not much-feedback,” Ebright said. “In all the time I did it,” he laughed, “only two butterflies I had tagged were recaptured and they were not more than seventy-five miles from where I lived.” “अन्ततः तितलियों को फीते लगाने की मेरी रुचि कम होनी शुरू हो गई। यह अत्यधिक लम्बा या ऊबाऊ है और इसमें अधिक कार्य प्राप्ति भी नहीं है,” एब्राइट ने कहा। “सारे समय में जो मैंने किया,” वह हँसा, “सिर्फ दो तितलियों को मैंने फीता लगाया जो दुबारा पकड़ी गई थीं और जहाँ मैं रहता था उससे वह पचहत्तर मीलों से अधिक नहीं थी।” Then in the seventh grade he got a hint of what real science is when he entered a county science fair and lost. “It was really a sad feeling to sit there and not get anything while everybody else had won something,” Ebright said. His entry was slides of frog tissues, which he showed under a microscope. He realised the winners had tried to do real experiments, not simply make a neat display. Already the competitive spirit that drives Richard Ebright was appearing. “I knew that for the next year’s fair I would have to do a real experiment,” he said. “The subject I knew most about was the insect work I’d been doing in the past several years.” So he wrote to Dr. Urquhart for ideas, and back came a stack of suggestions for experiments. Those kept Ebright busy all through high school and led to prize projects in county and international science fairs. For his eighth grade project, Ebright tried to find the cause of a viral disease that kills nearly all monarch caterpillars every few years. Ebright thought the disease might be carried by a beetle. He tried raising caterpillars in the presence of beetles. “I didn’t get any real results,” he said. “But I went ahead and showed that I had tried the experiment. This time I won.” तब सातवें कक्षा-स्तर में उसे संकेत मिला कि वास्तविक विज्ञान क्या होता है जब एक जिला विज्ञान मेले में उसने प्रवेश किया और हार गया। “वहाँ बैठना और कुछ न ले जा पाना एक दुःखद अनुभूति थी जब कि दूसरे सभी ने कुछ न कुछ जीता था,” एब्राइट ने कहा। उसकी प्रविष्टि मेढक के ऊतकों की काँच की पट्टियाँ (स्लाइड) थीं, जिसको उसने एक खुर्दबीन के नीचे दिखाया था। उसे आभास हुआ कि विजेताओं ने वास्तविक प्रयोगों को करने का प्रयत्न किया था, केवल एक सुव्यवस्थित प्रदर्शन नहीं किया था। यद्यपि एब्राइट की प्रेरणा शक्ति प्रतियोगी भावना नजर आ रही थी। “मैं जानता था कि अगले वर्ष के मेले तक मुझे एक वास्तविक प्रयोग करना होगा,” उसने कहा। “जिस विषय के बारे में सर्वाधिक जानता था वह कीड़ों-मकोड़ों पर किया कार्य था जो मैं पिछले कई वर्षों से कर रहा था।” इसलिए उसने डा. उरक्युहार्ट को विचारों के लिए लिखा और प्रयोगों के प्रत्युत्तर में सुझावों का ढेर भेजा। इन्होंने उसेbहाई स्कूल में व्यस्त रखा और देश और अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान मेलों की पुरस्कार परियोजनाओं के लिए मार्गदर्शन किया। अपनी आठवीं कक्षा-स्तर की परियोजना में एब्राइट ने किटाणुओं द्वारा फैलने वाली छूत की बीमारी का कारण ढूँढने का प्रयत्न किया जिससे प्रत्येक कुछ वर्षों में लगभग सभी मोनार्क लावा मर जाते हैं। एब्राइट सोचता था कि बीमारी भौरे द्वारा हो सकती है। उसने लावों को भौरों के साथ पालना शुरू किया। “मुझे कोई सही परिणाम प्राप्त नहीं हुए,” उसने कहा। “परन्तु मैंने यह दर्शाया कि मैंने प्रयोग करने का प्रयत्न किया। इस बार मैं जीत गया।” |
The next year his science fair project was testing the theory that Viceroy butterflies copy monarchs. The theory was that viceroys look like monarchs because monarchs don’t taste good to birds. Viceroys, on the other hand, do taste good to birds. So the more they look like monarchs, the less likely they are to become a bird’s dinner. Ebright’s project was to see whether, in fact, birds would eat monarchs. He found that a starling would not eat ordinary bird food. It would eat all the monarchs it could get. (Ebright said later research by other people showed that viceroys probably do copy the monarch.) This project was placed first in the zoology division and third overall in the county science fair. अगले वर्ष उसकी विज्ञान मेले की परियोजना इस सिद्धांत का परीक्षण करना था कि ‘वाइसरॉय’ तितलियाँ ‘मोनॉर्क’ तितलियों की नकल करती हैं। सिद्धांत यह था कि वाइसरॉय तितलियाँ ‘मोनॉर्क’ तितलियों जैसी लगती हैं क्योंकि पक्षियों को ‘मोनॉर्क’ तितलियों का स्वाद नहीं भाता। दूसरी ओर ‘वाइसरॉय’ तितलियों एब्राइट की परियोजना यह दिखाना था कि पक्षी क्या वास्तव में ‘मोनार्क’ तितलियों को खाते हैं। उसने पाया सारिका साधारण पक्षी का भोजन ही करेगी। यह जितनी भी मोनार्क तितलियों को खा सकती है, खायेगी। (एब्राइट ने कहा कि दूसरे लोगों द्वारा खोज दर्शाती है कि शायद ‘वाइसराय’ तितलियाँ मोनार्क तितलियों की नकल अवश्य करती हैं।) यह परियोजना जन्तु-विज्ञान विभाग में प्रथम और जिला विज्ञान मेले में तृतीय रखी गई थी। |
In his second year in high school, Richard Ebright began the research that led to his discovery of an unknown insect hormone. Indirectly, it also led to his new theory on the life of cells. To find the answer, Ebright and another excellent science student first had to build a device that showed that the spots were producing a hormone necessary for the butterfly’s full development. This project won Ebright first place in the county fair and entry into the International Science and Engineering Fair. There he won third place for zoology. He also got a chance to work during the summer at the entomology laboratory of the Walter Reed Army Institute of Research. As a high school junior, Richard Ebright continued his advanced experiments on the monarch pupa. That year his project won first place at the International Science Fair and gave him another chance to work in the army laboratory during the summer. हाई स्कूल में अपने द्वितीय वर्ष में रिचर्ड एब्राइट ने अनुसंधान शुरू किया जो उसे एक अनजान कीट अंतःस्राव की ओर ले गई। परोक्ष रूप से, यह उसके कोशिकाओं के जीवन के नये सिद्धांत की ओर भी ले गई। “सभी ने माना था कि धब्बे केवल मात्र सजावटी थे,” एब्राइट ने कहा। “परन्तु डा. उरक्युहार्ट इसमें विश्वास नहीं रखते उत्तर पाने के लिए, एब्राइट और एक दूसरे विशिष्ट विज्ञान के विद्यार्थी को पहले एक उपकरण बनाना पड़ा जो यह दर्शाता हो कि धब्बे एक अंतःस्राव पैदा कर रहे थे जो तितली के पूर्ण विकास के लिए आवश्यक हो। इस परियोजना से एब्राइट ने जिलास्तर के मेले में प्रथम स्थान जीता और अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान और इंजीनियरिंग मेले में प्रवेश पाया। वहाँ उसने जन्तु-विज्ञान में तृतीय स्थान जीता। उसे गर्मी में ‘वाल्टर रीड आर्मी इन्स्टीट्यूट ऑफ रिसर्च’ में कीट – विज्ञान की प्रयोगशाला में कार्य करने का अवसर भी प्राप्त हुआ । |
In his senior year, he went a step further. He grew cells from a monarch’s wing in a culture and showed that the cells would divide and develop into normal butterfly wing scales only if they were fed the hormone from the gold spots. That project won first place for zoology at the International Fair. He spent the summer after graduation doing further work at the army laboratory and at the laboratory of the U.S. Department of Agriculture’ laboratory. The following summer, after his freshman year at Harvard University, Ebright went back to the laboratory of the Department of Agriculture and did more work on the hormone from the gold spots. Using the laboratory’s sophisticated instruments, he was able to identify the hormone’s chemical A year-and-a-half later, during his junior year, Ebright got the idea for his new theory about cell life. It came while he was looking at X-ray photos of the chemical structure of a hormone. When he saw those photos, Ebright didn’t shout, ‘Eureka!’ or even, ‘I’ve got it!’ But he believed that, along with his findings about insect hormones, the photos gave him the answer to one of biology’s puzzles: how the cell can ‘read’ the blueprint of its DNA. DNA is the substance in the nucleus of a cell that controls heredity. It determines the form and function of the cell. Thus DNA is the blueprint for life. अपने सीनियर (वरिष्ठ) वर्ष में वह एक चरण और आगे बढ़ा। उसने मोनार्क तितली के पंखों से कोशिकाओं के जीवाणुओं का समूह अध्ययन के लिए विकसित किया और दर्शाया कि कोशिकाओं का साधारण तितली में विभाजन और विकास तभी होगा यदि उन्हें सुनहरे धब्बों से अंतःस्राव पर पाला जाएं। इस परियोजना ने जन्तु-विज्ञान में अन्तर्राष्ट्रीय मेले में प्रथम स्थान जीता। स्नातक होने के बाद गर्मियाँ उसने सैनिक प्रयोगशाला और कृषि प्रयोगशाला में आगे काम करते हुए गुजारी। अगली गर्मी में, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रथम वर्ष के बाद एब्राइट कृषि विभाग की प्रयोगशाला में वापिस गया और सुनहरे धब्बों के अंतःस्राव पर और कार्य किया । प्रयोगशाला के परिष्कृत उपकरणों का प्रयोग करते हुए वह अंतःस्राव की रासायनिक संरचना की पहचान करने के योग्य हुआ। डेढ़ वर्ष पश्चात् अपने ‘जूनियर’ वर्ष के मध्य, एब्राइट को कोशिकाओं के जीवन के बारे में अपने नये सिद्धांत का विचार आया। यह विचार तब आया जब वह अंतःस्त्राव की रासायनिक संरचना की एक्स-रे फोटुओं को देख रहा था। जब उसने उन फोटों को देखा तो एब्राइट “पा लिया!’ कह कर नहीं चिल्लाया। परन्तु उसे विश्वास था कि कीट अन्तःस्राव की खोज के साथ फोटुओं ने जीव-विज्ञान की पहेलियों में से एक का उत्तर दे दिया है : कोशिका अपने डी.एन.ए. को कैसे ‘पढ़’ सकती है। डी.एन.ए. एक कोशिका के नाभिक का द्रव्य है जो वंशपरम्परागत गुण को नियंत्रित करता है। इस तरह से डी. एन. ए. जीवन की रूपरेखा है। |
Ebright and his college room-mate, James R. Wong, worked all that night drawing pictures and constructing plastic models of molecules to show how it could happen. Together they later wrote the paper that explained the theory. Surprising no one who knew him, Richard Ebright graduated from Harvard with highest honours, second in his class of 1,510. Ebright went on to become a graduate student researcher at Harvard Medical School. There he began doing experiments to test his theory. If the theory proves correct, it will be a big step towards understanding the processes of life. It might also lead to new ideas for preventing some types of cancer and other diseases. All of this is possible because of Ebright’s scientific curiosity. His high school research into the purpose of the spots on a monarch pupa eventually led him to his theory about cell life. Richard Ebright has been interested in science since he first began collecting butterflies – but not so deeply that he hasn’t time for other interests. Ebright also became a champion debater and particularly of nature and scientific exhibits. एब्राइट और कॉलेज में उसके कमरे में साथ रहने वाले जेम्स आर. वोंग ने चित्र खींचते हुए और परमाणुओं के प्लास्टिक के नमूने बनाते हुए यह दर्शाने के लिए कि यह कैसे हो सकता था उस सारी रात इकट्ठे ही काम किया उन्होंने बाद में निबंध लिखा जो इस सिद्धांत की व्याख्या करता था। जो कोई भी उसे जानता था उसे हैरान किये बिना रिचर्ड एब्राइट हार्वर्ड से उच्चतम सम्मान के साथ 1,510 की कक्षा में द्वितीय आकर स्नातक बना। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में एब्राइट स्नातक विद्यार्थी शोधकर्ता बना। वहाँ उसने अपने सिद्धांत के परीक्षण के लिए प्रयोग करने शुरू किए। यदि सिद्धांत सही सिद्ध होता है तो यह जीवन की प्रक्रिया को समझने के लिए एक बड़ा कदम होगा। इससे कैंसर की कुछ किस्में और दूसरी बीमारियों की रोकथाम के लिए नये विचार मिलेंगे। यह सब एब्राइट कोशिका जीवन के सिद्धांत का मार्गदर्शन किया। जब से प्रथम बार उसने तितलियों को इकट्ठा करना शुरू किया रिचर्ड एब्राइट की विज्ञान में रुचि हो गई थी परन्तु वह इतनी गहरी नहीं थी कि उसके पास दूसरी रुचियों के लिए समय ही न हो। एब्राइट सर्वश्रेष्ठ वाद-विवाद करने वाला और सार्वजनिक वक्ता बनने के साथ-साथ एक अच्छा एक विशेष प्रकार की किश्ती में यात्रा करने वाला और एक हरफनमौला घर के बाहर वाला व्यक्ति बन गया। वह एक निपुण फोटो खींचने वाला है, विशेषतया प्रकृति और वैज्ञानिक प्रदर्शनी वालों की। |
In high school Richard Ebright was a straight-A student. Because learning was easy, he turned a lot of his energy towards the Debating and Model United Nations clubs. He also found someone to admire-Richard A. Weiherer, his social studies teacher and adviser to both clubs. “Mr Weiherer was the perfect person for me then. He opened my mind to new ideas,” Ebright said. “Richard would always give that extra effort,” Mr Weiherer said. “What pleased me was, herewas this person who put in three or four hours at night doing debate research besides doing all his research with butterflies and his other interests. “Richard was competitive,” Mr Weiherer continued, “but not in a bad sense. He explained, “Richard wasn’t interested in winning for winning’s sake or winning to get a prize. Rather, he was winning because he wanted to do the best job he could. For the right reasons, he wants to be the best. And that is one of the ingredients in the making of a scientist. Start with a first-rate mind, add curiosity, and mix in the will to win for the right reasons. Ebright has these qualities. From the time the book, The Travels of Monarch X, opened the world of science to him, Richard Ebright has never हाई स्कूल में रिचर्ड एब्राइट एक सीधा प्रथम (ए. विद्यार्थी) था। क्योंकि सीखना आसान था, अपनी बहुत सी ऊर्जा उसने वाद-विवाद और आदर्श यूनाइटेड नेशनल क्लबों की ओर मोड़ दी। उसने उसके सामाजिक अध्ययन के अध्यापक रिचर्ड ए. वियहरर, जो दोनों क्लबों के मार्गदर्शक भी थे, उनकी प्रशंसा करते हुए पाया। “मि. वियहरर मेरे लिए तब पूर्ण व्यक्ति था । “रिचर्ड सदैव अतिरिक्त प्रयत्न करता था,” मि. वियरर ने कहा । “जिसने मुझे प्रसन्न किया, वह यह था कि वह यह व्यक्ति था जो तीन या चार घंटे रात को वाद-विवाद के अनुसंधान में व्यतीत करता था और इसके अतिरिक्त वह तितलियों और उसकी दूसरी रुचियों के बारे में भी अनुसंधान करता था। “रिचर्ड प्रतियोगी था,” मि. वियहरर ने जारी रखा, “पर एक बुरे रूप में नहीं।” उसने व्याख्या की, “रिचर्ड जीतने के लिये जीतने या पुरस्कार जीतने में रुचि नहीं रखता था। वह जीत रहा था क्योंकि वह जो भी सर्वोच्च कार्य कर सकता था उसने किया। सही कारणों से क्योंकि वह सर्वोच्च बनना चाहता था।” और यह एक वैज्ञानिक बनाने में अवयवों में से एक है। सर्वोच्च मन से शुरू करें, उसमें जिज्ञासा मिलाओ, और सही कारणों से जीतने की भावना मिलाओ। एब्राइट में तीन गुण हैं। जिस समय से पुस्तक “दि ट्रैवल्स ऑफ मोनार्क X” ने उसके लिए विज्ञान के संसार का द्वार खोला, रिचर्ड एब्राइट ने कभी अपनी वैज्ञानिक जिज्ञासा नहीं खोई। |
Word – Meaning
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