NCERT Solution Class 7th Hindi Vyakaran वर्ण विचार
Textbook | NCERT |
Class | 7th |
Subject | Hindi |
Chapter | हिन्दी व्याकरण (Grammar) |
Grammar Name | वर्ण विचार |
Category | Class 7th हिन्दी व्याकरण |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 7th Hindi Vyakaran वर्ण विचार हम इस अध्याय में हिंदी में कुल कितने वर्ण होते हैं?, वर्ण क्या है समझाइए?, वर्ण विचार की दृष्टि से कितने स्वर है?, चार वर्ण कौन कौन से हैं?, वर्ण में क्या क्या आता है?, शूद्रों के देवता कौन हैं?, वर्णों में प्रथम स्थान किसका था?, ओबीसी शूद्र में आते है क्या?, भारत में शूद्र कौन हैं?, भारत में शूद्र कौन हैं?, गीता में शूद्र के बारे में क्या कहा गया है?, सबसे नीची जाति कौन सी होती है?, शूद्रों को वेद पढ़ने की अनुमति क्यों नहीं है?, क्या अहीर शूद्र है?, मनुस्मृति के अनुसार शूद्र कौन हैं?, भारत का पहला शूद्र राजा कौन था?, गीता के अनुसार जाति क्या है? आदि के बारे में पढ़ेगें। |
NCERT Solution Class 7th Hindi Vyakaran वर्ण विचार
हिन्दी व्याकरण
वर्ण विचार
वर्ण – वर्ण वह ध्वनि है जिसके और खंड (टुकड़े) नहीं किए जा सकते उदाहरण – अ, इ – क, चु, ख, र इत्यादि।
वर्ण के भेद – वर्ण के दो भेद होते हैं
(i) स्वर
(ii) व्यंजन
1. स्वर – जिन वर्णों को बोलने के लिए अन्य ध्वनियों का सहारा नहीं लेना पड़ता, उन्हें स्वर कहते हैं। स्वरों के उच्चारण में हवा हमारे मुख से बिना किसी रुकावट के निकलती हैं। हिंदी में ग्यारह स्वर हैं, अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
2. व्यंजन – जिन वर्गों का उच्चारण स्वरों की सहायता से होता है, उन्हें व्यंजन कहते हैं। व्यंजन के उच्चारण में ‘अ’ स्वर की सहायता लेनी पड़ती है। जैसे
क् | ख् | ग् | घ् | ड् | क वर्ग |
च् | छ् | ज् | झ् | ञ् | च वर्ग |
ट् | ठ् | ड् | ढ् | ण् | ट वर्ग ड़ – ढ़ |
त् | थ् | द् | घ् | न् | त वर्ग |
प् | फ़् | ब् | भ् | म् | पंचम वर्ग (पंचमाक्षर) |
य् | र् | ल् | व् | अंतस्थ व्यंजन | |
श् | ष् | स् | ह् | ऊष्म व्यंजन | |
क्ष | त्र | ज्ञ् | संयुक्त व्यंजन | ||
ज् | फ़् | ऑ | आगत वर्ण |
वर्णमाला – वर्गों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते हैं। प्रत्येक भाषा की अपनी वर्णमाला होती है। हिंदी वर्णमाला में ग्यारह स्वर और 33 व्यंजन हैं।
स्वर के भेद – उच्चारण में लगने वाले समय के आधार पर स्वरों के तीन भेद होते हैं।
(i) ह्रस्व स्वर
(ii) दीर्घ स्वर
(iii) प्लुत स्वर
ह्रस्व स्वर -‘ह्रस्व’ का अर्थ है-लघु अथवा छोटा। जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है, उन्हें हम ह्रस्व स्वर कहते हैं। ये कुल चार हैं-अ, इ, उ, ऋ।
दीर्घ स्वर दीर्घ का अर्थ है-बड़ा। जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वरों की अपेक्षा अधिक समय लगता है, उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। ये कुल सात हैं-आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।
प्लुत स्वर – इसके उच्चारण में सबसे अधिक समय लगता है। इसका प्रयोग केवल संस्कृत में किया जाता है; उदाहरण – ओम – यहाँ ‘इ’ प्लुत का चिह्न है।
व्यंजन के भेद – व्यंजन के तीन भेद हैं
(i) स्पर्श व्यंजन
(ii) अंतस्थ व्यंजन
(iii) ऊष्म व्यंजन
स्पर्श व्यंजन स्पर्श यानी छूना। जिन व्यंजनों के उच्चारण के समय श्वास वायु और जिह्वा मुख के भागों को स्पर्श करती हैं, वे स्पर्श व्यंजन कहलाते हैं। कु से मु तक 25 स्पर्श व्यंजन हैं।
(i) क वर्ग का उच्चारण स्थल कंठ है।
(ii) च वर्ग का उच्चारण स्थल तालु है।
(iii) ट वर्ग का उच्चारण स्थल मूर्धा है।
(iv) त वर्ग का उच्चारण स्थल दाँत है।
(v) प वर्ग का उच्चारण स्थल होठ है।
अंतस्थ व्यंजन – मध्य/बीच = स्थित। इन व्यंजनों का उच्चारण स्वर तथा व्यंजन के मध्य का – सा होता है। उच्चारण के समय जिवा मुख के किसी भाग को स्पर्श नहीं करती। ये चार है- य, र, ल, व।
ऊष्म व्यंजन – ऊष्म गर्म। इन व्यंजनों के उच्चारण के समय वायु मुख से रगड़ खाकर ऊष्मा पैदा करती है। यानी उच्चारण के समय मुख से गर्म हवा निकलती है। ये चार हैं – श, ष, स, ह।
स्वर | मात्रा | वर्ग मात्रा के साथ | प्रयोग | मूल रूप |
अ | मात्रा नहीं | क + अ = क | कमल, कर | अमरूद, अगरबत्ती |
आ | ा | क + आ = का | काला, कपड़ा | आम, आग |
इ | ि | म + इ = मि | मिठाई, मिठास | मित्र, मिलान |
ई | ी | स् + ई = सी | सीख, सीमा | ईख, ईद |
उ | ु | क् + उ = कु | कुली, कुम्हार | कुदाल, कुमार |
ऊ | ू | च् + ऊ = चू | चूना, चूरमा | ऊन, कँट |
ऋ | ृ | क् + ऋ = कृ | कृषि, कृष्ण | ऋषि ऋण |
ए | े | ठ् + ए = ठे | ठेला, ठेस | एड़ी, एकता |
ऐ | ै | म् + ऐ = मै | मैला, मैच | ऐनक, ऐरावत |
ओ | ों | क+ ओ = को | कोयल, कोमल | कोमल, कोरा |
औ | ौ | क + औ = कौ | कौन, कौतूहल | औरत, औकात |
अनुस्वार और विसर्ग – हिंदी वर्णमाला के अनुस्वार (‘) तथा विसर्ग (:) को ‘अ’ के साथ जोड़कर ‘अं’ और अ: लिखा जाता है। और प्रायः इन्हें स्वरों के साथ रखा जाता है क्योंकि इनका उच्चारण स्वरों के साथ ही होता है उदाहरण – गंगा, चंदा, प्रातः, अतः आदि। परंतु ये स्वर नहीं हैं। संस्कृत में इन्हें ‘अयोगवाह’ कहा जाता है क्योंकि ये ‘अ’ की सहायता से ही बोले जाते हैं।
अनुनासिक – इनका उच्चारण नाक और गले दोनों से होता है उदाहरण – चाँद, गाँधी, आँगन, आदि इसका चिह्न (*) होता है। अनुस्वार वर्णमाला के पंचम वर्ण के स्थान पर प्रयोग में आता है।
विसर्ग – यह ‘ह’ के समान उच्चारित होता है उदाहरण – चाँद, साँस, हँस आदि। अनुस्वार और अनुनासिक के उच्चारण में यदि ध्यान न रखा जाए तो हँस (क्रिया शब्द) हँस (पक्षी) बन जाएगा।
हलंत – जब व्यंजन वर्णों स्वर के बिना लिखे जाते हैं तो हलंत ( ् ) का प्रयोग होता है, उदाहरण क् च् ट् आदि।
अर्ध चंद्र – यह विदेशी ध्वनि जिसे आगत नाम से जाना जाता है। इसका प्रयोग अंग्रेजी भाषा के शब्दों में किया जाता है उदाहरण -डॉक्टर, ऑफ़िसर, कॉलोनी, कॉफ़ी आदि।
वर्ण-संयोग – वर्णो का मेल वर्ण संयोग कहलाता है। क्ष, त्र, ज्ञ संयुक्त वर्ण है, जो क् + ष = क्ष, त् + र = त्र ज + अ = ज्ञ बनते हैं। जब एक व्यंजन अपने जैसे दूसरे व्यंजन से मिलता है तो उसे वित्व व्यंजन कहते हैं उदाहरण – पक्का (क् + क)।
बहुविकल्पी प्रश्न
(1) भाषा की सबसे छोटी लिखित इकाई है ?
(i) पद
(ii) वाक्य
(iii) शब्द
(iv) वर्ण
उत्तर- (iv) वर्ण
(2) इनमें से कौन-सा स्वर नहीं है ?
(i) अ
(ii) ओ
(iii) ऊ
(iv) ज
उत्तर- (iv) ज
(3) इनमें से कौन-सा व्यंजन नहीं है ?
(i) क
(ii) च
(iii) ट
(iv) ए
उत्तर- (iv) ए
(4) ‘स्वर’ वर्गों के कितने भेद होते हैं ?
(i) तीन
(ii) चार
(iii) छह
(iv) सात
उत्तर – (i) तीन
(5) हिंदी में व्यंजनों की संख्या कितनी है ?
(i) सैंतीस
(ii) छत्तीस
(iii) अड़तीस
(iv) पैंतीस
उत्तर- (i) सैंतीस
(6) जिन स्वरों के उच्चारण में अधिक समय लगे, वे कहलाते हैं ?
(i) स्वर
(ii) व्यंजन
(iii) मात्रा
(iv) प्लुत स्वर
उत्तर- (iv) प्लुत स्वर
(7) जिन व्यंजनों के उच्चारण में जिह्वा मुख के विभिन्न स्थानों को छूती है, वे हैं ?
(i) संयुक्त व्यंजन
(ii) स्पर्श व्यंजन
(iii) ऊष्म व्यंजन
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (iii) ऊष्म व्यंजन
(8) एक से अधिक व्यंजन जब जोड़कर बोले या लिखे जाते हैं वे कहलाते हैं ?
(i) स्वर
(ii) व्यंजन
(iii) संयुक्ताक्षर
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (iii) संयुक्ताक्षर
(9) विसर्ग का चिह्न है ?
(i) (‘)
(ii) (ँ)
(iii) (:)
(iv) (,)
उत्तर – (iii) (:)
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