NCERT Solution Class 7th Hindi Grammar (व्याकरण) संधि व्याकरण
Textbook | NCERT |
Class | 7th |
Subject | Hindi |
Chapter | हिन्दी व्याकरण (Grammar) |
Grammar Name | संधि |
Category | Class 7th Hindi हिन्दी व्याकरण |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 7th Hindi Grammar (व्याकरण) संधि व्याकरण संधि किसे कहते हैं और कितने प्रकार के होते हैं?, संधि का उदाहरण क्या है?, एक एक शब्दों की संधि क्या होगी, स्वर संधि के पांच भेद कौन कौन से हैं?, दीर्घ संधि के उदाहरण क्या है?, संधि की पहचान कैसे की जाती है?, वृद्धि संधि क्या होती है?, 5 स्वर कितने होते हैं, विद्यालय में संधि कौन सी है?, वृक्ष की संधि क्या है?, बच्चों के लिए संधि क्या है?, सात स्वर कौन से हैं?, कुल कितने व्यंजन होते हैं?, 21 व्यंजन क्या है?, पांच मूल स्वर क्या हैं?, हिंदी में स्वर कितने होते हैं?, हिंदी में कुल कितने वर्ण होते हैं?, भारत में कितने अक्षर हैं?, आदि के बारे में पढ़ेंगे और जानने के साथ हम NCERT Solution Class 7th Hindi Grammar (व्याकरण) संधि व्याकरण करेंगे। |
NCERT Solution Class 7th Hindi Grammar (व्याकरण) संधि व्याकरण
हिन्दी व्याकरण
संधि
संधि शब्द का अर्थ है– मेल! व्याकरण में संधि शब्द पास-पास के अक्षरों को आपस में मिलाने के लिए प्रयोग किया जाता है। जैसे- विद्या + आलय = विद्यालय, गण + ईश = गणेश। वर्षों के इस तरह के मेल को संधि कहते हैं। पास-पास के वर्षों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) उत्पन्न होता है, वह संधि कहलाता है। जैसे
नर + ईश = नरेश,
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
संधि तीन प्रकार के होते हैं
1. स्वर संधि
2. व्यंजन संधि
3. विसर्ग संधि
1. स्वर संधि – स्वर में स्वर के मेल से जो विकार (परिवर्तन) उत्पन्न होता है, वह ‘स्वर संधि’ कहलाता है।
जैसे- महा + आत्मा = महात्मा
सु + उक्ति = सूक्ति
स्वर संधि के पाँच भेद होते हैं
(क) दीर्घ संधि
(ख) गुण संधि
(ग) वृद्धि संधि
(घ) यण संधि
(ङ) अयादि संधि
(क) दीर्घ संधि– जब ह्रस्व या दीर्घ स्वर के बाद, ह्रस्व या दीर्घ स्वर आएँ तो दोनों के मेल से दीर्घ स्वर हो जाता है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं।
जैसे- अ + अ = आ
सार + अंश = सारांश
स्व + अधीन = स्वाधीन
भाव + अर्थ = भावार्थ
अ + आ = आ
हिम + आलये = हिमालय
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय
आ + अ = आ
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
विद्या + अभ्यास = विद्याभ्यासआ + आ = आ. विद्या + आलय = विद्यालय
महा + आत्मा = महात्मा
(ख) गुण संधि
अ + ई = ए
नर + इंद्र = नरेंद्र
कवि + इंद्र = कवींद्र
इ + ई = ई
गिरि + ईश = गिरीश
मुनि + ईश = मुनीश
ई + इ = ई
मही + इंद्र = महींद्र
शची + इंद्र = शचींद्रई + ई = ई
सती + ईश = सतीश
नदी + ईश = नदीश।
(ग) वृद्धि संधि
अ/आ ए/ऐ = ऐ
एक + एक = एकैक
सदा + एव = सदैवअ + उ = ओ
हित + उपदेश = हितोपदेश
पर + उपकार = परोपकार
(घ) यण संधि = इ/ई = अन्य स्वर = य
अति + अधिक = अत्यधिक
अति + आवश्यक = अत्यावश्यक
अति + अंत = अत्यंत
उ + ऊ + अन्य स्वर = व
सु + आगत = स्वागत
सु + इच्छा = स्वेच्छा
अनु + अय = अन्वय
अनु + इत = अन्वित
ऋ + अन्य स्वर = र
मातृ + आनंद = मात्रानंद
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
(ङ) अयादि संधि
ए + भिन्न स्वर = अय्
चे + अन = चयन
ने + अन = नयन
ऐ + भिन्न स्वर = आय
ने + अक = नायक
गै + इक = गायिका
ओ + भिन्न स्वर = अव्
भो + अन = भवन
पो + अन = पवन
औ + भिन्न स्वर = अव्
पौ + अक = पावक
भौ + उक = भावुक
2. व्यंजन संधि- व्यंजन का व्यंजन से या किसी स्वर से मेल होने पर जो परिवर्तन होता है, उसे व्यंजन संधि कहा जाता है;
जैसे – सत् + जन = सज्जन
जगत + ईश = जगदीश
3. विसर्ग संधि – विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से जो परिवर्तन होता है, उसे विसर्ग संधि कहा जाता है।
जैसे- निः चय = निश्चय
निः + मल = निर्मल
निः + चल = निश्चल
निः + छल = निश्छल
निः + संदेह = निस्संदेह
निः + कपट = निष्कपट
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