NCERT Solution Class 6th Hindi Grammar (व्याकरण) वर्ण-विचार
Textbook | NCERT |
Class | 6th |
Subject | Hindi Grammar (व्याकरण) |
Grammar Name | वर्ण-विचार |
Category | Class 6th हिन्दी व्याकरण |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 6th Hindi Grammar (व्याकरण) वर्ण-विचार जिस में हम वर्ण-विचार, वर्ण, विचार, स्वर, ह्रस्व स्वर, दीर्घ स्वर, प्लुत स्वरों, अनुस्वार, व्यंजन, संयुक्त वर्ण, वर्णमाला, स्पर्श व्यंजन, स्वरों की मात्राएँ, संयुक्त वर्ण, आगत ध्वनि, ऊष्म व्यंजन, विसर्ग, अंतस्थ व्यंजन, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेगे। |
NCERT Solution Class 6th Hindi Grammar (व्याकरण) वर्ण-विचार
हिन्दी व्याकरण
वर्ण-विचार
वर्ण – जब हम बोलते हैं तो उस समय हम जिन ध्वनियों का उच्चारण करते हैं। वही ध्वनियाँ वर्ण या अक्षर कहलाती हैं। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है। इस प्रकार वर्ण उस ध्वनि को कहते हैं जिसके खंड या टुकड़े नहीं किए जा सकते है।
वर्णमाला – वर्गों की माला यानी वर्णमाला। वर्गों के व्यवस्थित रूप को वर्णमाला कहते हैं। हिंदी वर्णमाला में 11 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं।
वर्ण के दो भेद हैं
- स्वर वर्ण
- व्यंजन वर्ण
स्वर वर्ण – जिस वर्ण के उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता न लेनी पड़े उसे स्वर वर्ण कहते हैं।
अ | आ | इ | ई | उ | ऊ | ऋ | ए | ऐ | ओ | औ |
ा | ि | ी | ु | ू | ृ | े | ै | ो | ौ |
स्वर के तीन भेद होते हैं
• ह्रस्व स्वर
• दीर्घ स्वर
• प्लुत स्वर
1. ह्रस्व स्वर – जिन स्वर वर्णों के उच्चारण में कम समय लगता है – उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं।
2. दीर्घ स्वर – इनके उच्चारण में ह्रस्व स्वरों के उच्चारण से दुगुना समय लगता है। ये सात हैं-आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।
3. प्लुत स्वरों – प्लुत स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व और दीर्घ स्वरों के उच्चारण से तिगुना समय लगता हैं जैसे-ओऽम्। प्लुत स्वर एक ही है।
अनुस्वार – अं- (अं) वर्ण को स्वरों के बाद ही आता है। इसका उच्चारण नाक से किया जाता है। इसका उच्चारण जिस वर्ण के बाद होता है, उसी वर्ण के सिर पर (ां) बिंदी के रूप में इसे लगाया जाता है; जैसे-रंग, जंगल, संग, तिरंगा आदि।
अनुनासिक – का उच्चारण नाक और गले दोनों से होता है; जैसे–चाँद, आँगन, आदि इसका चिह्न (ँ) होता है।
अयोगवाह – हिंदी व्याकरण में अनुस्वार (अं) एवं विसर्ग (अ:) को ‘अयोगवाह’ के रूप में जाना जाता है। व्यंजन वर्ण के तीन भेद होते हैं।
व्यंजन – जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों की सहायता से किया जाता है, वे व्यंजन कहलाते हैं।
क | ख | ग | घ | ङ | कवर्ग |
च | छ | ज | झ | ञ | चवर्ग |
ट | ठ | ड | ढ | ण | ड़ | ढ़ | टवर्ग |
त | थ | द | ध | न | तवर्ग |
प | फ | ब | भ | म | पवर्ग |
व्यंजन
1. स्पर्श व्यंजन – 25 स्पर्श व्यंजन होते हैं।
2. अंतस्थ व्यंजन – 4 स्पर्श व्यंजन होते हैं।
3. ऊष्मे व्यंजन – 4 स्पर्श व्यंजन होते हैं।
1. स्पर्श व्यंजन – ‘स्पर्श’ यानी छूना। जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय फेफड़ों से निकलने वाली वायु कंठ, तालु, मूर्धा, दाँत या ओठों का स्पर्श करती है, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। क् से लेकर म् तक 25 स्पर्श व्यंजन हैं। क वर्ग का उच्चारण स्थल कंठ है। तो वर्ग का उच्चारण स्थल दाँत है।
2. अंतस्थ व्यंजन – अंत = मध्य या (बीच, स्थ = स्थित) इन व्यंजनों का उच्चारण स्वर तथा व्यंजन के मध्य का-सा होता है। (उच्चारण के समय जिह्वा मुख के किसी भाग को स्पर्श नहीं करती) ये चार हैं- य, र, ल, वे।
3. ऊष्म व्यंजन – ऊष्म-गरम। इन व्यंजनों के उच्चारण के समय वायु मुख से रगड़ खाकर ऊष्मा पैदा करती है यानी उच्चारण के समय मुख से गरम हवा निकलती है। ये चार हैं-श, ष, स, ह।
स्वरों की मात्राएँ – प्रत्येक स्वरों के लिए निर्धारित चिह्न मात्राएँ कहलाती हैं। ‘अ’ स्वर के अतिरिक्त सभी स्वरों के मात्रा चिह्न होते हैं। स्वरों के चिह्न मात्रा के रूप में व्यंजन वर्ण से जुड़ते हैं।
विसर्ग – इस ध्वनि को चिह्न (:) है। इसका उच्चारण ‘ह’ की भाँति किया जाता है। विसर्ग का प्रयोग तत्सम शब्दों (संस्कृत से आए) में ही किया जाता है; जैसे-अतः, प्रातः, अंततः आदि।
आगत ध्वनि – ऑ यानी अर्धचंद्र, अंग्रेजी भाषा के शब्दों को लिखते समय प्रयोग किया जाता है; जैसे डॉक्टर, कॉफ़ी, टॉफ़ी, बॉल आदि।
संयुक्त वर्ण – वर्गों का मेल वर्ण संयोग कहलाता है। इन वर्षों के अलावा हिंदी भाषा में कुछ संयुक्त वर्गों का भी प्रयोग किया जाता है। ये वर्ण हैं-क्ष, त्र, ज्ञ, श्र।
जैसे-
क् + ष = क्ष भिक्षा, क्षमा
त् + र = त्र त्रिशूल, त्रिभुज
श् + र = श्र श्रमिक, विश्राम
ज् + अ = ज्ञ संज्ञा, विज्ञान
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