NCERT Solutions Class 10th Hindi Grammar व्याकरण पद-परिचय

NCERT Solutions Class 10th Hindi Grammar व्याकरण पद – परिचय

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Class 10th
Subject हिन्दी व्याकरण 
Chapterव्याकरण
Grammar Nameपदपरिचय
CategoryClass 10th  Hindi हिन्दी व्याकरण 
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 10th Hindi Grammar व्याकरण पद-परिचय पद किसे कहते हैं ये कितने प्रकार के होते हैं? पद परिचय कितने प्रकार के होते हैं? परिचय कितने प्रकार के होते हैं? परिचय कितने प्रकार का होता है? पद परिचय के लिए आवश्यक संकेत कौन कौन से हैं? पद परिचय से क्या तत्व है? पद का स्वरूप क्या है? धीरे धीरे का पद परिचय क्या है? कल का पद परिचय क्या है? अपनी का पद परिचय क्या होगा? तेज का पद परिचय क्या होगा? पद कितने प्रकार के होते हैं? पद में क्या लिखा जाता है? पद बंद क्या होता है? आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे।

NCERT Solutions Class 10th Hindi Grammar व्याकरण पद-परिचय

हिन्दी व्याकरण

पद-परिचय

पद – परिचय को समझने से पहले शब्द और पद का भेद समझना आवश्यक है।

शब्द – वर्णों के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं। शब्द भाषा की स्वतंत्र इकाई होते हैं जिनका अर्थ होता है।

पद – जब कोई शब्द व्याकरण के नियमों के अनुसार प्रयुक्त हो जाता है तब उसे पद कहते हैं।

उदाहरण-

•  राम, पत्र, पढ़ना – शब्द हैं।
•  राम पत्र पढ़ता है।

राम ने पत्र पढ़ा-इन दोनों वाक्यों में अलग-अलग ढंग से प्रयुक्त होकर राम, पत्र और पढ़ता है पद बन गए हैं।

पद-परिचय- वाक्य में प्रयुक्त पदों का विस्तृत व्याकरणिक परिचय देना ही पद-परिचय कहलाता है।

व्याकरणिक परिचय क्या है?

वाक्य में प्रयोग हुआ कोई पद व्याकरण की दृष्टि से विकारी है या अविकारी, यदि बिकारी है तो उसका भेद, उपभेद, लिंग, वचन पुरुष, कारक, काल अन्य शब्दों के साथ उसका संबंध और अविकारी है तो किस तरह का अव्यय है तथा उसका अन्य शब्दों से क या संबंध है आदि बताना व्याकरणिक परिचय कहलाता है।

पदों का परिचय देते समय निम्नलिखित बातें बताना आवश्यक होता है –

संज्ञा – तीनों भेद, लिंग, वचन, कारक क्रिया के साथ संबंध।
सर्वनाम – सर्वनाम के भेद, पुरुष, लिंग, वचन, कारक, क्रिया से संबंध।
विशेषण – विशेषण के भेद, लिंग, वचन और उसका विशेष्य।
क्रिया – क्रिया के भेद, लिंग, वचन, पुरुष, काल, वाच्य,धातु कर्म और कर्ता का उल्लेख।
क्रियाविशेषण – क्रियाविशेषण का भेद तथा जिसकी विशेषता बताई जा रही है, का उल्लेख।
समुच्चयबोधक – भेद, जिन शब्दों या पदों को मिला रहा है, का उल्लेख।
संबंधबोधक – भेद, जिसके साथ संबंध बताया जा रहा है, का उल्लेख।
विस्मयादिबोधक – हर्ष, भाव, शोक, घृणा, विस्मय आदि किसी एक भाव का निर्देश।

सभी पदों के परिचय पर एक संक्षिप्त दृष्टि – सभी पदों को मुख्यतया दो वर्गों में बाँटा जा सकता है –

(क) विकारी
(ख)अविकारी शब्द या अव्यय

विकारी – इस वर्ग के पदों में लिंग, वचन, पुरुष, कारक आदि के कारण विकार आ जाता है। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रियाविशेषण विकारी पद हैं।

संज्ञा – किसी प्राणी, व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं।

भेदउदाहरण
व्यक्तिवाचक संज्ञाराम, आगरा, दिल्ली, गांधी जी, गंगा, हिमालय आदि ।
जातिवाचक संज्ञाबालक, अध्यापक, शहर नेता जी, नदी, पर्वत, सागर आदि ।
भाववाचक संज्ञाबचपन, अपनापन, घृणा, प्रेम, मित्रता, मज़बूती, सफाई

ध्यान दें-द्रव्य, पदार्थ, धातुएँ तथा समूह का बोध कराने वाले शब्द कक्षा, सेना, भीड़ आदि जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत आती हैं।

लिंग – संज्ञा के जिस रूप से उसके स्त्री या पुरुष जाति का होने का पता चले, उसे लिंग कहते हैं। जैसे- बालक-बालिका।

भेदउदाहरण
पुल्लिंगअध्यापक, सेवक, महाराज, कवि विद्वान, सम्राट, गायक आदि ।
स्त्रीलिंगअध्यापिका, सेविका, महारानी, कवयित्री, विदुषी, सम्राज्ञी, गायिका आदि ।
ध्यान देंराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, इंजीनियर, मैनेजर, सचिव, क्लर्क आदि का प्रयोग दोनों लिंगों के साथ किया जाता है।
वचनसंज्ञा के जिस रूप से उसके एक या अनेक होने का पता चले, उसे वचन कहते हैं; जैसे- पुस्तक – पुस्तकें |
भेदउदाहरण
एकवचनकलम दवात, कुरसी, नारी, दवाई, घोड़ा, मटका, सड़क आदि ।
बहुवचनकलमें, दवातें, कुरसियाँ, नारियाँ, दवाइयाँ, घोड़े, मटके, सड़कें आदि ।
ध्यान देंभीड़, जनता, सेना, कक्षा आदि सदा एकवचन में और आँसू, बाल, दर्शन,
हस्ताक्षर आदिबहुवचन में होतेप्रयुक्त हैं।

2. सर्वनाम– संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं; जैसे-मैं, हम, ये कुछ आदि।

भेदउदाहरण
1. पुरुषवाचक सर्वनाम(i) उत्तम पुरुषवाचक
(ii) मध्यम पुरुषवाचक
(ii) अन्य पुरुषवाचक
मैं, मेरा, हम, तुम वह, वे, उनका आदि ।(बोलने वाला) – मैं, हम
सुनने वाला – तुम, आप
(जिसके विषय में बात की जाए ) – वह, वे
2. निश्चयवाचक सर्वनामयह, ये, वह, वे
3. अनिश्चयवाचक सर्वनामकोई, कुछ
4. प्रश्नवाचक सर्वनामक्या, कौन, किसे, किसको आदि ।
5. संबंधवाचक सर्वनामजिसकी…उसकी, वह… जो, जैसी… वैसी आदि ।
6. निजवाचक सर्वनामखुद, स्वयं, अपने आप स्वतः आदि ।

3. विशेषण – संज्ञा और सर्वनाम की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं; जैसे-मीठा, परिश्रमी, काला, मोटा आदि।

भेदउदाहरण
1. गुणवाचक विशेषणरंगीन, हवादार, शांत, मौसमी, ठंडा, भव्य, विशाल, कुशल, आलसी
2. संख्यावाचक विशेषण(क) अनिश्चित परिमाणवाचक
(ख) निश्चित परिमाणवाचक
कुछ, कई, अनेक, बहुत से आदि।
दस, पाँच, चौथा, चौगुना, दोनों, प्रत्येक आदि ।
3. परिमाणवाचक विशेषण(क) अनिश्चित संख्यावाचक
(ख) निश्चित संख्यावाचक
कम, थोड़ा, कुछ, अधिक, तनिक, ज़रा-सा आदि ।
एक मीटर पावभर, दो किलो, चार लीटर आदि ।
4. सार्वनामिक या संकेतवाचक विशेषणयह घर, ये छात्र, वह घर, वे कुरसियाँ आदि ।

प्रविशेषण – विशेषण की विशेषता बताने वाले शब्द प्रविशेषण कहलाते हैं; जैसे –

•  यह आम बहुत मीठा है।
•  उड़ीसा में आया तूफ़ान अत्यधिक भयावह था।
•  इस साल बिलकुल कम वर्षा हुई।

क्रिया – जिस शब्द से किसी कार्य के करने या होने का पता चले, उसे क्रिया कहते हैं; जैसे- लिखना, पढ़ना, बोलना, स्नान करना आदि।

धातु – क्रिया का मूल रूप धातु कहलाता है। इसी में ‘ना’ लगाने पर क्रिया का सामान्य रूप बनता है।

•  धातु + ना = सामान्य रूप
•  पढ़ + ना = पढ़ना
•  लिख + ना = लिखना

(क) कर्म के आधार पर क्रिया भेद –

अकर्मक क्रिया –  हँसाना, रोना, भागना, दौड़ना, कूदना, उछलना, बैठना आदि।
सकर्मक क्रिया- पढ़ना, लिखना, खाना, पीना, बनाना, बुनना, देना, तोड़ना आदि।

(ख) बनावट के आधार पर क्रिया भेद

मुख्य क्रिया – टूट गया, रोता रहा, चल दिया, खा लिया आदि।
संयुक्त क्रिया – कर लिया, सो गया, काट लिया, गाता गया आदि।
प्रेरणार्थक क्रिया – लिखवाना, कटवाना, बनवाना, पढ़वाना, चलवाना।
नामधातु क्रिया – फ़िल्माना, शरमाना, लजाना, हिनहिनाना आदि।
पूर्वकालिक क्रिया – पढ़कर, खाकर, नहाकर, पीकर, देखकर आदि।

काल-क्रिया होने के समय को काल कहते हैं।

भेदउदाहरण
वर्तमान कालपढ़ता है, लिख रहा है, जाता है, उड़ रहे हैं, आ रही है आदि ।
भूतकालपढ़ती थी, लिख रही थी, जाती थी, उड़ रहे थे, आ रही थी आदि ।
भविष्यत् कालपढ़ेगा, लिखेगा, जाएगा, उड़ेंगे, आएगी, आएँगी आदि ।

अविकारी शब्द या अव्यय – अव्यय वे शब्द होते हैं, जिन पर लिंग, वचन, काल, पुरुष आदि का कोई असर नहीं होता है।
जैसे – प्रातः, अभी, धीरे-धीरे, उधर, यहाँ, परंतु, और, इसलिए आदि।

अव्यय के भेद – क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक, विस्मयादिबोधक तथा निपात अविकारी शब्द हैं।

क्रियाविशेषण – क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्द क्रियाविशेषण कहलाते हैं; जैसे- बहुत, धीरे-धीरे, उधर, प्रातः आदि।

भेदउदाहरण
कालवाचक क्रियाविशेषणकभी-कभी, अभी, प्रातः, सायं, आजकल, प्रतिदिन आदि ।
रीतिवाचक क्रियाविशेषणधीरे-धीरे, सरपट, अचानक, भली-भाँति, जल्दी से आदि ।
स्थानवाचक क्रियाविशेषणउधर, ऊपर, नीचे, इधर, बाहर, भीतर, आसपास आदि ।
परिमाणवाचक क्रियाविशेषणथोड़ा, बहुत, कम, अत्यधिक, जितना, उतना आदि ।

2. संबंधबोधक  – जो अव्यय संज्ञा या सर्वनाम के बाद प्रयुक्त होकर वाक्य के अन्य संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ संबंध बताते हैं, उन्हें संबंधबोधक कहते हैं।

जैसे – विद्यालय के पास बगीचा है।
•  मंदिर के सामने फूल खिले हैं।
•  मुझे सुमन के साथ बाज़ार जाना है।

इसके अतिरिक्त, के अलावा, के भीतर, के बारे में, के विपरीत, के बदले, की तरह, की तरफ, के बाद आदि संबंधबोधक हैं।

3. समुच्चयबोधक – जो अव्यय दो शब्दों, दो पदबंधों या दो अव्ययों को जोड़ने का कार्य करते हैं, उन्हें समुच्चयबोधक कहते हैं; जैसे – और, तथा, किंतु, परंतु अथवा आदि।

भेदउदाहरण
(क) समानाधिकरण समुच्चयबोधकजोड़ने वाले – और, तथा, एवं
विरोधदर्शक – किंतु, परंतु, लेकिन, मगर
विकल्पबोधक – अथवा, या, नहीं तो, अन्यथा
परिणामदर्शक – इसलिए, अतः, फलतः, अन्यथा
(ख) व्यधिकरण समुच्चयबोधकहेतुबोधक – क्योंकि, इसलिए, इस कारण
संकेतबोधक – यद्यपि तथापि, यदि… तो ।
उद्देश्यबोधक – ताकि, जिससे, कि
स्वरूपबोधक – अर्थात् मानो, यानि कि

4. विस्मयादिबोधक – जिन अव्यय शब्दों से आश्चर्य, हर्ष, घृणा, पीड़ा आदि भाव प्रकट हों, उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं; जैसे – ओह, अरे, अहा, हाय आदि।

भावविस्मयादिबोधक अव्यय
आश्चर्य (विस्मय)अरे ! ओह!, हैं!, क्या !
उल्लास, हर्षवाह! अहा !, खूब!, बहुत अच्छा !
शोक, पीड़ाहाय!, आह!, उफ !, हायराम !
घृणा, तिरस्कारछि: !, छिक्कार!, हट!
चेतावनीहटो!, बचो! सावधान ! खबरदार !
स्वीकृतिअच्छा!, ठीक!, बहुत अच्छा !
प्रशंसाशाबास!, सुंदर !, बहुत बढ़िया !
संबोधनहे!, अरे!, सुनो!

5. निपात – वे अव्यय शब्द जो किसी शब्द के बाद लगकर उसके अर्थ पर बल लगा देते हैं, उन्हें निपात कहते हैं। ही, तो, भी, तक, मात्र, भर आदि मुख्य निपात हैं।

प्रयोग वैशिष्ट्य के कारण पद-परिचय में अंतर – कभी-कभी प्रयोग में विशिष्टता के कारण भी पदों के परिचय में अंतर आ जाता है।

इस अंतर को प्रकट करने वाले कुछ उदाहरण देखिए –

और-

सर्वनाम – औरों की बात मत कीजिए।
विशेषण – और लोग कब आएँगे?
क्रियाविशेषण – मैं अभी और खाऊँगा।
समुच्चयबोधक – सुमन आई और उपहार देकर चली गई

अच्छा-

संज्ञा – अच्छों की शरण में जाओ।
विशेषण – कुछ अच्छे काम कर लिया करो।
क्रियाविशेषण – वह बहुत अच्छा नाची।
विस्मयादिबोधक – अच्छा! तुम्हारी इतनी हिम्मत!

कुछ-

सर्वनाम – खाने को कुछ दे दीजिए।
विशेषण – कुछ छात्र जा चुके हैं।
संज्ञा – कुछ के लिए जलपान का प्रबंध है।
क्रियाविशेषण – कुछ पढ़ो तो सही।

बहुत-

संज्ञा – मैंने बहुतों को देखा है।
सर्वनाम – बहुत हो चुका।
विशेषण – बहुत अनाज खराब हो गया।
क्रियाविशेषण – हाथी बहुत खाता है।

ऐसा –

संज्ञा – ऐसो को मैंने बहुत देखा है।
सर्वनाम – ऐसा नहीं होगा।
विशेषण – ऐसा साँप पहली बार देखा।
क्रियाविशेषण – ऐसा मत कीजिए।

वह –

सर्वनाम – वह आ गया।
विशेषण – वह घर हमारा है।

पदों का व्याकरणिक परिचय:

(क) निम्नलिखित वाक्यों के रंगीन अंशों का व्याकरणिक परिचय दीजिए – उदिता यहाँ बच्चों को पढ़ाती थी।

उदिता- व्यक्तिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्ताकारक, ‘पढ़ाती थी’ का कर्ता।
बच्चों को- जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्म कारक।
पढ़ाती थी- सकर्मक क्रिया, एकवचन, स्त्रीलिंग अन्य पुरुष, कर्तृवाच्य, कर्ता-उदिता

2. मधुकर यहाँ पिछले साल रहता था।
मधुकर- व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ताकारक, ‘रहता था’ क्रिया का कर्ता।
यहाँ- क्रियाविशेषण, स्थान सूचक, ‘रहना’ क्रिया का निर्देश करने वाला।
रहता था- अकर्मक क्रिया, एकवचन पुल्लिंग, अन्य पुरुष, भूतकाल, कर्तृवाच्य, कर्ता ‘मधुकर’।

3. रामचरितमानस की रचना तुलसीदास के द्वारा की गई।
रामचरितमानस- व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, कर्म कारक।
तुलसीदास के द्वारा- व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, करण कारक।
की गई- संयुक्त क्रिया, एकवचन, स्त्रीलिंग, कर्मवाच्य, अन्य पुरुष।

4. वह दौड़कर विद्यालय गया।
वह- अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक, ‘गया’ क्रिया का कर्ता।
दौड़कर- पूर्वकालिक क्रिया, रीतिवाचक क्रियाविशेषण, ‘गया’ क्रिया की विशेषता बता रहा है।
गया- मुख्य क्रिया, एकवचन, पुल्लिंग, भूतकाल, कर्तृवाच्य, ‘कर्ता’ वह।

5. बाग में कुछ लोग बैठे थे।
बाग- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, अधिकरण कारक।
कुछ- अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण, ‘विशेष्य’ लोग।
लोग- जातिवाचक संज्ञा पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ता कारक।
बैठे थे- अकर्मक क्रिया, बहुवचन, पुल्लिंग, कर्तृवाच्य, भूतकाल, कर्ता लोग।

6. मैं आपको कुछ रुपये दूंगा।
मैं- उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ताकारक, ‘दूंगा’ क्रिया का कर्ता।
आपको- मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम एकवचन पुल्लिंग, स्त्रीलिंग संप्रदान कारक।
कुछ– अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण, विशेष्य रुपये।
रुपये- जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, विशेष्य, विशेषण-कुछ
दूंगा- सकर्मक क्रिया, एकवचन पुल्लिंग कर्तृवाच्य, भविष्यतकाल, कर्ता मैं।

7. जब हम रेलवे स्टेशन पहुँचे गाड़ी छूट रही थी।
जब- कालवाचक क्रियाविशेषण, पहुँचने के समय का उल्लेख करने वाला।
हम- उत्तमपुरुषवाचक सर्वनाम, बहुवचन, कर्ताकारक, पुल्लिंग, पहुँचे क्रिया का कर्ता।
रेलवे स्टेशन- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, कर्मकारक, पुल्लिंग
पहुँचे- मुख्य क्रिया भूतकालिक, बहुवचन, पुल्लिंग, कर्तृवाच्य, कर्ता हम।
गाड़ी- जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, छूट रही थी क्रिया का कर्ता।
छूट रही थी- सकर्मक क्रिया, भूतकाल, सातत्यबोधक स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्तृवाच्य अन्य पुरुष, कर्ता गाड़ी।

8. भारतीय सैनिक रणक्षेत्र में वीरता दिखाते हैं और शत्रुओं को सबक सिखाते हैं।
भारतीय- गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, विशेष्य-सैनिक।
सैनिक- जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, कर्ताकारक, ‘दिखाते हैं’ क्रिया का कर्ता।
रणक्षेत्र में- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, अधिकरण कारक।
वीरता- भाववाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, कर्मकारक।
दिखाते हैं- सकर्मक क्रिया बहुवचन पुल्लिंग, कर्तृवाच्य, वर्तमान कालिक कर्ता ‘सैनिक’।
और- समानाधिकरण समुच्चयबोधक, दो वाक्यों को जोड़ने वाला।
शत्रुओं को- जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, कर्मकारक, पुल्लिंग।
सबक- भाववाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, कर्मकारक।
सिखाते हैं- सकर्मक क्रिया, बहुवचन, पुल्लिंग, कर्तृवाच्य, वर्तमानकालिक कर्ता ‘सैनिक’।

9. उस गमले में तीन फूल खिले हैं।
उस- सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग, विशेष्य ‘गमला’।
गमले में- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, अधिकरण कारक, पुल्लिंग।
तीन- निश्चित संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, विशेष्य ‘फूल’।
फूल- जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग कर्ताकारक, खिलना क्रिया का कर्ता।
खिले हैं- क्रिया वर्तमानकालिक, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्तृवाच्य।

10. वीरों की सदा जीत होती है।
वीरों की- जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, संबंध कारक संबंध, शब्द ‘जीत’।
सदा- कालवाचक क्रियाविशेषण, क्रिया के काल का बोधक।
जीत- भाववाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक
होती है- अकर्मक क्रिया, एकवचन, स्त्रीलिंग, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य।