‘आत्मकथ्य’ कविता में आई पंक्ति ‘मुरझाकर गिर रही पत्तियाँ, देखो कितनी आज घनी।’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

‘आत्मकथ्य’ कविता में आई पंक्ति ‘मुरझाकर गिर रही पत्तियाँ, देखो कितनी आज घनी।’ का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – ‘आत्मकथ्य’ कविता में आई पंक्ति ‘मुरझाकर गिर रही पत्तियाँ, देखो कितनी आज घनी।’ का आशय है की समय के साथ हमारे जीवन में भी बदलाव होता है। पत्तियाँ मुरझाकर गिरती हैं और नए पत्ते की भरमार होती है, जिससे जीवन की गहराई और समृद्धि का संदेश प्रकट होता है।

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