NCERT Solutions Class 10th Maths Chapter – 1 वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers)
Textbook | NCERT |
Class | 10th |
Subject | (गणित) Mathematics |
Chapter | 1st |
Chapter Name | वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers) |
Mathematics | Class 10th गणित |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 10th Maths Chapter – 1 वास्तविक संख्याएँ (Real Numbers)
Chapter – 1
वास्तविक संख्याएँ
Examples
उदाहरण 1 : संख्याओं 4n पर विचार कीजिए, जहाँ n एक प्राकृत संख्या है। जाँच कीजिए कि क्या ” का कोई ऐसा मान है, जिसके लिए 4n अंक शून्य (0) पर समाप्त होता है।
हल: यदि किसी n के लिए, संख्या 4n शून्य पर समाप्त होगी तो वह 5 से विभाज्य होगी। अर्थात् 4n के अभाज्य गुणनखंडन में अभाज्य संख्या 5 आनी चाहिए। यह संभव नहीं है क्योंकि 4n = (2)2n है। इसी कारण, 4n के गुणनखंडन में केवल अभाज्य संख्या 2 ही आ सकती है। अंकगणित की आधारभूत प्रमेय की अद्वितीयता हमें यह निश्चित कराती है कि 4n के गुणनखंडन में 2 के अतिरिक्त और कोई अभाज्य गुणनखंड नहीं है। इसलिए ऐसी कोई संख्या n नहीं है, जिसके लिए 4n अंक 0 पर समाप्त होगी।
उदाहरण 2 : संख्याओं 6 और 20 के अभाज्य गुणनखंडन विधि से HCF और LCM ज्ञात कीजिए।
हल: यहाँ 6 = 21×31 और 20 = 2×2×5 = 22×51 है।
जैसाकि आप पिछली कक्षाओं में कर चुके हैं, आप HCF (6,20) = 2 तथा LCM (6,20)
= 2×2×3×5 = 60, ज्ञात कर सकते हैं।
ध्यान दीजिए कि HCF (6,20) = 21 = संख्याओं में प्रत्येक उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखंड की सबसे छोटी घात का गुणनफल तथा
LCM (6, 20) = 22×31x51 = संख्याओं में संबद्ध प्रत्येक अभाज्य गुणनखंड की सबसे बड़ी घात का गुणनफल
उपरोक्त उदाहरण से आपने यह देख लिया होगा कि HCF (6,20)×LCM (6,20) = 6×20 है। वास्तव में, अंकगणित की आधारभूत प्रमेय का प्रयोग करके हम इसकी जाँच कर सकते हैं कि किन्हीं दो धनात्मक पूर्णांकों और b के लिए, HCF (a,b)×LCM (a,b) = a×b होता है। इस परिणाम का प्रयोग करके, हम दो धनात्मक पूर्णांकों का LCM ज्ञात कर सकते हैं, यदि हमने उनका HCF पहले ही ज्ञात कर लिया है।
उदाहरण 3 : अभाज्य गुणनखंडन विधि द्वारा 96 और 404 का HCF ज्ञात कीजिए और फिरइनका LCM ज्ञात कीजिए ।
हल: 96 और 404 के अभाज्य गुणनखंडन से हमें प्राप्त होता है कि
96 = 25×3,404 = 22×101
इसलिए, इन दोनों पूर्णांकों का HCF = 22 = 4
साथ ही
LCM (96,404) = 96×404/HCF(96,404) = 96×404/4 = 9696
उदाहरण 4 : संख्या 6, 72 और 120 का अभाज्य गुणनखंडन विधि द्वारा HCF और LCM ज्ञात कीजिए।
हल: हमें प्राप्त है:
6 = 2 × 3, 72 = 23 x 32 तथा 120 = 23 × 3 × 5
21 और 31 प्रत्येक उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखंड की सबसे छोटी घातें हैं।
अतः,
HCF (6,72,120 ) = 21×31 = 2×3 = 6
23, 32 और 51 प्रत्येक अभाज्य गुणनखंड की सबसे बड़ी घातें हैं, जो तीनों संख्याओं से संबद्ध हैं।
अतः,
LCM (6, 72, 120 ) = 23 x 32 x 51 = 360
उदाहरण 5 : √3 एक अपरिमेय संख्या है।
हल: आइए हम इसके विपरीत यह मान लें कि √3 एक रिमेय संख्या है।
अर्थात्, हम ऐसे दो पूर्णांक a और b (0) प्राप्त कर सकते हैं कि √3 = a/b है।
यदि a और b में, 1 के अतिरिक्त कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड हो, तो हम उस उभयनिष्ठ गुणनखंड से भाग देकर a और b को सहअभाज्य
अतः b√3 = a है।
दोनों पक्षों का वर्ग करने तथा पुनर्व्यवस्थित करने पर, हमें 3b2 = a2 प्राप्त होता है:
अतः a2, 3 से विभाजित है। इसलिए, प्रमेय 1.2 द्वारा 3, a को भी विभाजित करेगा।
अतः हम a = 3c लिख सकते हैं, जहाँ c एक पूर्णांक है।
a के इस मान को 3b2 = a2 में प्रतिस्थापित करने पर, हमें प्राप्त होता है:
3b2 = 9c2 अर्थात् b2 = 3c2
इसका अर्थ है कि b2, 3 से विभाजित हो जाता है। इसलिए प्रमेय 1.3 द्वारा b भी 3 से विभाजित होगा।
अतः a और b में कम से कम एक उभयनिष्ठ गुणनखंड 3 है। परंतु इससे इस तथ्य का विरोधाभास प्राप्त होता है कि a और b सहअभाज्य हैं।
हमें यह विरोधाभास अपनी त्रुटिपूर्ण कल्पना के कारण प्राप्त हुआ है कि √3 एक परिमेय संख्या है। अतः हम निष्कर्ष निकालते हैं कि √3 एक अपरिमेय संख्या है। कक्षा IX में हमने बताया था कि :
- एक परिमेय संख्या और एक अपरिमेय संख्या का योग या अंतर एक अपरिमेय संख्या होती है तथा
- एक शून्येतर परिमेय संख्या और एक अपरिमेय संख्या का गुणनफल या भागफल एक अपरिमेय संख्या होती है।
यहाँ, हम उपरोक्त की कुछ विशिष्ट स्थितियाँ सिद्ध करेंगे।
उदाहरण 6 : दर्शाइए कि 5 – √3 एक अपरिमेय संख्या है।
हल: आइए इसके विपरीत मान लें कि 5 – √3 एक परिमेय संख्या है।
अर्थात् हम सहअभाज्य ऐसी संख्याएँ a और b (b≠0) ज्ञात कर सकते हैं कि 5 – √3 = a/b हो।
अतः 5-a/b = √3 है।
इस समीकरण को पुनर्व्यवस्थित करने पर हमें प्राप्त होता है:
√3 = 5 – a/b
चूँकि a और b पूर्णांक हैं, इसलिए 5-a/b एक परिमेय संख्या है अर्थात् √3 एक परिमेय संख्या है।
परंतु इससे इस तथ्य का विरोधाभास प्राप्त होता है कि √3 एक अपरिमेय संख्या है। हमें यह विरोधाभास अपनी गलत कल्पना के कारण प्राप्त हुआ है कि 5 – √3 एक परिमेय संख्या है।
अतः, हम निष्कर्ष निकालते हैं कि 5 – √3 एक अपरिमेय संख्या है।
उदाहरण 7 : दर्शाइए कि 3√2 एक अपरिमेय संख्या है।
हल: आइए इसके विपरीत मान लें कि 3√2 एक परिमेय संख्या है।
अर्थात् हम ऐसी सहअभाज्य संख्याएँ a और b (b≠ 0) ज्ञात कर सकते हैं कि 3√2= a/b हो।
पुनर्व्यवस्थित करने पर, हमें √2 = a/36 प्राप्त होगा ।
चूँकि 3, a और b पूर्णांक हैं, इसलिए 27 एक परिमेय संख्या होगी। इसलिए √2 भी एक परिमेय संख्या होगी।
परंतु इससे इस तथ्य का विरोधाभास प्राप्त होता है कि √2 एक अपरिमेय संख्या है।
अत:, हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि 3√2 एक अपरिमेय संख्या है।
NCERT Solutions Class 10th Maths New Syllabus (2023-2024) All Chapter in Hindi Medium
- अध्याय – 1 वास्तविक संख्याएँ
- अध्याय – 2 बहुपद
- अध्याय – 3 दो चर वाले रैखिक समीकरण युग्म
- अध्याय – 4 द्विघात समीकरण
- अध्याय – 5 समांतर श्रेढ़ियाँ
- अध्याय – 6 त्रिभुज
- अध्याय – 7 निर्देशांक ज्यामिति
- अध्याय – 8 त्रिकोणमिति का परिचय
- अध्याय – 9 त्रिकोणमिति के कुछ अनुप्रयोग
- अध्याय – 10 वृत्त
- अध्याय – 11 वृत्तों से संबंधित क्षेत्रफल
- अध्याय – 12 पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन
- अध्याय – 13 सांख्यिकी
- अध्याय – 14 प्रायिकता
You Can Join Our Social Account
Youtube | Click here |
Click here | |
Click here | |
Click here | |
Click here | |
Telegram | Click here |
Website | Click here |