NCERT Solutions Class 7th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 4 सिलाई कढ़ाई एवं बुनाई
Textbook | NCERT |
Class | 7th |
Subject | गृह विज्ञान |
Chapter | 4st |
Chapter Name | सिलाई कढ़ाई एवं बुनाई |
Category | Class 7th गृह विज्ञान |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 7th गृह विज्ञान (Home science) Chapter – 4 सिलाई कढ़ाई एवं बुनाई Notes इस अध्याय में हम कढ़ाई बुनाई क्या होता है? कढ़ाई कितने प्रकार की होती है? बुनाई सिलाई कैसे करें? कला में सिलाई क्या है? कढ़ाई के 5 प्रकार क्या हैं? कढ़ाई के दो प्रकार क्या हैं? सिलाई के जनक कौन है? आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे। |
NCERT Solutions Class 7th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 4 सिलाई कढ़ाई एवं बुनाई
Chapter – 4
सिलाई कढ़ाई एवं बुनाई
Notes
रूमाल पर लेस लगाना – बच्चों यह तो तुम जानते ही हो कि हमें सदैव एक स्वच्छ रूमाल अपने पास रखना चाहिए क्योंकि आवश्यकता पड़ने पर इससे हाथ-मुंह पोछने का काम लिया जाता है। रूमाल सदैव सूती कपड़े का ही बनाना चाहिए क्योंकि सूती कपड़ा पानी को सोख लेता है और आसानी से धोया जा सकता है। रूमाल आवश्यकतानुसार छोटे व बड़े बनाए जाते हैं। रूमाल को आकर्षक बनाने के लिए इसके चारों ओर लेस या एक कोने पर कढ़ाई की जाती है।
लेस लगाने के लिए पहले कपड़ा लेकर चारों ओर से बराबर मोड़ कर तुरपाई करें। फिर लेस के नीचे का हिस्सा मोड़ कर रूमाल के सीधी तरफ रख कर कच्चा करना शुरू करें। कोने पर पहुँच कर लेस सफाई से 90° मोड़ कर रूमाल की दूसरी तरफ ले लगाए। इसी प्रकार चारों तरफ़ कच्चा करने के बाद सफाई से हाथ द्वारा या मशीन द्वारा बखिया करके लेस को मज़बूती से रूमाल पर लगा दें। बाद में कच्चे वाला टांका निकाल दें।
बच्चे का जांघिया – नीचे पहनने वाले वस्त्र साधारणतः बनियान व जांघिया होते हैं। इनके लिये इस प्रकार का कपड़ा होना चाहिए जो मुलायम, पसीना सोखने वाला, आसानी से घुलने वाला तथा टिकाऊ हो।
इसके लिये सूती कपड़ा सबसे उत्तम है क्योंकि उसमें सभी उपरोलिखित गुण विद्यमान है। सूती कपड़ा त्वचा के ऊपर पहनने के लिये बहुत अच्छा है। यह उष्णता को आसानी से बाहर निकाल कर शरीर को गर्मियों में ठंडा रखता है। यह मज़बूत होता है। तथा सस्ता भी होता है। अतः, सभी लोग इसे खरीद सकते हैं।’
नीचे पहनने वाले वस्त्रों में जाधिये का स्थान सबसे पहला है। गर्मियों में बालक और बालिकाओं को अन्य वस्त्रों की अपेक्षा कम से कम इसका प्रयोग अवश्य करवाया जाता है। अब हम 2 से 3 वर्ष की आयु वाले बच्चे के जांघिये का खाका बनाना सीखेंगे। इस नाप के जांघिये से यदि छोटा या बड़ा जांघिया बनाना हो तो नाप को अनुपात से घटाया या बढ़ाया जा सकता है।
जांघियें का खाका बनाना
आयु ……2 से 3 वर्ष
नाप
लम्बाई…… 28 सेमी.
चौड़ाई….. 81 सेमी (चारों ओर की)
कागज का नाप
लम्बाई…… 56 सेमी
चौड़ाई…….40.5 सेमी
विधि
(1) कागज़ को पहले चौड़ाई की ओर से फिर लम्बाई की ओर से दोहरा मोड़ें।
(2) कागज़ के दोहरे मोड़ को बांई ओर व इकहरे मोड़ को नीचे की ओर रखें।
(3) चारों कोनों का नाम क, ख, ग, घ रखें।
(4) क ख और ग घ चौड़ाई…… 20.2 सेमी है।
(5) क घ और ख ग लम्बाई …… 28 सेमी है।
(6) लम्बाई को तीन बराबर हिस्सों में बाटें, इनका नाम च, च1 तथा छ, छ1 रखें।
(7) चौड़ाई को दो बराबर हिस्सों में बांटें, इनका नाम ज, ज1 रखें।
(8) क से नीचे की ओर 2.5 सेमी लें, जिसका नाम थ रखें।
(9) ख से अन्दर की ओर 2.5 सेमी लें, इस बिन्दु का नाम त रखें।
(10) थ तथा त को नाचे की गोलाई से मिलाए। यह कमर की अगली गोलाई है।
(11) त और छ1 को मिलाए। यह किनारे की कटाई है।
(12) ज1 से घ की तरफ 2.5 सेमी लेकर उसका नाम द रखें। द तथा छ1 को मिला दें।
(13) द और छ1 की लाइन का मध्य लेकर ऊपर 1.2 सेमी लें, इसका नाम ध रखें द, ध तथा छ1 को गोलाई में मिला दें। यह टांग की पिछली गोलाई है।
(14) फिर ध बिन्दु से 1.2 सेमी ऊपर लें, इसका नाम न रखें। द, न तथा छ1 को गोलाई में मिला दें। यह टांग की अगली गोलाई है।
कटाई करना
(1) सबसे पहले त और छ1 को काटें।
(2) द, ध और छ1 की गोलाई काटें।
(3) जाधिये की अगली तरफ लें फिर थ और त को गोलाई में काटें। फिर द, न तथा छ1 की गोलाई काटें।
आवश्यक कपड़ा
जाघिये के लिए कैमरिक व पापलिन का प्रयोग करना चाहिए।
कपड़े का नाप
लम्बाई……. 56 + 1 = 57 सेमी। (1 सेमी नेफे के लिए)
चौड़ाई … 40.5 + 2 = 42.5 सेमी (2 सेमी किनारों की सीवन के लिए)
कपड़े पर निशान लगाना
आलपिनों को सहायता से खाके को कपड़े पर टिका दें। फिर किनारों की सीवन के लिए दोनों तरफ से एक सेमी अतिरिक्त कपड़े पर निशान लगाए। नेफे व टांगों की गोलाई से 5 सेमी अतिरिक्त कपड़े पर निशान लगाए। निशान लगाने के बाद निशानों पर से ही कपा काटें।
सिलाई करना
(1) दोनों तरफ से किनारों पर चपटी सिलाई (रन एण्ड फैल सीवन) करें।
(2) टांगों की गोलाई पर 1.5 सेमी चौड़ी तिरछी पट्टियाँ लगाए और उन्हें मोड़ कर तुरपाई करें या टांगों की गोलाई को एकदम बारीक मोड़ कर तुरपाई करें। इस पर हाथ से लेस लगाए ।
(3) ऊपर नेफे के लिए 2.5 सेमी चौड़ी तिरछी पट्टियां लगाए। इन्हें मोड़ कर तुरपाई करें। नेफे में एक सेमी चौड़ा व 40.5 सेमी लम्बा इलास्टिक डालें।
जांघिये को सुन्दर व आकर्षक बनाने के लिए लेस तथा पाइपिंग का टांगों की गोलाई में प्रयोग कर सकते हैं तथा पीछे की ओर 2.5 सेमी चौड़ी 3 या 4 झालरें एक-दूसरे के बाद लगा सकते हैं। झालरों के किनारे मुड़े हुए होने चाहिए।
सिलाई करने के बाद जांघिये पर इस्तरी करें। अब यह पहनने के लिए तैयार हो गया है।
कुशन या तकिए के गिलाफ़ पर कढ़ाई करना – कुंशन का प्रयोग आजकल अधिकांश घरों में किया जाता है। इससे सोफे व कुर्सियों की सुन्दरता बढ़ जाती है। इनको सोफे व कुर्सियों की पीठ की ओर रखते हैं। जिससे बैठने वाले आराम से बैठ सकें। ये कई आकार के होते हैं जैसे गोल, चौकोर व तिकोने।
कुशन के कपड़ों का रंग कमरे के पर्दे, कालीन, दीवारों व सोफे से मेल खाता हुआ होना चाहिए। एक सोफा सैट के लिए एक ही रंग के सभी कुशनों का या अलग-अलग रंगों के कुशनों का प्रयोग किया जा सकता है।
कढ़ाई का नमूना, कुशन के आकार के अनुसार होना चाहिए। उन पर बेल, बूटियां, बार्डर या खाने बना कर उनमें फूल या कुशन को पूरा भर कर कढ़ाई की जा सकती है। धागों के रंगों का मेल अच्छा होना चाहिए क्योंकि इसके द्वारा एक सादे नमूने को भी आकर्षक व अधिक सुन्दर बनाया जा सकता है।
सामग्री
1 मीटर चौड़ा तथा 1 मीटर लम्बा केसमेंट या मंटिंग का कपड़ा।
सिलाई
चौड़ाई को चार भागों में बांटें। बीच के दो भागों पर कढ़ाई के दोनों हिस्सों के किनारों पर 1 सेमी मोड़कर तुरपाई करें। फिर इन किनारों को एक-दूसरे पर रख कर अन्य दोनों किनारों को मशीन से सीं दें। तुरपाई किए गए किनारों पर 2-3 बटन लगा दें। अब उल्टी ओर से इस्त्री कर दें।
दिखाए गए नमूनों को मेज़पोश और कुशन के कोने में तथा तकिये के गिलाफ के बीच में काढ़ सकते हैं। टहनियों व पत्तियों को उल्टे बखिए द्वारा हरे व भूरे रंग के धागे से तथा फूल भरवां टाके द्वारा गुलाबी, लाल व नीले रंग के धागों से काढ़ सकते हैं।
बच्चे की बनियान बुनना (दो वर्ष के बच्चे का)
सामग्री
ऊन .. 75 ग्राम लगभग (चार प्लाई)
सलाइयाँ .. 2 सलाइयाँ 12 नम्बर तथा
2 सलाइयाँ 10 नम्बर
बनियान का अगला व पिछला हिस्सा बुनना
12 नम्बर की सलाई पर 60 फन्दे डाल कर एक फन्दा सीधा और एक फन्दा उल्टा बुनें। इसी प्रकार 20 लाइनों का बार्डर बुनें। फिर 10 नम्बर की सलाईयों से तीन फन्दे सीधे और तीन फन्दे उल्टे बुनें। इसी प्रकार 50 लाइनें या 20-21 सेमी बार्डर के ऊपर बुनें।
कंधे की कटाई के लिए पहली व दूसरी लाइन के आरम्भ में चार-चार फन्दों को घटाए। तीसरी और चौथी लाइन के आरम्भ में तीन-तीन फन्दों को घटाए तथा पांचवी व छठी लाइन के आरम्भ में दो-दो फन्दों को घटाए।
शेष बचे 42 फन्दों की 10 लाइनें बुनें। गले की गोल कटाई बनाने के लिए अगली सलाई में पहले 18 फन्दे बन कर 6 फन्दे बंद करें और अगले 18 फन्दे बुनें (पहले 18 फन्दों को पिन पर उठा लें) फिर हर सलाई में गले की गोलाई के लिए जोड़ा बुनो जब तक 9 फन्दे बच जाएं। इन बचे 9 फन्दों की 10 सलाइयाँ और बुनें और इन्हें पिन पर उठा लें।
अब पिन पर पहले उठाए हुए 18 फन्दों को सलाई पर लेकर बिल्कुल पहले की तरह बुनें। यह बनियान का एक हिस्सा बना है। इसी प्रकार बनियान का दूसरा हिस्सा बन कर, दोनों हिस्सों की ऊन से सिलाई कर लें। गले और कन्धों के किनारों पर क्रोशिए से ऊन की चेन बनाए। बनियान पर गीला कपड़ा बिछा कर इस्त्री करें।
मफलर बुनना
सामग्री
उन…….. 50 ग्राम (चार प्लाई)
सलाईयाँ …….. 2 सलाइयाँ 10 नम्बर
सलाई पर 12 फन्दे डालकर सीधी सलाईयाँ बन कर 15 सेमी लम्बी पट्टी बुनें। इन 12 फन्दों को बढ़ा कर 36 फन्दे कर लें। इन 36 फन्दों को सीधी सलाईयाँ बुनकर 30 सेमी लम्बी बना लें अब इन 36 फन्दों को घटा कर 12 फन्दे कर लें और सीधी सलाईयाँ बुनकर 15सेमी लम्बी पट्टी बना कर फंदे बंद कर दें।
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