NCERT Solutions Class 7th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 1 वातावरण की स्वच्छता Notes

NCERT Solutions Class 7th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 1 वातावरण की स्वच्छता

TextbookNCERT
Class 7th
Subjectगृह विज्ञान
Chapter1st
Chapter Nameवातावरण की स्वच्छता
CategoryClass 7th गृह विज्ञान
MediumHindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 7th गृह विज्ञान (Home science) Chapter – 1 वातावरण की स्वच्छता Notes इस अध्याय में हम स्वच्छता के कितने मुख्य प्रकार हैं?, स्वच्छता कितने प्रकार की होती है?, वातावरण के दो प्रकार क्या हैं, पर्यावरण के तीन मुख्य घटक कौन से हैं?, पर्यावरण के दो प्रकार क्या है?, व्यक्तिगत स्वच्छता क्या हैं?,स्वच्छता का महत्व क्या है?, आदि इसके बारें में हम विस्तार से पढ़ेंगे

NCERT Solutions Class 7th गृह विज्ञान (Home science) Chapter – 1 वातावरण की स्वच्छता

Chapter – 1

वातावरण की स्वच्छता

Notes

वातावरण की स्वच्छता का महत्त्वसार्वजनिक स्वास्थ्य के निर्माण में प्रत्येक व्यक्ति का योगदान आवश्यक है। हमें अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने के साथ -साथ यह भी सोचना चाहिए कि हम कोई ऐसा कार्य न करें जिससे दूसरे व्यक्ति के स्वास्थ्य को हानि पहुँचे, जैसे हम अपने शरीर और घर की स्वच्छता की ओर ध्यान दें परन्तु अपने आसपास के वातावरण की स्वच्छता को महत्त्व न दें और न ही इस ओर अपने उत्तरदायित्व को समझें जब हम सड़क पर कूड़ा -कचरा फेंकते हैं या जहाँ -तहाँ थुकते हैं तो इनमें पनपने वाले रोगाणु, मच्छर -मक्खी या हमारे पैरों अथवा जूतों द्वारा विभिन्न स्थानों पर पहुँच कर वातावरण को दूषित करते हैं।

वातावरण दूषित होने के कारण – पृथ्वी पर जीवन प्रकृति में सन्तुलन से सम्भव है, परन्तु जनसंख्या विस्फोट के कारण प्रकृति में असन्तुलन बढ़ता जा रहा है। बढ़ती हुई जनसंख्या एवं अनियोजित उद्योगीकरण के कारण हमारे चारों ओर के वातावरण वायु, जल व भूमि में प्रतिदिन लाखों टन अपशिष्ट पदार्थ मिलते हैं जो हमारे पर्यावरण को दिन प्रतिदिन दूषित कर रहे हैं।

(1) वायु का दूषण
(2) जल का दूषण
(3) भूमि का दूषण
(4) शोर द्वारा दूषण

वायु का दूषण – जीवित रहने तथा शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए शुद्ध वायु का सेवन करना अत्यन्त आवश्यक है। वायु को शुद्ध रखने के लिए यह आवश्यक है कि हम उसे दूषित न होने दें। दूषित वायु मनुष्य के लिए ही नहीं अपितु, पेड़ -पौधों और फसलों के लिए भी हानिकारक है।

जल का दूषण – हमारे लिए एक अधिकांश जनता जो गांवों व कस्बो में रहती है पेय जल के लिए नदी , तालाब और कुओ पर निर्भर करती है शहरों में भी प्रायः झुग्गी-झोपड़ी बस्तियों में स्वच्छ पेय जल की व्यवस्था नहीं है। नदियों , तालाबों , कुओ , झीलों और पोखरों में लोग कपड़े धोते हैं, बर्तन साफ करते हैं।

भूमि का दूषण – हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। बंजर, पहाड़ी व रेगिस्तानी भूमि को छोड़कर जितनी भूमि शेष बचती है वह जीवन निर्वाह के लिए कम है। इसके अतिरिक्त बढ़ती हुई जनसंख्या और आजीविका के दूसरे साधनों की कमी के कारण भूमि पर दबाव बढ़ता जा रोश है।

खेतों में अधिक पैदावार लेने के लिए रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक दवाइयों मे बढ़ते प्रयोग के कारण भूमि दूषित हो रही हैं। प्रतिदिन घरों से निकलने वाली गन्दगी जैसे रसोइघर का कूड़ा कचरा, व्यर्थ कागज धातु ,प्लास्टिक आदि को उचित ढंग से विसर्जित न करने के कारण भूमि दूषित होती है तथा ऐसे स्थानों पर मच्छर, मक्खिया, चूहे व अन्य रोगवाहक अपना घर बनाते हैं और मनुष्यों में अनेक प्रकार के रोग फैलाते हैं।

शोर द्वारा दूषण – किसी भी अवांछनीय आवाज को शोर कहते हैं। कई कारखानों, तेज वाहनों, ऊँची आवाज में बनाए गए रेडियो अथवा टेलीविजन आदि के शोर से भी वातावरण दूषित होता है। इनके अतिरिक्त आधुनिक घरेलू बिजली के यंत्र जैसे कपड़े धोने की मशीन, मिक्सी, कूलर, एयर कंडीशनर अपने शोर से मनुष्य के कानों को हानि पहुँचाते हैं।

अस्वच्छ वातावरण का स्वास्थ्य पर प्रभाव – स्वच्छ वातावरण हमारे स्वास्थ्य की कुंजी है। अस्वच्छ बातावरण के कारण अनेक रोग फैलते हैं।

(1) दूषित वायु द्वारा आंख व नाक में जलन , सिर दर्द, खांसी, जुकाम, श्वास व फेफड़ों सम्बन्धी रोग, गले व छाती में दर्द तथा फेफड़ों के कैंसर जैसे जान लेवा रोग हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त चेचक, खसरा, कनपेड़ , कुकर खांसी, तपेदिक व गलघोंटू जैसे रोगों के रोगाणु दूषित वायु के माध्यम से ही स्वस्थ मनुष्य को रोगी बनाते हैं।

(2) दूषित पेय जल से हैजा, अतिसार, पेचिश, मोतीझरा जैसे रोग होते हैं तथा गोल कृमि व हुक कुमि जैसे परजीवी स्वस्थ मनुष्य के शरीर में प्रवेश करते हैं। ठहरे हुए गन्दे पानी के गड्ढों में पनपने वाले मच्छर, मनिखयां और रोगाणु मलेरिया, पित ज्वर, वायरस ज्वर आदि रोग फैलाते हैं।

(3) दूषित भूमि में उगाए जाने वाले खाद्य पदार्थ संदूषित हो जाते हैं और यदि उन्हें भली प्रकार स्वच्छ जल में धोकर न खाया जाए, तो अनेक प्रकार के रोगाणु स्वस्थ्य मनुष्य के शरीर में प्रवेश करके रोग उत्पन्न करते हैं।

(4) शोर मनुष्य के कानों को हानि पहुंचाता है और लगातार शोर के बीच रहने से श्रवण शक्ति कम होती है। अचानक बहुत ऊँची आवाज से हमारे कान के पर्दो को हानि पहुँचती है और हम बहरे भी हो सकते हैं। शोर से हृदय की धड़कन तेज हो जाती है व मानसिक तनाव बढ़ता है।

वातावरण को स्वच्छ रखने के उपाय – केवल स्वच्छ वातावरण और स्वास्थ्य के आधार पर ही सुखी जीवन की सम्भावना साकार की जा सकती है। इसके लिए हमें एकजुट होकर कई कदम उठाने होंगे और अपने वातावरण को दूषित होने से बचाने के लिए एकजुट होकर निम्न कार्य करने चाहिए:

(1) सामाजिक चेतना
(2) वृक्षारोपण

सामाजिक चेतना – हर व्यक्ति को यह भली प्रकार समझ लेना चाहिए कि स्वास्थ्य और स्वच्छता एक ही सिकके के दो पहलू हैं। केवल जन चेतना और जन संकल्प के माध्यम से हम सब मिलकर वातावरण को स्वच्छ रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। प्रत्येक मनुष्य को स्वच्छता और स्वास्थ्य सम्बन्धी ज्ञान होना आवश्यक है।

वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए हमें दो मुख्य बातों का ध्यान रखना चाहिए-

(1) हमें गन्दगी नहीं फैलानी चाहिए।
(2) हमें गन्दगी को साफ करने में सहयोग देना चाहिए।

इसके लिए हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

(i) हमें बचपन से ही व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। स्वच्छता सम्बन्धी नियमों जैसे कूड़ा-कचरा बाहर न फेंकना, जहां-तहां नहीं थूकना, खुले में शौच न जाना, अपने घर और आसपास को साफ रखना, अपने विद्यालय और उसके आसपास को साफ रखना, को अपनी आदत बनाना चाहिए। गांवों में किसी उपयुक्त स्थान पर गहरा गड्ढा खोद कर उसमें कूड़ा-कचरा फेंका जा सकता है जिससे घर व आसपास की जगह साफ रहती है, बातावरण दूषित नहीं होता तथा कूड़े-कचरे की खाद बन जाती है। शहरों व कस्बों में कूड़ा, कूड़ेदान या कूड़ाचर में ही डालना चाहिए।

(ii) वातावरण की स्वच्छता के लिए हमें गांवों, कस्बों व शहरों में सफाई अभियान आरम्भ करके गन्दगी को साफ करना चाहिए।

(iii) वातावरण की स्वच्छता के महत्व तथा अस्वच्छ वातावरण के कुप्रभावों से लोगों को परिचित कराना चाहिए।

वृक्षारोपण – वृक्ष हमारे वातावरण की रक्षा का सबसे महत्वपूर्ण कवच है। बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता पड़ती है। जिसके लिए हम बिना सोचे समझे वन को काटते रहे हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि प्राकृतिक असन्तुलन के कारण मौसम चक्र बदल गया जिसके फलस्वरूप कहीं भयंकर सूखा पड़ता है तो कहीं बाढ़ के भीषण प्रकोप से जन-धन की हानि होती है।

वायु को शुद्ध करने में पेड़-पौधे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं सूर्य के प्रकाश में पौधों का हरा भाग जिसे पूर्ण पारित या क्लोरोफिल कहते हैं, कार्बनडाईऑक्साइड गैस और पानी की रासायनिक अभिक्रिया द्वारा मंड और ऑक्सीजन गैस का निर्माण करता है। पेड़-पौधों की इस प्रक्रिया से वायुमण्डल में कार्बनडाईऑक्साइड और ऑक्सीजन की मात्रा में सन्तुलन बना रहता है।

सुलभ शौचालय – हमारे देश के गाँवों व शहरों के कई भागों में शौचालय उपलब्ध नहीं है। इसी कारण लोगों को खाली जमीन, नालियों, गलियों, सड़क या नदी के किनारे शौच जाने की आदत है। इसी बुरी आदत के कारण हैजा, पेचिश व अतिसार जैसे संक्रामक रोग फैलते हैं जो अनेक बार जान लेवा भी होते है। भारत में प्रतिवर्ष पाँच वर्ष से कम आयु के पन्द्रह लाख बच्चे (प्रति मिनट तीन बच्चे) इन रोगों के कारण अकाल मृत्यु के शिकार होते हैं।

अतः, इस जान लेवा संक्रामक रोग से छुटकारा पाने के लिए यह अति आवश्यक है कि प्रत्येक गाँव व शहर में सभी को स्वच्छ शौचालय की सुविधा उपलब्ध हो। परन्तु आज भी स्थिति यह है कि हमारे देश की अधिकांश जनता को स्वच्छ शौचालय सुलभ नहीं हैं।

धुआं रहित चूल्हा – धुआं रहित चूल्हे का आकार अंग्रेजी के L अक्षर के समान होता है। इसमें एक ओर चिमनी लगी होती है जिसके द्वारा धुआं बाहर निकलता रहता है और दूसरी ओर लकड़ी या उपलें जलाने की व्यवस्था रहती है। इस चूल्हे के दो या अधिक भाग बनाकर एक समय में दो या अधिक खाद्य पदार्थों के पकाने का प्रबन्ध भी किया जा सकता है।

एक बार इंधन जला देने पर चूल्हे के सभी भागों में ताप आने लगता है। इस चूल्हे में आग तेज होती है। जिससे भोजन अन्य पारम्परिक चूल्हों की अपेक्षा कम समय में पक जाता है। अतः, इंधन के साथ-साथ समय की भी बचत होती है तथा घर भी गन्दा नहीं होता है।

बायो गैस – गाँवों में गन्दगी का कारण खेतों के अनोपयोगी पदार्थ, मानव मलमूत्र, पशुओं का गोबर आदि है जो ग्रामवासियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करते हैं। इस प्रकार की गन्दगी को फैलने से रोकने के लिए तथा इनके सही प्रयोग के लिए गाँवों में बायो गैस सयंत्र लगाने आवश्यक है। अपने उपलब्ध साधनों के अनुरूप एक परिवार या कुछ परिवार मिलकर सामूहिक रूप से बायो गैस सयंत्र लगा सकते हैं।

NCERT Solution Class 7th गृह विज्ञान (Home Science) All Chapters Notes
Chapter – 1 वातावरण की स्वच्छता
Chapter – 2 हमारा भोजन
Chapter – 3 वस्त्रो की स्वच्छता
Chapter – 4 सिलाई कढ़ाई एवं बुनाई
Chapter – 5 गृह परिचर्या
Chapter – 6 उपभोक्ता संरक्षण
Chapter – 7 विद्यालय में आपसी सम्बन्ध
NCERT Solution Class 7th गृह विज्ञान All Chapters Question Answer
Chapter – 1 वातावरण की स्वच्छता
Chapter – 2 हमारा भोजन
Chapter – 3 वस्त्रो की स्वच्छता
Chapter – 4 सिलाई कढ़ाई एवं बुनाई
Chapter – 5 गृह परिचर्या
Chapter – 6 उपभोक्ता संरक्षण
Chapter – 7 विद्यालय में आपसी सम्बन्ध
NCERT Solution Class 7th गृह विज्ञान (Home Science) All Chapters MCQ
Chapter – 1 वातावरण की स्वच्छता
Chapter – 2 हमारा भोजन
Chapter – 3 वस्त्रो की स्वच्छता
Chapter – 4 सिलाई कढ़ाई एवं बुनाई
Chapter – 5 गृह परिचर्या
Chapter – 6 उपभोक्ता संरक्षण
Chapter – 7 विद्यालय में आपसी सम्बन्ध

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