NCERT Solutions Class 7th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 3 वस्त्रों की स्वच्छता
Textbook | NCERT |
Class | 7th |
Subject | गृह विज्ञान |
Chapter | 3rd |
Chapter Name | वस्त्रों की स्वच्छता |
Category | Class 7th गृह विज्ञान |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 7th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 3 वस्त्रों की स्वच्छता Notes जिसमें हम वस्त्रो की स्वच्छता, हमे स्वच्छ वस्त्र क्यों पहनने चाहिए, ऊनी व सूती वस्त्रों की धुलाई, प्रतिदिन वस्त्रों को घर मे धोने, रेशमी वस्त्रों मे सिरके व गोंद, वस्त्र धोने की सामग्री, स्वच्छता, मांड अथवा कलफ, हमे स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए, वस्त्रों को स्वस्थ रखने की आवश्यकता, वस्त्रों की स्वच्छता, संश्लिष्ट तन्तु से बने वस्त्रों को धोना, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे। |
NCERT Solutions Class 7th गृह विज्ञान (Home Science) Chapter – 3 वस्त्रों की स्वच्छता
Chapter – 3
वस्त्रों की स्वच्छता
Notes
वस्त्रों को स्वस्थ रखने की आवश्यकता – वस्त्रों को स्वच्छ रखना उतना ही आवश्यक है, जितना कि उनको पहनना। स्वच्छ वस्त्र हमारे शरीर के सौन्दर्य की वृद्धि में प्रथम स्थान रखते हैं। वस्त्रों को स्वच्छ रखने के लिये यह आवश्यक है, कि वे ऐसे पानी में धुले हों जिसमें किसी भी प्रकार की बीमारियों के कीटाणु न हों।
न केवल पहनने के वस्त्र बल्कि ओढ़ने और बिछाने के वस्त्र भी बहुत स्वच्छ होने चाहिए। ओढ़ने और बिछाने के वस्त्रों को सप्ताह में एक बार धूप में अवश्य सुखाना चाहिए।
वस्त्रों की स्वच्छता – स्वास्थ्य की दृष्टि से वस्त्रों को स्वच्छ रखना अति आवश्यक है। हमारी त्वचा पर ‘छोटे-छोटे रोमकूप होते हैं जिनके द्वारा शरीर की मैल पसीने के रूप में बाहर निकलती रहती है। यदि हम स्वच्छ वस्त्र नहीं पहनते तो इन रोमकूपों के बन्द होने की सम्भावना हो सकती है।
वस्त्र धोने के आवश्यक उपकरण व सामग्री
धुलाई गृहिणी का एक मुख्य कार्य है। चाहे कितने भी धोबी आदि का प्रबन्ध क्यों न किया जाए, घर पर वस्त्र धोने ही पड़ते हैं। धुलाई के लिये आवश्यक समान निम्नलिखित मुख्य भागों में विभाजित किया जाता है।
वस्त्र धोने की सामग्री –
(1) साबुन-देसी साबुन, डिटर्जेंट पाउडर, डिटर्जेंट टिकिया, कपड़े धोने का पाउडर, रीठे का घोल आदि।
(2) गोंद का घोल
(3) सिरका
(4) मैदा या स्टार्च
(5) नील
(6) धब्बे उतारने के लिए दवाइयाँ
(7) पानी
नील, माँड व गोंद का घोल बनाना व इनका उपयोग
(1) नील – सफेद सूती वस्त्रों को धोने के बाद उनमें थोड़ा-सा पीला-पन आ जाता है। इस पीलेपन को दूर करने के लिये नील का प्रयोग किया जाता है। अतः नील लगाने के दो मुख्य कारण हैं-
(i) कपड़ों – कपड़ों में नील लगाने से उसमें सफेदी आ जाती है। तथा साबुन से कपड़ों में जो पीलापन आ जाता है, वह नील के प्रयोग से दूर हो जाता है।
(ii) वस्त्रों – वस्त्रों में फिर से नवीनता आ जाती है।
(2) मांड अथवा कलफ – कलफ सूती सफेद अथवा रंगीन वस्त्रों को लगाई जाती है। इसके लगाने के निम्नलिखित लाभ हैं-
(i) माँड लगाने से कपड़े में चमक एवं नवीनता आ जाती है
(ii) कपड़े साफ और सुन्दर दिखाई देने लगते हैं।
(iii) माँड लगाने से कपड़े में कड़ापन आ जाता है और कपड़ों का आकार ठीक रहता है जैसे कफ, कालर आदि।
(iv) कलफ लगाने से कपड़ा जल्दी मैला नहीं होता क्योंकि यह वस्त्रों में धूल व गन्दगी नहीं लगने देती हैं।
(v) मॉड वाले कपड़ों को धोने में आसानी होती है क्योंकि मैल कपड़ों को लगने के अतिरिक्त माँड के साथ चिपकती है और जब कपड़े को धोया जाता है तो माँड पानी में घुलनशील होने के कारण वस्त्र से उतर जाती है।
माँड बनाने की विधि – माँड बनाने के लिये साधारणतया चावल, मैदा, अरारोट, साबूदाना या बाज़ार में तैयार की हुई स्टार्च का प्रयोग किया जाता है।
(3) गोंद बनाने की विधि – गोंद को पीस कर किसी पतीले में डाल दें और उसमें पानी मिला दें। फिर इसे आग पर रख कर तब तक चलाते रहें जब तक सारी गोंद पानी में अच्छी प्रकार घुल न जाये, बाद में किसी मलमल के कपड़े में से छानकर साफ बोतल में रख दें और आवश्यकतानुसार प्रयोग करे सकते है।
विभिन्न प्रकार के वस्त्रों को धोने के साधारण नियम – हम वस्त्रों से मैल दूर करने के लिए उन्हें धोते हैं किन्तु वस्त्रों को धोते समय हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए
(i) हम उन्हें खराब होने से बचाएं। इसके लिये यह अत्यन्त आवश्यक है कि वस्त्रों को ऐसी विधि से धोएँ कि वे फटे नहीं व उनका रंग खराब न हो।
(ii) कुछ वस्त्र दैनिक प्रयोग के लिए होते हैं। इसमें प्रायः सूती वस्त्र आते हैं।
(iii) ये वस्त्र किसी भी प्रकार के साबुन से अथवा रगड़ कर भी धोऐ जा सकते हैं।
(iv) इसके विपरीत रेशमी व ऊनी वस्त्रों को विशेष साबुन और हाथों के हल्के दबाव से धोना चाहिए तथा रगड़ कर धोन नहीं चाहिए।
धुलाई तथा परिसज्जा – वस्त्रो की बुनाई के बाद जो भी प्रक्रिया करते है जो वस्त्र को एक रूप, रंग और उपयोगी बनता है इसे ही परिसज्जा कहते है।
उदहारण के लिए- सूती के वस्त्र पर बनाई होने पर उस पर परिसज्जा करते है जिससे वह अधिक चमकीला और उपयोगी व मजबूत हो जाता है जिससे इसे धोते समय इसमें कोई सुकड़न न आये।
संश्लिष्ट तन्तु से बने वस्त्रों को धोना – इन वस्त्रों को धोना सरल है क्योंकि इनमें मैल ऊपरी सतर पर रहती है। इनको धोने के लिए साबुन या डिटर्जेन्ट का प्रयोग कर सकते हैं। सारा सामान एकत्र करने के बाद चिलमची में पानी लेकर साबुन या डिटर्जेन्ट का घोल तैयार करके वस्त्रों को उसमें डाल दें।
हाथों के हल्के दबाव द्वारा अच्छी तरह साफ करके, पानी में तब तक धोना चाहिए जब तक सारा साबुन न निकल जाए। इन्हें छाया में सुखाना तथा बहुत कम गर्म इस्तरी करनी चाहिए।
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