NCERT Solution Class 6th Hindi Grammar अव्यय या अविकारी शब्द
Textbook | NCERT |
Class | 6th |
Subject | Hindi |
Chapter | हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar) |
Grammar Name | अव्यय या अविकारी शब्द |
Category | Class 6th हिन्दी व्याकरण |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 6th Hindi Grammar (व्याकरण) अव्यय या अविकारी शब्द जिसमें हम हिन्दी व्याकरण में क्या क्या आता है, हिंदी में व्याकरण के कितने भेद होते हैं, हिंदी व्याकरण का जनक कौन है, व्याकरण के कितने अंग होते हैं, व्याकरण का सही अर्थ क्या है, व्याकरण की भाषा क्या है, भारत के प्रथम व्याकरण कौन थे, हिंदी भाषा की शुरुआत कब हुई, हिंदी व्याकरण के लेखक कौन है, व्याकरण के 4 प्रकार कौन से हैं, व्याकरण के 4 स्तर क्या हैं, व्याकरण में कितने काल होते हैं, व्याकरण की खोज किसने की थी, सबसे पुराना व्याकरण कौन सा है, भारत में हिंदी भाषा का निर्माण किसने किया, हिंदी भाषा का जन्म कहाँ हुआ, हिंदी भाषा का पुराना नाम क्या है, हिंदी शब्द किसका दिया हुआ है, हिंदी भाषा में कुल कितने शब्द हैं, हिन्दी भाषा के तीन अर्थ कौन से है, हिंदी भाषा की जननी कौन सी है, आदि इसके बारे में हम विस्तार से पढ़ेंगे। |
NCERT Solution Class 6th Hindi Grammar अव्यय या अविकारी शब्द
हिन्दी व्याकरण
अव्यय या अविकारी शब्द
अविकारी जिससे विकार (परिवर्तन) न हो। – अविकारी शब्द वे होते हैं जिनमें लिंग, वचन, कारक आदि के कारण परिवर्तन नहीं होता। इसी कारण इन शब्दों को ‘अव्यय’ भी कहा जाता है। अव्यय का शाब्दिक अर्थ है-जिसका कुछ भी व्यय न हो। यानी ऐसे शब्द जिनका वाक्य में प्रयोग होने पर रूप न बदले। अव्यय वे शब्द हैं जिसके वाक्य में प्रयोग होने पर लिंग, वचन, पुरुष, काले, वाच्य आदि के कारण इनमें कोई परिवर्तन नहीं होता है।
अव्यय के भेद – अव्यय चार प्रकार के होते हैं।
(क) क्रियाविशेषण
(ख) संबंधबोधक
(ग) समुच्चयबोधक
(घ) विस्मयादिबोधक
(क) क्रियाविशेषण – जो शब्द क्रिया की विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें क्रियाविशेषण कहते हैं;
जैसे-
अक्षत धीरे-धीरे चल रहा है।
उसने कम खाया।
(ख) संबंधबोधक – का अव्यय शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से जाना जाता है, वे संबंधबोधक कहलाते हैं;
जैसे-
मेरे घर के सामने एक उद्यान है।
घर के बाहर बच्चे खेल रहे हैं।
पेड़ के ऊपर चिड़िया का घोंसला है।
कुछ अन्य संबंधबोधक शब्द – के बाहर, के मारे, के भीतर, की ओर, के सामने, के पीछे, की तरह, के आगे, के विपरीत, की तरफ आदि।
(ग) समुच्चयबोधक – दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ने वाले शब्द समुच्चयबोधक अथवा योजक कहलाते हैं।
जैसे-
पिता जी और आयुष बातें कर रहे हैं।
तुम अखबार पढ़ोगे या पत्रिका?
यहाँ दिए गए वाक्यों में धीरे-धीरे शब्द अक्षत के चलने का ढंग (रीति) बता रहा है, तो कम शब्द कार्य की मात्रा (परिमाण) बता रहा है। अतः ये शब्द क्रिया की विशेषता बता रहे हैं। अतः ये क्रियाविशेषण के उदाहरण हैं।
क्रियाविशेषण के निम्नलिखित चार भेद होते हैं।
1. कालवाचक क्रियाविशेषण
2. स्थानवाचक क्रियाविशेषण
3. परिमाण वाचक क्रियाविशेषण
4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण
1. कालवाचक क्रियाविशेषण – जो शब्द क्रिया के होने के काल (समय) का बोध कराते हैं, वे कालवाचक क्रियाविशेषण कहलाते हैं। जैसे-कल, परसों, आज, सदा, जब तक, हमेशा।
2. स्थानवाचक क्रियाविशेषण – जो शब्द क्रिया के होने के स्थान संबंधी विशेषता का बोध कराते हैं, वे स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहलाते हैं। जैसे-दाएँ, बाएँ, इधर, उधर, नीचे, ऊपर, पास, दूर आदि।
स्थानवाचक क्रियाविशेषण जानने के लिए क्रिया के साथ कहाँ लगाकर प्रश्न किया जाता है।
3. परिमाणवाचक क्रिया विशेषण – जिन शब्दों से क्रिया के परिमाण (मात्रा) का बोध हो, उन्हें परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं।
जैसे उतना खाओ जितना पचा सको।
आज काफ़ी वर्षा हुई।
4. रीतिवाचक क्रिया विशेषण – का पद क्रिया के होने की रीति या विधि का बोध कराता है, या विशेषता बताता है उसे रीतिवाचक क्रिया विशेषण कहते हैं;
जैसे-
कार तेज दौड़ती है।
बैलगाड़ी धीरे-धीरे चलती है।
कुछ अन्य संबंधबोधक शब्द – के बाहर, के मारे, के भीतर, की ओर, के सामने, के पीछे, के समान, की तरह, के अंदर, के आगे, की ओर, के विपरीत आदि।
समुच्चयबोधक के भेद – इसके निम्नलिखित दो उपभेद होते हैं।
समानाधिकरण समुच्चयबोधक
व्यधिकरण समुच्चयबोधक
(i) समानाधिकरण समुच्चयबोधक – दो या दो से अधिक समान पदों, उपवाक्यों या वाक्यों को आपस में जोड़ने वाले शब्दों को समानाधिकरण समुच्यबोधक कहते हैं; जैसे या, न, बल्कि, इसलिए और तथा आदि। जैसे- ओजस्व व अंशु भाई बहन हैं।
(ii) व्यधिकरण समुच्चयबोधक – एक से अधिक उपवाक्यों को मुख्य उपवाक्यों से जोड़ने वाले अव्यय को व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं।
जैसे-
वह अनुत्तीर्ण हो गया, क्योंकि उसने परिश्रम नहीं किया था।
पैसे खत्म हो गए इसलिए मैं घर चला आया।
उपर्युक्त वाक्यों में एक ‘प्रधान उपवाक्य’ है तथा दूसरा आश्रित उपवाक्य जिन्हें ‘क्योंकि’ ‘इसलिए’ से जोड़ा गया है।
(घ) विस्मयादिबोधक – जो शब्द विस्मय, हर्ष, शोक, प्रशंसा, भय, क्रोध, दुख आदि मन के भावों को प्रकट करते हैं, वे विस्मयादिबोधक कहलाते हैं;
जैसे-
छिह कितनी गंदगी है।
अरे! तुम भी आ गए।
वाह! क्या छक्का मारा है।
कुछ अन्य विस्मयादिबोधक शब्द – बाप रे, हाय, अजी, उफ, हे राम, आह, शाबाश, काश, हे भगवान, सावधान, खबरदार आदि।
NCERT Solution Class 6th Hindi Grammar Vyakaran |
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