NCERT Solution Class 6th Hindi Grammar (व्याकरण) शब्द – विचार
Textbook | NCERT |
Class | 6th |
Subject | हिन्दी व्याकरण (Hindi Grammar) |
Grammar Name | शब्द – विचार |
Category | Class 6th हिन्दी व्याकरण |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solution Class 6th Hindi Grammar (व्याकरण) शब्द – विचार जिस में हम शब्द – विचार, शब्द, विचार, अर्थ, शब्दों का वर्गीकरण, अर्थ के आधार, अविकारी शब्द, संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, समुच्चय बोधक, शब्दों का वर्गीकरण चार प्रकार से किया जाता है, अर्थ के आधार पर शब्द के दो भेद होते हैं, आदि इसके बारे में हम बिस्तार से पढ़ेगे। |
NCERT Solution Class 6th Hindi Grammar (व्याकरण) शब्द – विचार
हिन्दी व्याकरण
शब्द – विचार
शब्द – मनुष्य को अपने मन के भाव (विचार) प्रकट करने के लिए भाषा की आवश्यकता होती है। भाषा वाक्यों से मिलकर बनी होती है और वाक्य शब्दों मिलकर बनी होती है। शब्द वर्गों के सार्थक मेल से बनते हैं। इस प्रकार वर्गों के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं जैसे की पुस्तक, कमल, रतन।
शब्दों का वर्गीकरण चार प्रकार से किया गया है –
1. अर्थ के आधार पर
2. विकार के आधार पर
3. उत्पत्ति के आधार पर
4. बनावट के आधार पर
1. अर्थ के आधार पर शब्द के दो भेद होते हैं –
(i) सार्थक शब्द
(ii) निरर्थक शब्द
(i) सार्थक शब्द – जिन शब्दों का कोई-न-कोई अर्थ निकलता हो अर्थात वे शब्द का उपयोग कही होता हो उन्हें सार्थक शब्द कहते हैं। जैसे की घर, कमल, नेहा, आयुष इत्यादि।
(ii) निरर्थक शब्द – जिन शब्दों का कोई अर्थ नहीं निकलता है अर्थात जिनका उपयोग कहीं ना होता हो उसे निरर्थक शब्द कहते हैं जैसे की अकम, हमल, लमक, इत्यादि।
2. विकार (प्रयोग) के आधार पर शब्दों को दो वर्गों में बाँटते हैं –
(i) विकारी शब्द
(ii) अविकारी शब्द
विकारी शब्द – विकार या परिवर्तन शब्द जिसमें लिंग, वचन, कारक आदि के कारण विकार (परिवर्तन) आ जाता है। उन्हें विकारी शब्द कहते हैं।
विकारी शब्द के चार भेद होते हैं –
(i) संज्ञा
(ii) सर्वनाम
(iii) विशेषण
(iv) क्रिया
अविकारी शब्द – अ + विकारी यानी जिसमें परिवर्तन न हो, ऐसे शब्द जिनमें लिंग, वचन, कारक आदि के कारण कोई परिवर्तन नहीं होता है, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं।
अविकारी शब्द चार प्रकार के होते हैं –
(i) क्रियाविशेषण
(ii) संबंध बोधक
(iii) समुच्चय बोधक
(iv) विस्मयादि बोधक
3. उत्पत्ति के आधार पर शब्दों को चार भागों में बाँट गया हैं –
(i) तत्सम शब्द
(ii) तद्भव शब्द
(iii) देशज शब्द
(iv) विदेशी शब्द
(i) तत्सम शब्द – तत्सम शब्द ‘तत् + सम्’ शब्द से मिलकर बना है। तत् का अर्थ है उसके तथा सम का अर्थ है समान यानी उसके समान। संस्कृत के वे शब्द जो हिंदी में बिना किसी परिवर्तन के प्रयोग में लाए जाते हैं, वे तत्सम शब्द कहलाते हैं। जैसे की दुग्ध, रात्रि, जल, कवि, गुरु, फल आदि।
(ii) तद्भव शब्द – यह शब्द ‘तद + भव’ शब्द से बना है। इसका अर्थ है- उससे पैदा हुआ। ये शब्द संस्कृत शब्दों के रूप में कुछ बदलाव के साथ हिंदी भाषा में प्रयोग होते हैं। जैसे-दही, दधि, साँप (सर्प), गाँव (ग्राम), सच (सत्य), काम (कार्य), पहला (प्रथम) आदि।
(iii) देशज शब्द – ‘देशज’ अर्थात देश में उत्पन्न। ये शब्द भारत के विभिन्न क्षेत्रों से तथा आम बोलचाल की भाषा से लिया गया हैं। जैसे की खिचड़ी, जूता, पैसा, डिबिया, पगड़ी आदि।
(iv) विदेशी शब्द – दूसरे देशों की भाषाओं से हिंदी में आए शब्द ‘विदेशी’ शब्द कहलाते हैं। जैसे की रेडियो, लालटेन, स्टेशन, स्कूल, पादरी, जमीन, बंदूक, सब्जी, इनाम, खते, कलम, आदमी, वकील, सौगात, रूमाल, तौलिया, कमरा आदि।
4. बनावट के आधार पर शब्द-भेद तीन प्रकार के होते हैं –
(i) रूढ़ शब्द
(ii) यौगिक शब्द
(iii) योगरूढ़ शब्द
(i) रूढ़ शब्द – वे शब्द जो परंपरा से किसी व्यक्ति, स्थान वस्तु या प्राणी आदि के लिए प्रयोग होते चले आ रहे हैं, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं। इन शब्दों का खंड करने पर इनका कोई अर्थ नहीं निकलता यानी खंड करने पर ये शब्द अर्थहीन हो जाते हैं; जैसे-घोड़ा, पुस्तक, मेज़, पर इत्यादि।
(ii) यौगिक शब्द – के शब्द दो शब्दों के योग से बनते हैं। ‘योग’ का अर्थ होता है जोड़। अतः दो शब्दों के जोड़ से बने ऐसे शब्द, जो सार्थक होते हैं-यौगिक शब्द कहलाते हैं। इनके टुकड़े किए जा सकते हैं; जैसे-पुस्तकालय, शिवालय, महेश आदि।
(iii) योगरूढ़ शब्द – जो शब्द दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से बने हों और उनके विशेष अर्थ निकलें वे योगरूढ़ शब्द कहलाते हैं; जैसे – (क) पंकज = पंक (कीचड़) जन्मा अर्थात ‘कमल’ जिसका जन्म कीचड़ से हुआ है। अतः ये योगरूढ़ शब्द हैं। नीला + कंठ = नीलकंठ (नीले कंठवाला अर्थात शिव)
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