NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 15 संवैधानिक मूल्य तथा भारत की राजनीतिक व्यवस्था (Constitutional Values and Political System of India) Question Answer in Hindi

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter –15   संवैधानिक मूल्य तथा भारत की राजनितिक राजनीतिक व्यवस्था (Constitutional Values and Political System of India)

TextbookNIOS
class10th
SubjectSocial Science
Chapter17th
Chapter Nameसंवैधानिक मूल्य तथा भारत की राजनितिक राजनीतिक व्यवस्था (Constitutional Values and Political System of India)
CategoryClass 10th NIOS Social Science (213)
MediumHindi
SourceLast Doubt

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 15 संवैधानिक मूल्य तथा भारत की राजनितिक व्यवस्था (Constitutional Values and Political System of India) Notes in Hindi जिसमे हम भारत के संविधान में मूल्य कितने भाग हैं?, संविधान और संवैधानिक व्यवस्था में क्या अंतर है?, संवैधानिक मूल्यों के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य क्या हैं?, संवैधानिक मूल्यों का वर्गीकरण कितने वर्गों में किया गया है?, संवैधानिक विकास क्या होता है?, संवैधानिक विकास की क्या प्रकृति है?, भारत में संवैधानिक विकास कैसे हुआ?, भारत के संविधान का पिता कौन है?, संविधान कितने प्रकार के होते हैं?, विश्व का सबसे बड़ा संविधान किसका है?, भारत का मूल संविधान किसने लिखा था?, संविधान के प्रमुख तीन कार्य कौन कौन से हैं?, भारत का संविधान के नाम क्या है?, भारत का संविधान कौन से देश से लिया गया है?, भारत के संविधान का निर्माण कब हुआ?, संविधान कितने शब्दों से मिलकर बना है? आदि के बारे में पढ़ेंगे

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 15  संवैधानिक मूल्य तथा भारत की राजनीतिक व्यवस्था (Constitutional Values and Political System of India)

Chapter – 15 

संवैधानिक मूल्य तथा भारत की राजनीतिक व्यवस्था

प्रश्न – उत्तर

पाठांत प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए-
(i) प्रस्तावना को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- संविधान की प्रस्तावना का अर्थ है-संविधान का परिचय। यह इसलिए आवश्यक है, क्योंकि इससे सरकार का मार्गदर्शन होता है। संविधान की प्रस्तावना में हमें संविधान के उद्देश्यों का पता चलता है। यद्यपि यह कोई कानूनी दस्तावेज नहीं तथापि इसका स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है।

(ii) संविधान का क्या अर्थ है ?
उत्तर- संविधान वास्तव में एक लिखित दस्तावेज है जिसमें मूल सिद्धांतों, आधारभूत नियमों और परंपराओं पर बल दिया गया है।

(iii) भारतीय संविधान को किसने बनाया ?
उत्तर- भारतीय संविधान को बनाने में कई नेताओं ने अपना योगदान दिया, किंतु श्रेय मूलरूप से डॉ० भीमराव अम्बेडकर को जाता है।

(iv) सार्वभौम वयस्क मताधिकार का अर्थ क्या है ?
उत्तर- सार्वभौम वयस्क माताधिकार से आशय है- देश का प्रत्येक नागरिक जिसकी आयु 18 वर्ष पूरी हो चुकी है, देश के मतदान में अपने मतदान के अधिकार का उपयोग कर सकता है। इसमें उसके साथ धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, वंश तथा जन्म स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए-
(i) संविधान के महत्त्व की विवेचना कीजिए।
उत्तर- संविधान का अत्यधिक महत्त्व है, क्योंकि इसमें सरकार तथा नागरिकों के बीच संबंधों की व्याख्या की है। वास्तव में संविधान में ऐसे कानून होते हैं, जिनके अनुसार किसी लोकतांत्रिक देश की सरकार का निर्माण होता है तथा उसका कार्य चलता है।

(ii) प्रस्तावना में कौन-कौन से प्रमुख सांविधानिक मूल्य सम्मिलित हैं ?
उत्तर- प्रस्तावना में ऐसे मूलभूत मूल्यों तथा दर्शन को सम्मिलित किया गया है जिन पर पूरा संविधान आधारित है – संप्रभुता, समाजवाद, पंथ-निरपेक्षता, लोकतंत्र, गणतांत्रिक प्रकृति, न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व, मानवीय गौरव तथा राष्ट्र की एकता एवं अखण्ड ।

(iii) भारतीय संविधान की कौन-कौन सी विशेषताएँ हैं ?
उत्तर- भारतीय संविधान की एक नहीं अनेक उल्लेखनीय विशेषताएँ हैं। जैसे भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा संविधान है। इसमें 395 अनुच्छेद तथा अनुसूचियाँ हैं। भारतीय संविधान लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित है। राज्य की सर्वोच्च सत्ता जनता के हाथों में रखी गई है। भारतीय संविधान में मूलाधिकारों का समावेश किया गया है।

(iv) भारतीय संविधान की किन्हीं तीन संघीय विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- भारतीय संविधान की तीन संघीय विशेषताएँ अग्रलिखितहैं-

1. शक्तियों का पृथक्करण- भारत में संविधान द्वारा दो स्तरों, यथा-केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन किया गया है। संविधान में तीन सूचियों-संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची के माध्यम से शक्तियों का विभाजन किया गया है। दोनों सरकारें अपने-अपने क्षेत्रों में काम करने के
लिए स्वतंत्र हैं। यदि शक्ति विभाजन के संबंध में कोई विवाद हो तो इस समस्या का समाधान न्यायपालिका द्वारा अथवा सांविधानिक प्रावधानों के आधार पर किया जाएगा।
2. लिखित संविधान – भारतीय संविधान एक लिखित संविधान है, यह सर्वोच्च है। इसमें कोई फेरबदल नहीं किया जा सकता।
3. स्वतंत्र न्यायपालिका- संघीय व्यवस्था की एक अन्य विशेषता स्वतंत्र न्यायपालिका है। इसे इसलिए स्वतंत्र रखा गया। है, ताकि वह संविधान की व्याख्या कर सके तथा उसकी पवित्रता को बरकरार रख सके।

(v) भारतीय संविधान अनमनीय तथा नमनीय है। कैसे ?
उत्तर- भारत का संविधान न तो ब्रिटिश संविधान की तरह नमनशील है और न ही अमेरिका संविधान की तरह अनमनशील। इसमें निरंतरता के साथ परिवर्तन होते रहते हैं। भारतीय संविधान में तीन तरीके से संशोधन किया जा सकता है। कुछ प्रावधानों में संसद के साधारण बहुमत के समर्थन से संशोधन किया जा
सकता है। लेकिन कुछ अन्य प्रावधानों में संशोधन के लिए विशेष बहुमत तथा तीसरी श्रेणी के प्रावधानों के संबंध में संसद के विशेष बहुमत के साथ-साथ कम से कम आधे राज्यों की स्वीकृति की भी आवश्यकता पड़ती है।

(vi) भारत को ऐसा राज्य क्यों कहा जाता है जिसका स्वरूप संघीय है, लेकिन आत्मा एकात्मक है ?
उत्तर- ऐसा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि भारत में केंद्र सरकार बहुत मजबूत है। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय की अवस्था तथा सामाजिक- राजनीतिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए ऐसा जानबूझकर किया गया था। भारत लगभग एक महाद्वीप जैसा विशाल देश है। इसकी विविधताएँ एवं सामाजिक बहुलवाद भी अनोखा है। संविधान निर्माताओं को इसलिए यह विश्वास था कि भारत में एक ऐसी संघीय व्यवस्था होनी चाहिए जो इन विविधताओं और बहुलवाद को समायोजित कर सके। जब भारत स्वतंत्र हुआ तो इसके समक्ष देश की एकता एवं अखण्डता सुरक्षित रखने तथा सामाजिक-आर्थिक एवं राजनीतिक परिवर्तन लाने जैसी गंभीर चुनौतियाँ थीं। इसलिए केंद्र सरकार को अधिक शक्तिशाली बनाया गया तथा न्यायपालिका को पृथक् रखा गया।

(vii) भारत की संसदीय शासन प्रणाली की प्रकृति का परीक्षण कीजिए।
उत्तर- भारतीय राजनीतिक पद्धति की एक अन्य विशेषता इसकी संसदीय शासन प्रणाली है। शासन प्रणालियों के दो रूप होते हैं-अध्यक्षीय तथा संसदीय । अध्यक्षीय शासन प्रणाली में सरकार के तीनों अंग एक-दूसरे से स्वतंत्र होते हैं। वहाँ कार्यपालिका तथा विधायिका के बीच घनिष्ठ संबंध नहीं होते। भारत में केंद्र तथा राज्य दोनों स्तरों पर शासन प्रणाली का रूप संसदीय है। राष्ट्रपति राज्याध्यक्ष तथा नाममात्र की कार्यकारिणी है। प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद् के अध्यक्ष के रूप में वास्तविकता कार्यकारिणी का प्रधान है। कार्यकारिणी तथा विधायिका के बीच घनिष्ठ संबंध है तथा मंत्रि-परिषद् सामूहिक रूप से संसद के प्रति उत्तरदायी है।

(viii) क्या आपने अपने क्षेत्र में मनाए जाने वाले गणतंत्र दिवस में सहयोगी या दर्शक के रूप में भाग लिया है ? यदि हाँ, तो उस समारोह की विशिष्टताओं की चर्चा कीजिए।
उत्तर- जी हाँ, मैंने गणतंत्र समारोह में भाग लिया है। राजपथ पर रायसीना हिल से इंडिया गेट का जो दृश्य मैंने देखा, वह बड़ा ही मनोहर और दिलकश था। सबसे पहले तो राष्ट्रपति के स्वागत समारोह के पश्चात् तीनों सेना ने अपनी परेड की। उसके बाद स्कूली बच्चों ने लोक कला पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किया। अलग-अलग राज्यों की झाकियाँ देखने को मिली। सभी झाकियों में भारतीय संस्कृति की स्पष्ट झलक दिखाई पड़ रही थी। अंत में लड़ाकू विमानों की आसमानी कलाबाजी बहुत आश्चर्य जनक था।

(ix) नीचे सउदी अरब के एक नागरिक तथा भारतीय नागरिक के बीच अभिलिखित बातचीत को प्रस्तुत किया गया है। सउदी अरब के नागरिक द्वारा कही बातों को नीचे लिखा गया है। किंतु भारतीय नागरिक द्वारा दिए गए उत्तर को अभिलिखित नहीं किया जा सकता था। इसलिए वे स्थान खाली हैं। इस पाठ से प्राप्त एवं आपके आपने ज्ञान के आधार पर इस बातचीत को पूरा कीजिए तथा समुचित उत्तर दीजिए।
उत्तर- भारतीय द्वारा व्यक्त किए गए विचार-
(क) भारत में लोकतंत्रीय शासन प्रणाली है। सरकार बनाने का संपूर्ण अधिकार जनता के हाथों निहित हैं। यहाँ संसदीय प्रणाली है और राजनीतिक दल लोगों के प्रतिनिधि के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं।
(ख) भारत में लोगों का संघ बनाने तथा राजनीतिक दल बनाने की स्वतंत्रता है। प्रत्येक भारतीय नागरिक को मत देने का चुनाव लड़ने का अधिकार प्राप्त है। यहाँ मीडिया अपने विचार व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र है।
(ग) किंतु भारत एक धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र है। यहाँ सभी धर्मों के लोगों अपने-अपने धर्म में आस्था व्यक्त करने की स्वतंत्रता है।
(घ) भारतीय संविधान भी सभी धर्मों को अपने-अपने धर्म में आस्था व्यक्त करने, आचरण करने तथा प्रचार करने की गारंटी प्रदान करता है।
(ङ) हमारे संविधान में लैंगिक समानता का प्रावधान है। लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया गया है। अब तो भारतीय महिलाओं को पंचायती राज में आरक्षण देने की व्यवस्था की गई है और संसद में देने की बात चल रही है।

अती लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. संविधान सभा के गठन पर चर्चा कीजिए।
उत्तर- प्रांतीय चुनाव के आधार पर 1946 ई० में संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव शुरू हुआ। इसमें रियासतों के प्रतिनिधि के अलावा ब्रिटिश भारतीय राज्यों द्वारा भेजे गए प्रतिनिधि भी शामिल थे। मुस्लिम लीग ने शुरूआत में हुई बैठकों का बहिष्कार किया। सभा में 82 प्रतिशत प्रतिनिधि कांग्रेस के होते थे।
प्रश्न 2. संविधान लिखे जाने के क्रम में संविधान लेखकों ने किन महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान दिया था?
उत्तर- संविधान लिखे जाने के क्रम में संविधान लेखकों ने देश की भावी शासन के स्वरूप पर खास ध्यान दिया। इसके अतिरिक्त उन्होंने ऐसी शासन व्यवस्था पर जोर दिया जिसमें अस्पृश्यता या साधनों से वंचित लोगों की भागीदारी बढ़ाई जा सके।
प्रश्न 3. उद्देश्य प्रस्ताव किसने प्रस्तुत किया ?
उत्तर- उद्देश्य प्रस्ताव जिसे पं० जवाहरलाल नेहरू ने तैयार किया था। 13 दिसंबर, 1946 ई० को संविधान सभा के सम्मुख लाया गया। यह ऐसा प्रस्ताव था जिसके अनुसार, संविधान के कार्यों को आगे बढ़ना था। इसके अंतर्गत भारत वर्ष को एक स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र घोषित किया। लाया गया। यह ऐसा प्रस्ताव था जिसके अनुसार, संविधान के कार्यों को आगे बढ़ना था। इसके अंतर्गत भारत वर्ष को एक स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र घोषित किया।
प्रश्न 4. भारतीय संविधान किस सिद्धांत पर आधारित है ?
उत्तर- भारतीय संविधान ‘अनेकता में एकता’ के सिद्धांत पर आधारित है। हैं।
प्रश्न 5. दो देशों के नाम बताइए जहाँ लिखित संविधान है ?
उत्तर- भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान लिखित संविधान है।

प्रश्न 6. भारतीय संविधान की प्रस्तावना में उल्लेखित दो संवैधानिक मूल्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- भारतीय संविधान की प्रस्तावना में अनेक मूल्यों को सम्मिलित किया गया है। निम्नलिखित में दो मूल्यों की व्याख्या की जा रही है-
(i) लोकतंत्र – प्रस्तावना लोकतंत्र को एक मूल्य के रूप में दर्शाती है। लोकतंत्र में शासन की संपूर्ण शक्ति जनता के हाथों निहित होती। चुनाव के माध्यम से जनता अपना प्रतिनिधि चुनकर संसद में भेजती है, जहाँ बहुमत के आधार पर इन प्रतिनिधियों के माध्यम से सरकार बनाती है।

(ii) बंधुता – प्रस्तावना में भारत के लोगों के बीच भाईचारा स्थापित करने के उद्देश्य से बंधुता के मूल्य को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त किया गया है। इसके अभाव में भारत का बहुलवादी समाज विभाजित रहेगा। अतः न्याय, स्वतंत्रता और समानता जैसे आदेशों को अर्थपूर्ण बनाने के लिए प्रस्तावना में बंधुता को बहुत महत्त्व दिया गया है।

(ii) बंधुता- प्रस्तावना में भारत के लोगों के बीच भाईचारा स्थापित करने के उद्देश्य से बंधुता के मूल्य को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त किया गया है। इसके अभाव में भारत का बहुलवादी समाज विभाजित रहेगा। अतः न्याय, स्वतंत्रता और समानता जैसे आदेशों को अर्थपूर्ण बनाने के लिए प्रस्तावना में बंधुता को बहुत महत्त्व दिया गया है।

प्रश्न 7. संविधान की प्रस्तावना में स्वतंत्रता के विषय में क्या वर्णन किया गया है ?
उत्तर- प्रस्तावना में वर्णन है कि नागरिकों को विचार अभिव्यक्ति, आस्था और विश्वास की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
प्रश्न 8. संविधान में समान अवस्था से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर- समान अवस्था का अर्थ है-राज्य को जाति, संप्रदाय, जन्म, वर्ग, धर्म और लिंग के आधार पर बिना भेदभाव के प्रत्येक नागरिक को समान रूप से सुरक्षा और उपचार की व्यवस्था होना।
प्रश्न 9. लोकतंत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ हुआ-जनता की सरकार । लोक का अर्थ जनता से है और तंत्र का आशय सरकार से। इस प्रकार शब्द की व्युत्पत्ति के अनुसार जनता की सरकार को लोकतंत्र कहते हैं।
प्रश्न 10, पंथ निरपेक्ष को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- राज्य के समक्ष सभी धर्म और पंथ समान हों तथा नागरिकों में धर्म पंथ एवं संप्रदाय के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव न हो। संविधान किसी भी व्यक्ति को अपने पसंद से किसी पंथ या धर्म पर आस्था रखने तथा उपासना करने का अधिकार प्रदान करता है।
प्रश्न 11, समाजवाद किस प्रकार की व्यवस्था है ?
उत्तर- समाजवाद एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें प्रत्येक नागरिक के व्यक्तिगत विकास के लिए समान अवसरों का प्रावधान किया जाता है। समाज की उन्नति उसका उद्देश्य है।
प्रश्न 12, धार्मिक स्वतंत्रता से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर- भारत का संविधान किसी व्यक्ति अथवा समूह के विरुद्ध धर्म, जाति तथा संप्रदाय के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता। प्रत्येक नागरिक के लिए धार्मिक स्वतंत्रता निश्चित करता है।
प्रश्न 13, संसदीय शासन प्रणाली की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं ?
उत्तर- संसदीय शासन प्रणाली की मुख्य विशेषताएँ हैं-
(i) विधायिका तथा कार्यकारिणी के मध्य घनिष्ठ संबंध।
(ii) कार्यपालिका विधायिका के प्रति उत्तरदायित्व ।
(iii) कार्यकारिणी में एक राज्याध्यक्ष है जो नाममात्र का प्रधान है तथा प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक मंत्रिपरिषद् है, जो वास्तविक कार्यकारिणी है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. स्वतंत्र न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- संघीय व्यवस्था की एक अन्य विशेषता स्वतंत्र न्यायपालिका है। इसे इसलिए स्वतंत्र रखा जाता है ताकि वह संविधान की व्याख्या कर सके तथा उसकी पवित्रता को बनाए रख सकें। भारत में भी न्यायपालिका स्वतंत्र है। केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच के विवादों का निपटारा करना भारत के सर्वोच्च न्यायालय का प्रारंभिक अधिकार क्षेत्र है। यदि कोई कानून संविधान का उल्लंघन करता है, तो यह उस कानून को असंवैधानिक घोषित कर सकता है।
प्रश्न 2. भारतीय संविधान के लक्षणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- भारतीय संविधान के लक्षणों का वर्णन निम्नलिखित है –
(1) भारतीय संविधान संसार में सबसे बड़ा लिखित संविधान है। संविधान निर्माताओं ने भारत तथा उसके नागरिकों के विकास के लिए प्रत्येक विषय का वर्णन उसमें किया है।
(ii) यह एक लचीला संविधान है। कुछ एक परिस्थितियों में इसकी कुछ धाराओं को एक निश्चित प्रक्रिया के द्वारा परिवर्तित किया जा सकता है।
(iii) भारतीय संविधान लचीला होने के साथ-साथ कठोर भी है। इसकी धाराओं में परिवर्तन संसद की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता।
(iv) यह एक वृहद् दस्तावेज है। इसमें सभी राजनीतिक प्रशासनिक, सामाजिक विषयों का उल्लेख है।
प्रश्न 3. संविधान की उद्देशिका में कही गई चार बातों का उल्लेख करें।
उत्तर- संविधान की उद्देशिका या प्रस्तावना में कही गई चार बातें इस प्रकार हैं-
(i) भारत में सामाजिक, आर्थिक अथवा राजनीतिक न्याय की स्थापना की जाएगी।
(ii) विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म तथा उपासक की स्वतंत्रता स्थापित की जाएगी।
(iii) भारतीय लोकतांत्रिक गणराज्य में प्रतिष्ठा व अवसर की समानता स्थापित की जाएगी।
(iv) बंधुता प्राप्ति का उद्देश्य मनाया जाएगा।
प्रश्न 4. भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू क्यों किया गया ?
उत्तर- यूँ तो भारत का संविधान, 26 नवंबर, 1949 को बनकर तैयार हो गया था, लेकिन इसे लागू 26 जनवरी, 1950 को किया गया। इसके पीछे कारण यह है कि पंडित नेहरू ने दिसम्बर 1929 को लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता की माँग का प्रस्ताव पास कराया था और 26 जनवरी, 1930 का दिन ‘प्रथम स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में स्वतंत्रता पूर्व ही मनाया था। इसी दिन को ऐतिहासिक बनाने के लिए संविधान सभा ने संविधान को 26 जनवरी, 1950 को क्रियांवित करने का निर्णय किया था।
प्रश्न 5. केंद्र सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- संविधान के नियमों के अनुसार तीन सूचियाँ बनाई गई हैं, जो केंद्र सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची के नाम से प्रसिद्ध है। केंद्र सूची में राष्ट्रीय महत्त्व के 97 विषय हैं। जैसे-रक्षा, रेलवे, डाक, एवं तार इत्यादि। ये केंद्र सरकार के अंतर्गत हैं। राज्य सूची में स्थानीय महत्त्व के 66 विषय हैं;- जैसे- लोक स्वास्थ्य, पुलिस, स्थानीय स्वशासन इत्यादि यह राज्य सरकार के अधीन आएगी। इस पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकार का होगा। समवर्ती सूची में 47 विषय रखे गए हैं,जैसे- शिक्षा, बिजली, श्रम संघ, आर्थिक एवं सामाजिक योजना इत्यादि। समवर्ती सूची पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र और राज्य सरकार दोनों को है। केंद्र का कानून मान्य होगा।
प्रश्न 6. भारतीय संविधान की रूपरेखा प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- भारतीय संविधान जिसे संसार का सबसे बड़ा संविधान होने का गौरव प्राप्त है, को 26 नवंबर, 1949 को डॉ० भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में तैयार किया गया और इसके ठीक दो महीने बाद 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। भारतीय संवैधानिक सभा के निर्माण प्रस्ताव को 1946 में कैबिनेट मिशन योजना के अन्तर्गत मंजूरी मिली। उस समय डॉ० राजेंद्र प्रसाद इसके अध्यक्ष थे। इस सभा का उद्देश्य स्वतंत्र भारत के लिए संविधान तैयार करना था। 9 दिसंबर, 1946 से 26 नवंबर, 1949 तक कुल 11 अधिवेशन हुए। मूल संविधान 395 धाराओं, 22 भागों और 8 अनुसूचियों में बँटा है। इसमें बाद में कई संशोधन ह ुए। इसमें कुल 90 शब्द हैं।
प्रश्न 7. महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए किन्हीं चार कदमों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए चार कदम निम्न हैं-
(i) महिला और पुरुष दोनों के जीवन-यापन के साधन समान होंगे। समान कार्य के लिए समान मजदूरी दी जाएगी।
(ii) दहेज प्रथा पर प्रतिबंध, अश्लील आचरण पर प्रतिबंध, महिलाओं के अश्लील प्रस्तुतीकरण, पारिवारिक झगड़े और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर कई कानून हैं।
(iii) दहेज विरोधी कानून पहली बार 1961 में पारित हुआ।
(iv) सरकारी नौकरियों में स्त्रियों को भी पुरुषों के समान अवसर प्राप्त हो।
प्रश्न 8. संसदात्मक शासन प्रणाली क्या है ?
उत्तर- संसदात्मक शासन प्रणाली वास्तव में शासन का एक स्वरूपं है जिसमें संसद सर्वोच्च होती है और जनता का प्रतिनिधित्व करती है। केंद्र की विधायिका को संसद कहा जाता है। संसद द्वि-सदनात्मक है। प्रथम एवं निम्न सदन लोकसभा है। जबकि द्वितीय एवं उच्च सदन राज्यसभा है। यद्यपि केंद्र का शासन राष्ट्रपति के नाम पर तथा राज्यों का शासन राज्यपाल के नाम पर किया जाता है तथापि वास्तविक प्रशासन मंत्रिपरिषद् द्वारा किया जाता है जिसका प्रमुख केंद्र में प्रधानमंत्री तथा राज्यों में मुख्यमंत्री होता है। मंत्रिपरिषद् विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती। है।
प्रश्न 9. लोकतंत्र में संविधान की प्राथमिकता सर्वोच्च क्यों है ? कोई चार कारण बताइए।
उत्तर- संविधान एक ऐसा वैधानिक दस्तावेज है जिसमें शासन प्रणाली के हर पहलू पर प्रकाश डाला गया है। यह सरकार के क्रियाकलापों और नागरिक की स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है। संविधान में राष्ट्रीय जीवन की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक विशेषताएँ शामिल की गई हैं।
1. भारतीय संविधान स्वतंत्र, उन्नत और लोकतांत्रिक समाज के दर्शन पर आधारित है।
2. संविधान का उद्देश्य भारतीय नागरिकों के मूल अधिकारों तथा सामाजिक स्वतंत्रता को बनाए रखना है।
3. संविधान राजनीतिक व्यवस्था का सबसे महत्त्वपूर्ण दस्तावेज है।
4. संविधान में नई परिस्थितियों के अपने आप में समाहित करने की क्षमता विद्यमान है।
प्रश्न 10. भारत का संविधान नागरिकों के लिए सामाजिक न्याय उपलब्ध कराता है, लेकिन कई बार सिर्फ कानून बनाने से यह सुनिश्चित नहीं होता। ऐसे दो तरीके सुझाइए जो आपकी नजर में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने में मददगार हो सकते हैं।
उत्तर- हमारा संविधान राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक न्याय की गारंटी देता है। लेकिन आज भी समाज में असमानता, जाति व्यवस्था और छुआछूत जैसे अमानवीय व्यवहारों में देखी जा सकती है। निम्न जाति के लोग शोषण के शिकार होते हैं। समाज में उनकी योग्यता की अनदेखी की जाती है। जिस समाज में असमानता व्याप्त है, वहाँ जनतंत्र के लिए नागरिकों को समानता और समान अवसर प्रदान करना आवश्यक है। सिर्फ समान अवसर देकर सामाजिक न्याय को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता। यद्यपि संविधान में शिक्षा, नौकरियों में आरक्षण आदि प्रावधान किए गए हैं, लेकिन इन पर कड़ाई से अमल करना आवश्यक है।
प्रश्न 11. 73वें संविधान संशोधन की चार मुख्य विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर- 73वें संविधान संशोधन के द्वारा पंचायती राज प्रणाली के स्वशासन की संवैधानिक स्थिति को स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया है। इस संशोधन की कुछ विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
1. देश में पंचायती राज प्रणाली में ग्राम, प्रखण्ड और जिला स्तर पर तीन स्तरीय व्यवस्था होगी।
2. सभी पंचायती में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में स्थान आरक्षित रहेंगे।
3. अनुसूचित जातियों और जनजातियों की महिलाओं के लिए एक-तिहाई स्थान आरक्षित होंगे। कुछ स्थानों का एक-तिहाई भाग महिलाओं के लिए आरक्षित होगा। थी।
4. पंचायतों के लिए प्रत्यक्ष इस संशोधन की प्रमुख विशेषता थी।
5. प्रत्येक स्तर के पंचायत का कार्यकाल पाँच वर्ष होगा। यदि पंचायत समय से पूर्व भंग हो जाती है, तो अनिवार्य रूप से 6 महीने के भीतर नव-निर्वाचन करा लिए जाएँगे।
प्रश्न 12. “भारत में संसदात्मक शासन व्यवस्था है।” कैसे ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- भारत में संसदात्मक शासन व्यवस्था को अपनाया गया है। संसद जनता का प्रतिनिधित्व करती है। संसद के दो सदन हैं-लोकसभा और राज्यसभा लोकसभा में जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि आते हैं। केंद्र का शासन राष्ट्रपति के नाम पर तथा राज्यों का शासन राज्यपाल के नाम पर किया जाता है। प्रधानमंत्री और उसके मंत्रिमंडल के निर्णयों को राष्ट्रपति के नाम से लागू किया जाता है। राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद् के निर्णयों से असहमत हो सकता है। यदि प्रधानमंत्री और उसका मंत्रिपरिषद् अपने निर्णय पर अटल रहता है, तो राष्ट्रपति के पास कोई दूसरा चारा नहीं रहता, सिवाय इसके कि वह मंत्रिपरिषद के निर्णयों को स्वीकार कर ले। संसद जनता के विचारों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। जनता की संप्रभुता संसद की संरचना से परिलक्षित होती है। कोई भी व्यक्ति संसद के सर्वोच्च अधिकार के विरुद्ध नहीं जा सकता है। संसद लोकतंत्र का वास्तविक स्थान है। संविधान की अन्य विशेषताएँ भी हैं। इनमें मौलिक अधिकार नीति निर्देशक सिद्धांत या नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्य शामिल है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. संविधान सभा की रचना एवं गतिविधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- संविधान सभा के गठन की सबसे पहली आवाज एम० एन०राय द्वारा उठाई गई थी। भारत में संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत किया गया। संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 300 थी। इस योजना के अंतर्गत गठित संविधान सभा की कार्यवाही में मुस्लिम लीग को भाग लेने की अनुमति नहीं थी। इसकी पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई। उस समय डॉ॰ सच्चिदानंद सिंह सभा के अस्थाई सदस्य थे। बाद में 11 दिसम्बर, 1946 को संविधान सभा की बैठक में डॉ० राजेंद्र प्रसाद को स्थाई अध्यक्ष नियुक्त किया गया। पंडित नेहरू ने 17 दिसम्बर, 1946 को संविधान सभा में, उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया जो संविधान के दर्शन को समाहित किए हुए था। संविधान सभा ने इन प्रस्तावों को 22 जनवरी, 1947 को ग्रहण कर लिया। संविधान का निर्माण इसी आधार पर किया गया। श्री बी. एन. राव संविधान सभा के संवैधानिक परामर्शदाता थे। उन्होंने विश्व के सभी लोकतांत्रिक देशों के संविधानों का अध्ययन किया और प्रस्तावित संविधान का प्रारूप तैयार किया जिसे बाद में प्रारूप समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। स्वतंत्रता के बाद संविधान सभा ने एक प्रारूप समिति का गठन किया जिसके सदस्यों की संख्या सात थी। डॉ० बी.आर. अम्बेडकर इसके अध्यक्ष थे। भारत जैसे विशाल और अनेकता वाले देश के लिए संविधान तैयार करना आसान काम नहीं था। यहाँ हर भाषा, धर्म, नस्ल, संस्कृति के लोग रहते हैं। संविधान निर्माता इससे पूरी तरह सचेत थे, परंतु यह संविधान सभा तथा प्रारूप समिति दोनों के सदस्यों की वास्तविक प्रतिभा थी कि उन्होंने भारत के लिए केवल 2 वर्ष 11 महीने तथा 18 दिनों में संविधान के प्रारूप को पारित कर दिया तथा 26 नवंबर , 1949 को इसे ग्रहण कर लिया। संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू कर दिया गया।
प्रश्न 2. भारतीय संविधान के दर्शन के बारे में उल्लेख करें।
उत्तर- आदर्शों और उद्देश्यों पर जब संविधान सभा के सदस्यों में बहस चल रही तो उनके बीच वैचारिक मतभेद भी थे, परंतु धीरे-धीरे एकमत हो गए। संविधान निर्माताओं के बीच एकमत होने का आभास संविधान की प्रस्तावना के अध्ययन-से होता है। संविधान की प्रस्तावना के अध्ययन से हमें पता चलता है कि एक लक्ष्य निर्धारित करने, एक दृष्टि उपलब्ध कराने तथा एक ऐसे समाज की संरचना का प्रयास किया है जो न केवल लोकतांत्रिक है बल्कि न्यायपूर्ण एवं समान भी है। यह एक ऐसी दृष्टि है जो मानवीय, लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष तथा समाजवादी है। प्रस्तावना राज्य के लिए एक नए सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था की पुनर्संरचना के सकारात्मक भूमिका पर जोर देती है, साथ ही साथ इसका उद्देश्य भारतीय नागरिकों के मूल अधिकारों तथा सामाजिक स्वतंत्रता को प्रस्तुत करने का भी है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारतीय संविधान स्वतंत्र, उन्नत एवं लोकतांत्रिक समाज के दर्शन पर आधारित है। चूँकि प्रस्तावना में भारतीय राज्य की विशेषताएँ और उद्देश्य वर्णित हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि संविधान का दर्शन संविधान की प्रस्तावना में अभिव्यक्त किया जाता है।
प्रश्न 3. भारतीय संविधान की प्रस्तावना से आप क्या समझते हैं ? इसके महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर- संविधान के मूलभूत दर्शन उसके प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किए गए हैं। इस प्रस्तावना में ‘हम’ शब्द का प्रयोग किया गया है। ‘हम’ का अर्थ है-भारत के लोग। भारत
की जनता द्वारा निर्मित यह संविधान राज्य व सरकार की प्रकृति को एक आकार प्रदान करता है। प्रस्तावना का विश्लेषण करने पर संप्रभुता, समाजवाद, पंथ-निरपेक्षता और लोकतंत्र एवं गणतंत्र को सुनिश्चित करते हैं।
भारतीय संविधान की भूमिका संविधान के उद्देश्यों को स्पष्ट करती है।
1. भारतीय संविधान की प्रस्तावना भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष प्रजातंत्रीय गणराज्य बनाने की घोषणा करती है।
2. यह गणराज्य के सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय दिलवाने पर जोर देती है।
3. यह व्यक्ति को हर प्रकार की स्वतंत्रताएँ, जैसे- विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्राप्त कराने का उद्देश्य उपस्थित करती है।
4. यह हर व्यक्ति को एक जैसे अवसर प्रदान करने और उसके आदर-सम्मान को बनाए रखने का विश्वास दिलाती है।
5. यह सभी नागरिकों में बंधुता बढ़ाने का आदर्श उपस्थित करती है।
6. यह राष्ट्र की एकता और अखण्डता बनाए रखने की आशा करती है।
प्रश्न 4. संविधान किसे कहते हैं ? संविधान एक जीवित दस्तावेज है। कैसे ?
उत्तर- संविधान किसी देश का एक आदर्श और आधारभूत कानूनी संग्रह होता है। प्रत्येक कानूनी राज्य का अपना एक संविधान होता है। संविधान देश के नागरिकों के अधिकार, स्वतंत्रता तथा एक-दूसरे के प्रति कर्त्तव्य को सुनिश्चित करता है। संविधान सरकार की शक्तियों तथा अधिकारों का स्रोत है। यह सरकार के प्रत्येक अंग की व्याख्या करता है। यह राज्य का मूलभूत कानूनी दस्तावेज होता है। जनता की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने एवं समान अवसर प्रदान करदने में एक आधुनिक राज्य का एक लक्ष्य होना चाहिए कि प्रत्येक व्यक्ति की भलाई एवं विकास संभव हो सके। संविधान एक जीवित दस्तावेज होता है। संविधान को प्रत्येक परिस्थिति में अपने कर्त्तव्य को निर्वाह करते जाना है। अतः संविधान के अंदर यह क्षमता होनी चाहिए कि वह नई परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढालता रहे। प्रत्येक संविधान का विकास होता रहता है। कोई संविधान उसी समय तक सार्थक रहता है जब तक वह नए उत्पन्न सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक समस्या का समाधान करता है। संविधान राजनीतिक व्यवस्था का सबसे महत्त्वपूर्ण दस्तावेज है। संविधान में नई परिस्थिति को अपने आप में समाहित करने की क्षमता होनी चाहिए। और प्रशासनिक समस्या का समाधान करता है। संविधान राजनीतिक व्यवस्था का सबसे महत्त्वपूर्ण दस्तावेज है। संविधान में नई परिस्थिति को अपने आप में समाहित करने की क्षमता होनी चाहिए।
प्रश्न 5. भारतीय संघीय शासन प्रणाली की प्रमुख विशेषता क्या है ?
उत्तर- भारतीय संविधान की उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इसके द्वारा संघीय व्यवस्था तथा संसदीय शासन प्रणाली का प्रावधान किया गया है, जो अमेरिका, कनाडा तथा आस्ट्रेलिया के संविधान की तरह संघीय है। भारतीय संविधान में ऐसे कुछ प्रावधान भी हैं। इस व्यवस्था को इंग्लैण्ड की तरह एक एकल व्यवस्था में परिवर्तित कर सकते हैं।
1. राष्ट्रीय आपात्काल में भारत की संघीय सरकार ने कुछ विशेष शक्तियाँ प्राप्त की हैं जो सामान्यतः राज्यों को प्राप्त होती है। जब कोई राज्य संवैधानिक तरीके से शासन नहीं चला पता तो वहाँ केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन लागू कर देता है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसकी संरचना संघीय है, परंतु आत्मा एकल।
2. संघीय शासन प्रणाली के अनुसार, शासन के अधिकार केंद्र तथा प्रांतों के बीच विभाजित होते हैं। प्रशासनिक विधायी और वित्तीय शक्तियों का विभाजन एक निर्धारित प्रक्रिया के द्वारा होता है। इसे संविधान में तीन भागों में विभाजित किया गया है-
केंद्र सूची की संख्या 97
राज्य सूची की संख्या 66
समवर्ती सूची की संख्या 47
समवर्ती सूची के विषयों पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है। मतभेद की स्थिति में केंद्र ही क़ानून बनाएगा। उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार, संविधान की संघीय विशेषताओं को परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न 6. संसदीय प्रणाली से आप क्या समझते हैं ? क्या भारत में संसदीय लोकतंत्र है ?
उत्तर- भारत में संसदीय शासन प्रणाली को स्वीकार किया गया है। यहाँ संसद जनता को प्रतिनिधित्व करती है। संसद के दो सदन हैं-लोकसभा और राज्यसभा । लोकसभा प्रथम एवं निम्न सदन है और राज्यसभा द्वितीय एवं उच्च सदन हैं। लोकसभा की सदस्य संख्या 545 है, जबकि राज्यसभा की सदस्य संख्या लोकसभा का प्रतिनिधित्व जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि करते हैं। केंद्र का शासन राष्ट्रपति के नाम पर तथा राज्यों का शासन राज्यपाल के नाम पर किया जाता है। प्रधानमंत्री और उसके मंत्रिमंडल के निर्णयों को राष्ट्रपति के नाम से लागू किया जाता है। राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद् के निर्णयों से असहमत हो सकता है। यदि प्रधानमंत्री और उसका मंत्रिपरिषद् अपने निर्णय पर अटल रहता है तो राष्ट्रपति के पास कोई दूसरा चारा नहीं रहता, सिवाय इसके कि वह मंत्रिपरिषद् के निर्णयों को स्वीकार कर ले। संसद जनता के विचारों, आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। जनता की संप्रभुता संसद की संरचना से परिलक्षित होती है। कोई भी व्यक्ति संसद के सर्वोच्च अधिकार के विरुद्ध नहीं जा सकता। संसद लोकतंत्र का वास्तविक स्थान है। संविधान की अन्य विशेषताएँ भी हैं। इनमें मौलिक अधिकार, नीति-निर्देशक सिद्धांत तथा नागरिक मौलिक कर्त्तव्य शामिल हैं।

प्रश्न 7. भारत एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणतंत्र है। इसकी व्याख्या करें।
उत्तर- संप्रभुता का अर्थ है- राज्य का सर्वोच्च वर्चस्व। संप्रभुता आंतरिक एवं बाह्य दोनों प्रकार की होती है। आंतरिक संप्रभुता द्वारा राज्य अपने कानून को देश के अंदर लागू करता है, कानून व्यवस्था की बहाली करता है, तथा लोगों के जीवन एवं स्वतंत्रता की सुरक्षा करता है। बाह्य संप्रभुता का अर्थ है-किसी बाह्य शक्ति के प्रभाव तथा अतिक्रमण से राष्ट्रीय स्वतंत्रता को सुरक्षा प्रदान करना। प्रस्तावना में यह भी उल्लेखित है कि राज्य की यह संप्रभु शक्ति भारत के लोगों में निहित है।

लोकतंत्र- राष्ट्रीय आंदोलन के नेताओं ने स्वतंत्रता से पहले ही भारत को एक लोकतांत्रिक देश बनाने का स्वप्न देखा था। लोकतंत्र को जनता द्वारा, जनता के लिए और जनता के शासन के रूप में परिभाषित किया गया है। संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों में लोकतंत्र की समस्याएँ सम्मिलित की गई हैं। उदाहरणार्थ, हमारी व्यवस्था वयस्क मताधिकार, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव, मौलिक अधिकार की जमानत, उद्देश्यों की स्थापना तथा उत्तरदायी शासन पर आधारित है।

गणतंत्र- गणराज्य की संकल्पना से हमारा अभिप्राय एक ऐसे राज्य से है, जिसमें देश के राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री जैसे सार्वजनिक पद वंशानुगत नहीं होते हैं। ऐसे सभी पदों के द्वारा प्रत्येक नागरिक के लिए बिना भेदभाव के खुले होते हैं। राज्य के मुखिया या अन्य सार्वजनिक पदों के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक निश्चित समय के लिए चुनाव होता है।

प्रश्न 8. निम्नलिखित को संक्षेप में परिभाषित कीजिए-
(क) न्याय
(ग) समानता
(ख) स्वतंत्रता
(घ) भाईचारा
उत्तर-

(क) न्याय- राज्य को समाज में समस्त नागरिकों के लिए निष्पक्ष होना चाहिए। खाना, कपड़ा तथा मकान जैसी मूल आवश्यकताओं को बिना भेदभाव के सभी को उपलब्ध कराना चाहिए। प्रत्येक नागरिक को राजनीतिक गतिविधियों में सम्मिलित होने का समान अधिकार प्राप्त है। राज्य के नीति-निर्धारण प्रक्रिया में नागरिकों को एक अंग के रूप में समझना चाहिए। भारतीय संविधान के प्रस्तवना में न्याय को हमारे जीवन के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक लक्ष्य के रूप में स्वीकार किया गया है।

(ख) स्वतंत्रता- स्वतंत्रता का अर्थ है-देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को, चाहे वह किसी भी धर्म अथवा समुदाय को हो, उसे प्रत्येक स्तर पर स्वतंत्रता होनी चाहिए। स्वतंत्रता के अभाव में व्यक्ति के व्यक्तित्व का पूर्ण विकास नहीं हो सकता है। संविधान की प्रस्तावना में यह उल्लेख किया गया है कि नागरिक को विचार, अभिव्यक्ति आस्था एवं विकास की स्वतंत्रता होनी चाहिए।

(ग) समानता- लोकतंत्र की विचारधारा में समानता को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है। भारतीय संविधान में भी समानता के अधिकार पर बल दिया गया है। राज्य का यह दायित्व है कि देश के प्रत्येक व्यक्ति को, चाहे वह किसी भी धर्म, संप्रदाय, लिंग, जाति से संबंधित हो, समानता के आधार पर संपूर्ण सुविधाएँ उपलब्ध कराए। राज्य को समानता के सिद्धांत के आधार पर ऐसे समाज की स्थापना करनी चाहिए जिसमें सभी नागरिकों को समान अवसर प्राप्त हो।

(घ) भाईचारा- भारत एक बहु-सांस्कृतिक, बहु- -जातीय तथा बहु- धार्मिक देश है। अतः यह आवश्यक है कि इन सामाजिक विविधताओं को सरंक्षित रखा जाए। राज्य को विविधता पूर्ण समाज में राजनीतिक एकता को सुरक्षित रखने का लक्ष्य रखना चाहिए। विभिन्न जातीय, धार्मिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक समूहों के बीच सहयोग एकता व अखंडता आवश्यक है। यह हमारा संवैधानिक उद्देश्य है कि प्रत्येक भारतीय को एक-दूसरे के लिए सह- नागरिकता का बोध होना चाहिए। नागरिकों के बीच भाई चारे का संबंध एक मजबूत तथा संयुक्त भारत के लिए मार्गदर्शन देने का कार्य करेगा।

प्रश्न 9. आप कैसे सिद्ध करेंगे कि भारत एक समाजवादी राष्ट्र है ?
उत्तर- समाजवादी भारत-भारत में समाजवादी मूल्यों को स्थापित करना हमारा आदर्श है। सरल शब्दों में, समाजवाद एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ प्रत्येक नागरिक के व्यक्तिगत विकास के लिए समान अवसरों का प्रावधान किया गया है। प्राथमिक रूप से समाज की उन्नति इसका मुख्य उद्देश्य है। यदि समाज सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक रूप से विकसित तथा साधन संपन्न है तो समाज का प्रत्येक व्यक्ति देश की उन्नति एवं विकास में योगदान देने के योग्य होगा। भारतीय संविधान का लक्ष्य समाजवाद पर आधारित समाज की स्थापना करना है। पं० जवाहर लाल नेहरू ने एक बार कहा था कि “राजनीतिक प्रजातंत्र” अपने आप में पूर्ण नहीं है। हमारा लक्ष्य आर्थिक लोकतंत्र का होना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि देश में सभी अमीर और गरीब के बीच समानता तथा बंधुत्व को विस्तार देना और असमानता को समाप्त करना है। सामाजिक उद्देश्यों को राजकीय योजना के नीति निर्देशक तत्त्वों तथा संविधान की प्रस्तावना में सम्मिलित किया गया है।
प्रश्न 10. धर्म निरपेक्ष राष्ट्र से आपका क्या तात्पर्य है ? क्या आप जानते हैं कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है
उत्तर- भारत में विभिन्न धर्मों और पंथों के उपासक निवास करते हैं। अत: संविधान निर्माताओं का यह उद्देश्य अनुयायी एवं था कि राज्य के समक्ष सभी धर्म और पंथ समान हो तथा नागरिकों में धर्म, पंथ एवं संप्रदाय के आधार पर किसी प्रकार का कोई भेदभाव न हो। भारत एक पंथ-निरपेक्ष देश है अर्थात् यहाँ कोई भी धर्म, राज्यधर्म नहीं हो सकता। हमारे संविधान की धर्मनिरपेक्षता एक उच्च आदर्श है। संविधान किसी भी व्यक्ति को अपनी पसंद से किसी पंथ या धर्म पर आस्था रखने तथा उपासना करने का अधिकार प्रदान करता है। राज्य किसी व्यक्ति या समूह के विरुद्ध धर्म, जाति तथा संप्रदाय के आधार पर भेदभाव नही कर सकता। भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक के लिए धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है।

NIOS Class 10th सामाजिक विज्ञान (पुस्तक – 2) Question Answer in Hindi

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