NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 14 जनसंख्या हमारा प्रमुख संसाधन (population our main resource)
Textbook | NIOS |
Class | 10th |
Subject | सामाजिक विज्ञान (Social Science) |
Chapter | 14th |
Chapter Name | जनसंख्या हमारा प्रमुख संसाधन |
Category | Class 10th सामाजिक विज्ञान |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 14 जनसंख्या हमारा प्रमुख संसाधन (population our main resource)
Chapter – 14
जनसंख्या हमारा प्रमुख संसाधन
Question & Answer
पाठांत प्रश्न
प्रश्न 1. लिंग अनुपात को परिभाषित करें। भारत में लिंग अनुपात प्रतिकूल क्यों है ? उत्तर- मानव संसाधन के रूप में किसी भी देश की जनसंख्या की लिंग संरचना एक महत्त्वपूर्ण गुणात्मक सूचक है। वास्तव में यह मुख्य रूप से लिंग अनुपात के आधार पर समझा जाता है। लिंग अनुपात प्रति 1000 पुरुषों और महिलाओं के बीच मौजूदा समानता स्थिति मापने के लिए यह एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक सूचक है। लिंग अनुपात अनुकूल होना चाहिए, लेकिन हमारे देश में लिंग अनुपात हमेशा से महिलाओं के लिए प्रतिकूल बनी हुई है, और चिंता की बात यह है कि यह गिरावट लगातार बनी हुई है। वर्ष 1901 में प्रति 1000 पुरुषों पर 972 महिलाएँ थीं। वर्ष 2001 में यह घटकर 933 आ गया है। प्रश्न उठता है कि भारत में लिंग अनुपात प्रतिकूल क्यों है ? इसका मूल कारण समाज में प्रचलित महिलाओं के खिलाफ भेदभाव है। |
प्रश्न 2. जनसंख्या वृद्धि को परिभाषित करें और इसके गणन की विधि समझाइए । उत्तर- जनसंख्या के बढ़ने के वार्षिक प्रतिशत को जनसंख्या की वृद्धि दर कहा जाता है। किसी दिए हुए क्षेत्र में दिए गए समय में पैदा हुए बच्चों की संख्या के आधार पर प्रति हजार जनसंख्या पर जन्मदर की गणना की जाती है। किसी दिए हुए क्षेत्र में दिए गए समय में मरने वालों की संख्या पर मृत्युदर की गणना की जाती है। इसी प्रकार किसी दिए गए समय में मरने वालों की संख्या के आधार पर प्रति हजार की जनसंख्या पर गणना करके मृत्युदर की गणना की जाती है। जन्मदर को घटाने पर प्राकृतिक वृद्धि दर ज्ञात की जाती है। |
प्रश्न 3. हम भारत की उम्र संरचना के आँकड़ों से क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं ? उत्तर- हम जनगणना के आँकड़ों की तुलना करें तो पाएँगे कि हमारी जनसंख्या में बच्चों का अनुपात घट रहा है तथा प्रौढ़ों की बढ़ रहा है। बूढ़ों की जनसंख्या बढ़ रही है। बच्चों और बूढ़ों की जनसंख्या मिलकर आश्रित जनसंख्या कहलाती है। जब आश्रितों की जनसंख्या बढ़ती है तो सरकार और प्रौढ़ों को बच्चों और बूढ़ों के कल्याण कार्यों पर अधिक खर्च करना पड़ता है। |
प्रश्न 4. विशाल जनसंख्या को हम किस तरह संसाधन के रूप में बदल सकते हैं ? उत्तर- हम अपनी विशाल जनसंख्या की गुणवत्ता में सुधार लाकर इसे उत्पादक संसाधन के रूप में बदल सकते हैं। जनसंख्या पर व्यय करने की आवश्यकता है। सामाजिक विकास और पर्यावरण की सुरक्षा द्वारा लोगों के जीवन की गुणवत्ता – सुधार में लाया जा सकता है। इसके लिए जन्मदर और मृत्युदर में कमी करना, परिवार कल्याण सेवाओं का विस्तार करना, आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए प्रयत्न करना, स्वास्थ्य की देखभाल और शिक्षा में निवेश करके हम विशाल जनसंख्या को मानव संसाधन में बदल सकते हैं। |
प्रश्न 5. निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए- (i) जनसंख्या का घनत्व (ii) जन्मदर, मृत्युदर और वृद्धि दर (iii) साक्षरता उत्तर- (i) जनसंख्या घनत्व जनसंख्या का घनत्व एक भू-क्षेत्र में रहने वाले लोगों की संख्या तथा उसे भू-क्षेत्र को आकार के बीच के अनुपात को कहते हैं। इसको साधारणतः प्रतिवर्ग किलोमीटर व्यक्तियों की संख्या के रूप में अभिव्यक्त करते हैं। जनसंख्या घनत्व को हम इस प्रकार और आसानी से समझ सकते हैं। उदाहरण के लिए मान लिया जाए कि एक जिले की जनसंख्या 250,000 और क्षेत्रफल 1000 वर्ग किमी. है। इस जिले की जनसंख्या घनत्व की गणना निम्न प्रकार किया जा सकता है- जनसंख्या का घनत्व = 250,000 व्यक्ति / 1000 वर्ग किमी. क्षेत्र = 250 व्यक्ति प्रति(ii) जन्म वर, मृत्यु दर और वृद्धि दर प्रति हजार जनसंख्या के पीछे प्रति दशक में मरने वाले लोगों के अनुपात को मृत्युदर, प्रतिदशक में जन्म लेने वाले शिशुओं के अनुपात को जन्मदर कहते हैं। जन्मदर और मृत्युदर का अनुपात वृद्धि दर कहलाता है। निम्नलिखित आँकड़ों से हम इसे और सरलता से समझ
सकते हैं-एक निश्चित भूभाग पर किसी दिए वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या के तुलना में कुल जन्मे बच्चों की संख्या शुद्ध जन्म दर कहलाती है। इसे जन्मदर भी कहते है। अतःकिसी क्षेत्र में एक वर्ष के अंतर्गत जिंदा जन्में बच्चों की संख्या / जन्म दर = उसी क्षेत्र में मध्य वर्ष की जनसंख्या x 1000मान लीजिए, किसी जिले में एक वर्ष के दौरान जिंदा जन्में बच्चों की संख्या 800 है और अर्द्धवार्षिक जनसंख्या 25,000 है, तो जन्म दर = 800 / 25,000 x 1000 = 32 प्रति हजार जनसंख्यामृत्युदर एक विशेष क्षेत्र के तहत् दिए गए वर्ष में प्रति हजार जनसंख्या में से होने वाली मौतों की संख्या शुद्ध मृत्युदर मृत्यु दर = किसी क्षेत्र में एक वर्ष के अंतर्गत मरने वाले लोगों की संख्या / उसी क्षेत्र में मध्य वर्ष की जनसंख्या मान लीजिए, किसी एक जिले में एक वर्ष के दौरान मरने वाले व्यक्तियों की संख्या 600 हैं और अर्द्धवार्षिक जनसंख्या 25000 है, तो मृत्यु दर = 600 / 25,000 x1000 प्राकृतिक- वृद्धि दर प्राकृतिक वृद्धि दर जन्म दर और मृत्यु दर के बीच का अंतर है। इसलिए प्राकृतिक वृद्धि दर : जन्म दर – मृत्यु दर । मान लीजिए कि किसी खास वर्ष में एक क्षेत्र के लिए जन्म दर 32 है और मृत्यु दर 24 है तो प्राकृतिक वृद्धि 32-21 8 प्रति हजार जनसंख्या होगी। (iii) साक्षरता-साक्षरता के अभाव में किसी भी देश समाज का संपूर्ण विकास असंभव है। अतः यह विकास का एक महत्त्वपूर्ण संकेतक है। जनगणना रिपोर्ट में इसे अच्छी तरह परिभाषित किया गया है-सात वर्ष या उससे अधिक आयु का व्यक्ति जो किसी भी को आसानी पढ़ लिख और समझ सकता है, साक्षर कहलाता है। 1951 में भारत की साक्षरता दर 18.83 थी जो अब बढ़ कर 2001 में 65.38 प्रतिशत हो गई है। भारत का सबसे अधिक साक्षर राज्य लक्षद्वीप है जहाँ साक्षरता दर 97.52 प्रतिशत है। |
प्रश्न 6. राष्ट्रीय जनसंख्या नीति को समझाइए । |
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारत में जनसंख्या में तीव्र वृद्धि दर के परिणामों की विवेचन कीजिए। उत्तर- भारत में जनसंख्या में तीव्र वृद्धि दर के फलस्वरूप हमारी सामाजिक-आर्थिक विकास की गति पर बुरा प्रभाव पड़ा है। इससे भोजन, वस्त्र, आवास तथा अन्य मूलभूत सुविधाओं की माँग बढ़ गई है। जनसंख्या तेजी से बढ़ने के कारण संसाधनों की बढ़ती क्षीणता, पर्यावरण की गुणवत्ता तथा लोगों के जीवन की गुणवत्ता पर दुष्प्रभाव पड़ा है। बढ़ती जनसंख्या माँग को पूरा करने के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध नहीं हैं। अतः इससे देश में पर्याप्त बेरोजगारी की विकट समस्या उत्पन्न हो गई है। आर्थिक विकास संबंधी योजनाओं के लक्ष्यों की प्राप्ति में कठिनाई हो रही है। |
प्रश्न 2. शहरीकरण से आप क्या समझते हैं ? इसके दुष्परिणामों को बताइए। उत्तर- भारत किसानों का देश है। यहाँ देश की एक बड़ी आबादी गाँव में निवास करती है। भारत में शहरी क्षेत्र उस क्षेत्र को कहा जाता है, जहाँ तीन-चौथाई से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से गैर-कृषि कार्य से संलग्न हों। जनसंख्या से कम 5000 तथा जनसंख्या घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. हो। कम आज देश की बड़ी आबादी शहरीकरण के ओर बढ़ रही है, परंतु इसके साथ इसके दुष्परिणाम भी हैं, जैसे-आवास की कमी, जल, बिजली और पर्यावरण पर अतिक्रमण इत्यादि सम्मिलित है। |
प्रश्न 3. भारत में जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए कोई चार उपाय सुझाइए। उत्तर- भारत में जनसंख्या वृद्धि को रोकने के चार उपाय निम्न हैं- (i) शिक्षा प्रसार शिक्षा जन्म दर को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। यह लोगों के दृष्टिकोण में परिवर्तन लाती है। एक शिक्षित व्यक्ति बच्चों को ईश्वर का उपहार नहीं मानता यदि परिवार में स्त्री-शिक्षा का स्तर ऊँचा है तो परिवार में बच्चों की संख्या कम होती है। (ii) गर्भ नियंत्रण के उपायों पर जोर-गर्भ नियंत्रण के विभिन्न उपायों को अपनाने पर जोर दिया जाए। चिकित्सा सुविधाओं को अधिक से अधिक बढ़ाया जाए। (iii) भारत में लड़कियों के विवाह की आयु को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष कर दिया जाए। (iv) प्रचार लोगों को समझाया जाए कि अधिक बच्चों कारण जीवन स्तर में गिरावट आती है। |
प्रश्न 4. क्या आप जानते हैं कि निर्भरता को कैसे ज्ञात किया जाता है ? मान लीजिए, किसी जिले की निर्भर जनसंख्या (0-14 वर्ष तथा 60 वर्ष से अधिक) 7000 है और कार्यरत जनसंख्या इसका तात्पर्य यह हुआ है कि प्रत्येक 100 व्यक्तियों में 38.89 व्यक्ति निर्भर और 61.11 व्यक्ति कार्यरत हैं। |
प्रश्न 5. भारत की जनसंख्या और उसकी वृद्धि 1901-2001 दशकीय वृद्धि
ऊपर दी गई सारणी का अध्ययन कीजिए तथा नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए- (1) किस जनगणना वर्ष में ऋणात्मक वृद्धि दर दिखाई गई है ? (ii) किस जनगणना वर्ष के बाद से उच्च वृद्धि दर में गिरावट आई है ? (iii) किस जनगणना वर्ष में जनसंख्या में वृद्धि हुई हैं ? (iv) पिछले 100 वर्षों ( 1901-2001 ) में भारत की जनसंख्या में कितने गुणा वृद्धि हुई है ? |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. देश की जनसंख्या को उसका सबसे बड़ा संसाधन क्यों कहा जाता है ? उत्तर- संसाधन क्या है ? यह वह है जिसे इस्तेमाल और पुनः इस्तेमाल किया जा सके। अपनी शारीरिक और मानसिक प्रयत्नों से मनुष्य ही प्राकृतिक संसाधनों को विभिन्न प्रकार की वस्तुओं के रूप में परिवर्तित करते हैं। इसलिए देश में रहने वाले लोगों को इसका मानव संसाधन माना जाता है। देश के मानव संसाधन का बड़ा महत्त्व होता है। लोगों के बिना किसी भी वस्तु का उत्पादन नहीं हो सकता। इसके द्वारा नहीं। ही भूमि पर खेती करने से अन्न उत्पादित होता है। लोगों के द्वारा खानों से खनिज पदार्थ प्राप्त किए जाते हैं तथा कारखानों में विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है। देश की जनसंख्या उत्पादक की भूमिका निभाती है। इसके साथ-साथ ही जनसंख्या अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं का उपयोग करती है। इस दृष्टि से लोगों को उपभोक्ता माना जाता है। लोग अपने जीवन को सुखद बनाने के विभिन्न प्रकार की सुविधाओं को विकसित करते हैं। उदाहरणार्थ-यातायात, संचार, विद्यालय, कॉलेज, अस्पताल आदि ऐसी सुविधाएँ पूर्णतया होती हैं। इन सुविधाओं को विकसित बनाने में प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या पर्याप्त हो। मानव संसाधन के अभाव में दूसरे संसाधनों का उपयोग किया जाता है। इस अर्थ में जनसंख्या विकास के एक एजेंट की भूमिका निभाती है। चूँकि जनसंख्या उत्पादक, उपभोक्ता एवं विकास के एजेंट की भूमिका निभाती है। इसलिए उसे देश का सर्वोत्तम माना जाता है। जनसंख्या को संसाधन में बदलने के लिए जरूरी है- (i) जनसंख्या वृद्धि दर को कम करना, (ii) प्रत्येक सक्षम शक्ति को लाभदायक रोजगार उपलब्ध कराना, (ii) जीवन के स्तर में शिक्षा, स्वास्थ्य, जनकल्याण आदि सेवाओं द्वारा सुधार लाकर व्यक्ति की उत्पादकता बढ़ाना। |
प्रश्न 2. जनसंख्या घनत्व और उसके वितरण को प्रभावित करने वाले प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। उत्तर – यह सर्वविदित है कि जनसंख्या का वितरण असमान है। यह मानव प्रवृत्ति है कि जहाँ संसाधन आसानी से उपलब्ध होते हैं, वहाँ लोग रहना पसंद करते हैं। संसाधनों की उपलब्धता भौगोलिक विशेषताओं द्वारा प्रभावित करती है, जो असमान वितरण का कारण है। इसलिए जनसंख्या का घनत्व और वितरण भी असमान है। जनसंख्या के वितरण और घनत्व को प्रभावित करने वाले कारकों को दो प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया गया है- प्राकृतिक और सामाजिक आर्थिक निम्नलिखित में प्राकृतिक कारकों की विवेचना की जा रही है- 1. उच्चावच – जब आप पहाड़ी क्षेत्र या नदी घाटी और सपाट मैदानी क्षेत्रों का दौरा करेंगे तो देखेंगे कि मैदानों की तुलना में पर्वतीय क्षेत्र में आबादी कम है। किसी भी दिए गए क्षेत्र का उच्च और निम्न ऊँचाई और ढाल के बीच का अंतर उच्चावच और ढाल वहाँ की सुगम्यता को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। जो क्षेत्र ज्यादा सुगम है, वह लोगों द्वारा बसावट से भरी होने की संभावना है। यही कारण है कि सपाट मैदानों में ज्यादा बसावट देखी जाती है; जबकि बीहड़ उच्चावच वाले पर्वतीय और पठारी भाग ऐसे नहीं है। अगर आम जनसंख्या के घनत्व और वितरण को उत्तरी मैदानों और हिमालय पर्वतीय क्षेत्रों की तुलना करें तो आप उच्चावच का प्रभाव प्रत्यक्ष अनुभव कर सकते हैं। 2. जलवायु अनुकूल जलवायु क्षेत्रों में घनी आबादी होती है। इसके विपरीत अधिक गर्म, अधिक ठंड, अति शुष्क या अति वर्षा वाले प्रदेशों में जनसंख्या विरल होती है। राजस्थान में जनसंख्या कम है। 3. मिट्टी- अधिक उपजाऊ मिट्टी वाले क्षेत्रों में जनसंख्या अधिक होती है। यही कारण है कि उत्तरी भारत के कछारी समतल भूमि में जनसंख्या सघन पाई जाती है। |
प्रश्न 3. जनसंख्या घनत्व और उसके वितरण को प्रभावित करने वाले सामाजिक-आर्थिक कारक बताइए। उत्तर- जनसंख्या का घनत्व और वितरण निम्न सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर है- 1. औद्योगिकरण और शहरीकरण- जहाँ रोजगार के अवसर एवं अन्य सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं, वहाँ लोग निवास करना अधिक पसंद करते हैं। जैसे खनिज संपदा से संपन्न राज्य झारखण्ड बड़ी जनसंख्या को आकर्षित करते हैं। झारखण्ड के खनन क्षेत्रों में बहुत घनी आबादी है, क्योंकि इन क्षेत्रों में कई आर्थिक गतिविधियाँ हैं, जो रोजगार के अवसरों को बढ़ा देती हैं। भारत के बड़े नगर, जैसे-दिल्ली, मुंबई, बंगलौर, हैदराबाद, कोलकाता कई अन्य जनसंख्या के उच्च घनत्व के केंद्र हैं। क्योंकि यहाँ जीवन की सारी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। 2. परिवहन और संचार-अन्य भागों की तुलना में देश के उत्तरी भागों में परिवहन एवं संचार व्यवस्था सराहनीय है। कहने का आशय यह है कि ऐसे सभी क्षेत्रों में जहाँ सार्वजनिक सुविधाएँ। उपलब्ध हैं, अपेक्षाकृत उच्च जनसंख्या घनत्व मिलता है। |
प्रश्न 4. राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 के मुख्य उद्देश्य बताइए। इस उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए क्या लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं ? उत्तर- भारत की जनसंख्या 11 मई, 2000 को एक अरब को पार कर गई। जनसंख्या की दृष्टि से भारत चीन के बाद संसार में दूसरा सबसे बड़ा देश है। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि को देखते हुए सरकार ने फरवरी, 2000 में राष्ट्रीय जनसंख्या नीति की घोषणा की इस नीति के निम्नलिखित उद्देश्य हैं- लोगो के गर्भ निरोध, स्वास्थ्य कर्मियों को बुनियादी ढाँचा और प्रसूति तथा बाल स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना। 2. जन्मदर का 2010 तक स्थानापन्न दर तक लाना। 3. आर्थिक विकास और सामाजिक विकास की आवश्यकता के अनुसार सन् 2045 तक जनसंख्या के स्तर को स्थिर करना। इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कुछ लक्ष्य निर्धारित किए। हैं। आशा है कि इन लक्ष्यों की प्राप्ति सन् 2010 तक हो गए जायेगी।सन् 2010 तक के लिए सामाजिक जनसांख्यिकीय लक्ष्य-1. प्रसूति व बाल स्वास्थ्य के क्षेत्रों में वैसी जरूरतों जिनकी पूर्ति नहीं हो पाई है, की पूर्ति करना। उनमें दवाओं उपकरणों और बुनियादी ढ़ाचा भी शामिल है। 2. चौदह साल तक के बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा जरूरी करना और प्राइमरी व सेकेंडरी स्कूलों से पढ़ाई छोड़ने वालों की दर 20 फीसदी से कम करना । करना। 3. प्रति हजार नवजात शिशुओं का मृत्यु स्तर 30 से कम 4. प्रति दस हजार मातृ मृत्यु स्तर 100 से कम करना । 5. सभी बच्चों को निरोधक बीमारियों का टीकाकरण | 6. लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में न होने पाए और बेहतर हो कि इनकी शादी 20 साल बाद हो। इसे बढ़ावा देने के उपाय की प्राप्ति । 7. 100 प्रसूति कार्य प्रशिक्षित डॉक्टरों द्वारा कराई जाए और 80 फीसदी प्रसूति कार्य अस्पतालों में हो। 8. गर्भ निरोधक, जन्म दर और ऐसे उपायों के संबंध में सभी को बेहतर सुविधा, सूचना और सलाह की उपलब्धता हासिल हो । 9. जन्म-मृत्यु, शादी और गर्भधारण का शत-प्रतिशत पंजीकरण । 10. एड्स जैसी बीमारियों पर नियंत्रण तथा जन्मदर रोग की रोकथाम में लगे लोगों, संस्थाओं तथा राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण बोर्ड के बीच समन्वय को बढ़ावा । 11. सभी प्रसारी रोगों की रोकथाम। 12. प्रजनन व बाल स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में चिकित्सा पद्धति का समन्वय करना, ताकि वे सभी को भी उपलब्ध हो सके। 13. स्थानापन्न स्तर तक जन्म दर की प्राप्ति के लिए छोटे परिवार के प्रचलन को बढ़ावा देना। 14. सामाजिक क्षेत्रों के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में समन्वय स्थापित करना, ताकि परिवार, कल्याण जन-आधारित कार्यक्रम में बदल जाए। |
प्रश्न 5. जन्मदर को प्रभावित करने वाले किन्हीं तीन कारकों की विवेचना कीजिए। उत्तर- जन्मदर को प्रभावित करने वाले कारक तीन कारक निम्ग्रलिखित हैं- 1. आर्थिक स्थिति जन्मदर को प्रभावित करने वाले, कारकों में आर्थिक स्थिति महत्त्वपूर्ण कारक है। जिन परिवारों की आय ऊँची होती है, उन परिवारों में लोगों की सोच अच्छी होती है, उनका जीवन स्तर ऊँचा होता है। वहाँ शिक्षा को अधिक महत्त्व दिया जाता है। जब लोग शिक्षित होते हैं तो उन्हें अच्छे-बुरे दोनों बातों की समझ होती है। 2. शिक्षा-शिक्षा जन्मदर को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है। यह लोगों को दृष्टिकोण में परिवर्तन लाती है। उनके सोचने समझने के स्तर को ऊँचा कर देती है। जहाँ महिला शिक्षा, का दर ऊँचा है, वहाँ जन्मदर अपेक्षाकृत कम है। भारत में उन राज्यों में जन्मदर कम है, जहाँ साक्षरता दर विशेषकर स्त्रियों में अधिक है। 3. परंपरागत मूल्य एवं विश्वास भारतीय समाज में यह विश्वास है कि बच्चे ईश्वर के उपहार है। अतः इनके जनमदर पर कोई प्रतिबंध नहीं होना चाहिए। पुत्र की लालसा भी जन्म दर को प्रभावित करती है। |
प्रश्न 6. भारत में जनसंख्या वृद्धि की प्रकृति को स्पष्ट कीजिए। 1921 को जनसंख्या का विभाजक क्यों कहते हैं ? उत्तर- भारत की जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है। आज भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है। 1901 में भारत की जनसंख्या 23.83 करोड़ थी जो 2001 में बढ़कर 102.70 करोड़ हो गई। पिछले सौ वर्षों में भारत की जनसंख्या में चार गुणा वृद्धि हुई है। निम्नलिखित तालिका की सहायता से जनसंख्या वृद्धि की दर को स्पष्ट किया जा सकता है-पीछे दी गई तालिका से स्पष्ट है कि भारत की जनसंख्या में 1911 से 1921 के बीच नकारात्मक वृद्धि हुई। सबसे अधिक वृद्धि 1981-2001 की अवधि में हुई। 1901 से 1911 की अवधि में सबसे कम वृद्धि हुई । 1901-1921 स्थिर जनसंख्या । 1921 1951 क्रमिक या धीमी जनसंख्या वृद्धि । 1951-1981 तीव्र उच्च वृद्धि । 1981-2001 उच्च वृद्धि साथ ही निश्चित कमी के चिह्न 1921 जनसंख्या विभाजक वर्ष 1921 के पश्चात् भारत की जनसंख्या में निरंतर वृद्धि दिखाई देती है। 1921 में जनसंख्या की वास्तविक वृद्धि दर में कमी आई थी तब से लगातार जनसंख्या बढ़ती जा रही है। इसीलिए 1921 को जनसंख्या विभाजक वर्ष कहा जाता है। |
प्रश्न 7. हम भारत की उम्र संरचना के आँकड़ों से क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं ? उत्तर- हम जनगणना के आँकड़ों की तुलना करें तो पाएँगे कि हमारी जो संख्या में बच्चों को अनुपात घट रहा है तथा प्रौढ़ों का बढ़ रहा है। बूढ़ों की जनसंख्या बढ़ रही है। बच्चों और बूढ़ों की जनसंख्या मिलाकर आश्रित जनसंख्या कहलाती है। जब आश्रितों की जनसंख्या बढ़ती है तो सरकार और प्रौढ़ों को बच्चों और बूढ़ों के कल्याण कार्यों पर अधिक खर्च करना पड़ता है। निम्न आँकड़ों के माध्यम से आप और अच्छी तरह समझ सकते हैं। |
प्रश्न 8. महिला सशक्तिकरण से क्या मतलब है ? महिला सशक्तिकरण कैसे पूरे समाज/समुदाय को सशक्त करता है ? उत्तर – महिला सशक्तिकरण से अभिप्राय है-महिलाओं का सर्वांगीण विकास भारतीय संविधान महिलाओं को भी पुरुषों के समान अधिकार प्रदान करता है। किंतु इसके बावजूद महिलाओं की स्थिति समाज कोई विशेष सराहनीय नहीं कही जा सकती। महिला सशक्तिकरण को तब प्रोत्साहन मिला जब 73वें और 74वें संविधान संशोधन कर पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए सीटों में 33 प्रतिशत आरक्षण संसद द्वारा पारित किया गया। एक ओर संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया है जिसका उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करना है। इसका मुख्य उन्नति, विकास और महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रोत्साहन देना और भेदभाव के सभी रूपों की समाप्त करना है। ये कदम उनके जीवन और गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करेगा।। |
प्रश्न 9. हमारे समाज में अब तक महिला सशक्तिकरण के लिए किए गए प्रयास असफल क्यों हैं ? उत्तर- हमारे समाज में महिला सशक्तिकरण की दिशा में अब तक किए गए प्रयास असफल होने के निम्नलिखित करण हैं- (i) शिक्षा, स्वास्थ्य और उत्पादन संसाधनों तक महिलाओं विशेषकर कमजोर वर्ग महिलाओं की पहुँच अपर्याप्त है। (ii) वे वंचित, गरीब व सामाजिक रूप से बहिष्कृत है। |
NIOS Class 10th सामाजिक विज्ञान (पुस्तक – 1) Question Answer in Hindi
- Chapter – 1 प्राचीन विश्व
- Chapter – 2 मध्यकालीन विश्व
- Chapter – 3 आधुनिक विश्व – Ⅰ
- Chapter – 4 आधुनिक विश्व – Ⅱ
- Chapter – 5 भारत पर ब्रिटिश शासन का प्रभाव : आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृति (1757-1857)
- Chapter – 6 औपनिवेशिक भारत में धार्मिक एवं सामाजिक जागृति
- Chapter – 7 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध
- Chapter – 8 भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन
- Chapter – 9 भारत का भौतिक भूगोल
- Chapter – 10 जलवायु
- Chapter – 11 जैव विविधता
- Chapter – 12 भारत में कृषि
- Chapter – 13 यातायात तथा संचार के साधन
- Chapter – 14 जनसंख्या हमारा प्रमुख संसाधन
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