NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 18 स्थानीय शासन तथा क्षेत्रीय प्रशासन (Local Government and Regional Administration)
Textbook | NIOS |
class | 10th |
Subject | Social Science |
Chapter | 18th |
Chapter Name | स्थानीय शासन तथा क्षेत्रीय प्रशासन (Local Government and Regional Administration) |
Category | Class 10th NIOS Social Science (213) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 18 स्थानीय शासन तथा क्षेत्रीय प्रशासन (Local Government and Regional Administration) Question Answer in Hindi जिसमे हम स्थानीय शासन प्रशासन का क्षेत्र क्या है?, स्थानीय शासन क्या है समझाइए?, स्थानीय सरकार और स्थानीय प्रशासन में क्या अंतर हैं?, स्थानीय शासन कितने प्रकार के होते हैं?, स्थानीय प्रशासन के जनक कौन थे?, स्थानीय प्रशासन के जनक कौन है?, स्थानीय शासन का मुख्य कार्य क्या है?, स्थानीय प्रशासन का क्या कार्य है?, स्थानीय प्रशासन की शुरुआत कब हुई?, स्थानीय शासन की व्यवस्था क्यों की गई?, भारत में स्थानीय शासन प्रणाली कितने? आदि के बारे में पढ़ेंगे
NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 18 स्थानीय शासन तथा क्षेत्रीय प्रशासन (Local Government and Regional Administration)
Chapter – 18
स्थानीय शासन तथा क्षेत्रीय प्रशासन
प्रश्न – उत्तर
पाठांत प्रश्न
प्रश्न 1. स्थानीय निकाय जरूरी क्यों हैं ? अपना विचार व्यक्त करे। उत्तर – स्थानीय स्वशासन सरकार की सबसे नीचे स्तर की शासन प्रणाली स्थानीय निकाय जिसे अंग्रेजी में (Local Bodies) कहते हैं। लोकतंत्रीय शासन प्रणाली में सबसे महत्त्वपूर्ण है। क्योंकि इसके माध्यम से जनता प्रत्यक्ष रूप से शासन में भाग लेती है। यह स्थानीय लोगों को अपनी समस्याओं को व्यक्त करने उन पर चर्चा करने तथा स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं उनका समाधान ढूँढने के लिए एक मंच प्रदान करता है। |
प्रश्न 2. पंचायती राज संस्थाओं की रचना और कार्यों की विवेचना करें तथा उनकी भूमिकाओं का परीक्षण करें। ग्राम समिति – यह पंचायती राज व्यवस्था का मध्य स्तर है। अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। पंचायत समिति ब्लॉक प्रखण्ड स्तर पर बनाई जाती है। सभी राज्यों में पंचायत समिति का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है। पंचायत समिति के अध्यक्षों के एक-तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। कार्य – पंचायत समिति अनेक कार्य करती हैं। जैसे-कृषि, भूमि को बेहतर बनाना, जल आच्छादित क्षेत्र का विकास, सामाजिक और फार्म वनीकरण, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा की व्यवस्था करना इत्यादि अन्य कार्य हैं-गाँव में पेयजल की व्यवस्था करना, सड़कों का विकास, घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन इत्यादि । आय के स्रोत – ग्राम पंचायत की आय का मुख्य स्रोत सरकारों द्वारा दिया जाने वाला अनुदान है। इसके अलावा भू-राजस्व कर भी एक निश्चित प्रतिशत पंचायत समिति को प्राप्त है। जिला परिषद् – जिला परिषद् त्रिस्तरीय पंचायती राजव्यवस्था के शीर्षक की संस्था है यह जिला स्तर पर स्थित है। इसका कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है। पंचायत समिति के अध्यक्ष इसके पदेन सदस्य होते हैं। इसमें भी कम से कम एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। जिले के सांसद और विधायक भी जिला परिषद् के सदस्य होते हैं। (i) कार्य – जिला परिषद् के मुख्य कार्य हैं- (i) किसानों को उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध कराना, उन्हें खेती के नवीन तकनीक से अवगत कराना। आय के स्रोत – जिला परिषद् की आय के मुख्य स्रोत निम्न हैं- (i) जिला परिषदों द्वारा लगाए गए कर, बाजार शुल्क तथा लाइसेंस फीस इत्यादि। |
प्रश्न 3. शहरी स्थानीय निकाय की रचना व कार्य की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए। उत्तर – शहरी स्थानीय निकाय के अंतर्गत बड़े शहरों में नगर-निगम, छोटे शहरों में नगर परिषद् की व्यवस्था की गई। विस्तृत व्याख्या निम्नलिखित हैं- (i) नगर निगम – राज्य विधायिका द्वारा पारित अधिनियमों के अनुसार बनाए गए प्रावधानों के तहत बड़े शहरों में नगर-निगम की स्थापना की गई। नगर निगमों के पार्षद 5 वर्ष के लिए चुने जाते हैं। चुने हुए पार्षदों में से ही प्रति वर्ष किसी एक को मेयर चुना जाता है। 74वें संविधान संशोधान द्वारा महिलाओं के लिए कम-से-कम 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई हैं। नगर-निगम आयुक्त का पद भी सृजित किया गया है, जिसकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है तथा वह मुख्य कार्यकारी अधिकारी होता है। नगर निगम के कार्य – इसके मुख्य कार्य निम्न हैं- नगर-निगम के आय के स्रोत – नगर-निगम के आय के है (i) करों से प्राप्त आय – नगर-निगम विभिन्न मदों पर कर लगाते हैं, जैसे-हाऊस टैक्स, मनोरंजन कर, होर्डिंग और विज्ञापनों पर कर, पंजीकरण शुल्क, इमारतों की निर्माण योजनाओं पर कर आदि। (ii) अनुदान – राज्य तथा केंद्रीय सरकार द्वारा विकास से संबंधित अनेक योजनाओं तथा विकास कार्यक्रमों के लिए अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। (iii) अन्य शुल्क तथा अधिभार – इसके अंतर्गत जलापूर्ति शुल्क, बिजली शुल्क, सीवर शुल्क, दुकानदारों से लाइसेंस फीस तथा टोल टैक्स और चुंगी शुल्क। (2) नगर परिषद – कम जनसंख्या वाले शहरों में नगर परिषद होते हैं जो स्थानीय शहर, उसकी समस्याएँ तथा विकासात्मक कार्यों को देखती है। 74वें संविधान संशोधन के उपरांत, प्रत्येक शहर के लिए नगरपालिकाओं की रचना करना आवश्यक है। प्रत्येक शहर परिषद् के लिए पार्षदों का चुनाव वयस्क मतदाताओं द्वारा पाँच वर्ष के लिए किया जाता है। प्रत्येक नगर परिषद् में एक कार्यकारी अधिकारी होता है। नगर परिषद् के कार्य – नगर परिषद् के निम्नलिखित कर्य |
प्रश्न 4. पंचायती राज व्यवस्था और शहरी स्थानीय निकायों की बनावट व भूमिकाओं में 73 एवं 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा क्या प्रमुख बदलाव लाया गया है ? • भारत के प्रत्येक राज्य में शहरी स्थानीय निकायों का गठन (नगर-निगम, नगर परिषद् तथा नगर पंचायत) ।
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प्रश्न 5. क्या आप सहमत हैं कि 73वाँ एवं 74वाँ संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 ने सच्चे अर्थों में महिलाओं को सशक्त किया है ? पुष्टि कीजिए। उत्तर – इसमें कोई दो मत नहीं कि 73वाँ एवं 74वाँ संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 ने महिलाओं को सशक्त किया है। इन निकायों में महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण के परिणामस्वरूप अधिक-से-अधिक संख्या में महिलाएँ इन संस्थानों को चलाने में हिस्सा लेती हैं। यह महिलाओं के सशक्तिकरण का बेहतरीन तरीका है, तथा उन्हें अपनी क्षमता को साबित करने का अवसर प्रदान करता है। |
प्रश्न 6. एक विधवा दो बच्चों के साथ एक गाँव में घरेलू कार्य करती है। वह अपने बच्चों को शिक्षित करना चाहती है, लेकिन ऐसा करने में असमर्थ है। ऐसा तरीका सुझाएँ, जिससे गाँव पंचायत का प्रधान सुनिश्चित करे कि उसके बच्चे शिक्षा प्राप्त कर सके। उत्तर – ग्राम पंचायत के प्रधान को चाहिए कि वह ऐसे बच्चों के लिए- (i) निःशुल्क शिक्षा का प्रबंध करें। (ii) मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था करें। |
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. स्थानीय शासन से आप क्या समझते हैं ? उत्तर – स्थानीय शासन का अभिप्राय ऐसे शासनों से होता हानी है जो स्थानीय स्तर पर की जाती है, जैसे-ग्राम पंचायत, जिला परिषद इत्यादि। |
प्रश्न 2. स्थानीय शासन का मुख्य उद्देश्य क्या है ? उत्तर – स्थानीय शासन का मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्तर पर विकास और सामाजिक न्याय प्रदान करना है। |
प्रश्न 3, पंचायती राज व्यवस्था से आप क्या समझते उत्तर – भारत में स्थानीय शासन की संस्थाओं के दो प्रकार होते है एक, ग्रामीण क्षेत्र के लिए तथा दूसरा, शहरी क्षेत्र के लिए। ग्रामीण क्षेत्रों में इसे पंचायती राज व्यवस्था के नाम से जाना जाता है। |
प्रश्न 4. शहरी स्थानीय शासन कितने प्रकार का होता है उत्तर – शहरी स्थानीय शासन मुख्यतः तीन प्रकार का होता नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायत। |
प्रश्न 5. पंचायती राज व्यवस्था का त्रिस्तरीय ढाँचा क्या उत्तर – पंचायती राज व्यवस्था का त्रिस्तरीय ढाँचा है-जिला परिषद् जिला स्तर पर, पंचायत समिति (ब्लॉक/प्रखण्ड स्तर पर) और ग्राम पंचायत, ग्राम स्तर पर। |
प्रश्न 6. 73वाँ संविधान संशोधन की सबसे उल्लेखनीय का समन्वय और पर्यवेक्षण करती है। विकासात्मक कार्यों पर विशेषता क्या है ? उत्तर – पंचायती राज व्यवस्था की सबसे उल्लेखनीय विशेषता है-तीनों स्तरों पर महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था |
प्रश्न 7. ग्राम सभा का गठन कैसे होता है ? उत्तर – ग्राम सभा का गठन गाँव के सभी प्रौढ़ स्त्री-पुरुष से मिलाकर होता है जिनकी आयु 18 वर्ष पूरी हो चुकी है और जिनका नाम वहाँ की मतदाता सूची में शामिल हो।। |
प्रश्न 8. एक वर्ष में ग्राम सभा में कितनी बैठकें आयोजित होती हैं ? उत्तर – एक वर्ष में ग्राम सभा में दो बैठकें आयोजित होती’ अपनी पहली बैठक में ग्राम सभा ग्राम पंचायत के बजट पर विचार करती है। अपनी दूसरी बैठक में ग्राम सभा ग्राम पंचायत द्वारा पेश की गई रिपोर्ट पर विचार करती है। |
प्रश्न 9. ग्राम पंचायत के विकासात्मक कार्य क्या हैं ? उत्तर – ग्राम पंचायत के विकासात्मक कार्य हैं-ग्रामवासियों के लिए सुद्ध पेयजल की व्यवस्था करना गलियों में पक्की सड़कों का निर्माण करना गाँव की सफाई करना नालियों की व्यवस्था करना गाँव की सफाई करना, कुटीर उधोगों को प्रोत्साहन देना |
प्रश्न 10. ग्राम पंचायत की आय के मुख्य स्रोत क्या की थी ? उत्तर – ग्राम पंचायत की आय के मुख्य स्रोत हैं-विभिन्न स्थानीय शासन का मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्तर पर कर, सरकार से अनुदान, और स्वयंसेवी संस्थाओं से सहयोग |
प्रश्न 11. पंचायती राज प्रणाली की दूसरी संस्था कौन-सी है ? उत्तर – पंचायती राज प्रणाली की दूसरी संस्था पंचायत समिति है। |
प्रश्न 12. पंचायत समिति की रचना कैसे होती है ? उत्तर – पंचायती समिति की रचना निम्न सदस्यों से मिलकर होती है- • ब्लॉक/प्रखण्ड के अंतर्गत आने वाले सभी ग्राम प्रधान/सरपंच • उस ब्लॉक के सांसद, विधान सभा विधायक और विधान परिषद् के सदस्य। • कुछ प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित सदस्य। • ब्लॉक से चुने गए जिला परिषद् सदस्य। • उस ब्लॉक के कुछ अधिकारी। |
प्रश्न 13. पंचायत समिति के मुख्य कार्य क्या हैं ? उत्तर – पंचायत समिति अपने क्षेत्र की विकास योजनाओं का समन्वय और पर्यवेक्षण करती है। विकासात्मक कार्यों पर निगरानी रखती है और कृषि और सिंचाई सुविधाओं के विकास पर निगरानी रखती है। |
प्रश्न 14. त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की सर्वोच्च संस्था कौन-सी है ? उत्तर – जिला परिषद् त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की सर्वोच्च संस्था है। इसका कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है। |
प्रश्न 15. जिला परिषद् का मुख्य कार्य क्या है ? उत्तर – जिला परिषद् का मुख्य कार्य पंचायत समिति तथा पंचायतों के विकास कार्यों में समन्वय स्थापित करना। |
प्रश्न 16. जिला परिषद् की आय के कोई दो स्रोत बताएँ । उत्तर – जिला परिषद् की आय दो स्रोत हैं- (i) विभिन्न संपत्तियों से प्राप्त कर. (ii) राज्य तथा केंद्र सरकार से प्राप्त अनुदान। |
प्रश्न 17. भारत में सर्वप्रथम नगरपालिका की स्थापना कहाँ की गई थी ? उत्तर – भारत में सर्वप्रथम नगरपालिका की स्थापना 1688 में चेन्नई में की गई थी। |
प्रश्न 18. बलवंत राय मेहता समिति ने क्या सिफारिशें की थी ? उत्तर – बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशों के अनुसार ग्रामीण भारत में स्थानीय स्वशासन के लिए त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना की गई। |
प्रश्न 19. नगर-निगम के मुख्य कार्य कौन-से हैं ? उत्तर – जिलाधीश की अध्यक्षता में जिला प्रशासन न सिर्फ अपने परंपरागत कार्य, जैसे-कानून व्यवस्था बनाए रखना तथा शिक्षा और निर्माण कार्य, जन्म, मृत्यु का रिकॉर्ड रखना इत्यादि। |
प्रश्न 20. नगर-निगम के आय के मुख्य स्रोत क्या है ? उत्तर – नगर-निगम के आय के मुख्य स्रोत है-कर शुल्कं संपत्ति, सड़क सवारी वाहन, सिनेमा घर, लाइसेंस शुल्क आदि से प्राप्त, राशि सरकार से अनुदान इत्यादि। |
प्रश्न 21. 73वें संविधान संशोधन का पंचायती राज संस्थाओं की स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा ? उत्तर – (क) उन्हें संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ। (ख) उन्हें योजना का आधार बनाया। (ग) उनका सामाजिक आधार बढ़ा। (घ) उनके विकासात्मक कार्यों के लिए धन की संवैधानिक व्यवस्था की गई। |
प्रश्न 22. मेयर के प्रमुख कार्य क्या होते हैं ? उत्तर – मेयर नगर-निगम का प्रमुख होता है। उसके निम्नलिखित प्रमुख हैं- (i) निगम की बैठकों की अध्यक्षता करना तथा बैठक में शिष्टता तथा अनुशासन बनाए रखना। (ii) पार्षद तथा राज्य सरकार के बीच में एक कड़ी के रूप में कार्य करना। करना। (ii) शहर में आए विदेशी गणमान्य व्यक्तियों की अगुवाई करना |
प्रश्न 23. पार्षद किसे कहते हैं ? उसका चुनाव होता है ? उत्तर – प्रत्येक नगरपरिषद के अध्यक्ष को पार्षद कहा जाता है। पार्षदों का चुनाव वयस्क मतदाताओं द्वारा पाँच वर्ष के लिए किया जाता है। राज्य चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित शर्तों को पूरा करने पाने वाले व्यक्ति ही पार्षद के रूप में चुने जा सकते हैं। |
प्रश्न 24. नगर परिषद् की आय के मुख्य स्रोत क्या हैं ? (i) संपत्ति, वाहन, मनोरंजन तथा विज्ञापन आदि पर करसे प्राप्त आय। |
प्रश्न 25. जिला प्रशासन के क्या कार्य हैं? उत्तर – जिलाधीश की अध्यक्षता में जिला प्रशासन न सिर्फ अपने परंपरागत कार्य, जैसे-कानून व्यवस्था बनाए रखना तथा राजस्व वसूली का काम करता है, अपितु महत्त्वपूर्ण विकासात्याक कार्य की भी जिम्मेदारी उठाता है। यह केंद्रीय और राज्य सरकारों के विकासात्मक और कल्याण कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए वास्तविक कार्यान्वयन उपकरण हैं। |
प्रश्न 26. प्रखण्ड विकास पदाधिकारी के मुख्य कार्य क्या है ? उत्तर – प्रशासन के सबसे नीचे स्तर की इकाई ब्लॉक है। ‘ब्लॉक का अधिकारी प्रखण्ड विकास पदाधिकारी होता है, जिसे हम अंग्रेजी में B.D.O. (Block Development Officer): कहते हैं। इसका मुख्य कार्य ब्लॉक की समस्त गतिविधियों पर नजर रखना। |
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 की पाँच मुख्य विशेषताएँ क्या हैं ? (1) त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना ग्राम पंचायत (ग्राम/गाँव स्तर)/पंचायत समिति (मध्यवर्ती अर्थात् ब्लॉक/प्रखण्ड स्तर) और जिला परिषद् । |
प्रश्न 2. 73वाँ संविधान संशोधन क्या हैं ? उत्तर – 73वाँ संविधान संशोधन एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से पंचायती राज्य अथवा स्थानीय शासन को अधिक शक्ति और अधिकार प्रदान किए गए हैं। इस संशोधन के परिणामस्वरूप लगभग सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने अपना अधिनियम पारित कर लिया है। लगभग सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू कश्मीर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और उत्तराखण्ड के अलवा स्थानीय संस्थाओं का चुनाव करा लिए थे। परिणामस्वरूप देश में 232278 पंचायतों, 6022 पंचायत समितियों और 535 जिला परिषदों का गठन किया जा चुका है। पंचायत राज्य के सभी स्तरों यह जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि कार्य कर रहे हैं। यह विश्व में अपने तरह की सबसे विशाल जन प्रतिनिधिक व्यवस्था है। |
प्रश्न 3. ग्राम सभा के मुख्य कार्य क्या हैं ? इसका गठन किस प्रकार होता है (i) पंचायत क्षेत्र में रहने वाले सभी वयस्कों को मिलाकर, ग्राम सभा का गठन होता है। यह ग्राम पंचायत की विधायी संस्था की तरह कार्य करती है। (ii) यह वार्षिक लेखा और लेखा परीक्षा प्रतिवेदन तथा प्रशासनिक रिपोर्ट को अनुमोदित करती है। (iv) नए विकासात्मक कार्यक्रमों को मंजूरी देती है। यहाँ में ग्राम सभा स्तर पर योजना प्रक्रिया के विकेंद्रीयकरण को भी समझना चाहिए। (v) आम तौर पर ग्राम सभा की वर्ष में दो बैठकें होती है। |
प्रश्न 4. नगर-निगम का गठन कैसे होता है ? महापौर या मेयर नगर निगम की अध्यक्षता करना पद के लिए चुनाव प्रत्येक वर्ष निगम सदस्यों के मध्य से होता है। वह ऐच्छिक तथा प्रशासनिक कार्यों का निर्वहन करता/करती है और वह राज्य सरकार तथा नगर आयुक्त के मध्य संप्रेषण का कार्य भी करता करती है। |
प्रश्न 5. स्थानीय निकायों के समक्ष आने वाली चुनौतियों का वर्णन करें। उत्तर – स्थानीय निकायों के समक्ष अनेक चुनौतियाँ हैं। का कार्य चुनौतीपूर्ण है। राजनीतिक प्रक्रिया में नागरिकों की गुणवत्तापूर्ण भागीदारी को प्रोत्साहन देने तथा सुनिश्चित करने में गरीबी, अशिक्षा, सामाजिक असमानता तथा राजनीति के अपराधीकरण की प्रवृत्ति, जैसे-कारक बाधाएँ उत्पन्न करते हैं। जातिवाद और संप्रदायवाद के तत्त्व भी समस्या खड़ी करते हैं। निकायों को प्रभावी कार्यशीलता के लिए बड़ी चुनौतियाँ हैं। |
प्रश्न 6. नगरीय स्थानीय संस्थाओं के मुख्य कार्य बताइए। 1. स्वास्थ्य, सफाई, कूड़ा-करकट, आदि का प्रबंध करना। |
प्रश्न 7. नगर-निगम की स्थापना किन नगरों में होती उत्तर – साधारणतः तीन लाख से अधिक जनसंख्या पर नगर-निगम बनाए जाते हैं। मुंबई, दिल्ली, पटना, हैदराबाद बंगलौर, कानपुर, कोलकाता इत्यादि बड़े नगरों में नगर-निगम स्थापित किए गए हैं। नगर-निगम के सदस्य को पार्षद कहा जाता है। इनका चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर किया जाता है। नगर निगम समितियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए सीटें आरक्षित होती हैं। नगर-निगम का कार्यकाल तीन से पाँच वर्ष तक होता है। महापौर या मेयर नगर-निगम की अध्यक्षता करता है। इस पद के लिए चुनाव प्रत्येक वर्ष निगम सदस्यों के मध्य होता है। |
प्रश्न 8. नगरपालिका का गठन कैसे होता है ? उत्तर – बड़े नगरों के अतिरिक्त सभी शहरों और कस्बों म नगरपालिका संगठित की जाती है। इसके पार्षदों का चुनाव वयस्क मताधिकार पर आधारित होता है। नगर परिषद् में तीन प्रकार के सदस्य होते हैं। पार्षद पदेन सभापति तथा वरिष्ठ अनुभवी व्यक्ति होता है। परिषद् का आकार जनसंख्या पर निर्भर करता है। इसका कार्यकाल 3 से 5 वर्ष तक होता है। परिषद् के सभापति का चुनाव निर्वाचित सदस्यों के मध्य से होता है। यह एक सम्मानजनक पद है। सभापति परिषद् के ऐच्छिक और प्रशासनिक कार्यों का निर्वहन करता है। |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. 73वाँ संविधान संशोधन (1992) की पाँच विशेषताओं का वर्णन कीजिए। (i) देश में पंचायती राज प्रणाली में ग्राम प्रखण्ड और जिला स्तर पर तीन स्तरीय व्यवस्था होगी। (ii) सभी पंचायतों में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में स्थान आरक्षित रखेंगे। अनुसूचित जातियों और जनजातियों की महिलाओं के लिए एक-तिहाई स्थान आरक्षित होंगे। कुल स्थानों का एक-तिहाई भाग महिलाओं के लिए आरक्षित होगा। (iii) पंचायत के लिए प्रत्यक्ष चुनाव इस संशोधन की प्रमुख विशेषता थी। (iv) प्रत्येक स्तर के पंचायत का कार्यकाल पाँच वर्ष का होगा। यदि पंचायत समय से पूर्व भंग हो जाती है. तो अनिवार्य रूप से 6 महीनों के भीतर पुनः चुनाव करा लिए जाएँगे। (v) प्रत्येक राज्य में पंचायतों की निर्वाचन प्रक्रिया के संपादन, निर्देशन तथा नियंत्रण के लिए एक स्वतंत्र राज्य निर्वाचन आयोग स्थापित किया जाएगा। इसका प्रधान राज्य निर्वाचन आयुक्त होगा. जिसकी नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी। |
प्रश्न 2. जिला प्रशासन के अंतर्गत जिलाधीश के कार्यों का उल्लेख कीजिए। (i) जिलाधीश का प्राथमिक कार्य एकीकरण और समन्वयन है। विभिन्न विभाग स्वतंत्र रूप से अपने संबंधित विभागों से पारस्परिक क्रिया के बिना कार्य करते हैं। कानून और व्यवस्था की देखभाल पुलिस अधीक्षक करता है। जिलाधीश पुलिस अधीक्षक के सहयोग से कार्य करता है। विभिन्न विभागों में समन्वयन जिलाधीश की मध्यस्थता से होती है। स्थानीय सरकार और राज्य के क्षेत्रीय प्रशासन में समन्वयन का कार्य जिलाधीश करता है। (ii) जिलाधीश लोगों की शिकायतें सुनता है और उनकी समस्याओं को दूर करने का प्रयास करता है। स्थानीय लोगों की नई सड़कों, यात्री यातायात, जल आपूर्ति आदि माँगें जिलाधीश के सामने आती हैं और वह इन समस्याओं का समाधान करने के लिए राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित करता है। (iii) राज्य सरकार सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने, परियोजनाओं और नीतियों के सफल क्रियान्वयन के लिए जिलाधीश पर निर्भर होती है। (iv) जिलाधीश द्वारा राज्य मुख्यालय को निरंतर पुनर्निवेशन मिलता रहता है। (v) जिलाधीश बाढ़, भूकंप, सूखा आदि संकटकाल के दौरान जिले में स्थिति से निपटने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। किसी बड़ी घटना, का सारा दायित्व स्वयं निभाता है। जिले के सभी विभागों का सहायता प्रबंध में जिलाधीश को सहयोग देने के निर्देश दिए जाते हैं। के समय जिलाधीश सहायता प्रदान करने वर्तमान में जिला स्तर पर मुख्य कार्य विकासात्मक प्रबंध का है। विकास की अनेक योजनाएँ हैं, जिनका संबंध कृषि पशुपालन सिंचाई, शिक्षा और स्वास्थ्य से है। |
प्रश्न 3. अनुमंडल किसे कहते हैं ? प्रशासन में अनुमंडल अधिकारी की क्या भूमिका होती है ? उत्तर – बेहतर प्रशासन के लिए प्रत्येक जिले की छोटी है। इकाइयां, जिसे अनुमंडल कहते हैं, में विभाजित किया गया है। यद्यपि जिले के अनुमंडल जिला मजिस्ट्रेट के तहत हैं, तथापि एक अधिकारी जिसे अनुमंडल पदाधिकारी कहा जाता है, इस ईकाई का प्रभारी होता है। अनुमंडल अधिकारी वहाँ प्रशासन के क्षेत्र में जिला मजिस्ट्रेट की सहायता करता है, और उसके प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है। अनुमंडल अधिकारी, अनुमंडल अधिकारी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अंतर्गत आता है। वह भूमि रिकॉर्ड रखता है और भूराजस्व एकत्र करता है। वह बंदूक और पिस्तौल जैसे हथियारों के लिए लाइसेंस जारी करने के लिए। अधिकृत है। वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए प्रमाण पत्र तथा अधिवास प्रमाण-पत्र जारी करता है। |
प्रश्न 4. खण्ड विकास पदाधिकारी के मुख्य कार्यों की हैं- (i) विकासात्मक प्रबंध के लिए बी.डी.ओ. अपने ब्लॉक है। जाति, जनजाति या आदिवासियों के विकास के कार्य या लाभभोगी परियोजनाओं का क्रियान्वयन और निरीक्षण का कार्य बी.डी.ओ. के कार्यकलाप से होता है। 2. पंचायत समिति का प्रबंध – पंचायत समिति का सदस्य होने के नाते बी.डी.ओ. खण्ड स्तर के राजनीतिक नेताओं से संपर्क बनाए रखता है जिसमें खण्ड का अध्यक्ष और अन्य अधिकारी सम्मिलित है। बी.डी.ओ. और स्थानीय नेताओं में विवाद आम बात है। खास तौर से जब बी.डी.ओ. गैर-कानूनी कामों पर आपत्ति करता है। पंचायत समिति के अधिकारी का दायित्व संभालने के नाते इसका मुख्य कार्य समिति स्तर के विकासात्मक कार्यों को देखना और उनका हिसाब-किताब रखना है। |
प्रश्न 5. नगरपालिका के कार्यों का उल्लेख कीजिए । नगरपालिका के कार्य – नगरपालिका के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं- |
NIOS Class 10th सामाजिक विज्ञान (पुस्तक – 2) Question Answer in Hindi
- Chapter – 15 संवैधानिक मूल्य तथा भारत की राजनीतिक व्यवस्था
- Chapter – 16 मौलिक अधिकार तथा मौलिक कर्त्तव्य
- Chapter – 17 भारत एक कल्याणकारी राज्य
- Chapter – 18 स्थानीय शासन तथा क्षेत्रीय प्रशासन
- Chapter – 19 राज्य स्तर पर शासन
- Chapter – 20 केन्द्रीय स्तर पर शासन
- Chapter – 21 राजनीतिक दल तथा दवाब समूह
- Chapter – 22 जनता की सहभागिता तथा लोकतान्त्रिक प्रक्रिया
- Chapter – 23 भारतीय लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियाँ
- Chapter – 24 राष्ट्रीय एकीकरण तथा पंथ निरपेक्षता
- Chapter – 25 सामाजिक आर्थिक विकास तथा अभावग्रस्त समूहों का सशक्तीकरण
- Chapter – 26 पर्यावरणीय क्षरण तथा आपदा प्रबन्धन
- Chapter – 27 शान्ति और सुरक्षा
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