NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 22 जनता की सहभागिता तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया (Peoples Participation and Democratic Process) Question Answer in Hindi

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 22 जनता की सहभागिता तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया (Peoples Participation and Democratic Process)

TextbookNIOS
class10th
SubjectSocial Science
Chapter22th
Chapter Nameजनता की सहभागिता तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया (Peoples Participation and Democratic Process)
CategoryClass 10th NIOS Social Science (213)
MediumHindi
SourceLast Doubt

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 22 जनता की सहभागिता तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया (People’s Participation and Democratic Process) Notes in Hindi लोकतान्त्रिक जनता का जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है कैसे, लोकतांत्रिक प्रक्रिया से आप क्या समझते हैं, लोकतंत्र में जनभागीदारी की क्या भूमिका है, लोकतांत्रिक सहभागी सिद्धांत क्या है, लोकतंत्र को जनता के लिए और लोगों द्वारा लोगों की सरकार के रूप में किसने परिभाषित किया, लोकतंत्र का मुख्य तत्व क्या है, लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक प्रमुख भाग क्या है, जनसहभागिता के क्या उद्देश्य होते हैं, जनता सरकार ने भारतीय लोकतंत्र को बहाल करने का प्रयास कैसे किया, लोकतंत्र क्या है और इसके प्रकार, लोकतंत्र को क्या कहते हैं, लोकतांत्रिक सरकार के दो आवश्यक लक्षण क्या हैं, आदि आगे पढ़े।

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 22 जनता की सहभागिता तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया (Peoples Participation and Democratic Process)

Chapter – 22

जनता की सहभागिता तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया

प्रश्न – उत्तर

पाठांत प्रश्न
प्रश्न 1. लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनसहभागिता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – लोगों का वह व्यवहार जिसके द्वारा वे प्रत्यक्ष रूप से अपनी राजनीतिक राय व्यक्त करते हैं, जन सहभागिता कहलाता है। यह अवधारणा पर्याप्त रूप से बृहत है जिसके अंतर्गत चुनावी और गैर-चुनावी, दोनों ही प्रकार की भागीदारी आ जाती है। वास्तव में सहभागिता नागरिकों की वे सब कार्यवाहियाँ हैं जिसके द्वारा वे सरकारों की नीतियों को प्रभावित व समर्थन करते हैं अथवा इनकी आलोचना करते हैं। वे ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए करते हैं ताकि उनके प्रतिनिधि उनकी जरूरतों और आकांक्षाओं के प्रति जबावदेह हो।

प्रश्न 2. जनमत की परिभाषा कीजिए तथा लोकतंत्र में इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
उत्तर – वास्तव में जनमत को अनेक तरीकों से परिभाषित किया जाता है। इसके कारण इसकी परिभाषा अत्यधिक जटिल हो जाती है। सहमति में जनमत, सार्वजनिक विषयों या मुद्दों पर लोगों की सहमति और सुविचारित राय को कहा जाता है।

लोकतंत्र में जनमत का महत्त्व – लोकतंत्र में जनमत की भूमिका को किसी भी कीमत पर नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। जनमत निर्माण की प्रक्रिया सार्वजनिक विषयों पर जागरुकता को प्रोत्साहन और लोगों की राय आमंत्रित करती है। जनता के समर्थन के बिना कोई सरकार कार्य नहीं कर सकती। लोकतांत्रिक सरकार का निर्माण इसको जीवित रखना और नियंत्रण जनमत के द्वारा तय किया जाता है। जनमत की निम्नलिखित भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण है-
(i) एक जागरुकता और स्वतंत्र जनमत असीमित शक्ति पर प्रतिबंध लगाता है।
(ii) यह एक ऐसी प्रणाली सुनिश्चित करता है कि जिसमें सरकार को एक अंगं, दूसरे अंग के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करता।
(iii) यह जनता की जरूरतों और आकांक्षाओं के प्रति उत्तरदायी प्रक्रिया को प्रोत्साहित करता है।
(iv) यह सरकार को जनहित में कानून की शक्ति प्रदान करता है।
(v) यह लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रतिमानों को शक्ति प्रदान करता है।
(vi) जनमत अधिकार और स्वतंत्रता को सुरक्षा प्रदान करता।

प्रश्न 3. जनमत निर्माण में मदद करने वाले किन्हीं चार एजेंसियों का नाम बताएँ। आपके जनमत पर किस एजेंसी का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रभाव है ?
उत्तर – जनमत निर्माण में अनेक एजेंसियाँ एवं अभिकरण सहायक हैं। निम्नलिखित में चार महत्वपूर्ण एजेंसियों का वर्णन किया जा रहा है, जो जनमत निर्माण में सहायक हैं –

(i) प्रिंट मीडिया – जनमत निर्माण में प्रिंट मीडिया की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। अखबारों एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित विभिन्न लेख, विभिनन सामाजिक विषयों पर प्रकाशित अन्य समाचार, व्यक्ति के विचारों व राय को समयानुसार आधुनिक बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह विभिन्न विचारों को ठोस रूप प्रदान कर जनमत का विकास करते हैं।

(ii) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया – सिनेमा, रेडियो, टेलीविजन, मोबाइल फोन व इंटरनेट भी जनमत के निर्माण में प्रभावशाली भूमिका निभाते हैं। इनके दृश्य व श्रव्य मॉडल देश के दूरस्थ हिस्सों ज में व्यक्त विचारों को भी सम्मिलित करते हैं। वे विचारों को अत्यधिक प्रतिनिध्यात्मक जनमत में बदलने तथा इसे सभी संबंधित लोगों तक पहुँचाने का काम भी करते हैं।

(iii) राजनीतिक दल – जनमत निर्माण में राजनीतिक दलों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। राजनीतिक दल और नेता जनता के समक्ष कुछ तथ्य और विचार प्रस्तुत करते हैं। राजनीतिक दलों द्वारा अपनी नीतियों और कार्यक्रमों ने संबंध चलाए जाने वाली जागृति गतिविधियों के विषय में आप सुनते और देखते रहते हैं। इस प्रकार राजनीतिक दल जनमत के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान देते हैं।

(iv) शिक्षण संस्थाएँ – विभिन्न शिक्षण संस्थाएँ भी जनमत निर्माण में सहायता करती है। स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं का हमारे मस्तिष्क पर स्थाई प्रभावहोता है। ये औपचारिक शिक्षण संस्थाएँ हमें राजनीतिक शिक्षा प्रदान कर जनमत निर्माण में योगदान देती है। उपर्युक्त एजेंसियों में सबसे महत्त्वपूर्ण और प्रभावी माध्यम संचार माध्यम है। यह सबसे सशक्त और प्रभावी साधन है।

प्रश्न 4. भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनावों की भूमिका की जाँच करें। देश में होने वाले विभिन्न प्रकार
के चुनावों की विवेचना करें।
उत्तर – चुनाव लोगों को लोकतांत्रिक सरकार की कार्यप्रणाली में सक्रिय रूप से सहभागी होने का अवसर प्रदान करते हैं। चुनाव, जनमत को व्यक्त करने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है। क्योंकि इसके द्वारा लाग अपनी इच्छानुसार सरकार का निर्माण करते हैं। वास्तव में चुनाव लोगों की राजनीतिक जागरूकता के दायरे का विस्तार करते हैं। उन्हें सार्वजनिक विषयों के विकास की जानकारी देकर शिक्षित करते हैं। चुनाव एक राजनीतिक दल या दल समूह से दूसरे को सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण सुनिश्चित करते हैं। सरकार के कार्यों को वैधता तथा प्रतिनिधियों की लोगों का नेतृत्व करने की सत्ता को न्यायोचित सिद्ध करते हैं।

भारत साधारणतः तीन प्रकार के चुनाव होते हैं – (क) आम चुनाव, (ख) मध्यावधि चुनाव, (ग) उपचुनाव।
लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल पूरा होने के पश्चात् जो चुनाव कराए जाते हैं, उन्हें आम चुनाव कहा जाता है। यदि किसी कारणवश विधायिका को निर्धारित अवधि से पूर्व भंग कराकर जो चुनाव कराया जाता है, उसे मध्यावधि चुनाव कहा जाता है। किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र में प्रतिनिधि द्वारा दिए गए त्यागपत्र या उसकी मृत्यु के कारण रिक्त हुई सीट या न्यायालय द्वारा किसी प्रतिनिधि की सदस्यता रद्द किए जाने की स्थिति में जो चुनाव ऐसी सीटों को भरने के लिए कराते जाते हैं, उसे उप चुनाव कहते हैं।

प्रश्न 5. भारत में निर्वाचन आयोग के प्रमुख कार्य क्या हैं ? चुनाव प्रक्रिया के प्रमुख चरण क्या हैं ?
उत्तर – भारत में निर्वाचन आयोग के प्रमुख कार्य हैं-
(i) देश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराना।
(ii) चुनाव मशीनरी का निरीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण करना तथा मतदाता सूची तैयार करना ।
(iii) राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना तथा उन्हें राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय/क्षेत्रीय पार्टियों के रूप में पंजीकृत करना।
(iv) चुनाव लड़ने के लिए राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह प्रदान करना ।
(v) राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और चुनाव ड्यूटी पर तैनात चुनाव कर्मियों के लिए दिशा-निर्देश और आचार संहिता लागू करना।
(vi) राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और आम लोगों से प्राप्त चुनाव संबंधी शिकायतों का समाधान करना।
(vii) चुनाव कर्मियों की नियुक्ति करना ।
(viii) चुनाव के संबंध में राष्ट्रपति को सलाह व सुझाव देना।

चुनावके विभिन्न चरण – भारतीय चुनाव प्रणाली एक लंबी प्रक्रिया है, जो कई चरणों में संपादित होती है। विस्तृत विवरण निम्नलिखित है-
(i) मतदाता सूची तैयार करना,
(ii) चुनाव क्षेत्र का परिसीमन करना,
(iii) प्रत्याशी तथा राजनीतिक दलों को चुनाव चिन्ह का आबंटन निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाना,
(iv) राष्ट्रपति तथा राज्यपाल द्वारा अधिसूचना जारी करने के बाद देश में चुनाव कराने का दायित्व आयोग के ऊपर आ जाता है।
(v) चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की जाती है, जिसमें नामांकन पत्र भरने की तारीख, उसकी जाँच व वापसी, चुनाव संचालन, मतों की गिनती तथा चुनाव परिणाम की घोषणा शामिल है।

प्रश्न 6. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का क्या अर्थ है ? इसके महत्त्व की व्याख्या कीजिए।
उत्तर – स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में सार्वजनिक वयस्क मताधिकार को अपनाया गया है। सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का अर्थ है- देश के सभी वयस्क नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के मत डालने का अधिकार। सार्वजनिक वयस्क मताधिकार की अवधारणा एक व्यक्ति एक वोट के राजनीतिक समानता के सिद्धांत पर आधारित है। किसी के पास एक ज्यादा वोट नहीं होता। यह लोगों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने में तथा अधिकारों की रक्षा करने में सहायक होता है। वयस्क मताधिकार के संबंध व्यक्ति की आयु से हैं। भारत का कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी संप्रदाय, जाति, लिंग, भाषा अथवा क्षेत्र से संबंधित हो, किंतु उसकी आयु 18 वर्ष हो चुकी हो, वह अपने मत का प्रयोग कर सकता है। आयु सीमा अलग-अलग देशों में अलग-अलग निर्धारित की गई हैं।
प्रश्न 7. भारत में जहाँ हम वर्ग, जाति, लिंग, धर्म पर आधारित अनेक तरह की असमानताएँ देखते हैं, वहाँ सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार आपके अनुसार कितना सफल है।
उत्तर – भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक को, जो एक निश्चित तिथि को 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो, मताधिकार दिया गया है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए यह आवश्यक है कि मतदाता अपने इस अधिकार का प्रयोग ईमानदारी तथा समझदारी से करें। किंतु निराशाजनक बात यह है कि भारतीय मतदाता ईमानदारी और समझदारी से वोट न डालकर, धानिक, जात-पात, लिंग, वर्ग, क्षेत्रीय तथा अन्य सामाजिक भावनाओं से ओत-प्रोत होकर मतदान करता है। जहाँ उपर्युक्त भावनाओं से प्रेरित होकर मतदान किया जाए, वहाँ सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की सफलता पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगना स्वाभाविक है।
प्रश्न 8. क्या भारत में चुनाव सुधारों की तत्काल आवश्यकता है ? चुनाव सुधार लाने के प्रमुख सुझाव क्या हैं ?
उत्तर – निश्चय ही भारत को एक सजग भागीदारी लोकतंत्र बनाने के लिए चुनाव प्रणाली में सुधारों की तत्काल आवश्यकता चुनाव में सुधार लाने के प्रमुख सुझाव निम्नलिखित हैं-
(i) दण्ड का प्रावधान करते हुए चुनावी कानून को सख्त बनाना।
(ii) चुनावों में धन और बाहुबल की भूमिका को कम करना।
(iii) चुनाव में राजनीति के अपराधीकरण को रोकना।
(iv) चुनाव प्रचार में जाति और धर्म के आधार पर अपील करने पर पूर्ण रोक लगाना।
(iv) चुनावी खर्चे को कम करने के लिए सरकार द्वारा चुनावी व्यय को वहन करना।
प्रश्न 9. भारत में निर्वाचन प्रणाली के समक्ष मौजूद प्रमुख चार समस्याओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर – चुनाव हमारे लोकतांत्रिक जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है तथा इसकी अनेक समस्याएँ हैं, जो न केवल हमारे चुनाव प्रक्रिया की गुणवत्ता को अपितु लोकतांत्रिक व्यवस्था की कार्यप्रणाली को भी प्रभावित करती है। निर्वाचन प्रणाली के समक्षजो चार समस्याएँ हैं, वे हैं –
(i) मतदाताओं को विशेषकर कमजोर वर्ग के लोगों को डराना, धमकाना।
(ii) मतदान केंद्र पर कब्जा तथा चुनाव व राजनीति का अपराधीकरण।
(iii) धन और बाहुबल की प्रतिकूल भूमिका।
(iv) चुनाव के दौरान हिंसा।
प्रश्न 10. चुनाव प्रणाली में व्याप्त दोषों को दूर करने का उपाय सुझाएँ।
उत्तर – आज चुनाव प्रक्रिया के संबंध में सबसे अधिक चर्चा चुनाव सुधार के संबंध में होती है। निम्नलिखित में हमें चुनाव प्रणाली से संबंधित सुधारों की चर्चा करेंगे-
(i) चुनाव संबंधी व्यय को कम करने की आवश्यकता – चुनाव में खर्च के लिए धन की राशि को कम करना अनिवार्य है। यदि आज हमारे चुनावों में भ्रष्टाचार है तो इसलिए कि चुनावों में धन पानी की तरह बहाया जा रहा है।
(ii) राजनीतिक नैतिकता का विकास – निष्पक्ष चुनाव के लिए आवश्यक है कि भ्रष्टाचार को समाप्त किया जाए। इस संबंध में राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे चुनाव में अधिक धन खर्च न करें। वोट के लिए रिश्वत न दें। स्वयं में नैतिक गुणों का विकास करें।
(iii) जनता को चुनाव के प्रति शिक्षित तथा समझवार बनाना – चुनाव प्रणाली सभी सुधार व्यर्थ हैं। यदि जनता राजनीति जागृति उत्पन्न न की जाए। अतः जनता को राजनीतिक शिक्षा देना अति आवश्यक है।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. जन-सहभागिता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – चुनावों तथा निर्णय प्रक्रियाओं को प्रभावित करने वाली गतिविधियों में लोगों की स्वैच्छिक भागीदारी को जन सहभागिता कहते हैं।
प्रश्न 2. जनमत से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – जनता का वह मत जो सार्वजनिक हित में होता है, उसे जनमत कहा जाता है।
प्रश्न 3. जनमत निर्माण करने वाली किसी दो प्रमुख एजेंसियों का नाम बताइए।
उत्तर – जनमत निर्माण के दो प्रमुख साधन हैं- (i) प्रिंट मीडिया, (ii) इलेक्ट्रॉनिक मीडिया।
प्रश्न 4. चुनाव से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – चुनाव उम्मीदवारों के बीच होने वाली एक प्रतियोगिता है, जिसके द्वारा वे निकायों या प्रतिनिधिक संस्थाओं में सार्वजनिक पद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। विधानमंडल तथा स्थानीय शासन की निकायों के चुनाव समय-समय पर निश्चित अवधि के बाद होते हैं।
प्रश्न 5. निर्वाचन क्षेत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – निर्वाचन क्षेत्र एक प्रादेशिक क्षेत्र होता है, जिसका संसद राज्य विधानसभा अथवा स्थानीय निकायों के लिए भारत में अलग-अलग ढंग से परिसीमन होता है। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि चुनकर आता है।
प्रश्न 6. “ उम्मीदवार ” किसे कहते हैं ?
उत्तर – एक संभावित व्यक्ति है, जो चुनाव के माध्यम से कोई पद प्राप्त करना चाहता है, उम्मीदवार कहलाता है।
प्रश्न 7. “चुनाव घोषणा पत्र” से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – चुनाव घोषणा पत्र एक ऐसा दस्तावेज होता है, जो राजनीतिक दलों की नीतियों और कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रदान करता है।
प्रश्न 8. चुनाव कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर – साधारणतः चुनाव दो प्रकार के होते हैं- प्रत्यक्ष चुनाव, और अप्रत्यक्ष चुनाव। इसके अतिरिक्त आम चुनाव, मध्यावधि चुनाव और उप-चुनाव भी होते हैं।
प्रश्न 9. भारत में प्रथम आम चुनाव कब हुआ था ? अब तक कितने आम चुनाव हुए हैं ?
उत्तर – भारत में प्रथम चुनाव 1952 में हुआ था। तब से लेकर 2009 तक 15 बार लोकसभा के चुनाव ही चुके हैं।
प्रश्न 10. अब तक देश में किनते मध्यावधि चुनाव हुए हैं ?
उत्तर – अब तक देश में पाँच मध्यावधि चुनाव हो चुके हैं – 1980, 1991, 1998 और 1999।
प्रश्न 11. मुख्य चुनाव आयुक्त को उसके पद से हटाए जाने की प्रक्रिया क्या है ?
उत्तर – मुख्य चुनाव आयुक्त को उसके पद से हटाए जाने की प्रक्रिया जटिल है। उसे महाभियोग की प्रक्रिया से हटाया जा सकता है।
प्रश्न 12. चुनाव आयोग के कोई दो कार्य बातइए।
उत्तर – चुनाव आयोग के दो कार्य हैं –
(i) चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को चुनाव चिन्ह प्रदान करना ।
(ii) देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराना।
प्रश्न 13. रिटर्निंग अधिकारी के दो कार्य बताइए।
उत्तर – रिटर्निंग अधिकारी के दो कार्य हैं- (i) नामांकन पत्रों को लेना, उनकी जाँच करना, तथा (ii) चुनाव चिन्ह देना।
प्रश्न 14. मतदान अधिकारी किसे कहते हैं ?
उत्तर – प्रत्येक पीठासीन अधिकारी को मदद करने के लिए “तीन या चार अधिकारी होते हैं, उन्हें मतदान अधिकारी कहा जाता है।
प्रश्न 15. प्रतिरूपण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – प्रतिरूपण बोगस मतदान को कहते हैं। जब कोई व्यक्ति चुनाव के दौरान गलत पहचान द्वारा वास्तविक व्यक्ति के जगह पर मतदान करता है तो इस गैर-कानूनी कार्य को प्रतिरूप कहते हैं। मतदाता पहचान पत्र द्वारा अनिवार्य पहचान की मदद से प्रतिरूपण को कम किया जा सकता है।
प्रश्न 16. अमिट स्याही किसे कहते हैं ?
उत्तर – जिस स्याही को मिटाया नहीं जा सके, उसे अमिट स्याही कहते हैं। इसका उपयोग चुनाव में मतदान के लिए होता है। इसे मतदाता के दाहिने हाथ की तर्जनी पर लगाया जाता है. ताकि वह दुबारा मतदान न कर सके। इसका उपयोग गैर-कानूनी मतदान को रोकने के लिए किया जाता है।
प्रश्न 17. ‘मतपत्र कागज’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर –“मतपत्र कागज” कागज का एक टुकड़ा होता है. जिसका उनके चुनाव चिन्ह के साथ प्रत्याशियों का नाम लिखा होता है। इसका उपभोग मतदाता अपनी पसंद स्पष्ट करने के लिए करते हैं।
प्रश्न 18. गुप्त मतदान किसे कहते हैं ?
उत्तर – ” गुप्त मतदान” मतदान का एक तरीका है जिसके द्वारा चुनाव या जनमत संग्रह में मतदाताओं की पसंद गोपनीय रखी जाती है। यह तरीका गोपनीयता के उद्देश्य प्राप्त करने का एक साधन है।
प्रश्न 19. भारत में कैसी मतदान प्रणाली प्रचलित है ?
उत्तर – भारत में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार प्रणाली प्रचलित है।
प्रश्न 20. प्रत्येक मतदान क्षेत्र में कितने चुनाव अधिकारी होते हैं ?
उत्तर – प्रत्येक मतदान केंद्र में पाँच अधिकारी होते हैं। एक पीठासीन अधिकारी और चार मतदान अधिकारी।
प्रश्न 21. भारत में मतदान का अधिकार किसे प्राप्त है ?
उत्तर – भारत में प्रत्येक वह नागरिक जिसकी ‘आयु 18 वर्ष पूरी हो चुकी हो, चाहे उसका संबंध किसी जाति, धर्म, लिंग, भाषा, अथवा क्षेत्र से हो, अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकता है।
प्रश्न 22. मताधिकार से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – मताधिकार का आशय है-मत देने का अधिकार। संविधान द्वारा निर्धारित योग्यता के पूरी करने के पश्चात् भारत का कोई भी व्यक्ति अपने इस अधिकार का उपयोग कर सकता है।
प्रश्न 23. सार्वजनिक मताधिकार का प्रयोग सर्वप्रथम कहाँ हुआ था ?
उत्तर – विश्व में न्यूजीलैंड पहला देश है, जहाँ 1893 में सार्वजनिक मताधिकार दिया गया। 1905 में फिनलैण्ड ऐसा करने वाला प्रथम यूरोपीय देश था।
प्रश्न 24. जनमत के निर्माण में बाधक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – स्वस्थ में जनमत के निर्माण में कुछ तत्त्व बाधक हैं। ये लोगों को भ्रमित करते हैं। समाचार-पत्रों में पूर्वाग्रहपूर्ण विचारों का प्रावधान, टी.वी. और फिल्मों में सैक्स और अहिंसा का अत्यधिक चित्र और नफरत, क्षेत्रीयतावाद, सांप्रदायिकता, जातिवाद अधिक भड़काना स्वस्थ जनमत के निर्माण में बाधाएँ हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. जन-सहभागिता के महत्त्व को दर्शाइए।
उत्तर – भारत जैसे विकासशील देश में जन-सहभागिता और का भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है। लोगों की सहभागिता स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र की बुनियादी शर्त है। भागीदारी औपचारिक लोकतंत्र को वास्तविक लोकतंत्र में बदल देती है। वह शासन पर जनता का स्वामित्व स्थापित करती है, सक्रिय सहभागिता के द्वारा लोग सरकार को संस्था के रूप में स्वीकार करने लगते हैं।
प्रश्न 2. जन-सहभागिता की महत्त्वपूर्ण गतिविधि क्या है ?
उत्तर – जन-सहभागिता की महत्त्वपूर्ण गतिविधि निम्नलिखित है-
(i) सार्वजनिक गतिविधियाँ, जैसे- जुलूस, आमसभा, धरणा, प्रदर्शन इत्यादि में भाग लेना।
(ii) मतदान करना और दूसरों को मतदान के लिए प्रेरित करना।
(iii) राजनीतिक दल, हित समूह या दबाव समूह का सदस्य बनाना या उनकी गतिविधियों में सम्मिलित होना।
(iv) निर्वाचन जन-प्रतिविधियों से मिलना-जुलना।
(v) राजनीतिक विचारों का प्रसार करना।
(vi) सार्वजनिक सभा, ग्रामसभा की बैठक, अन्य समितियों की बैठक, जैसे- सार्वजनिक निकायों, विधानमंडल, संसद आदि के लिए चुनाव में उम्मीदवार होना।
प्रश्न 3. लोकतंत्र में जनमत की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर – लोकतंत्र में जनमत की भूमिका को किसी भी कीमत पर नजर-अंदाज नहीं किया जा सकता। क्योंकि जनता के समर्थन के बिना कोई सरकार कार्य नहीं कर सकती। जनमत निर्माण की प्रक्रिया सार्वजनिक विषयों पर जागरूकता को प्रोत्साहन और लोगों की राय आमंत्रित करती है। जनमत की निम्नलिखित भूमिका विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है।
(i) एक जागरूक और स्वतंत्र जनमत असीमित शक्ति पर प्रतिबंध लगाता है।
(ii) यह एक ऐसी प्रणाली सुनिश्चित करता है कि जिसमें सरकार का एक अंग, दूसरे अंग के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करता।
(iii) यह जनता की जरूरतों और आकांक्षाओं के प्रति उत्तरदायी प्रक्रिया को प्रोत्साहन करता है।
(iv) यह सरकार को जनहित में कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है।
(v) यह लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रतिमानों को शक्ति प्रदान करती है।
(vi) जनमत, अधिकार और स्वतंत्रता को सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिये ठीक ही कहा जाता है कि निरंतर सतर्कता स्वतंत्रता की कीमत है। उदाहरण के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रत्येक के सतत जागरूक व सावधान रहने की आवश्यकता है।
प्रश्न 4. प्रत्यक्ष चुनाव और परोक्ष चुनाव से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – हमारे देश में प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों प्रकार के चुनाव आयोजित किए जाते हैं। जिन चुनावों में जनता प्रत्यक्ष रूप से विधायी सदनों के लिए जनता प्रतिनिधि चुनती है, उन्हें प्रत्यक्ष चुनाव कहते हैं। जिन चुनावों में हमारे निर्वाचित प्रतिनिधि राज्यसभा विधान परिषद् के सदस्य तथा राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति का चुनाव करते हैं, उन्हें हम अप्रत्यक्ष चुनाव कहते हैं।

प्रश्न 5. निम्नलिखित के कार्य बताइए-
(i) रिटर्निंग अधिकारी
(ii) पीठासीन अधिकारी
(iii) मतदान अधिकारी
उत्तर – (i) रिटर्निंग अधिकारी – संबंधित राज्य सरकार के परामर्श पर चुनाव आयोग द्वारा प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में एक रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया जाता है। यह वह अधिकारी होता है जो चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के नामांकन पत्रों को प्राप्त कर उनकी जाँच करता है।
(ख) निर्वाचन आयोग के नाम पर चुनाव चिन्ह प्रदान करता है।
(ग) निर्वाचन क्षेत्र में अबाध चुनाव करता है।
(घ) मतों की गिनती को सुनिश्चित करता है।
(ङ) चुनाव परिणामों की घोषणा करता है।

(ii) पीठासीन अधिकारी – प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में बड़ी संख्या में मतदान केंद्र होते हैं। 800 से 1000 मतदाताओं के लिए एक मतदान केंद्र होता है जिसका प्रबंध एक अधिकारी करता है, उसे पीठासीन अधिकारी कहते हैं। उसके मुख्य कार्य हैं-
(क) मतदान केंद्र पर पूरी प्रक्रिया का निरीक्षण करना।
(ख) यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक मतदाता को स्वेच्छा से मतदान करने का अवसर मिले और किसी तरह की कोई धाँधली न हो।
(ग) मतदान समाप्त हो जाने के पश्चात् वह सभी मत पेटियों पर सील लगाकर उन्हें निर्वाचन अधिकारी को सौंप देना।

(iii) मतदान अधिकारी – इसके मुख्य कार्य हैं-
(क) मतदाता सूची में मतदाता के नाम की जाँच करना ।
(ख) मतदाता सूची अँगुली में अमिट स्याही लगाना ।
(ग) यह सुनिश्चत करना कि प्रत्येक मतदाता गुप्त रूप से मतदान करें।

प्रश्न 6. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन एक सरल युक्ति है, जिसका प्रयोग मतपत्र और मतपेटियों के स्थान पर किया जाता है, जिनका प्रयोग पहले पारस्परिक चुनाव प्रणाली में किया जाता था। पहली बार इसका प्रयोग सन् 1982 में केरल के परूर विधानसभा क्षेत्र के उप-चुनाव में सीमित मतदान केंद्रों (50) JP में हुआ था। भारत में 2004 के आम चुनाव के दौरान कुल 10.75 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन द्वारा चुनाव कराया गया था।
प्रश्न 7. भारतीय लोकतंत्र में वयस्क मताधिकार से लोगों को संप्रभु शक्ति मिलती है। किन्हीं दो उदाहरण द्वारा उस मत की पुष्टि कीजिए।
उत्तर – भारतीय लोकतंत्र में वयस्क मताधिकार लोगों की स्वतंत्रता तथा संप्रभुता सुनिश्चित करता है। क्योंकि इसके कारण “ही लोग सरकारें चुनते हैं, हटाते हैं, या पुनः चुनते हैं। यह सरकार पर जनता की आकांक्षाओं में लोगों को सक्रिय रूप भाग लेने का अवसर मिलता है तथा उनका राजनीतिक प्रशिक्षण होता है। यह सभी वर्गों, संप्रदायों और जातियों के लोगों को समान राजनीतिक अधिकार प्रदान करता है।
प्रश्न 8. बहुलवादी व्यवस्था से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – बहुलवादी व्यवस्था में अधिकतम मत पाने वाले प्रत्याशी को चुनाव में विजय घोषित किया जाता है। एक सदस्यीय तथा बहु-सदस्यीय चुनाव क्षेत्रों में यह मत प्रणाली वर्तमान समय में विधायिका के सदस्यों का निर्वाचित करने के लिए प्रयोग की जाती है।
प्रश्न 9. आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली एक ऐसी चुनाव विधि है, जिसके द्वारा जनसंख्या में अनुपात के आधार पर विभिन्न वर्ग के लोगों की प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाता है। इस व्यवस्था में कोई भी गुट यदि वह राजनीतिक दल हो या हित समूह लोकप्रिय वोट से प्राप्त अनुपात के आधार पर प्रतिनिधित्व प्राप्त करता है।
प्रश्न 10. भारतीय निर्वाचन आयोग के किन्हीं छ: कार्यों की समीक्षा कीजिए।
उत्तर – भारतीय निर्वाचन आयोग के छः कार्य निम्नलिखित हैं –
(i) स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न करना।
(ii) संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण ।
(iii) पूरे निर्वाचन क्षेत्र की निगरानी, निर्देशन और नियंत्रण करना।
(iv) राजनीतिक दलों को मान्यता देना तथा उन्हें चुनाव चिन्ह आबंटित करना।
(v) अधिकारियों, उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के लिए निर्देश तथा आचार-संहिता जारी करना।
(vi) निर्वाचन अधिकारियों को नियुक्त करना ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. जनमत को परिभाषित कीजिए तथा इसके निर्माण के किसी एक माध्यम का वर्णन कीजिए।
उत्तर – जनता का वह मत जो सार्वजनिक हित में होता है, उसे जनमत कहते हैं। यह संचार माध्यमों, राजनीतिक दल, हित या दबाव समूह सामाजिक और शिक्षण संस्थाओं तथा प्रथाओं और परंपराओं द्वारा निर्मित होता है।

जनता अपने विचार प्रतिनिधियों के माध्यम से सरकार तक पहुँचाती है। इस प्रकार सरकार को जनता की आकांक्षाओं पता चलता है। सरकार और विपक्ष दोनों ही अपनी नजर जनमत पर रखते हैं तथा इसके अनुरूप कार्य करने का प्रयास करते हैं। जो सरकार जनमत पर ध्यान नहीं देती, वह निरंकुश हो जाती है। वह लोक कल्याण के लिए कार्य नहीं करती। जनमत के निर्माण के माध्यम है।

1. संचार माध्यम – जनसंचार का सर्वाधिक प्रभावशाली तरीका संचार माध्यम है। प्रेस, दूरदर्शन, रेडियो तथा सिनेमा आदि के को सम्मिलित रूप से संचार माध्यम कहा जाता है। इन माध्यमों द्वारा हम राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय सूचनाओं, राजनीतिक विचारधाराओं, सरकारी नीतियों तथा कार्यक्रमों से अवगत हो जाते हैं। इन मध्यमों पर जनता के विचार, सरकार की आलोचना, जनता की शिकायतें आदि प्रसारित/प्रकाशित होती रहती है। इसे आम जनता द्वारा चलाई जा रही किसी खास योजना के बारे में अपनी समझ विकसित कर लेती है तथा अपना मत बना लेती है। टेलीविजन, रेडियो और सिनेमा ऐसे सशक्त माध्यम हैं, जिसकी पहुँच समाज के निचले तबके तक है। अभी जो पढ़े-लिखे नहीं होते, वे भी कार्यक्रम के प्रति अपनी धारणा विकसित एवं निश्चित कर लेते हैं। इस प्रकार जन-संचार माध्यम जनमत के सबसे प्रभावशाली कारक हैं।

प्रश्न 2. जनमत के विकास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए तथा इसकी विशेषताओं को बताइएं।
उत्तर – एक अवधारणा में जनमत का उदय अठारहवीं शताब्दी में हुआ। शहरीकरण और अन्य राजनीतिक और सामाजिक शक्तियों के कारण यह अवधारणा अस्तित्व में आई। ब्रिटिश दार्शनिक जेरेमी बॉथम के द्वारा पहली बार जनमत के सिद्धांतों का विकास किया गया। उसने कहा कि जनमत से यह सुनिश्चित करने की शक्ति है कि शासक अधिकतम लोगों के अधिकतम सुख के लिए कार्य करेंगे।

जनमत का अर्थ – जनमत को अनेक तरीकों से परिभाषित किया जाता है। इस कारण इसकी परिभाषा अत्यधिक जटिल हो जाती है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि जनमत, सार्वजनिक, विषयों या मुद्दों पर लोगों की सहमति और सुविचारित राय को कहा जाता है। जनमत विभिन्न लोगों की जटिल राय का संग्रह है और सभी विचारों के योगफल के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है। काफी हद तक जनमत की विभिन्न परिभाषाओं निम्नलिखित विशेषताएँ पाई जाती हैं-
(क) जनमत विचारों का समूह या समुच्चय है।
(ख) यह विचार तर्क पर आधारित होते हैं।
(ग) ये विचार संपूर्ण समुदाय के कल्याण को सुनिश्चित करते हैं।
(घ) जनमत सरकारी निर्णयों, राजनीतिक दलों की कार्य प्रणाली तथा प्रशासनिक संचालन को प्रभावित करता है।

प्रश्न 3. चुनाव क्या है ? भारत में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चुनावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – लोकसभा, विधानसभा या स्थानीय निकाय की सदस्यता के लिए जन समर्थन प्राप्त करने के उद्देश्य से उम्मीदवारों के बीच स्पर्धा का चुनाव कहते हैं।

भारत में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार के चुनाव आयोजित किए जाते हैं। जिन चुनावों में जनता प्रत्यक्ष रूप में विधायी सदनों के लिए अपना प्रतिनिधि चुनती है, उन्हें प्रत्यक्ष चुनाव कहते हैं। जिन चुनावों में हमारे निर्वाचित प्रतिनिधि राज्यसभा, विधान परिषद् के सदस्य तथा राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति न का चुनाव करते हैं, उन्हें हम अप्रत्यक्ष चुनाव कहते हैं।

साधारणतः चुनाव पाँच वर्षों में आयोजित होते हैं। इसे आम चुनाव कहते हैं। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं की कार्यावधि पाँच वर्षों की होती है। पाँच वर्ष पूरे होने पर इन सदस्यों के लिए चुनाव होते हैं। कभी-कभी चुनाव अवधि पूरे होने से पूर्व भी होते हैं। कार्यकाल पूरा होने पर जो चुनाव होते हैं, उन्हें आम चुनाव कहते हैं।

जो चुनाव विधानसभा या लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने से पूर्व भंग किए जाने के फलस्वरूप बीच में आयोजित होते हैं उन्हें हम मध्यावधि चुनाव कहते हैं। भारत में लोकसभा के लिए मध्यावधि चुनाव 1980, 1998 तथा 1999 में आयोजित किए गए थे।

उपर्युक्त चुनाव के अतिरिक्त भारत में उपचुनाव भी होते हैं। जो किसी विशेष निर्वाचन क्षेत्र में वहाँ के निर्वाचित प्रतिनिधि की मृत्यु अथवा त्यागपत्र के फलस्वरूप रिक्त होने पर आयोजित किए जाते हैं।

प्रश्न 4. ‘चुनाव लोकतंत्रीय व्यवस्था के अभिन्न अंग हैं।’ उपरोक्त कथन की पुष्टि के लिए कोई दो समुचित तर्क दीजिए। चुनाव आयोग जैसी संस्था स्वतंत्र, निष्पक्ष तथा शंतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराने के लिए क्यों आवश्यक है ?
उत्तर – चुनाव लोकतंत्रीय व्यवस्था में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। इन चुनावों के कारण जनता को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी निभाने का अवसर प्राप्त होता है। इसके माध्यम से लोग अपनी राजनीतिक इच्छा व्यक्त कर पाते हैं तथा कर्त्तव्य निर्विघ्न तथा शासन की कला सीख पाते हैं। आम चुनाव से सत्ता का शांतिपूर्ण परिवर्तन होता है।

निर्वाचन आयोग की आवश्यकता – भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव करवाने का दायित्व निर्वाचन आयोग का होता है। इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त तथा कुछ अन्य चुनाव आयुक्त राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। इनकी नियुक्ति निश्चित अवधि के लिए होती हैं। इन पर सरकारी दबाव नहीं होता। वे चुनावी आचार-संहिता के अनुसार पालन करते हैं। यह आयोग सभी दलों को निर्धारित तरीके से मान्यता देता है तथा उन्हें चुनाव चिन्ह आवंटित करता है। सभी प्रत्याशियों को चुनाव प्रचार, मतदान के दौरान की सभी तैयारियाँ चुनाव आयोग सरकार से अलग करता है। यह संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण करता है।

प्रश्न 5. भारत में चुनाव प्रक्रिया के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर – भारतीय संविधान के अनुसार लोकसभा, राज्यों की विधानसभाओं तथा स्थानीय संस्थाओं के चुनाव प्रत्यक्ष रूप से मतदाताओं द्वारा समय-समय पर कराए जाते हैं। इन सबकी विधि प्रायः एक जैसी होती है जिनका विवरण नीचे दिया जा रहा है।

(i) निर्वाचन क्षेत्र – संपूर्ण देश, राज्य या नगर को चुनाव के समय मतदाताओं की संख्या के अनुसार क्षेत्रों में बाँट दिया जाता है। प्रत्येक क्षेत्र उस चुनाव का निर्वाचन क्षेत्र कहलाता है।

(ii) मतदाता सूची – चुनाव के कुछ समय पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त के आदेश पर प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं की सूचियाँ तैयार की जाती हैं। लोग प्रार्थनापत्र देकर उन सूचियों की त्रुटियाँ दूर करवा सकते हैं। नए नामों को उनमें जुड़वा सकते हैं। और पुराने अनावश्यक नामों को कटवा सकते हैं।

(iii) प्रत्याशी या उम्मीदवार – मतदाता सूची में अंकित कोई भी नागरिक व्यक्तिगत रूप से या किसी राजनैतिक दल के सदस्य के रूप में चुनाव लड़ सकता है और इसके लिए नामांकन पत्र भर सकता है, यदि उसमें उम्मीदवार की सभी योग्याताएँ मौजूद हैं।

(iv) चुनाव चिह्न – प्रायः राजनैतिक दलों में तो सुपरिचित चुनाव चिह्न होते हैं, जैसे कि हमारे देश में कांग्रेस दल का हाथ का निशान। इसके अतिरिक्त सभी उम्मीदवारों को जिनके नामांकन पत्र की हों, चुनाव आयोग की ओर से कोई न कोई चुनाव चिह्न प्रदान किया जाता है।

(v) चुनाव अभियान – सभी उम्मीदवार तथा राजनैतिक दल अपने प्रत्याशियों के समर्थन में जुलूस निकालते हैं, सभाएँ करते हैं, भाषण देते हैं, पोस्टर छपवाते हैं और घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क करते हैं, ताकि उनके प्रत्याशी सफल हो सकें। चुनाव के समय से 18 घंटे पहले चुनाव प्रचार बंद किया जाता है।

(vi) नामांकन पत्र – चुनाव से पूर्व नामांकन पत्र भरे की अंतिम तिथि घोषित कर दी जाती है। इस तिथि से पूर्व चुनाव में भाग लेने वाले सभी उम्मीदवार अपने नामांकन पत्र भरकर, कुछ मतदाताओं से अनुमोदित करवाकर कुछ धरोहर की राशि के साथ एक निश्चित जानकारी को दे देते हैं। यह उसकी जाँच-पड़ताल करता है और कोई गलती या कमी पाए जाने पर नामांकन पत्र को रद्द भी कर सकता है। एक निश्चित तिथि तक उम्मीदवार अपना नाम चुनाव से वापस भी ले सकता है।

(vii) चुनाव स्थगन – चुनाव के दिन सभी मतदाता निश्चित मतदान केंद्रों पर जाकर मतदान करते हैं। वहाँ प्रत्येक मतदाता को एक पर्ची दी जाती है जिसे बैलट पेपर कहते हैं। इस पर सभी उम्मीदवार के नाम व चुनाव चिह्न छपे होते हैं। पर्दे की ओट में मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार के चुनाव चिह्न पर मोहर लगाकर पर्ची को एक बंद पेटी में डाल देते हैं।

(viii) चुनाव परिणाम – सभी सीलबंद पेटियों को गणना के लिए निश्चित केंद्रों पर भेज दिया जाता है और सबसे अधिक मत पाने वाले उम्मीदवार को चुनाव अधिकारी द्वारा सफल घोषित कर दिया जाता है।

प्रश्न 6. सार्वजनिक वयस्क मताधिकार क्या है ? लोकतंत्र में इसके महत्त्व दर्शाइए ।
उत्तर – सभी वयस्क नागरिकों को बिना भेदभाव के मतदान का अधिकार प्रदान किया जाना सार्वजनिक वयस्क मताधिकार कहलाता है। प्रजातंत्र में जनता सर्वोपरि होती है। जनता के चुने हुए प्रतिनिधि सरकार का गठन करते हैं। जनता को ही सरकार चुनने का अधिकार है। सभी वयस्क नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के मताधिकार प्रदान किया जाता है। यह सार्वजनिक वयस्क मताधिकार कहलाता है।
लोकतंत्र में महत्त्व – (i) वयस्क मताधिकार लोकतंत्र की भावना पर आधारित है। यह राजनीतिक समानता सिद्धांत पर आधारित है।
(ii) समाज के किसी भी वर्ग की अवहेलना नहीं होती। राजनीतिक एकता को प्रोत्साहन मिलता है।
(iii) सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार होने पर जनता समझने लगती है कि राज्य उसी का है, उसी के लिए है और उसी के द्वारा चलाया जाता है। अतः उसकी शासन में रुचि बढ़ जाती है।
(iv) मताधिकार प्राप्त होने पर भी नागरिक अपना बौद्धिक, मानसिक, सांस्कृतिक तथा नैतिक विकास कर सकते हैं।
(v) यह सरकार पर जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए दबाव डालता है ताकि सरकार चलती रहे। इससे राजनीतिक प्रक्रिया में लोगों में सक्रिय भाग लेने का अवसर मिलता है तथा उनका राजनीतिक प्रशिक्षण होता है। यह लोकतंत्र और जन- सहभागिता के लिए जीवनदायी तत्त्व है।

NIOS Class 10th सामाजिक विज्ञान (पुस्तक – 2) Question Answer in Hindi

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