NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 12 भारत में कृषि (agriculture in india)
Textbook | NIOS |
Class | 10th |
Subject | सामाजिक विज्ञान (Social Science) |
Chapter | 12th |
Chapter Name | भारत में कृषि |
Category | Class 10th सामाजिक विज्ञान |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 12 भारत में कृषि (agriculture in india)
Chapter – 12
भारत में कृषि
Question & Answer
पाठांत प्रश्न
प्रश्न 1. भारतीय कृषि की किसी भी चार विशेषताओं को समझाइए। उत्तर- भारतीय कृषि की चार विशेषताएं निम्नलिखित हैं- (i) खेती का मशीनीकरण भारत में हरित क्रांति ने साठ के दशक के अंत और सत्तर के दशक के ले ली। हरित क्रांति कृषि मशीनरी और उपकर क्रांति के चालीस से भी अधिक वर्षों के बाद पूर्ण अभी भी दूर का सपना है। (ii) निर्वाह कृषि-जैसा कि पहले उल्लेख किया है भारत के अधिकांश भागों में निर्वाह कृषि की जाती है। में इस प्रकार की कृषि कई सौ वर्षों से की जा रही है। के बड़े भू-भाग पर आज भी किया जाता है। प्राप्ति के बाद कृषि में बड़े पैमाने पर बदलाव आया है। (iii) कृषि पर जनसंख्या का दाव औद्योगिकरण में वृद्धि के का अभी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। (iv) खाद्य फसलों की प्रधानता – चूँकि भारतीय कृषि माध्यम से देश की बड़ी जनसंख्या को भोजन प्रदान करन है। लगभग सर्वत्र भारत में किसानों की प्राथमिकत उगाए जाने वाले भूमि के हिस्सों में कमी आई है। क्योंकि वाणिज्यिक खेती से ज्यादा लाभ उन भूमि से प्राप्त हो रहा है । |
प्रश्न 2. चावल और गेहूं की खेती के लिए भौगोलिक परिस्थितियों की तुलना कीजिए। उत्तर- चावल और गेहूँ दोनों भारत की प्रमुख खाद्य फसलें हैं। इसकी खेती के लिए भौगोलिक परिस्थितियों का अध्ययन निम्नलिखित है-
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प्रश्न 3. चाय और कॉफी की खेती के लिए किन्हीं चार भौगोलिक परिस्थितियों को पहचाने और लिखें। (ii) चाय के उत्पादन के लिए मिट्टी अछूता जंगली मृदा में और लोह तत्त्व से युक्त हो सर्वोत्तम मिट्टी मानी जाती। कॉफी की खेती के लिए भौगोलिक परिस्थतियों – कॉफी के विकास के लिए भौगोलिक परिस्थितियाँ निम्नलिखित है- |
प्रश्न 4. भारतीय कृषि द्वारा सामना किए जाने वाले किन्हीं चार चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए। उत्तर – भारतीय कृषि द्वारा सामना किए जाने वाली चार बुरीतियाँ निम्नलिखित हैं– (i) मिट्टी में पोषक तत्त्व का अभाव यह भारतीय कृषि के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। एक ओर हरित क्रांति ने भारत से भूख को कम करने में एक सकारात्मक भूमिका निभाई है दूसरी ओर वह नकारात्मक परिणाम भी लाई है। इसमें मृदा उर्वरता का ह्रास एक है। (ii) खेत निवेश में उच्च लागत पिछले वर्षों में खेत निवेश के दर में कई गुना वृद्धि हुई है। इसके अंतर्गत उर्वरक, कीटनाशक उत्तम किस्म के बीज, कृषि श्रम लागत इत्यादि आते हैं। इन सभी के कारण निम्न एवं मध्यम जोत वाले किसान ज्यादा घाटे में होते हैं। (iii) वैश्विक जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव – विभिन्न चुनौतियों में से वैश्विक जलवायु परिवर्तन नवीन है। 70% भारतीय कल्पना कर सकते हैं। यह भविष्यवाणी की है कि जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी। समुद्र के स्तर में वृद्धि होगी। अधिक आएगा और वर्षा की भविष्यवाणी असंभव होगी। भारत के तटवर्ती भागों में समुद्री जल जल प्रवेश और चक्रवातों क आवृत्ति में वृद्धि के कारण चावल का उत्पादन प्रभावित होगा। (iv) किसानों की आत्महत्या किसानों की आत्महत्या कृषि के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। कृषि निवेश में भारी गिरावट के साथ-साथ देश के व्यावसायीकरण के कारण आत्महत्या बढ़ी है। बढ़ते हुए लागत खर्च एवं घटते कृषि आय के समय पर ऋण की वापसी आत्महत्या की समस्या को और गंभीर व जटिल बना दिया है। |
प्रश्न 5. खाद्य सुरक्षा की अवधारणा को समझाइए। यह भोजन में आत्मनिर्भरता से किस तरह अलग है? उत्तर – भारत में हरित क्रांति की शुरूआत से पहले हमारे खाद्यान्न पर्याप्त नहीं थे। 1947 में भारत के विभाजन के कारण नहर सिंचाई प्रणाली कपास की पट्टी और गेहूँ का कटोरा पश्चिमी पाकिस्तान, जो अब पाकिस्तान है, में चला गया। इसी प्रकार जूट की पट्टी और धान का कटोरा पूर्वी पाकिस्तान जो अब बांग्लादेश है, में चला गया। हरित क्रांति की शुरूआत साथ अनाज उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है और भारत पर्याप्त अनाज पैदा करने लगा। हालांकि, पिछले एक दशक के दौरान कुल उत्पादन स्थिर-सा हो गया है। दूसरी ओर इसी अवधि में 16 से 18 करोड़ आबादी बढ़ गई है भारत खाद्यान में आत्मनिर्भर बन गया है। इसे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बहुत कुछ करना है, क्योंकि यह उपलब्ध पोषणको की उपलब्धता और समर्थता पर निर्भर करता है। भारत के लिए अपने लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना बड़ी चुनौतियों में से एक है। |
प्रश्न 6. भारत के रेखा मानचित्र पर उत्पादन क्षेत्रों को दर्शाइए- |
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. हयूमस किसे कहते हैं ? उत्तर- पेड़-पौधों और जीव-जन्तुओं के गले व अंश को स्यूमस कहते हैं। |
प्रश्न 2. भारत में कितने प्रकार की मृदा पाई जाती है ? उत्तर- भारत में चार प्रकार की मुद्रा पाई जाती है- (i)जलोड़ मिट्टी (ii) रेग या काली मिट्टी, (iii) लाल मिट्टी (iv) लैटराईट मिट्टी |
प्रश्न 3. निर्वाह खेती से आप क्या समझते हैं? उत्तर- निर्वाह की खेती से अभिप्राय उन खेतियों से है जिसमें किसान खुद के उपयोग के लिए खेती करें। |
प्रश्न 4. वाणिज्यिक खेती से क्या अभिप्राय है? उत्तर- वाणिज्यिक खेती के विपरीत निर्वाह खेती है, उसमें उत्पादन का अधिकतर भाग धन प्राप्ति के लिए बाजार में बेचा जाता है। |
प्रश्न 5. हरित क्रांति से आप क्या समझते हैं ? |
प्रश्न 6. श्वेत क्रांति से आप क्या समझते हैं ? उत्तर- यह दूध उत्पादन में असाधारण वृद्धि है। इसके अंतर्गत राष्ट्रीय दूध ग्रह का गठन क्षेत्रीय तथा मौसमी असंतुलन का निराकरण सन्निहित है। तकनीकी आदानों में है- (i) स्वदेशी गाय को यूरोपीय नस्ल के ज्यादा दूध देने वालों और (ii) लंबी अवधि तक रखने के लिए दूध की पारीकरण, (iii) ग्रामीण क्षेत्रों के सदस्यों से गुणात्मक दूध का संग्रहण (iv) प्रशीतित परिवहन प्रणाली से दूध को सड़क और रेल मागों द्वारा दूर महानगरीय केंद्रों तक भेजने में मदद करता है। |
प्रश्न 7. आजकल भोजन के रूप में बाजरा का चलन क्यों बढ़ रहा है? उत्तर- जीवन शैली में बदलाव के कारण अनेक देशव्यापी रोगों का प्रकोप बढ़ा है। आजकल विभिन्न प्रकार से बाराको खाने की सलाह दी जा रही है। क्योंकि इनमें काफी रेशेदार पदार्थ पाए जाते हैं। इनसे विभिन्न रोगों पर काबू पाया जा सकता है। |
प्रश्न 8. नकदी फसल किसे कहते हैं ? उत्तर- नकदी फसल उन फसलों को कहा जाता है जिसे या तो शुद्ध अर्द्ध प्रसंस्कृत रूप में बेचने के लिए उगाया जाता है। नकदी फसलें है गन्ना, कपास, जूट, तिलहन, मूंगफली, सरखें। |
प्रश्न 9. जलोढ़ मिट्टी की मुख्य विशेषताएं क्या है ? उत्तर- यह मिट्टी उत्तरी मैदानों, प्रायद्वीपीय भारत के तटीय प्रदेशों और डेल्टा प्रदेशों में पाई जाती है। यह मिट्टी सामान्यतः उपजाऊ होती है। |
प्रश्न 10. भारत में कितने प्रतिशत भू-भागों पर खेती होती है ? उत्तर- भारत में 51 प्रतिशत भू-भागों पर खेती होती है। |
प्रश्न 11. खरीफ की फसलों से क्या अभिप्राय है ? उत्तर- चावल, गन्ना, कपास आदि ग्रीष्म ऋतु की फसलें खरीफ की फसलें कहलाती हैं। |
प्रश्न 12. रबी की फसल से आप क्या समझते है ? उत्तर- गेहूँ, चना, सरसों की फसलें जिन्हें शीत ऋतु के आरंभ में बोया जाता है तथा ग्रीष्म ऋतु के आरंभ में काट लिए जाता है, रबी की फसलें कहलाती हैं। |
प्रश्न 13. भारत में गन्ना उत्पादन करने वाले राज्यों के नाम बताइए। हैं ? उत्तर- (1) उत्तर प्रदेश (ii) महाराष्ट्र |
प्रश्न 14. भारतीय कृषि की प्रमुख चुनीतियाँ का उत्तर- भारतीय कृषि के लिए कुछ प्रमुख चुनौतियाँ उत्पादन में स्थिरता, कृषि निवेश की उच्च लागत, मृदा उर्वरता का हा मीठे भूमिगत जल की कमी, जलवायु परिवर्तन, वैश्वीकरण अर्थव्यवस्था का उदारीकरण, खाद्य सुरक्षा और किसानों की आत्महत्या है। |
प्रश्न 15. भारत में खेती के विभिन्न प्रकार प्रचलि है। आप उनकी व्याख्या कीजिए। उत्तर- भारत में खेती के विभिन्न प्रकार प्रचलित हैं। प्रकारों तरीकों में निर्वाह और वाणिज्यिक खेती, गहन और विस्तृत खेती बगानी और मिश्रित खेती हैं। |
प्रश्न 16. भारत में गेहूं उत्पादन के तीन राज्यों के नाम बताइए। उत्तर- पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में तीन भारत के प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्य हैं। |
प्रश्न 17. भारत में पैदा होने वाले पाँच प्रमुख अनाजों को उनकी पैदावार के क्रम में लिखें। उत्तर- चावल, गेहूँ, ज्वार, बाजरा और भक्का। |
प्रश्न 18. भारत में कपास की खेती कहाँ अधिक होती है ? उत्तर- भारत में कपास की खेती दक्षिणी पठार की काली मिट्टी वाले शुष्क भागों महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में की जाती है। |
प्रश्न 19. ऐसी कृषि जिसमें भारी पूंजी निवेश औ आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों से खेती की जाती है, उसे कौन-सी कृषि कहते हैं ? उत्तर- उसे रोपण कृषि कहते हैं। |
प्रश्न 20. भारत में मूंगफली किन भागों में पैदा की जाती है ? उत्तर- दक्षिणी और पश्चिमी भारत में है । |
प्रश्न 21. भारत में चावल किस भूमि में उगाया जाता है ? उत्तर- ऊष्ण कटिबंधीय निम्न भूमि में। |
प्रश्न 22. गेहूं की फसल के लिए कौन-सी मिट्टी उपयुक्त होती है? उत्तर- गेहूं की फसल के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है । |
प्रश्न 23. लेटराइट मिट्टी कहाँ पाई जाती है ? उत्तर- मेघालय तथा पश्चिमी घाट के भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में पाई जाती है। |
प्रश्न 24. मूंगफली की खेती के लिए किसी दो भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन कीजिए। उत्तर- दो भौगोलिक परिस्थितियाँ निम्न हैं- (i) मूँगफली की खेती के लिए अच्छे निकास वाली हल्के रेतीले दोमट लाल पीली और काली मिट्टी उपयुक्त है। (i) मूँगफली उष्ण कटिबंधीय जलवायु में सबसे अच्छी उपज मानी जाती है। |
प्रश्न 25. भारत में प्रमुख चाय उत्पादक राज्यों के नाम बताइए। |
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. गहन और विस्तृत खेती की अवधारणा को परिभाषित कीजिए। उत्तर- खेती के इन दो प्रकारों के बीच बुनियादी अंतर उत्पादन की राशि के प्रति इकाई भूमि है। संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाड़ा और पूर्व सोवियत संघ के समशीतोष्ण क्षेत्रों के साथ तुलना में भारत विस्तृत खेती अभ्यास नहीं करता है। जब हम खेती के लिए, देश के बड़े क्षेत्र का उपयोग करें तो हम इसे विस्तृत खेती कहते हैं। यहाँ बड़ा क्षेत्र होने के कारण कुल उत्पादन ज्यादा हो सकता है, परंतु प्रति इकाई भूमि उत्पादन कम होता है। व्यापक खेती भारत में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में देखी जा सकती है। गहन खेती में प्रति इकाई भूमि उत्पादन ज्यादा अंकित किया जाता है। जापान में गहन खेती का सबसे अच्छा उदाहरण है। जहाँ खेती के लिए भूमि की उपलब्धता बहुत सीमित है। इसी प्रकार की स्थिति भारत के केरल राज्य में देखी जा सकती है। |
प्रश्न 2. जीवन निर्वाह कृषि को परिभाषित कीजिए। उत्तर- भारत में कृषि जोतों का आकार बहुत छोटा है जिसके कारण बड़े पैमाने पर जीवन निर्वाह कृषि की जाती है। किसान भोजन की अपनी आवश्यकताओं जैसे खाद्यान्न, दालें, तिलहन और सब्जियों अपने छोटे से खेत में उगाने का प्रयत्न करता है। उसके पास बाजार में बिक्री के लिए बहुत कम बचता है। ऐसी कृषि जीवन-निर्वा कृषि है। भारत के आधे किसान ऐस ही है, जो जीवन-निर्वाह कृषि करते हैं। |
प्रश्न 3. व्यापारिक कृषि को स्पष्ट कीजिए। उत्तर- सिंचाई के सपने में वृद्धि उन्नत किस्म के बी के प्रवेग, उर्वरकों और कीटनाशकों जैसे-नवेश के कारण अब कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है। उसके पास बाजार में बेचने के लिए अनार यह जाता है और इसे बाजार में बेचकर अपनी दिन-प्रतिदिन की आवश्यकताओं की पूर्ति कर लेता है। किसान अब नकदी फसलें उगा रहे हैं और उनसे लाभ कमाने की स्थिति में है। अब किसान कपास जूट गन्ना आदि करी 1 व्यापारिक फसलों का से उत्पादन कर रहे हैं। साथ ही हूँ और चावल का भी उत्पादन बढ़ाकर उससे लाभ कमाने की स्थिति में है। |
प्रश्न 4 रोपण कृषि से क्या अभिप्राय है ? उत्तर- एक ही फसल को बड़े पैमाने पर उगाने और उसके प्रबंध करने को रोपण कृषि कहते हैं। उत्पादन लागत को घटाने के लिए उस कृषि में से प्रबंधन या तकनीकी ज्ञान, अच्छे कृषि यंत्र और औजार, उर्वरक, परिवहन के साधन आदि की आवश्यकता पड़ती है। भारत के चाय बगान रोपण कृषि के सबसे अच्छे उदाहरण है। यहाँ पर जोते नहीं है और प्रबंध है। |
प्रश्न 5. यह दर्शाने के लिए कि भारतीय कृषि निर्वाह कृषि से व्यापारिक कृषि की ओर बढ़ रही है। तीन उदाहरण दीजिए। |
प्रश्न 6. दलहन के अंतर्गत प्रमुख फसलों की सूची बनाएँ। उत्तर- दलहन में अनेक फसलों को रखा जाता है, जो ज्यादातर फली है। ये भारत के शाकाहारी लोगों के लिए अमूल्य प्रोटीन प्रदान करते हैं। गौस और मछली खाने वालों की तुलना में शाकाहारियों के प्रमुख स्रोत है। इसके अतिरिक्त ये फली फसलें वायुमंडलीय नाइट्रोजन को मिट्टी में भौगोलीकृत करती है। सामान्यतया अन्य फसलों से आवर्तित करके मृदा की उर्वरता को बनाएँ रखा जाता है। भारत में विभिन्न प्रकार के दलहन पाया जाता है। ये चना, तूर या अरहर, उड़द, मूंग, मसूर, कुल्फी मटर आदि हैं। परंतु इन सभी में चना और तुर या अरहर ही ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। |
प्रश्न 7. भारतीय कृषि की उन्नति के लिए सरकार द्वारा क्या-क्या उपाय किए गए ? उत्तर- भारतीय कृषि की उन्नति के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय निम्नलिखित है- (i) जमींदारी प्रथा का उन्मूलन (i) भू-जो की सीमाबंदी (ii)जोतों की चकबंदी (ii) बहुउद्देश्यीय समिति तथा सहकारी बैंकों की स्थापना (1) कृषि-उत्पादों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों का निर्धारण (i) फसलों को बीमा नीति (ii) कृषि के लिए विस्तार कार्यक्रम |
प्रश्न 8. खाद्य फसलों और औद्योगिक फसलों में क्या अंतर है? उत्तर- खाद्य फसलें- ये जीवन की रक्षा के लिए आवश्यक है। जिनका उपयोग खाद्य सामग्री के रूप में किया जाता है, खाद्य फसलें कहलाती हैं। इनमें चावल, गेहूं, मक्का, ज्वार, बाजरा और दालें आती है। औद्योगिक या नकदी फसलें इन फसलों से है जिन्हें परिवार के भरण-पोषण के लिए नहीं वरन् अधिक लाभ कमाने के लिए उगाया जाता है। इनको औद्योगिक फसलें इसलिए कहा जाता है, क्योंकि विभिन्न उद्योगों में इन्हें कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है। कपास, जूट, गन्ना, तम्बाकू, तिलहन, चाय, कॉफी, रबड़, नारियल आदि औद्योगिक फसले हैं। |
प्रश्न 9. चना की खेती के लिए तीन भौगोलिक उत्तर- चना की खेती के लिए भौगोलिक परिस्थिति परिस्थितियों का वर्णन कीजिए। निम्नलिखित है- (i)वर्षान की खेती के लिए 40 से 45 अनुकूल है। (ii)मृदा-यह चिकनी मिट्टी पर उप है। (iii) तापमान विस्तृत जलवायु परिस्थितियों में चना की खेती की जाती है। 20 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सि तापमान के साथ हल्के शीतल जलवायु एवं शुष्क अवस्था है। (iv) वितरण चना के मुख्य उत्पादक राज्य है- प्रदेश राजस्थान, हरियाणा और महाराष्ट्र। |
प्रश्न 10. भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का क्या महत्त्व है ? उत्तर- भारत प्राचीन काल से ही कृषिप्रधान देश रखा है इसकी लगभग दो-तिहाई जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए प्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। कृषि भारत की अर्थव्यवस्था का आधार है। इसका सकल घरेलू उत्पाद में 26 प्रतिशत योगदान है। यह देश के लिए खाद्य सामग्री सुनिश्चित करती है और उस के लिए अनेक कच्चे माल पैदा करती है। कृषि विकास इसलिए हमारी संपूर्ण राष्ट्रीय खुशहाली की पहली शर्त है। |
प्रश्न 11. भारतीय कृषि की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं ? उत्तर- स्वतंत्रता के बाद विस्तृत क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के बाद भी केवल दो पंचमांश फसली क्षेत्र को ही सिंचाई की सुविधाएँ उपलब्ध हो सकी है। उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग बढ़ा है। अधिक उपज देने वाले बीज विस्तृत भूभागों में हरित क्रांति का विस्तार हुआ। उससे विभिन्न फसलों के प्रति हेक्टेयर उपज में तथा उनके कुल उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इतनी प्रगति होने के बाद भी देश के कई भागों में अभी भी आत्मनिर्वाह कृषि की जाती है। अधिकां किसानों के पास जोतें छोटी हैं। किसान उस पर मुख्यतः अपने उपयोग के लिए फसलें उगाता है-खेती के विभिन्न कामों में पशु महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खेती मुख्यतः मानसूनी वर्ष पर निर्भर है। कृषि उत्पादन में खाद्य फसलों का सर्वाधिक अनुपात है। लगभग एक तिहाई जोते छोटे आकार की है। इनका इनका आकार एक-तिहाई हेक्टेयर से भी छोटा है। गांवों में परिवहन के साधन अपर्याप्त हैं। यहाँ अधिकतर कच्ची सड़के हैं। फसलें भंडारण के लिए भी सुविधाओं की कमी है। |
प्रश्न 12. भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव को निर्गत कीमत में कमी है। आर्थिक सहायता की और स्पष्ट कीजिए। किसानों की सुरक्षा का मिला-जुला प्रतिविम्ब है। उत्तर- भारत में वैश्वीकरण का प्रभाव कृषि के विभिन्न उदारीकरण के कारण अन्य देशों के साथ की प्रति क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। इसका सबसे अधिक हो जाती है जबकि विकसित देशों में उन्हें आर्थिक सहायता किसानों की घटती आय और भारत में खेती की जाती है। प्रश्न चिन्ह है। इसका मुख्य कारण लागत खर्च में वृद्धि और निर्गत कीमत में कमी है। आर्थिक सहायता की कमी और किनकी सुरक्षा का मिला-जुला प्रतिविम्व है। उदारीकरण के कारण अन्य देशों के साथ किसानों की प्रति हो जाती है जबकि विकसित देशों में उन्हें अधिका जाती है। |
प्रश्न 13. भारत की प्रमुख फसलों की एक सूची बनाइए ?
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प्रश्न 14. शुष्क कृषि से क्या अभिप्राय है? |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार क्यों कहा जाता है ? उत्तर- कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है। एग्रिकल्चर टिन भाषा के दो शब्दों ‘एस’ तथा कल्चर’ से बना है। एग्रोस का अर्थ है ‘भूमि’ और कल्चर का अर्थ है ‘जुताई’ इस प्रकार कृषि का अर्थ भूमि की जुताई है। निःसंदेह भारतीय कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है. जिसका विस्तृत वर्णन निम्नलिखित में कर रहे हैं- (i) भारत की बड़ी जनसंख्या कृषि पर आधारित है। भारतीय कृषि जीवन निर्वाह का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है। (ii) भारत के नियंत व्यापार में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है। (iii) योजनाओं की सफलता के लिए कृषि का विकास सबसे अधिक आवश्यक है। भारत को बढ़ती हुई जनसंख् भोजन के लिए कृषि पर ही देश के उद्योग व्यवसाय विदेशी व्यापार और यातायात आश्रित है। कृषि का राष्ट्रीय आप में योगदान एक-चौथाई है। (iv) भारत चाय, भूँगफली का विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जबकि चावल उत्पादन में इसे विश्व द्वितीय स्थान प्राप्त है और तम्बाकू एवं कपास में तृतीय स्थान प्राप्त है। उपर्युक्त अध्ययन यह दर्शाते है कि कृषि भारतीय अर्थ की रीढ़ है। भारत की संपूर्ण अर्थव्यवस्था इसी पर निर्भर करती है और यह भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है। |
प्रश्न 2. हरित क्रांति से क्या अभिप्राय है? इसके लाभ बताइए। उत्तर- हरित क्रांति एक ऐसा क्या है, जिसका उपभोग सामान्यतः भारत में खाद्यान्नों के उत्पादन में आश्चर्यजनक वृद्धि के रूप में वर्णित किया जाता है। यह अधिक उपन देने वाले बीज धरातलीय और भूमिगत जल का सिंचाई के लिए विकास बड़े पैमाने पर उर्वरकों, पीड़क नाशकों और कीटनाशकों का उपभोक्ता भूमि सुधार, विद्युतीकरण तथा मशीनीकरण की देन है। हरित क्रांति के लाभ हरित क्रांति के अनेक लाभ हुए हैं। जैसे- (i) किसानों की समृद्धि-हरित क्रांति के फलस्वरूप किसानों की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। कृषि का व्यवस एक लाभकारी व्यवसाय माने जाने लगा। (ii) उत्पादन में वृद्धि-हरित क्रांति के 1967-68 और इसके बाद के वर्षों में बड़ी तीव्र गति से हुआ। (ii) उद्योगों का विकास-हरित क्रांति के का भी विकास हुआ। कृषि यंत्र और उपकरण बनाने उर्वरकों के उत्पादन और उपभोक्ता वस्तुओं के उप में दे से वृद्धि। (iii) आर्थिक विकास कृषि विकास से सरकार की र में वृद्धि हुई। उससे देश में आर्थिक स्थिरता और आ के उद्देश्य को पूरा करने में सफलता मिली। (v) खाद्यान के आयात में कमी-हरित क्रांति के फलस्वरूप खाद्यान्न के आयात में कमी आई। भारत एक अर का निर्यातक देश बन गया। |
भौगोलिक दशाएँ चावल चावल खरीफ की फसल है। चावल को गर्म और आई जलवायु चाहिए। इसके उत्पादन के लिए औसत तापमान 20 सेमी. से 32 सेमी. अनुकूल है। इसकी वृद्धि के लिए 150 से 300 सेमी. वर्षा अधिक उपयुक्त है। गेहूँ गेहूँ रबी अथवा शीत ऋतु की फसल है। अक्टूबर-नवम्बर में बोया जाता है और फरवरी से अप्रैल के बीच काट लिया जाता है। इस काल में तापमान 15 सेमी. से 20 सेमी. से 28 सेमी. के न होना चाहिए। दोनों के पकने से पहले थोड़ी-सी वर्षा अर्थात् 50 से 100 सेमी. होनी चाहिए। गेहूँ को वर्षा आधारित फसलें कहा जाता है। इसलिए इसे यहाँ उगाया जाता है जहाँ 27 से 32° तापमान रहता है। |
उत्पादन का क्षेत्र चावल चावल भारत के लगभग सभी राज्यों में उगाया जाता है। इसके मुख्य उत्पादक राज्य हैं-तमिलनाडु, पश्चिमी बंगाल, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, उत्तरांचल, छत्तीसगढ़, पंजाब, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, असम, महाराष्ट्र, हरियाणा, मध्य प्रदेश, केरल, कश्मीर घाटी में चावल उगाया जाता है। गेहूँ भारत में गेहूँ उत्पादन के प्रमुख राज्य हैं-उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाण राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश हरियाणा मिलकर देश के 66% उत्पादन करते हैं। |
व्यापार चावल भारत बड़े पैमाने पर चायत का निर्यात करता है। यह चावल बासमती चावल होता है । गेहूँ भारत अब गेहूँ का न करने की स्थिति में है। भारत से अनेक देशों को गेहूँ का निर्यात किया जा रहा है। |
प्रश्न 4. खाद्य सुरक्षा की विचारधारा को यह बताते हुए स्पष्ट कीजिए कि यह खाद्य आत्मनिर्भरता से किस प्रकार भिन्न है? भारत के पास आज खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार है। यदि इस मंदार को चूहों, कीड़ों और सीलन व वर्षा से सुरक्षित रखा जा सके और भंडारण की नई सुविधाएँ जुटाई जा सके तो हम करोड़ों रुपए मूल्य की खाद्य सामग्री को बचा सकते हैं। हमें वैज्ञानिक तरीके से अनाज को सुरक्षित रखने वाले भंडार बनाने चाहिए। |
प्रश्न 5. गन्ने की खेती के लिए कैसी भौगोलिक दशाओं की आवश्यकता होती है ? (i) तापमान गने के उत्पादन के लिए वार्षिक औसत तापमान 21 से 27 डिग्री सेल्सियस के जलवायु की आवश्यकता होती है। |
प्रश्न 6. भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव का वर्णन कीजिए। उत्तर- वैश्वीकरण का उद्देश्य अपनी राष्ट्रीय अर्थव्यव को संसार की अर्थव्यवस्था से जोड़ना है। इसको एक निश्चित समयावधि में पूरा करना है। यह स्वतंत्र और मुक्त अंतर्राष्ट्रीय व्यापार दर्शन पर आधारित है। वैश्वीकरण ने अब संसार के अनेक देशों को आपसी व्यापारिक समझौते करने की क्रिया से मुक्त कर दिया है। करण से सुनिश्चित होता है तुलनात्मक मूल्य पर उच्चकोटि की वस्तुएँ ही बाजार में टिक सकेगी। ये ऐसे दो कारक है, जिनके लिए विकसित प्रौद्योगिकी तथा भारी मात्रा में पूंजी की आवश्यकता होती है। यह तथ्य औद्योगिकीय तथा प्रौद्योगिकीय रूप से विकसित देशों को लाभ पहुंचाने वाले हैं। भारत, अपने किसानों के कुछ एक उत्पादों को कृत्रिम रूप से संरक्षण देकर और उन्हें विदेशी होड़ से बचाता रहा है। उन्हें अब नए औद्योगिक पर्यावरण में खुलकर भाग लेने का अवसर मिला है। इस बदलते परिदृश्य में हमें अपनी अनुकूल जलवायु और मृदा का सर्वोत्तम उपभोग करना है। हमारे पास अपेक्षाकृ खर्चीला पर्याप्त मानव श्रम है। हमें अपने लोगों की कार्य क्षमा को बढ़ाने के हर संभव प्रयास करने चाहिए। उन्हें नए विकसित औजारों उपकरण, मशीनों से सुसज्जित करना चहिए । ताकि वे विकसित देशों के अपने प्रतियोगियों को प्रतिस्पर्धा में पछाड़ सकें। वैश्वीकरण के साथ अब हम विभिन्न देशों से प्राप्त पूँजी प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रक्रिया से जुड़ने से कभी-कभी कई कठिनाइयों और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। विश्व स्तरीय प्रतिस्पर्धा में ठहरने के लिए भारत को अपनी विशाल कृषि क्षमता का सही और योजनाबद्ध तरीकों से उपभोग करना चाहिए और किसानों और व्यापारियों को ऋण सुविधा उपलब्ध कराना भी आवश्यक है। |
प्रश्न 7. मूँगफली के उत्पादन में भारत की स्थिति पर प्रकाश डालिए। उत्तर- मूँगफली भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण तिलहन है। मूँगफली खरीफ और रबी फसल दोनों के रूप में उगाया जाता है। लेकिन कुल क्षेत्रफल का 90-95 प्रतिशत क्षेत्र खरीफ के रूप में है। भारत मूँगफली के उत्पादन में विश्व में पहले स्थान पर है। यह ऊष्ण कटिबंधीय फसल है, जो प्रायद्वीपीय भारत में सब जगह उगाई जाती है। फलीदार पौधा होने के कारण इसका प्रयोग शस्यावर्तन और मृदा को उर्वर बनाने में किया जाता है। इसका उत्पादन उस क्षेत्र में सबसे अच्छा होता है। उत्पादन उस क्षेत्र में सबसे अच्छा होता है। जहाँ तापमान 22 सेमी. से 28 सेमी. के बीच रहता है और वर्षा 50 से 75 सेमी. के बीच होती है। इसकी बुवाई जून-जुलाई में की जाती है और अक्टूबर से दिसम्बर तक फसल तैयार हो जाती है। इसके पकने के लिए शुष्क मौसम की आवश्यकता पड़ती है। भारत में मूँगफली के उत्पादन का 70% भाग गुजरात तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल राज्यों में है। ये राज्य मिलकर 75% मूँगफली का उत्पादन करते हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा पंजाब और राजस्थान… में भी इसकी खेती की जाती है। 1950-51 में मूँगफली का उत्पादन 34.81 लाख टन था जो 1997-98 में – 78.45 लाख टन हो गया। भारत मूँगफली के चूर्ण का एक – महत्त्वपूर्ण निर्यातक देश है और इसका निर्यात रूस, ब्रिटेन फ्रांस, जर्मनी और पूर्वी यूरोपीय देशों को किया जाता है। |
NIOS Class 10th सामाजिक विज्ञान (पुस्तक – 1) Question Answer in Hindi
- Chapter – 1 प्राचीन विश्व
- Chapter – 2 मध्यकालीन विश्व
- Chapter – 3 आधुनिक विश्व – Ⅰ
- Chapter – 4 आधुनिक विश्व – Ⅱ
- Chapter – 5 भारत पर ब्रिटिश शासन का प्रभाव : आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृति (1757-1857)
- Chapter – 6 औपनिवेशिक भारत में धार्मिक एवं सामाजिक जागृति
- Chapter – 7 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध
- Chapter – 8 भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन
- Chapter – 9 भारत का भौतिक भूगोल
- Chapter – 10 जलवायु
- Chapter – 11 जैव विविधता
- Chapter – 12 भारत में कृषि
- Chapter – 13 यातायात तथा संचार के साधन
- Chapter – 14 जनसंख्या हमारा प्रमुख संसाधन
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