NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 25 सामाजिक आर्थिक विकाश तथा अभावग्रस्त समूहों का सशक्तिकरण (Socio Economic Development and Empowerment of Marginalized Groups)
Textbook | NIOS |
class | 10th |
Subject | Social Science |
Chapter | 25th |
Chapter Name | सामाजिक आर्थिक विकाश तथा अभावग्रस्त समूहों का सशक्तिकरण (Socio Economic Development and Empowerment of Marginalized Groups) |
Category | Class 10th NIOS Social Science (213) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 25 सामाजिक आर्थिक विकाश तथा अभावग्रस्त समूहों का सशक्तिकरण (Socio Economic Development and Empowerment of Marginalized Groups) Question & Answer in Hindi सामाजिक विकास कितने प्रकार के होते हैं?, सामाजिक विकास की विशेषताएं क्या है?, सामाजिक विकास उदाहरण क्या है?, सामाजिक आर्थिक विकास का उदाहरण क्या है?, सामाजिक आर्थिक समस्याएं क्या है?, सामाजिक आर्थिक सिद्धांत क्या है?, सामाजिक विकास का मुख्य घटक क्या है?, सामाजिक विकास कहाँ से प्रारम्भ होता है?, सामाजिक विकास क्यों महत्वपूर्ण है?, सामाजिक विकास का सिद्धांत किसका है?, भारत में सामाजिक विकास क्या है?, सामाजिक आर्थिक का महत्व क्या है?, सामाजिक आर्थिक का जनक कौन है?, 5 सामाजिक आर्थिक कारक क्या हैं?, सामाजिक विकास के दो पहलू क्या हैं?, सामाजिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?, सामाजिक विकास बच्चों के सीखने में कैसे सुधार करता है?, सामाजिक आर्थिक विशेषताएं क्या हैं?, सामाजिक आर्थिक चुनौतियां क्या हैं?, सामाजिक आर्थिक स्थिति किशोर विकास को कैसे प्रभावित करती है?
NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 25 सामाजिक आर्थिक विकाश तथा अभावग्रस्त समूहों का सशक्तिकरण (Socio Economic Development and Empowerment of Marginalized Groups)
Chapter – 25
सामाजिक आर्थिक विकाश तथा अभावग्रस्त समूहों का सशक्तिकरण
प्रश्न – उत्तर
पाठांत प्रश्न
प्रश्न 1. सामाजिक-आर्थिक विकास की अवधारणा विकास के सभी आयामों को समाहित क्यों नहीं करती ? दो कारण बताइए | उत्तर- सामाजिक-आर्थिक विकास की अवधारणा विकास के सभी आयामों को समाहित नहीं करती है। इसके महत्त्वपूर्ण दो कारण निम्नलिखित हैं- (i) प्रति व्यक्ति आय किसी भी क्षेत्र में प्रति व्यक्ति आय आर्थिक क्रियाओं का आधार होता है। हमारे देश में प्रतिव्यक्ति आय के आधार पर अत्यधिक क्षेत्रीय असमानता पाई जाती है। राष्ट्रीय औसत प्रति व्यक्ति आय लगभग ₹ 25,716 है और ऐसे केवल ग्यारह राज्य हैं जिनकी प्रतिव्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से अधिक है। प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से सबसे निचले स्तर पर जो राज्य हैं, वे हैं-बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान, झारखण्ड व छत्तीसगढ़। (ii) औद्योगिक वृद्धि-भारत में प्रारंभिक औद्योगिककरण ब्रिटिश भारतीय सरकार के हितों के अनुरूप एक ऐतिहासिक प्रक्रिया के अनुरूप किया गया। इसी का परिणाम था कि ज्यादातर उद्योग कुछ ही स्थानों पर केंद्रित थे। देश के विभिन्न क्षेत्रों में उद्योगों के विस्तार के लिए किए गए प्रयासों के बावजूद, स्वतंत्रता प्राप्ति के विस्तार के किए गए प्रयासों के |
प्रश्न 2. भारत में क्षेत्रीय असंतुलन और सामाजिक आर्थिक विषमताएं क्यों हैं ? इसके लिए उत्तरदायी छः कारकों का विश्लेषण कीजिए। उत्तर- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन और सामाजिक-आर्थिक विषमताओं के कई कारण हैं, जो निम्नलिखित हैं- (i) ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य-औपनिवेशिक शासन के दौरान जो राज्य और क्षेत्र वाणिज्यिक दृष्टि से ज्यादा लाभकारी नहीं थे। उन पर ध्यान नहीं दिया गया और वे पिछड़े रह गए। उद्योगपतियों और व्यवसायियों ने भी इन पिछड़े क्षेत्रों को नजर अंदाज किया। (ii) भौगोलिक कारक-किसी क्षेत्र का धरातल भी उसके विकास में बाधक हो सकता है। राजस्थान का रेगिस्तान और उत्तर-पूर्वी राज्यों का पहाड़ी या पर्वतीय धरातल इसके उदाहरण है। (iii) प्राकृतिक संसाधनों के वितरण और उपयोग में भिन्नता-कोयला, लौह अयस्क खनिज तेल, प्राकृतिक गैस आदि भारत के सभी राज्यों में नहीं पाए जाते। लेकिन केवल प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता मात्र विकास को सुनिश्चित नहीं करती। कुछ राज्यों ने अपने संसाधनों सही ढंग से उपयोग किया है, जबकि अन्य, जैसे- बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा आदि ऐसे करने में असफल रहे हैं। (iv) देश के मुख्य वाणिज्यिक केंद्रों से दूरी-किसी क्षेत्र को देश के प्रमुख वाणिज्यिक केंद्रों, मुख्य शहरों, बाजारों से दूरी भी उसके आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। (v) आधारभूत संरचना की कमी-जिन राज्यों में आधारभूत संरचना, जैसे-सड़कें, बिजली, परिवहन सुविधाओं का विकास हुआ है, वे तीव्र आर्थिक विकास करने में सफल रहे। जिन राज्यों में ये आधारभूत सुविधाएँ नहीं है, वे आबंटित धनराशि का उपयोग तथा निवेश को आकर्षित करने में असफल रहे हैं। (vi) सुशासन की कमी सामाजिक-आर्थिक विकास कोसबसे अधिक प्रभावित करने वाला कारक है, शासन-प्रशासन की गुणवत्ता। जिन राज्यों ने तीव्र गति से प्रगति की है, वहाँ अधिक समय तक सुशासन रहा है। जो भी राज्य पिछड़े हुए हैं उनमें लगातार कानून और व्यवस्था की समस्या रही है, वे आधारभूत संरचना बनाने में असफल रहे हैं। |
प्रश्न 3. समाज के अभावग्रस्त वर्गों के सामाजिक सशक्तिकरण के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए छ: कदमों की व्याख्या कीजिए। उत्तर- भारत में सामाजिक-आर्थिक विकास का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों का विकास सुनिश्चित करना तथा उन्हें विकास की प्रक्रिया में भागीदार बनाना है। परंतु आज भी समाज में अनेक वर्ग ऐसे हैं, जिनके विरुद्ध भेदभाव का व्यवहार होता है तथा उन्हें स्वतंत्र रूप से विकास की प्रक्रिया में भाग लेने तथा विकास के परिणामों का लाभ उठाने का अवसर प्रदान नहीं किया जाता। इन्हें अभावग्रस्त समूह कहा जाता है। निम्नलिखित में अनुसूचित जातियों, जनजातियों व महिलाओं के सामाजिक सशक्तिकरण के लिए किए गए प्रयासों का वर्णन करेंगे- (i) अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए सामाजिक सशक्तीकरण-शिक्षा अभावग्रस्त वर्गों के सशक्तिकरण का प्रमुख यंत्र रही है। इसलिए इन वर्गों में उत्थान के लिए शिक्षा को प्राथमिकता दी जाए इस दिशा में निम्न कदम महत्त्वपूर्ण हैं- • प्रारंभिक शिक्षा के कई प्रोत्साहन, जैसे फीस माफी, निःशुल्क पुस्तकें, मध्याह्न भोजन छात्रवृत्ति दिए जाते हैं। कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय, नवोदय विद्यालय, राष्ट्रीय प्रतिभा खोज योजना आदि के द्वारा अनुसूचित जनजातियों को लाभांवित करने का प्रयास किया गया है। • विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए इन वर्गों के छात्रों को निःशुल्क कोचिंग दी जाती है अथवा तैयारी कराई जाती है। • उच्च प्राथमिक स्तर के बाद सभी लड़के-लड़कियों को हॉस्टल की सुविधा। (ii) महिला के लिए सामाजिक सशक्तिकरण महिलाओं में रोजगार, व्यावसायिक और तकनीक गुणों का विकास करने के उद्देश्य से महिलाओं व बालिकाओं की शिक्षा तक पहुँच शिक्षा के क्षेत्र में भेदभाव की समाप्ति, शिक्षा का सार्वभौमीकरण, निरक्षरता उन्मूलन तथा लैंगिक संवेदी शिक्षा प्रणाली की दिशा में कई प्रयास किए जा रहे हैं। ताकि शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाकर अधिगम को जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया बनाया जा सके। • स्वास्थ्य के प्रति संपूर्ण दृष्टिकोण जिसमें पोषण व स्वास्थ्य सेवाओं को शामिल कर जीवन के हर पड़ाव पर उनकी पोषण संबंधी को शामिल कर जीवन के हर पड़ाव पर उनकी घोषणा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने पर जोर दिया जा रहा है। महिलाओं के विरुद्ध हर प्रकार की शारीरिक मानसिक हिंसा के उन्मूलन को उच्च प्राथमिकता दी जा रही है। चाहे वह घरेलू अथवा सामाजिक स्तर पर हो या फिर परंपराओं और रीति-रिवाजों के कारण उपजी हिंसा हो। |
प्रश्न 4. विद्यालय छोड़ने वाले बच्चों की दर कम करने शिक्षा में उपलब्धि स्तर को प्रोत्साहन देने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का वर्णन कीजिए। उत्तर- उपाय केंद्र और राज्य सरकारों के बीच में पढ़ाई देने वालों की दर में कमी लाने तथा विद्यालयों की पढ़ाई के स्तर में सुधार करने की रणनीति तय की। इस दिशा में किए गए उपाय निम्नलिखित है- लाना। (i) सामुदायिक गोलबंदी तथा अभिभावकों में जागरूकता (ii) समुदायों तथा पंचायती राज संस्थाओं की भागीदारी (iii) आर्थिक प्रोत्साहन, जैसे- निःशुल्क शिक्षा, मुक्त पुस्तकें तथा निःशुल्क पोशाक देना। (iv) विद्यालय शिक्षा और क्रियाकलापों में सुधार। (v) जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम (i) प्राथमिक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पोषाहार कार्यक्रम (मध्याहन आहार भोजन)। |
प्रश्न 5. साक्षरता अभियान क्या है ? इन कार्यक्रमों की सफलता के लिए अपनाई गई विभिन्न रणनीतियों का वर्णन कीजिए। उत्तर- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन की शुरूआत 1988 में हुई भी इसका उद्देश्य 15-25 वर्ष के अनपढ़ लोगों को कामचलाऊ साक्षरता प्रदान करना था। राष्ट्रीय साक्षरता मिशन का मुख्य कार्यक्रम पूर्ण साक्षरता प्रचार था जिसके द्वारा सभी प्रौढ़ निरक्षरों को बुनियादी साक्षरता प्रदान करना था। इसके पश्चात् साक्षरता के बाद का कार्यक्रम शुरू किया गया जिनके द्वारा नवसाक्षरों के साक्षरता कौशल को सुदृढ़ करना। इसके पश्चात् शिक्षा कार्यक्रम को लगातार जारी रखने के उद्देश्य से गाँवों में पुस्तकालय पढ़ाई के लिए कमरों की व्यवस्था की गई। इसके अलावा जन शिक्षा संस्थान के माध्यम से नवसाक्षरों व समाज के अभावग्रस्त वर्गों को व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया गया। राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के प्रमुख परिणाम निम्नलिखित थे- • यह योजना देश के 597 जिलों में पहुँचने में सफल रहा.जिसके अंतर्गत 12.4 करोड़ लोगों को साक्षर किया गया। • देश की साक्षरता दर 1991 में 52.21 प्रतिशत से बढ़कर 2001 में 65.37 प्रतिशत हो गई। यह अब तक के किसी श्री इशक में दर्ज की गई सर्वश्रेष्ठ वृद्धि थी। • इन उपलब्धियों के वावजूद आज भी विश्व में 15 वर्ष से अधिक आयु के कुल निरक्षरों में से 34 प्रतिशत भारत में है। साक्षरता से संबंधित क्षेत्रीय, लैंगिक व सामाजिक विषमताएँ अभी भी व्याप्त हैं। उपरोक्त तथ्यों के मद्देनजर भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि साक्षरता के लिए अब समेकित/एकीकृत उपागम अपनाया जाएगा। इसका अर्थ यह है कि संपूर्ण साक्षरता अभियान और पोस्ट-साक्षरता कार्यक्रम दोनों ही अब साक्षरता अभियान के अंतर्गत चलाए जाएँगे। इस तरीके से निरक्षरता की बड़ी समस्या का संपूर्ण समाधान किया जा सकेगा। कार्यात्मक साक्षरता प्रदान करना एक सतत् चलने वाली प्रक्रिया बनाना न कि कभी चालू और कभी बंद होने वाली गतिविधि। इसके साथ ही जिन्होंने साक्षरता का बुनियादी स्तर पार कर लिया है, उनके लिए सुदृढ़ीकरण व्यावसायिक कौशल तथा जीवन कौशल से एकीकृत शिक्षा के आयामों को सर्वोच्च प्राथमिकता देना। |
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं ? उत्तर- सामाजिक विकास यह प्रक्रिया है, जो सामाजिक संस्थाओं में परिवर्तन व बदलाव कर समाज की अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने की क्षमता में सुधार करती है। इसका संबंध समाज निर्माण में गुणात्मक परिवर्तन लोगों का प्रगतिशील दृष्टिकोण और व्यवहार प्रभावी प्रक्रियाओं और उन्नत प्रौद्योगिकी को अपनाने से है। |
प्रश्न 2. आर्थिक विकास से आप क्या समझते हैं ? उत्तर- किसी देश या क्षेत्र में रह रहे लोगों के हित में आर्थिक संपत्ति के संवर्धन को आर्थिक विकास कहा जाता है। है ? |
प्रश्न 3. सकल घरेलू उत्पाद को मापने के क्या कारक उत्तर- सकल घरेलू उत्पाद या सकल घरेलू आय राष्ट्रीय आय तथा देश की अर्थव्यवस्था के उत्पादन को मापने के कारक है। यह दिए गए वर्ष में एक देश की सीमाओं के भीतर एक विशेष अर्थव्यवस्था में उत्पादित कुल मूल्य है। |
प्रश्न 4. राष्ट्रीय आय से क्या अभिप्राय है ? उत्तर- राष्ट्रीय आय एक देश के लोगों द्वारा श्रम और पूँजी निवेश सहित प्राप्त आय है। यह एक दी गई अवधि के दौरान एक राष्ट्र (श्रम और लाभ ब्याज किरार और पेंशन भुगतान) को सभी आप का कुल मूल्य (प्रायः एक वर्ष) है। |
प्रश्न 5. प्रति व्यक्ति आय से आप क्या समझते हैं ? उत्तर- कुल राष्ट्रीय आप को कुल जनसंख्या से विभाजित कर प्रति व्यक्ति आय प्राप्त होती है। यह वह आय है, जो वार्षिक राष्ट्रीय आय समान रूप से सबके बीच विभाजित करके प्रत्येक व्यक्ति को प्राप्त होती है। |
प्रश्न 6. मानव विकास के प्रमुख आयाम क्या है? उत्तर- मानव विकास के तीन प्रमुख आयाम है- (i) लंबा और स्वस्थ जीवन बिताना। (ii) ज्ञान और कौशल प्राप्त करना। (iii) अच्छे रहन-सहन के लिए संसाधनों तक पहुँच |
प्रश्न 7. राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 में शिक्षा के लिए क्या प्रावधान किए गए हैं? उत्तर- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में प्रावधान है कि 14 वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जाए। |
प्रश्न 8. समाज के अभावग्रस्त समूह से क्या अभिप्राय है ? उत्तर- समाज के अभावग्रस्त समूह से अभिप्राय है। में रहने वाले लोग जो सामाजिक, आर्थिक तथा शैक्षिक स्तर पर पिछड़े हो, जैसे- अनुसूचित जाति, जनजाति महिलाएँ अल्पसंख्यक इत्यादि। |
प्रश्न 9. सबके लिए शिक्षा के दो कार्यक्रम क्या है ? उत्तर- सबके लिए शिक्षा के दो कार्यक्रम है- (i) विद्यालय जाने वाले बच्चों के लिए राष्ट्रीय पोषण सहायता कार्यक्रम और मध्याहन भोजन योजना। इत्यादि। (i) आर्थिक प्रोत्साहन तथा निःशुल्क शिक्षा, पुस्तकें, बर्दी |
प्रश्न 10. राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के कोई दो परिणाम बताइए। उत्तर- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के कोई दो परिणाम है- (i) यह योजना देश के 597 जिलों में पहुँचने में सफल रहा जिसके अंतर्गत 12.4 करोड़ लोगों को साक्षर किया गया। (i) देश की साक्षरता दर 1991 में 52.21 प्रतिशत से बढ़कर 2001 में 65.37 प्रतिशत हो गई। यह अब तक के किसी भी दशक में दर्ज की गई सर्वश्रेष्ठ वृद्धि थी। |
प्रश्न 11. राष्ट्रीय साक्षरता मिशन का उद्देश्य क्या था ? उत्तर- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन का उद्देश्य निरक्षरता दूर करना है। |
प्रश्न 12. शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने क्या प्रयास किए हैं ? उत्तर- केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयत्नों के फलस्वरूप देश के 94 प्रतिशत ग्रामीणों को अपने क्षेत्र में एक किलोमीटर के भीतर तथा एक प्राथमिक विद्यालय तथा तीन किमी. के अंदर एक उच्च प्राथमिक विद्यालय उपलब्ध है। |
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सामाजिक-आर्थिक विकास का क्या अर्थ ? उत्तर- सामाजिक-आर्थिक विकास समाज में सामाजिक और आर्थिक बदलाव की प्रक्रिया है। यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) जीवन प्रत्याशा, साक्षरता और रोजगार के स्तर जैसे संकेतकों से मापा जाता है। सामाजिक-आर्थिक विकास की | अवधारणा को समझने के लिए पहले हमें विकास को परिभाषित करना होगा। प्रायः एक राज्य में जो सुधार व सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं. उन्हें विकास के रूप में परिभाषित किया जाता है। लेकिन विकास की अवधारणा को विभिन्न संदर्भों, जैसे सामाजिक, राजनीतिक जीव विज्ञान, प्रौद्योगिकी, भाषा और साहित्य में अलग-अलग तरीकों से परिभाषित किया जाता है। सामाजिक-आर्थिक संदर्भ में विकास से भिप्राय बेहतर शिक्षा, आय वृद्धि, कौशल विकास और रोजगार के माध्यम से लोगों की जीवन शैली में सुधार से है। यह सांस्कृतिक और पर्यावरणीय कारकों के आधार पर आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया है। |
प्रश्न 2. मानव संसाधन विकास का क्या अर्थ है ? उत्तर- यदि किसी देश में प्राकृतिक संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो, परंतु प्राकृतिक संसाधनों को संपदा में रूपांतरित करने के लिए मनुष्य की बुद्धिमत्ता, कौशल और श्रम का प्रयोग नहीं किया जाता तो प्राकृतिक संसाधनों का रूपांतरण संभव नहीं है। किसी देश के पास सबसे मूल्यवान संसाधन उसे देश के मानवीय संसाधन होते है। जापान के पास लोहा इस्पात और वस्त्र उद्योग के लिए आवश्यक कच्चा माल उपलब्ध नहीं है, परंतु मानव कौशल के कारण विकास में शिक्षा और स्वास्थ्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है। |
प्रश्न 3. मानव विकास सूचकांक आधार पर संसार के देशों को कितने भागों में विभाजित किया गया है ? उत्तर- मानव विकास सूचकांक के तीन वर्ग हैं, जो कि इस प्रकार है- (i) उच्च मानव विकास वर्ग-0.8 और उसके ऊपर के मानव विकास सूचकांक वाले देश इस वर्ग में आते हैं, जैसे- अमेरिका व जापान, स्वीडन, नार्वे, कनाडा, आस्टेलिया इत्यादि । (ii) मध्यम मानव विकास वर्ग 0.5 से 0.79 के मानव विकास सूचकांक वाले देश इस वर्ग में आते हैं, जैसे-भारत व चीन, मिश्र इत्यादि। (iii) निम्न मानव विकास वर्ग-0.5 से नीचे के मानव विकास सूचकांक वाले देश इस वर्ग में आते हैं, जैसे- पाकिस्तान, यूगांडा, सूडान, भूटान, नेपाल इत्यादि। |
प्रश्न 4. महिलाओं के लिए राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की व्याख्या कीजिए। उत्तर- भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय से ही महिलाएँ चुनाव लड़ने व मतदान करने के अधिकार का उपभोग कर रही है। उन्हें सरकार के हर स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार प्राप्त है। 73 वें 74वें संविधान संशोधन (1993) इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ है। इसके द्वारा ग्रामीण और शहरी स्थानीय शासन में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान कर राजनीतिक व्यवस्था व संरचना में उनकी भागीदारी को बढ़ा दिया है तथा राजनीतिक सत्ता तक उनको समान पहुँच प्रदान कर दी है। इससे सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहन मिला है। |
प्रश्न 5. सर्वशिक्षा अभियान से क्या तात्पर्य है ? इसके क्या लक्ष्य हैं ? उत्तर- सर्वशिक्षा अभियान का आशय है सभी के लिए शिक्षा प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लिए सरकार ने हाल ही में सर्वशिक्षा अभियान नामक एक नयी योजना शुरू की है, जिसके लक्ष्य निम्नलिखित हैं- (1) 6-14 वर्ष के आयु वर्ग के सभी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करना। (i) 6 से 14 वर्ष के सभी बच्चों का स्कूल में नामांकन शिक्षा गारंटी योजना के अंतर्गत 2005 तक सेतु पाठ्यक्रम की व्यवस्था। (iii) सभी प्रकार की लैंगिक भेदों को प्राथमिक स्तर पर दूर किया जाए। (iv) वर्ष 2010 तक सार्वभौमिक विद्यालय उपस्थिति या ड्रापआउट दूर समाप्त करना। (v) प्रारंभिक शिक्षा की संतुष्टिजनक गुणवत्ता तथा जीवन के लिए शिक्षा के सिद्धांत पर जोर |
प्रश्न 6. मध्याहन भोजन योजना क्या है ? इसके मुख्य उद्देश्य क्या हैं ? उत्तर- मध्याहन भोजन योजना की शुरूआत प्रारंभिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के उद्देश्य से की गई थी और यह अभी तक चल रही है। मध्याहन भोजन योजना के मुख्य उद्देश्य हैं- (i) सरकारी, स्थानीय, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों व इस स्तर की शिक्षा के अन्य केंद्रों ने पहली से पाँचवीं कक्षा तक के पढ़ने वाले बच्चों की पोषण की स्थिति को सुधारना। (ii) अभावग्रस्त वर्गों की सहायता कर इन वर्गों के गरीब बच्चों को स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रोत्साहित करना तथा इनके लिए कक्षा की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना। (iii) गर्मियों की छुट्टियों के दौरान सूखा प्रभावित क्षेत्रों के बच्चों को पोषाहार प्रदान करना। |
प्रश्न 7. प्रौढ़ शिक्षा का क्या उद्देश्य है ? भारत में इस संबंध में अब तक क्या प्रगति हुई है ? उत्तर- प्रौढ़ शिक्षा का उद्देश्य सतत् शिक्षा कार्यक्रम द्वारा एक शिक्षित समाज का सृजन करना है। यह सतत् शिक्षा कार्यक्रम, समानता कार्यक्रम तथा व्यक्तिगत अभिरुचि प्रोत्साहन कार्यक्रम जैसे पैकेज प्रदान करता है। अब तक 450 जिलों में साक्षरता अभियान चल रहा है, जिनमें से 280 जिले उत्तर साक्षरता चरण में पहुँच गए हैं। अब राष्ट्रीय साक्षरता मिशन का ध्यान सात प्रमुख हिंदी भाषी राज्यों- बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ पर है, जहाँ बड़ी संख्या में निरक्षर रहते हैं। प्रौढ़ साक्षरता अभियान के अंतर्गत पढ़ने वालों में लगभग 60 प्रतिशत स्त्रियाँ 22 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति तथा 13 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के लोग हैं। |
प्रश्न 8. “सबके लिए स्वास्थ्य” से क्या अभिप्राय है ? उत्तर- वर्ष 2000 तक सभी के लिए स्वास्थ्य का प्रतिपादन विश्व स्वास्थ्य संगठन व यूनीसेफ द्वारा 1978 में अल्पाठत्ता की बैठक में किया गया। इस उद्देश्य का हस्ताक्षर राष्ट्र होने के कारण भारत ने प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा, परिवार नियोजन, पोषाहार सहायता कार्यक्रमों को प्राथमिकता देना शुरू किया। भारत सहित विश्व के नेताओं ने इस लक्ष्य के वर्ष 2000 तक प्राप्त करने के लिए प्रयास किए। |
प्रश्न 9. उच्च मानव सूचकांक को प्राप्त करने में भारत के सामने प्रमुख बाधाएँ कौन-सी हैं ? उत्तर- उच्च मानव विकास सूचकांक को प्राप्त करने में भारत के सामने निम्नलिखित बाधाएँ हैं- (i) जनसंख्या की तेज वृद्धि, (ii) प्रौढ़ निरक्षरों की बड़ी संख्या, (iii) शिक्षा और स्वास्थ्य पर अपर्याप्त सरकारी खर्च, (iv) कम वजन वाले बच्चों और कुपोषित लोगों का अधिक अभाव। (v) साफ-सफाई की उचित सुविधाओं का अभाव, (vi) आवश्यक जीवन रक्षक औषधियों की सुलभता का अनुपात |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारत में सामाजिक-आर्थिक असमानता के संदर्भ में क्षेत्रीय विषमताओं का कारण तलाश कीजिए। उत्तर- कई बार हम सोच लेते हैं कि किसी क्षेत्रा विशेष में पिछड़ेपन का कारण जनसंख्या वृद्धि, निरक्षर आधारभूत संरचना की कमी है। किंतु जब हम इसका ि करते हैं तो पाते हैं कि इसके पीछे अनेक कारण है, जिसका नलिखित है- (i) भौगोलिक कारक- किसी क्षेत्रका भी उसके विकास में बाधक हो सकता है। राजस्थान का रेगिस्तान और पूर्वी राज्यों का पहाड़ी या पर्वतीयभरात इसके उदाहरण है। (ii) देश के मुख्य वाणिज्यिक केंद्रों से दूरी-किसी क्षेत्र की देश के प्रमुख वाणिज्यिक केंद्रों, मुख्य शहरों, बाजारों से दूरी भी उसके आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। (iii) आधारभूत संरचना का अभाव-जिन राज् आधारभूत संरचना, जैसे-सड़कें बिजली, परिवहन सुविधाओं का विकास कर लिया, ये तो आर्थिक विकास करने में सफल रहे है। जिन राज्यों में ये आधारभूत सुविधाएँ नहीं हैं। धनराशि का उपयोग तथा निवेश को आकर्षित करने में असफल रहे हैं। (iv) सुशासन का अभाव सामाजिक-आर्थिक विकास को सबसे अधिक प्रभावित करने वाला कारक है-शासन-प्रशासन की गुणवत्ता। जिन राज्यों में कानून और व्यवस्था की समस्या रहती है, वहाँ आधारभूत संरचना बनाने में अनेक कठिनाई है और जहाँ अथवा जिस राज्यों से तीव्र गति से प्रगति ही है यहाँ अधिक समय तक सुशासन रहा है। |
प्रश्न 2. अभावग्रस्त समूहों विशेषकर अनुसूचित जातियों के आर्थिक सशक्तीकरण के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए कदमों की व्याख्या कीजिए। उत्तर- सामाजिक और आर्थिक रूप से अभावग्रस्त बनी के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए रोजगार और आय पैदा करने वाले कार्यक्रम शुरू किए गए है। विस्तृत विवरण निम्न है- राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त और विकास निगम (एनएस के एक डीसी) विभिन्न आय सृजन करने वाली गतिविधियों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करता है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम (एन.एस.एफ. डी.सी.) विभिन्न आप सृजन करने वाली गतिविधियों के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करता है। अनुसूचित जाति विकास निगम (एन. एस.टी.एफ. डी. सी.)इन वर्गों को प्रशिक्षण लोन, बाजार समर्थन के द्वारा सहायता करता है। अनुसूचित जनजाति विकास निगम (एस.टी.डी.सी.) एक दिशा निर्धारित करने वाली एजेंसी के रूप में कार्य कर इन वर्गों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। ट्राइवल मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ट्राइफेड), आदिवासियों द्वारा निर्मित वन्य उत्पादों और अतिरिक्त कृषि उत्पाद को बातार प्रदान करता है। |
प्रश्न 3. महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए क्या उपाय किए गए हैं? उत्तर- महिलाओं के लिए आर्थिक सशक्तीकरण के लिए निम्नलिखित उपाय किए गए हैं- (i) भारत में गरीबी रेखा के नीचे महिलाओं की संख्या अत्यधिक होने के कारण कई ऐसी योजनाएँ लागू की जा रही है, जो विशेष रूप से उनकी आवश्यकता को पूरी करती है। (ii) कृषि और संबंधित क्षेत्र में उत्पादक के रूप में महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका का प्रयास किए जा रहे हैं कि उनके लिए प्रशिक्षण व विस्तार कार्यक्रमों के लाभ उनकी जनसंख्या के अनुपात में सुनिश्चित किए गए। (ii) श्रम विद्यालय सामाजिक सुरक्षा तथा अन्य सहायक सेवाओं के माध्यम से महिलाओं को वृहत् सहायता प्रदान की जए ताकि वे औद्योगिक क्षेत्र में विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी खाद्य प्रसंस्करण, कृषि और वस्त्र उद्योग में सहभागी बन सके। (iv) सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी और पूर्ण सहयोग प्राप्त करने के लिए कार्यस्थल का वातावरण उनके लिए सहायक होना चाहिए। इसके लिए वहाँ पर बाल देखरेख की सुविधा च तथा वृद्ध और विकलांगों के लिए विशेष व्यवस्था होनी चाहिए। |
प्रश्न 4. साक्षरता अभियान क्या है? उन कार्यक्रमों की सफलता के लिए अपनाई गई कार्यनीतियों का वर्णन कीजिए। उत्तर- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन की शुरूआत 1988 में की गई। इस मिशन का उद्देश्य 15-35 आयु वर्ग के 10 करोड़ लोगों को समयबद्ध तरीके से साक्षर बनाना है राष्ट्रीय साक्षरता शिन का उद्देश्य समयबद्ध तरीके से कम लागत में निरक्षरता दूर करना है। साक्षरता मिशन के मूल चरण में सीखने वाले लोग स्वविकास कर रहे हैं। इस साक्षरता विकास के दूसरे चरण में अंतर- साक्षरता अभियान शुरू किया गया है। प्रौढ़ शिक्षा का उद्देश्य सतत् शिक्षा कार्यक्रम के द्वारा एक शिक्षित समाज का सृजन करना है। इसमें सतत् शिक्षा कार्यक्रम, समानता कार्यक्रम, आय-सृजन कार्यक्रम समानता, कार्यक्रम, आप सृजन कार्यक्रम, जीवन संवृद्धि कार्यक्रम तथा व्यक्तिगत अभिरुचि प्रोत्साहन कार्यक्रम जैसे पैकेज प्रदान करना है। देश के 450 जिलों में साक्षरता अभियान चल रहा है जिनमें से 280 जिले उत्तर साक्षरता चरण में पहुँच गए हैं। अब साक्षरता मिशन का ध्यान सात प्रमुख हिंदी भाषी राज्यों-बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छतीसगढ़ पर है, जहाँ बड़ी संख्या में निरक्षर रहते हैं। प्रौड़ साक्षरता अभियान के अंतर्गत पड़ने वालों में लगभग 60 प्रतिशत स्त्रियाँ, 22 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति 13 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के लोग है। |
प्रश्न 5. “सबके लिए स्वास्थ्य कार्यक्रम के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे कुछ प्रमुख कार्यक्रम का उल्लेख कीजिए। उत्तर- ‘सबके लिए स्वास्थ्य’ लक्ष्य की प्राप्ति के लिए और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए सरकार अन्य अनेक योजनाएँ चला रही है। जैसे-जननी सुरक्षा योजना बालिका समृद्धि योजना और किशोरी शक्ति योजना इत्यादि। इसके अतिरिक्त भी अनेक स्वास्थ्य कार्यक्रम चल रहे हैं, जो निम्नलिखित है-
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NIOS Class 10th सामाजिक विज्ञान (पुस्तक – 2) Question Answer in Hindi
- Chapter – 15 संवैधानिक मूल्य तथा भारत की राजनीतिक व्यवस्था
- Chapter – 16 मौलिक अधिकार तथा मौलिक कर्त्तव्य
- Chapter – 17 भारत एक कल्याणकारी राज्य
- Chapter – 18 स्थानीय शासन तथा क्षेत्रीय प्रशासन
- Chapter – 19 राज्य स्तर पर शासन
- Chapter – 20 केन्द्रीय स्तर पर शासन
- Chapter – 21 राजनीतिक दल तथा दवाब समूह
- Chapter – 22 जनता की सहभागिता तथा लोकतान्त्रिक प्रक्रिया
- Chapter – 23 भारतीय लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियाँ
- Chapter – 24 राष्ट्रीय एकीकरण तथा पंथ निरपेक्षता
- Chapter – 25 सामाजिक आर्थिक विकास तथा अभावग्रस्त समूहों का सशक्तीकरण
- Chapter – 26 पर्यावरणीय क्षरण तथा आपदा प्रबन्धन
- Chapter – 27 शान्ति और सुरक्षा
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