NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 11 जैव विविधता (Biodiversity)
Textbook | NIOS |
Class | 10th |
Subject | सामाजिक विज्ञान (Social Science) |
Chapter | 11th |
Chapter Name | जैव विविधता |
Category | Class 10th सामाजिक विज्ञान |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 11 जैव विविधता (Biodiversity)
Chapter – 11
जैव विविधता
Question & Answer
पाठांत प्रश्न
प्रश्न 1. जैव विविधता को परिभाषित कीजिए। प्राकृतिक वनस्पति, वन्य जीवन और सूक्ष्म जीवों के बीच आपसी संबंधों की व्याख्या करें। उत्तर- जैव विविधता, जैविक विविधता का एक संक्षिप्त रूप है। जैविक विविधता या जैव विविधता का एक शब्द है, हम पृथ्वी पर जीवन की विविधता का वर्णन करते हैं, जिसमें विभिन्न प्रकार के भौतिक पर्यावरण के फटकों, जैसे-तापमान, मिट्टी, पानी को शामिल करते हैं। प्राकृतिक वनस्पति, वन्य जीवन और सूक्ष्म जीवों के बीच संबंध हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में वनस्पति और वन्य – जीवन मूल्यवान संसाधन हैं। पौधे वातावरण को सुरक्षित रखने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। पौधों से हमें लकड़ी मिलती है और है- यह मनुष्यों और जानवरों को आश्रय देते हैं। इनसे जो ऑक्सीजन उत्पन्न होता है, वह हमें साँस लेने में सहायता करता है। मिट्टी का कटाव रोकने और प्राकृतिक आपदाओं, जैसे- बाढ़, तेज पवनें रोकने और भूमिगत पानी के भंडारण में मदद करने के लिए हमें फल देना, गिरीदार फल, तारपीन का तेल, गोंद, औषधीय पौधे और कागज भी हमारे अध्ययन के लिए आवश्यक है। इन कुछ पौधों का असंख्य उपयोग होता है। वन्य जीव के अंतर्गत पशु, पक्षी, कोड़, सरीसृप के रूप में जलीय जीवन शामिल हैं। वे हमें दूध, मास, खाल और ऊन प्रदान करते हैं। मक्खियाँ हमें फूलों के परागण की सहायता से शहद प्रदान करती है, और पारिस्थितिकी तंत्र में अपघटन के रूप में एक महत्त्वपूर्ण रूप में अच्छी तरह से अपना कार्य करते हैं। अपने मृत पशुओं का भोजन करने के कारण गिद्ध एक मेहतर है और वातावरण की एक महत्त्वपूर्ण सफाई करने वाला माना जाता है। सभी जीव छोटे या बड़े पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखने में अभिन्न हैं। |
प्रश्न 2. भारत में उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन की विशेषताओं और वितरण का संक्षेप में वर्णन कीजिए। उत्तर- इस वन क्षेत्र में पूरे साल नम और गर्म जलवायु के कारण पेड़ हरे बने रहते हैं। इन पेड़ों की पत्तियाँ किसी विशेष मौसम में नहीं गिरती हैं, इसलिए वे सदाबहार वन हैं। ये वन एक छोटी शुष्क ऋतु के साथ 200 सेमी से अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं। पेड़ 60 मीटर या अधिक ऊँचाई तक पहुँच जाते हैं। इन घने वनों में सभी प्रकार के मिश्रित वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। इसके अंतर्गत पेड़ झाड़ियाँ, लताएँ जमीन पर फैलने वाले पौधे और फर्न जैसे बहुपत्तीय संरचना वाले होते हैं। इसलिए इन वनों का आर्थिक उपयोग स्वीकार्य नहीं है। पेड़ों की प्रजातियों की संख्या छोटे से क्षेत्र में बहुत बड़ी होती है। सुगंधित लकड़ी. आबनूस, महोगनी, रबर, जैक लकड़ी और बाँस आदि महत्त्वपूर्ण पेड़ है जो उष्ण सदाबहार वनों में पाया जाता है। भारत में इस प्रकार के वन भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जैसे -पश्चिमी घाट, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार के द्वीपों और असम के ऊपरी हिस्सों में। इन जंगलों की लकड़ी का फर्नीचर, हस्तकला, आदि में प्रयोग किया जाता है। भूस्खलन और भूमिक्षरण को रोकने के लिए भी प्रयोग किया जाता है। |
प्रश्न 3. भारत में नम पर्णपाती वन और शुष्क पर्णपाती वनों में अंतर किन्हीं दो बिंदुओं में कीजिए। उत्तर- नम पर्णपाती और शुष्क पर्णपाती वन में अंतर निम्नलिखित है- (क) नम पर्णपाती वन यह 100 से 200 सेमी वर्षा प्राप्त करने वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। देश के पूर्वी भागों हिमालय की तलहटी, झारखण्ड, ओडीसा, छत्तीसगढ़ और पश्चिमी घाट के पूर्वी ढलानों के साथ पूर्वोत्तर राज्यों में मुख्य रूप से पाए जाते हैं। सागौन, बाँस, साल, शीशम, चंदन, खैर, कुसुम, अर्जुन, महुआ, जामुन और शहतूत इन वनों के महत्त्वपूर्ण पेड़ हैं। (ख) शुष्क पर्णपाती वन-शुष्क पर्णपाती वन 45 से 100- सेंटीमीटर वर्षा प्राप्त करने वाले क्षेत्रों में फैले हुए हैं। ये वन प्रायद्वीपीय पठार और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के मैदानी क्षेत्रों के आंतरिक भागों में पाये जाते हैं। इस वनस्पति के पेड़-सागौन, साल, पीपल और नीम किस्म की प्रजातियाँ हैं। |
प्रश्न 4. भारत में जैव आरक्षित क्षेत्र की स्थापना के लिए तीन उद्देश्य बताइए। उत्तर- जीवमंडल सुरक्षा बहुउद्देशीय संरक्षित क्षेत्रों के पारितंत्र प्रतिनिधि में आनुवंशिक विविधता को संरक्षित कर रहे हैं। भारत सरकार ने 15 जीवमंडल सुरक्षा स्थापित की है। जो कि एक बड़े प्राकृतिक निवास स्थान एक राष्ट्रीय पार्क या वन्य जीव अभयारण्य से और प्रायः एक या एक से अधिक राष्ट्रीय पार्क और / या अंतस्थ क्षेत्र है और वे कुछ आर्थिक उपभोग करने के लिए खुले रहते हैं। संरक्षण न केवल संरक्षित क्षेत्र की वनस्पतियों और जानवरों के लिए प्रदान किया जाता है, अपितु यह भी मानव समुदायों के लिए भी है, जो कि इन क्षेत्रों में रहते हैं, और उनके अनुसार जीवन बिताते हैं। इन्हें स्थापित करने के मुख्य उद्देश्य हैं- (क) पौधों, जानवरों और सूक्ष्म जीवों के जीवन की विविधता और अखण्डता संरक्षण, (ख) क्षेत्रों में पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ जीवन को प्रोत्साहन देने के लिए, और (ग) पारिस्थितिकी संरक्षण को प्रोत्साहन देने के लिए, अनुसंधान, शिक्षा जागरूकता और ऐसे क्षेत्रों में जीवन जीने का प्रशिक्षण । |
प्रश्न 5. जैव विविधता के नुकसान का मुख्य कारण क्या है ? किन्हीं चार कारणों को बताइए। उत्तर- बढ़ती आबादी और बदल रही जीवन शैली से प्राकृतिक संसाधनों का व्यापारिक दोहन करना इसके जिम्मेदार कारण हैं। इसके अतिरिक्त बढ़ती जनसंख्या, बदलती जीवन शैली सार्वजनिक नीतियाँ, वाणिज्यिक शोषण इत्यादि जैव विविधता के नुकसान के मुख्य कारण हैं। |
प्रश्न 6. उपर्युक्त कारणों के साथ प्राकृतिक वनस्पति, वन्य जीवन और सूक्ष्म जीवों के संरक्षण के लिए आवश्यकता की पुष्टि कीजिए। उत्तर- हमने जीन, प्रजातियों और क्षेत्र की पारिस्थितिकी तंत्र की कुल संख्या के रूप में जैव विविधता का वर्णन किया है। हमें यह भी मालूम है कि जैव विविधता पृथ्वी पर हमारे अस्तित्व के लिए आधार है। हम भोजन, पानी, आश्रय और तंतु के लिए प्रकृति पर आश्रित है। ये सभी अंतसंबंध और एक-दूसरे पर निर्भर हैं। यदि कोई भी घटक बाधित है, तो जैव विविधता के अन्य घटकों पर एकाधिक प्रभाव होता है। यदि हम प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संरक्षण चाहते हैं, तो हमें उसी संदर्भ में देखना होगा, जैसे हम उनका दोहन करते हैं। वनस्पति हमारे जीवन का एक आर्थिक हिस्सा है। वन्य जीव संतुलित भोजन को रखने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये भूमि पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है। इसके परिणामस्वरूप जैव विविधता भी संतुलित रहती है। अदृश्य सूक्ष्म जीव सफाई करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मिट्टी की उर्वरता में सुधार और विशाल औषधीय महत्त्त्व के हैं। इस प्रकार जैव विविधता के संरक्षण न केवल दुनिया अथवा राष्ट्रीय विरासत के लिए अपितु संसार के किसी भाग के स्थानीय लोगों के अस्तित्व के लिए अति महत्त्व का है। हमें संसार के एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में सकारात्मक भूमिका को समझने की जरूरत है। यह जैव विविधता के संरक्षण में हमारा योगदान होगा। |
प्रश्न 7. नीचे दी गई तालिका का अध्ययन कीजिए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) जानवर के नाम का मिलान कीजिए कि किस राष्ट्रीय पार्क में उनकी रक्षा हो रही है। उत्तर- (क) राष्ट्रीय उद्यान |
प्रश्न 8. (क) अपने राज्य में वनस्पति के प्रकार का पता लगाइए। |
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. जैव विविधता से आप क्या समझते हैं ? उत्तर- जैव विविधता जीव प्रजातियों और एक क्षेत्र की पारिस्थिति की तंत्र की कुल संख्या है। इसमें (क) आनुवंशिक विविधता, (ख) प्रजाति विविधता, (ग) पारिस्थितिकी तंत्र विविधता शामिल हैं। पौधे और जानवर ही जैव विविधता के एक छोटे घटक का निर्माण करते हैं। |
प्रश्न 2. पारिस्थितिकी तंत्र किसे कहते हैं ? उत्तर- किसी क्षेत्र में जैविक और अजैविक घटकों के मध्य में अंतःक्रिया करने को पारिस्थितिकी तंत्र कहते हैं। |
प्रश्न 3. मेगा जैव विविधता क्या है ? उत्तर- अलग पौधों और जानवरों की विभिन्न प्रजातियों कहीं और उपलब्ध नहीं है, का एक अद्भुत संयोजन है। |
प्रश्न 4. भारत में समृद्ध जैव विविधता क्यों पाई जाती है ? उत्तर – भारत 8°4′ उत्तर और 37°6′ उत्तरी अक्षांश और 68°7′ पूर्व और 97°25′ पूर्वा देशांतर के बीच स्थित है। इसकी अद्भुत स्थिति के कारण भारत में समद्ध जैव विविधता पाई जाती है। |
प्रश्न 5. भारत की प्राकृतिक वनस्पति को किन वर्गों में बाँटा गया है ? उत्तर – प्राकृतिक वनस्पति को निम्नलिखित वर्गों में बाँटा गया है- (1) ऊष्ण कटिबंधीय सदाहरित वन (i) ऊष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन (ii) कटीले वन (iv) ज्वारीय वन (v) पर्वतीय वन |
प्रश्न 6. ऊष्ण कटिबंधीय वन किन क्षेत्रों में पाए जाते हैं ? उत्तर- ये वन 200 सेमी से अधिक वर्षा तथा कम अवधि की शुष्क ऋतु वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। यहाँ पेड़ों के नीचे। झाड़ियाँ, बेलों लताओं का मोटा जाल पाया जाता है। |
प्रश्न 7. ऊष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन में कौन-कौन से वृक्ष पाए जाते हैं ? उत्तर- ऊष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन में पाए जाने वाले प्रमुख वृक्ष हैं-सुगंधित लकड़ी, महोगनी, रबर, आबनूस इत्यादि। |
प्रश्न 8. ऊष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वनों में कौन-से वृक्ष पाए जाते हैं ? उत्तर- ऊष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वनों में पाए जाने वाले प्रमुख वृक्ष हैं-साल, सागौन, नीम, शीशम, जामुन और पीपल प्रमुख वृक्ष हैं। |
प्रश्न 9. आर्द्र पर्णपाती वन से आप क्या समझते हैं? उत्तर- आर्द्र पर्णपाती वन 100 से 200 सेमी वर्षा प्राप्त करने वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। देश के पूर्वी भागों, हिमालय की तलहटी, झारखण्ड, ओडिसा, छत्तीसगढ़ और पश्चिमी घाट के पूर्वी ढलानों के साथ पूर्वोत्तर राज्यों में मुख्य रूप से पाए हैं। सागौन, बाँस, साल, शीशम घाट के पूर्वी ढलानों। पूर्वोत्तर राज्यों में मुख्य रूप से पाए जाते हैं। सागौन, बाँस, साल, शीशम, चंदन, खैर, कुसुम, अर्जुन, महुआ, जामुन और शार इन वनों के महत्त्वपूर्ण पेड़ हैं। |
प्रश्न 10. शुष्क पर्णपाती वन किसे कहते हैं ? उत्तर- शुष्क पर्णपाती वन 75 से 100 सेमी वर्षा प्राप्त करने प्रदेश और बिहार के मैदानी क्षेत्रों के आंतरिक भागों में पाया क्षेत्रों में फैले हुए हैं। वन प्रायद्वीपीय पठार और उत्तर प्रदेश, है। इन वनस्पति के पेड़ सागौन, साल, पीपल और नीम किस्म की प्रजातियाँ हैं। |
प्रश्न 11. कंटीले वन किन क्षेत्रों में पाए जाते हैं ? उत्तर- कंटोले वन 75 सेमी से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए ते हैं। इनमें अकासिया, बबूल, कैकटी, खैर, खजूर, ताड़ के प्रकार के पेड़ सामान्यतः पाए जाते हैं। |
प्रश्न 12. ज्वारीय वन कहाँ जाते हैं ? उत्तर- ये वन गंगा, ब्रह्मपुत्र, गोदावरी, महानदी, कृष्णा तथा कावेरी के डेल्टा प्रदेशों में पाए जाते हैं। |
प्रश्न 13. पश्चिमी बंगाल का सुंदर बन डेल्टा में कौन-सा वृक्ष पाया जाता है ? उत्तर- वहाँ सुंदरी नाम का वृक्ष पाया जाता है। |
प्रश्न 14. शिवालिक की पर्वत श्रेणी में कैसे वृक्ष पाए जाते हैं ? उत्तर – शिवालिक की पर्वत श्रेणी में एक हजार मीटर की ऊँचाई तक ऊष्ण कटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन पाए जाते हैं। बाँस और साल मुख्य वृक्ष है, जो यहाँ पाए जाते हैं। |
प्रश्न 15. हिमालय पर 1500 से 3500 की ऊंचाई पर कौन-से वृक्ष पाए जाते हैं ? उत्तर- ऑक, लौरेल, चेस्टनट, देवदार, सीडर, सिलवर, म्यूस इत्यादि पाए जाते हैं। |
प्रश्न 16. राजस्थान के मरू प्रदेश में कौन-कौन से वन्य प्राणी पाए जाते हैं ? उत्तर- राजस्थान में लोमड़ी, मरूस्थली बिल्ली, सोहन चिड़िया विशेष रूप से पाए जाते हैं। |
प्रश्न 17. जीव-जन्तुओं का संरक्षण क्यों आवश्यक है ? उत्तर- पर्यावरण में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए वन्य जीव प्राणियों का संरक्षण आवश्यक है। |
प्रश्न 18. वन्य जीवों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए क्या किया गया है ? उत्तर- वन्य जीवों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए 551 वन्यजीव अभयारण्य, 96 राष्ट्रीय उद्यान, 25 झीलों और 15 जैव आरक्षित क्षेत्र, 33 बोटनिकल गार्डन, 275 प्राणी उद्यानों, बाघ परियोजना, हाथी परियोजना विकसित किए गए हैं। |
प्रश्न 19. जैव विविधता के महत्त्वपूर्ण पहलू क्या हैं ? उत्तर- प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन जैव विविधता महत्वपूर्ण पहलू हैं। |
प्रश्न 20. भारत सरकार द्वारा 15 जीवमंडल सुरक्षा स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य क्या है ? उत्तर- इन्हें स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य है- (क) पौधों, जानवरों और सूक्ष्मजीवों के जीवों के जीवन की विविधता और अखण्डता संरक्षण, (ख) क्षेत्रों में पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ जीवन को प्रोत्साहन देने के लिए, और (ग) पारिस्थितिकी संरक्षण, को प्रोत्साहन देने के लिए अनुसंधान, शिक्षा, जागरूकता और ऐसे क्षेत्रों में जीवन जीने का प्रशिक्षण । |
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारत में जैव विविधता की स्थिति का वर्णन करें। उत्तर- भारत का क्षेत्र विश्व की कुल भूमि क्षेत्र का केवल 2.4 प्रतिशत है। लेकिन विश्व जैव विविधता प्रजातियों की कुल संख्या का लगभग 8% है। विश्व में विविध प्रजातियों की संख्या 17.5 करोड़ (यू.एन.ई.पी की 1995 के विश्व जैव विविधता के आकलन के अनुसार) विश्व की कुल प्रजातियों का 6 प्रतिशत भारत में पाए जाते हैं। 45000 पौधे विश्व की वनस्पति का लगभग 12 प्रतिशत शामिल है। प्रजातियाँ भारतीय जंगलों में पाई जाती है। भारत में विश्व के 12 जैव विविधता के आकर्षण के केंद्रों में से हो भारत में है, वे हैं-उत्तर पूर्वी क्षेत्र और पश्चिमी घाट । |
प्रश्न 2. ज्वारीय से आप क्या समझते हैं ? इनकी विशेषता बताइए। उत्तर- जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है कि ये वन ज्वार और आर्द्र भूमि स्थलाकृति से प्रभावित दलदली ज्वार खाड़ियों में पाए जाते हैं। इन क्षेत्रों की विशेषताएँ मिट्टी, गाद और पानी धरातल पर जमें होते हैं। जड़ें और पेड़ की शाखाएँ विशिष्ट अवधि के लिए जलमग्न रहते हैं। इन्हें मैंग्रोव वन कहा जाता है। मैंग्रोव व्यावहारिक रूप से मोटी पत्तियों के साथ सदाबहार रहते हैं। वनों के इस प्रकार के सुंदरबन, महानदी, गोदावरी, कृष्णा. कावेरी नदियों के डेल्टा में और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पाए जाते हैं। मैंग्रोव या सुंदरी वृक्ष सुंदरबन में अधिकांशत: पाया जाता है; जबकि ताड़-नारियल, कयोरा और अगर अन्य महत्त्वपूर्ण ज्वारीय वनों की प्रजातियाँ हैं। यह दिलचस्प है कि इस प्रकार के वन बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक दोहन से दूर पाए जाते हैं। ये वन तटों के सहारे स्थित हैं। ये चक्रवात के खिलाफ संरक्षण प्रदान करते हैं। |
प्रश्न 3. भारत की संकटग्रस्त जैव प्रजातियों का संरक्षण क्यों आवश्यक है ? उत्तर- बहुत-सी प्रजातियाँ अब नष्ट होती जा रही हैं। उनकी सुरक्षा आवश्यक है। आर्थिक और पारिस्थितिक संतुलन की दृष्टि से इनके संरक्षण की आवश्यकता होती है। भविष्य में उनकी प्रजातियाँ बची रहें, इसके लिए प्रयास करने चाहिए। इस समय भारत की संकटग्रस्त जैव प्रजातियों की संख्या निम्न प्रकार हैं-
|
प्रश्न 4. जीव आरक्षित क्षेत्र से क्या अभिप्राय है ? इनके मुख्य उद्देश्य क्या हैं? भारत के जैव आरक्षित क्षेत्रों के नाम बताइए। उत्तर- जीव आरक्षित क्षेत्र बहुउद्देशीय संरक्षित क्षेत्र है। इनका उद्देश्य जैव विविधता को संरक्षित करता है। उद्देश्य – 1. पारिस्थितिकी संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण को अन्य पहलुओं पर शोध कार्य को बढ़ावा देना। 2. प्राकृतिक विरासत की विविधता को इसके पूरे स्वरूप में अर्थात् प्राकृतिक वातावरण वनस्पति जीवों तथा सूक्ष्म जीवों के रूप में बनाए रखना और संरक्षित रखना। इसके बारे में शिक्षा जागरूकता और प्रशिक्षण के लिए सुविधाएँ उपलब्ध कराना। भारत के जैव आरक्षित क्षेत्र
|
प्रश्न 5. नेशनल पार्कों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या था ? उत्तर- राष्ट्रीय अथवा नेशनल पार्कोंों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक और ऐतिहासिक वस्तुओं और वन्य जीवन संरक्षण है जिसमें वन्य जीवों को खुला छोड़ दिया जाए और भावी पीढ़ी द्वारा किसी भी प्रकार का नुकसान न पहुंचाया जाए। 1970 में भारत में केवल पाँच राष्ट्रीय उद्यान थे। 1972 में भारत बन्य जीव संरक्षण अधिनियम विलुप्त प्रजातियों के सरंक्षण देने के लिए की गयी थी। इस अधिनियम के दो मुख्य उद्देश्य है-लुप्तप्राय: प्रजातियों को अधिनियम में सूचीबद्ध सुरक्षा प्रदान करना और राष्ट्रीय पार्क के रूप में वर्गीकृत देश के संरक्षण के क्षेत्र में कानूनी समर्थन प्रदान करना। |
प्रश्न 6. वन्य जीव अभयारण्य का मुख्य उद्देश्य क्या है ? उत्तर- वन्य जीव अभयारण्यों के मुख्य उद्देश्य वन्य जीवन की व्यवहार्य आबादी और अपने वांछित वास के रख-रखाव को सुनिश्चित करने के लिए हैं। भारत वन्य जीव अभयारण्यों लगभग 2000 पक्षी, स्तनधारियों की 3500 प्रजातियाँ, कीड़ों की लगभग 30,000, पौधों के 15000 किस्मों का घर है। इन अभयारण्यों और वन क्षेत्र में एशियाई हाथी रॉयल बंगाल टाइगर, हिम तेंदुए और साईबेरियन क्रेन की तरह कई लुप्तप्रायः जानवरों और पक्षियों की प्रजातियाँ निवास करती हैं। भारत के वन्यजीव अभयारण्य कई जानवरों की कुछ विशेष प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध हैं। उदाहरण के लिए, असम में कांजीरंगा भारतीय गैंडा के लिए, केरल में परियार हाथी, हाथियों के लिए प्रसिद्ध है। भारत में 551 वन्यजीव अभयारण्य हैं। |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. जैव विविधता के महत्त्व को दर्शाइए। उत्तर- जैव विविधता पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए आधार है। इसके महत्त्व को कम करके आंका नहीं जा सकता है। विभिन्न प्रकार के जीव क्षेत्र में पाए जाने वाले भौतिक वातावरण में रहते हैं। ये एक पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में। अन्योन्याश्रित और अंतर्संबंधित है। किसी भी क्षेत्र में वनस्पति की प्रकृति जानवरों के जीवन को निर्धारित करती है। जब एक जगह के वनस्पति में बदलाव लाया जाता है तो जानवरों के जीवन में भी बदलाव और साथ ही यह मानव जाति को भी प्रभावित करती है। पारिस्थितिकी तंत्र में किसी भी घटक के नुकसान पर प्रतिकूल पारिस्थितिकी तंत्र के अन्य घटकों को प्रभावित करती है। हम पारिस्थितिकी तंत्र का एक अभिन्न भाग है। पेड़ काटने और जानवरों को मारने के लिए कारण मनुष्य पारिस्थिति की असंतुलन के लिए जिम्मेदार है। |
प्रश्न 2. भारत में हिमालयी वनस्पति की विशेषताओं और वितरण का संक्षेप में वर्णन कीजिए। उत्तर- जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह वन मुख्य रूप से हिमालय पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जाता है। तापमान के घटने और ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों पहाड़ी डालों और प्राप्त सूर्य की किरणों जैसे कारकों पर निर्भर करता है। पारिस्थितिकी तंत्र अत्यधिक नाजुक है। हाल के दशकों में कई तरीकों से हिमालय के वनों का शोषण किया है। अपेक्षाकृत 1 ऊँचाई 1000 मीटर तक गर्म जलवायु और वर्षा की मात्रा क्षेत्रों में घने वनस्पति की विशेषता है। ये वन उष्ण कटिबंधीय धन की तरह लगते हैं। इन क्षेत्रों में साल और बॉस मुख्य प्रजातियाँ हैं। 1000 से 2000 मीटर की ऊंचाई के बीच सदाबहार चौड़ी पत्ती वाले वन ओक और चेस्टनेट पाई जाने वाली प्रजातियाँ हैं। पूर्वी हिमालय में एक ही ऊँचाई उपोष्ण कटिबंधीय पादप वनों से घिरा है। एक हिस्से में आमतौर पर चीड़ के वृक्ष पाए जाते हैं। हिमालय का आर्द्र शीतोष्ण वन 1500 से 3500 की ऊँचाई पर 100 से 250 सेमी की वार्षिक वर्षा प्राप्त करने वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। ओक, लॉरेल, चेस्टनेट, देवदार, सीडर, सिलवर, स्प्रूस एक प्रकार का फल आदि हिमालय पर पाया जाता है। यहाँ के वन व्यापक रूप से फर्नीचर के लिए शोषण किया जाता है। हिमालय में पाई जाने वाली वनस्पति का अंतिम प्रकार एल्पाइन वनस्पति है, जो बड़े और व्यापक उच्च भूमि चरागाह और दूर-दूर फैले पाइन, बर्च, सिल्वर, देवदार और एक प्रकार का फल के के साथ 3000 के बीच 3800 मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है। |
प्रश्न 3. आर्द्र भूमि पर अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व को स्पष्ट कीजिए। उत्तर- आर्द्र भूमि की मिट्टी नमी के साथ या तो स्थाई रूप से या ऋतुओं संतृप्त के अनुसार एक क्षेत्र है। ऐसे क्षेत्रों पानी के उथले तालाब द्वारा आंशिक रूप से या पूरी तरह से घिरा रहता है। झीलों, दलदलों, दलदल और दूसरे के बीच में शामिल हैं। झीलों में पाए जाने वाला खारा पानी, ताजा पानी हो सकता है। सबसे महत्त्वपूर्ण झील भी प्राकृतिक अपशिष्ट जलशोधन प्रणाली के रूप में सेवा करती है। आर्द्र भूमियाँ जैविक रूप से पारिस्थितिकी प्रणालियों के विविध रूप में माना जाता है। पौधों का जीवन झीलों में पाया जाने वाला सदाबहार, पानी लिली कांटेल्स, सेज, टैमेरैक, काले, स्प्रूस, साईप्रस, गोंद और कई अन्य शामिल हैं। पशु जीवन में कई अलग-अलग ऊभ्यचर सरीसृप, पक्षी, कीड़े और स्तनधारी शामिल हैं। आर्द्र भूमियाँ जलवायु परिवर्तन के संबंध में दो महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं। उनके पास पानी के नियंत्रित करने और भंडारण करने की क्षमता के माध्यम से कार्बन और अनुकूलन के प्रभाव को अवशोषित करने की क्षमता के प्रभाव का बचाव है। आर्द्र भूमि अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व या रामसर समझौता आर्द्र भूमियों पर समझौता वैश्विक आर्द्रभूमि नुकसान और निम्नीकरण के बारे में चिंतकों को दूर करने के लिए डिजाइन एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है। संधि का प्राथमिक उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय महत्व के आई भूमियों की सूची तैयार करना और संसार की आई भूमियों के सरंक्षण की अंतिम लक्ष्य के साथ बुद्धिमत्तापूर्वक उपयोग को प्रोत्साहन देता है। विभिन्न विधियों द्वारा आर्द्रभूमि क्षेत्रों के अधिकांश भाग को उपयोग सीमित करना और जनता को शिक्षित करके भ्रम दूर करता है कि आर्द्र भूमियाँ बरबाद भूमि नहीं है। |
प्रश्न 5. वन्य जीवों का संरक्षण क्यों महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक है ? उत्तर- भारत में पर्यावरण में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए के लिए वन्य जीवों का सरंक्षण बहुत महत्त्वपूर्ण है। बहुत-सी जीव प्रजातियाँ हैं जिनके बारे में हमें पूरी जानकारी नहीं है। हमें सभी जीवों की प्रजातियों का संरक्षण करना चाहिए। उनका भी जिनके बारे में आर्थिक और पारिस्थितिक संतुलन की दृष्टि से ज्ञान नहीं है। प्रजातियों की विविधता बहुमूल्य संसाधन है। किसी भी जीव प्रजाति का विनाश बहुत ही गंभीरता से लेना चाहिए। आज उनके पारिस्थितिक मूल्य को निश्चित करना आसान नहीं है, लेकिन भविष्य के संदर्भ में उनकी उपयोगिता को निश्चित करना अभी बाकी है। आज किसी जीव प्रजाति की उपयोगिता मालूम नहीं, परंतु भविष्य में वे उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं। अत: हमें सभी जैव प्रजातियों को अज्ञात भविष्य के लिए सुरक्षित रखना चाहिए। |
प्रश्न 6. सदाहरित वन और पर्णपाती वन में अंतर -स्पष्ट कीजिए। उत्तर- सदाहरित वन इस वन क्षेत्र में पूरे साल नम और गर्म जलवायु के कारण पेड़ हरे बने रहते हैं। इन पेड़ों की पत्तियाँ किसी विशेष मौसम में नहीं गिरती हैं। इसलिए वे सदाबहार वन हैं। ये वन 200 सेमी से अधिक वर्षा तथा कम अवधि की शुष्क ऋतु वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। ये वन पश्चिमी घाट की वर्षा वाली ढलानों पर तटीय उड़ीसा और तमिलनाडु में पाए जाते हैं। इन वनों में वृक्ष बड़ी तेजी से बढ़ते हैं और उनकी ऊँचाई 60 मीटर तक हो सकती हैं। इन वनों में रोजवुड, आबनूस, महोगनी और बाँसवुड प्रमुख वृक्ष है। पर्णपाती वन- इन वनों के पेड़ अपने पत्तों को वर्ष में एक बार के गिराते हैं। यही कारण है कि उन्हें उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन कहा जाता है। ये वन भारत के सबसे बड़े क्षेत्र पर फैले हैं। ये वन 75 से 200 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा प्राप्त करने वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं। जहाँ तक इस प्रकार वे वनों की भौतिक वितरण का संबंध है, वे दक्कन के पठार उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, पश्चिमी घाट और पूर्वी तट के कुछ हिस्सों को छोड़कर पूरे देश में पाए जाते हैं। इन वनों को खेती के उद्देश्य के लिए मानव द्वारा व्यापक तौर पर उपयोग में लाया गया है। फिर भी प्राकृतिक वनस्पति को कुछ क्षेत्र हिमालय की तलहटी प्रायद्वीपीय पठार और देश के मध्यवर्ती भाग के पर्वतीय क्षेत्रों के साथ पाए जाते हैं। |
प्रश्न 7. वन्य जीव अभयारण्य किसे कहते हैं ? भारत के मुख्य वन्य प्राणी अभयारण्यों के नाम बताओ। उत्तर- वन्य जीवों का सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए देश भर के 551 वन्य जीव अभयारण्य, 96 राष्ट्रीय उद्यान, 33 बोटीनकल गार्डन, 275 प्राणी उद्यान बनाए गए हैं। वन्य जीव अभ्यारण्य में पशु स्वतंत्रतापूर्वक विचरण करते हैं। उनकी प्रजाति को नष्ट होने से बचाने के लिए यह एक अच्छा “प्रयास किया गया है। कुछ विशेष परियोजाएँ चलाई गई हैं, जैसे- बाघ परियोजना, हाथी परियोजना आदि। यहाँ पर बिना किसी बाधा के पशु अपने प्राकृतिक निवास स्थान पर रह सकते हैं। भारत के प्रमुख वन्य प्राणी अभयारण्य के नामों की सूची निम्नलिखित हैं- |
NIOS Class 10th सामाजिक विज्ञान (पुस्तक – 1) Question Answer in Hindi
- Chapter – 1 प्राचीन विश्व
- Chapter – 2 मध्यकालीन विश्व
- Chapter – 3 आधुनिक विश्व – Ⅰ
- Chapter – 4 आधुनिक विश्व – Ⅱ
- Chapter – 5 भारत पर ब्रिटिश शासन का प्रभाव : आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृति (1757-1857)
- Chapter – 6 औपनिवेशिक भारत में धार्मिक एवं सामाजिक जागृति
- Chapter – 7 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध
- Chapter – 8 भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन
- Chapter – 9 भारत का भौतिक भूगोल
- Chapter – 10 जलवायु
- Chapter – 11 जैव विविधता
- Chapter – 12 भारत में कृषि
- Chapter – 13 यातायात तथा संचार के साधन
- Chapter – 14 जनसंख्या हमारा प्रमुख संसाधन
You Can Join Our Social Account
Youtube | Click here |
Click here | |
Click here | |
Click here | |
Click here | |
Telegram | Click here |
Website | Click here |