NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 20 केन्द्रीय स्तर पर शासन (Governance at the central level)
Textbook | NIOS |
class | 10th |
Subject | Social Science |
Chapter | 20th |
Chapter Name | केन्द्रीय स्तर पर शासन (Governance at the central level) |
Category | Class 10th NIOS Social Science (213) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 20 केन्द्रीय स्तर पर शासन (Governance at the central level) Notes in Hindi जिसमे हम भारत में शासन के कितने स्तर?, केंद्रीय शासन प्रणाली क्या है?, शासन के तीन स्तर कौन से हैं?,, भारत में कौन सा शासन चल रहा है?, शासन कितने प्रकार होते हैं?, भारत में सरकार के 3 स्तर क्यों हैं?, भारत में शासन के तीसरे स्तर को क्या कहा जाता है? केंद्र सरकार के मुख्य अंग कौन से हैं?, केंद्र सरकार का प्रमुख कौन होता है?, केंद्र सरकार और राज्य सरकार में क्या अंतर होता है?, देश में शासन का कार्य कौन मिलकर करता है? आदि के बारे में पढ़ेंगे
NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 20 केन्द्रीय स्तर पर शासन (Governance at the central level)
Chapter – 20
केन्द्रीय स्तर पर शासन
प्रश्न – उत्तर
पाठांत प्रश्न |
प्रश्न 1. भारत के राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है ? उसको किस प्रकार अपने पद से हटाया जा सकता है ? राष्ट्रपति को उसके पद से हटाए जाने की प्रक्रिया अत्यंत जटिल है। महाभियोग के द्वारा ही उसे पद से हटाया जा सकता है। किंतु महाभियोग को संसद के दोनों सदनों के विशेष बहुमत से पारित किया जाना जरूरी है। |
प्रश्न 2. भारत के राष्ट्रपति की शक्तियाँ और कार्य क्या हैं ? संविधान द्वारा इतनी अधिक शक्तियाँ देने के बावजूद यह क्यों कहा जाता है कि राष्ट्रपति शासन नहीं करता अपितु राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता है ? कार्यपालिका संबंधी अधिकार – संविधान के अनुसार केंद्र सरकार की संपूर्ण कार्यपालिका संबंधी शक्तियाँ राष्ट्रपति में निहित हैं। वह लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को प्रधानमंत्री पद के लिए आमंत्रित करता और नियुक्त करता है और प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रिपरिषद् के अन्य सदस्यों की भी नियुक्त करता है। राष्ट्रपति के कार्यपालिका संबंधी शक्तियों में राज्यों के राज्यपालों, महान्यायवादी, महालेखा परीक्षक, राजदूतों एवं उच्चायुक्तों तथा संघीय क्षेत्रों के प्रशासकों को नियुक्त करने की शक्ति भी शामिल है। राष्ट्रपति सशस्त्र सेनाओं का प्रधान सेनापति होता है तथा सेना के तीनों अंगों-थल-सेना, वायु सेना और जल सेना के अध्यक्षों की नियुक्ति करता है। विधायी शक्तियाँ – संपूर्ण विधायी शक्तियाँ राष्ट्रपति के हाथों में निहित हैं। वह प्रतिवर्ष आहुत होने वाले संसद के प्रथम अधिवेशन तथा प्रत्येक चुनाव के बाद आहुत लोकसभा को संबोधित करता है। वह संसद के सदनों का अधिवेशन बुलाता अथवा स्थगित कर सकता है और मंत्रिपरिषद् की सिफारिश पर लोकसभा को भंग कर सकता है। उसकी सहमति और स्वीकृति के बिना कोई बिल कानून नहीं बन सकता। यदि राज्यसभा और लोकसभा के बीच किसी बिल को पारित करने में सहमति नहीं बनती है, तो वह मुद्दे का हल निकालने के लिए दोनों सदनों की न्यायिक शक्तियाँ – कार्यपालिका का सर्वोच्च अधिकारी होने के नाते राष्ट्रपति किसी अपराधी की सजा को कम कर सकता है तथा क्षमादान भी कर सकता है। वित्तीय शक्तियाँ – राष्ट्रपति की वित्तीय शक्तियाँ भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं हैं। लोकसभा में कोई भी धन विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति के बिना प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है। वार्षिक बजट लोकसभा में प्रस्तुत करने के लिए भी राष्ट्रपति की सहमति मिलनी आवश्यक है। आपात्कालीन शक्तियाँ – राष्ट्रपति को कुछ आपात्कालीन शक्तियाँ भी प्राप्त हैं- (i) युद्ध, बाहरी आक्रमण अथवा सशस्त्र विद्रोह से उत्पन्न संकट उपर्युक्त अध्ययन के पश्चात् हम यह पाते हैं कि निश्चित ही राष्ट्रपति की शक्तियाँ अपार और असीन हैं। उसे संविधान को बनाए रखने, रक्षा करने और बचाए रखने का कार्य सौंपा गया है। फिर भी वह एक रबर स्टाम्प है। ऐसा क्यों ? वास्तव में यह एक विवादास्पद बहस है। राष्ट्रपति संविधान में दर्ज लोकतांत्रिक प्रणाली का संरक्षक है। अनिश्चित राजनीतिक स्थिति में वह सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। ऐसे कई अवसर आए हैं जब राष्ट्रपति ने अपनी शक्ति को दिखाया है। फिर भी व्यवहार में राष्ट्रपति नाममात्र अथवा संवैधानिक अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है। ठीक ही कहा गया है कि हमारी संवैधानिक व्यवस्था में राष्ट्रपति को सर्वोच्च सम्मान, गरिमा और प्रतिष्ठा तो प्राप्त है, परंतु वास्तविक शक्ति प्राप्त नहीं हैं। |
प्रश्न 3. भारत के प्रधानमंत्री की भूमिका का परीक्षण तथा मूल्यांकन कीजिए। उत्तर – प्रधानमंत्री केंद्र सरकार का प्रमुख और मंत्रिपरिषद् का मुखिया होता है। उसकी भूमिका देश एवं सरकार में महत्त्वपूर्ण है। वह संसद में सरकार की नीतियों का प्रमुख प्रवक्ता और रक्षक है। मंत्रिपरिषद् उसकी टीम की भाँति कार्य करती है। सभी अंतर्राष्ट्रीय समझौते और दूसरे देशों के साथ उसकी नीतियाँ एवं संधियाँ प्रधानमंत्री की सहमति से होती है। सरकार और संसद में उसकी विशेष हैसियत होती है। उसको देश की रक्षा और सुरक्षा के संबंध में बड़े निर्णय लेने पड़ते हैं। उसको न केवल बेहतर पराम जीवन स्थितियाँ प्रदान करने के लिए ही नीतियाँ बनानी होती हैं है जो अपितु शांति बनाए रखने तथा पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए भी नीतियाँ बनानी पड़ती हैं। प्रधानमंत्री योजना. आयोग का, जो योजना निर्माण की केंद्रीय संस्था है, अध्यक्ष होता है। मंत्रिपरिषद् में प्रधानमंत्री की श्रेष्ठ स्थिति होने के कारण संपूर्ण चुक सरकार उसी के नाम से भी जानी जाती है। |
प्रश्न 4. क्या यह कहना उचित है कि “राज्यसभा ” न केवल दूसरा सदन है अपितु इसकी स्थिति भी दूसरे दर्जे बने की हैं ? अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए। अन्य योग्यताएँ वही हैं; जो लोकसभा सदस्य बनने के लिए निर्धारित की गई है। निःसंदेह यह कहना उचित है कि राज्यसभा द्वितीय सदन है और उसकी शक्ति भी दूसरे दर्जे की है। इसका सबसे प्रमुख कारण है कि राष्ट्रपति कार्यपालिका का प्रधान होता है। उसकी संपूर्ण शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री करता है और प्रधानमंत्री लोक सभा का नेता होता है। इसलिए अधिकांश मामलों में लोकसभा राज्यसभा की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली है। |
प्रश्न 5. सर्वोच्च न्यायालय का गठन कैसे होता है ? इसका न्यायिक अधिकार क्षेत्र क्या है ? (i) भारत का नागरिक हो, 1. एक सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र – सर्वोच्च न्यायालंय देश का सबसे बड़ा न्यायालय है, इसलिए उसके कार्य एवं अधिकार भी विस्तृत हैं- (i) भारत सरकार और एक या अधिक राज्यों के बीच विवाद | 2. अपील संबंधी अधिकार क्षेत्र – उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध अपील सर्वोच्च न्यायालय में सुनी जा सकती है। दीवानी, फौजदारी, राजस्व, तीनों तरह के मुकदमे की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय करता है। 3. मंत्रणा संबंधी अधिकार – किसी कानूनी प्रश्न पर राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय का परामर्श भी ले सकता है। परंतु यह आवश्यक नहीं कि राष्ट्रपति उस परामर्श को अवश्य माने। 4. मौलिक अधिकार की रक्षा संबंधी अधिकार – यदि किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों के ऊपर किसी प्रकार का हस्तक्षेप हो रहा हो, वह नागरिक अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा न्यायालय द्वारा करवा सकता है। 5. संविधान की व्याख्या करने का अधिकार – यदि संविधान की किसी धारा के संबंध में मतभेद हो जाए तो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गई व्याख्या ही सही और अंतिम मानी जाएगी। 6. अभिलेख न्यायालय – उच्चतम न्यायालय एक अभिलेख न्यायालय के रूप में भी कार्य करता है। इसके सभी फैसले और निर्देश छपवाए जाते हैं ताकि भविष्य में इन्हें संदर्भ के रूप में प्रयोग किया जा सके। |
अति लघु उत्तरीय प्रश्न |
प्रश्न 1. राष्ट्रपति का निर्वाचन कैसे होता है ? उत्तर – राष्ट्रपति का निर्वाचन गुप्त मतदान द्वारा होता है। राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल संक्रमणीय मत प्रणाली से होता है। |
प्रश्न 2. राष्ट्रपति बनने के लिए संविधान में न्यूनतम योग्यताएँ क्या निर्धारित की गई हैं ? उत्तर – राष्ट्रपति पद के निर्वाचन हेतु एक व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यताएँ होनी चाहिए- (i) उम्मीदवार को भारत का नागरिक होना चाहिए। (ii) 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो। (iii) भारत सरकार अथवा राज्य सरकार के किसी लाभ के पद पर आसीन न हो। |
प्रश्न 3. ऐसे दो राष्ट्रपति का नाम बताइए जिनकी मृत्यु उनके कार्यकाल के दौरान ही हो गई ? उत्तर – ऐसे दो राष्ट्रपति हैं – डॉ० जाकिर हुसैन और फखरुद्दीन अहमद। |
प्रश्न 4. कोई एक परिस्थिति बताइए जिसमें राष्ट्रपति संकटकाल की घोषणा कर सकता है। उत्तर – बाहरी आक्रमण अथवा आंतरिक सशस्त्र विद्रोह के समय राष्ट्रपति संकटकाल की घोषणा कर सकता है। |
प्रश्न 5. “अधिवेशन बुलाना” से आप क्या समझते हैं ? उत्तर – राष्ट्रपति संसद के सदस्यों को एक औपचारिक सूचना भेजता है कि लोकसभा और राज्यसभा का अधिवेशन (बैठक) एक निश्चित तिथि को शुरू होकर एक निश्चित तिथि तक जारी रहेगा। उसे ही अधिवेशन बुलाना कहते हैं। |
प्रश्न 6. “लोकसभा भंग करना” से क्या तात्पर्य है ? उत्तर – जब राष्ट्रपति लोकसभा को अगले चुनाव के लिए भंग करता है तो इसका अर्थ होता है कि सदन अगला चुनाव होने तथा पुनर्गठित होने तक वर्तमान सवदन का अस्तित्व नहीं रहेगा, तो इसे हम लोक सभा भंग करना कहते हैं। |
प्रश्न 7. राष्ट्रपति किसको प्रधानमंत्री नियुक्त करता है ? उत्तर – राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल के नेता को ही प्रधानमंत्री नियुक्त करता है। |
प्रश्न 8. सरकार के कितने अंग हैं ? उनके नाम बताइए। उत्तर – सरकार के तीन अंग हैं-कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका। |
प्रश्न 9. महाभियोग से आप क्या समझते हैं ? उत्तर – महाभियोग वास्तव में राष्ट्रपति को पद से हटाए जाने की एक प्रक्रिया है। महाभियोग को ससंद के दोनों सदनों के विशेष बहुमत से पारित किया जाना जरूरी है। |
प्रश्न 10. अविश्वास प्रस्ताव किसे कहते हैं ? उत्तर – मंत्रिपरिषद् में अविश्वास दर्शाने के लिए लोकसभा के सदस्यों द्वारा लाए गए विधायी प्रस्ताव को अविश्वास प्रस्ताव कहा जाता है। |
प्रश्न 11. संसद के कितने सदन हैं ? उत्तर – संसद के दो सदन हैं-लोकसभा और राज्यसभा। |
प्रश्न 12. यदि संसद कोई ऐसा अधिनियम बनाती है, जो मूलभूत अधिकार का उल्लंघन करता है, तो कौन इस स्थिति का सुधार कर सकता है ? उत्तर – सर्वोच्च न्यायालय इस स्थिति का सुधार कर सकता है। |
प्रश्न 13. लोकसभा का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम योग्यताएँ क्या हैं ? उत्तर – लोकसभा का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम योग्यताएँ हैं – (i) उम्मीदवार भारत का नागरिक हो। (ii) उसकी आयु 25 वर्ष से कम नहीं हो। (iii) वह केंद्र अथवा राज्य सरकार के लाभ के किसी पद पर आसीन न हो। |
प्रश्न 14. राष्ट्रपति किन 12 लोगों को राज्यसभा के लिए मनोनीत करते हैं ? उत्तर – राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य साहित्य, कला, विज्ञान और समाज सेवा के क्षेत्र में प्रतिष्ठित लोग होते हैं। |
प्रश्न 15. सर्वोच्च न्यायालय के मूल क्षेत्राधिकार क्या हैं ? (अ) संघीय सरकार तथा एक या अधिक राज्य सरकारों के बीच विवाद के मामले। |
प्रश्न 16. न्यायिक पुनरावलोकन से आप क्या समझते हैं ? उत्तर – न्यायिक पुनरावलोकन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से न्यायालय किसी विधायी कार्य अथवा कार्यपालिका के आदेश की संवैधानिकता का परीक्षण करता है। यदि परीक्षण करने पर न्यायालय को लगता है कि कहीं पर संविधान का उल्लंघन हुआ है, तब न्यायालय उसको अवैध, अमान्य और असंवैधानिक घोषित पर देता है। |
प्रश्न 17. यदि संसद का अधिवेशन चल रहा हो और सरकार किसी कानून की तुरंत आवश्यकता समझे तो क्या किया जा सकता है ? उत्तर – उस अवस्था में राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है, जो तुरंत कानून की तरह लागू हो जाता है। |
प्रश्न 18. बजट किसे कहते हैं ? उत्तर – बजट सरकार के वार्षिक आय-व्यय का ब्यौरा होता है जो प्रत्येक वर्ष लोकसभा में पेश किया जाता है। |
लघु उत्तरीय प्रश्न |
प्रश्न 1. राष्ट्रपति की योग्यता और कार्यकाल का वर्णन 50-60 शब्दों में कीजिए। उत्तर – योग्यताएँ-राष्ट्रपति पद के लिए निम्नलिखित योग्यताएँ निर्धारित की गई हैं – (1) उम्मीदवार भारत का नागरिक हो, (ii) उसकी आयु 35 वर्ष से कम न हो, (ii) वह किसी सरकारी पद पर आसीन न हो, (iv) वह पागल और दिवालिया न हो। कार्यकाल – भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है। किंतु वह चाहे तो अपने पद से निर्धारित अवधि से पूर्व त्याग पत्र भी दे सकता है अथवा संविधान विरोधी कार्य करने पर उसे महाभियोग द्वारा पद से हटाया भी जा सकता है। |
प्रश्न 2. लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य बनने के लिए जरूरी योग्यता का उल्लेख कीजिए। राज्यसभा सदस्य की योग्यताएँ – अन्य योग्यताएँ लोकसभा सदस्य के अनुसार ही हैं। केवल आयु कम-से-कम 30 वर्ष हो। |
प्रश्न 3. राष्ट्रपति की वित्तीय शक्तियों का वर्णन करें। उत्तर – (i) कोई भी धन विधेयक राष्ट्रपति की अनुमति के बिना लोकसभा में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। (ii) केंद्रीय सरकार का वार्षिक बजट राष्ट्रपति की अनुमति से ही वित्तमंत्री लोकसभा में प्रस्तुत करता है। (iii) राष्ट्रपति प्रत्येक पाँच वर्ष के पश्चात् या उससे पहले, जब ऐसी आवश्यकता अनुभव हो, वित्त कमीशन को नियुक्त कर सकता है। |
प्रश्न 4. राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियों का वर्णन कीजिए । उत्तर – राष्ट्रपति को निम्नलिखित न्यायिक शक्तियाँ प्राप्त हैं- (i) राष्ट्रपति, सर्वोच्च और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है। इसके अतिरिक्त सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों को भी नियुक्त करता है। (ii) सर्वोच्च न्यायालय से किसी भी कानूनी विषय पर परामर्श ले सकता है। (iii) किसी भी न्यायालय के निर्णयों को बदल सकता है। अर्थात् मृत्युदण्ड को क्षमा कर सकता है या कम कर सकता है। |
प्रश्न 5. राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्तियों का वर्णन कीजिए। उत्तर – राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्तियाँ निम्नलिखित हैं- (i) सारे देश का शासन राष्ट्रपति के नाम पर चलाया जाता है। (ii) वह बड़ी-बड़ी नियुक्तियाँ करता है, जैसे-प्रधानमंत्री की नियुक्ति, राज्यपालों, राजदूतों और न्यायाधीशों की नियुक्ति। (iii) वह तीनों सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति होता है और युद्ध व संधियों की घोषणा करता है। |
प्रश्न 6. अध्यादेश कौन जारी करता है ? उत्तर – यदि संसद का अधिवेशन नहीं चल रहा हो तो और किसी कानून की तुरंत आवश्यकता हो, तो इसको एक अध्यादेश ह जारी करके लागू किया जा सकता है। अध्यादेश प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद् की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा लागू किया जाता है। यह कानून की भाँति ही प्रभावी होता है। लेकिन जैसे ही संसद का अधिवेशन शुरू होता है तो इसको संसद की स्वीकृति मिलना आवश्यक होता है। यदि किसी भी कारणवश संसद इनको 6 सप्ताह में स्वीकार नहीं करती तो अध्यादेश निरस्त हो जाता है। |
प्रश्न 7. प्रधानमंत्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है ? उत्तर – प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। किंतु राष्ट्रपति उसी व्यक्ति को नियुक्त कर सकता है, जो लोकसभा में बहुमत दल का नेता हो। प्रधानमंत्री बनने के लिए बहुमत दल का नेता होने के साथ-साथ उसे संसद का सदस्य होना भी अनिवार्य है। यदि वह अपनी नियुक्ति के समय संसद का सदस्य नहीं है तो उसे अपने प्रधानमंत्री नियुक्त होने की तिथि से छ: मास के अंदर सदस्यता प्राप्त करनी होती है। |
प्रश्न 8. मंत्रिपरिषद् का गठन कैसे होता है ? मंत्रिपरिषद् के सदस्यों की नियुक्त प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। मंत्रि परिषद् में मंत्रियों के तीन वर्ग हैं-कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री और उपमंत्री। ये मंत्री प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक टीम की तरह काम करते हैं। |
प्रश्न 9. भारतीय संसद के दोनों सदनों-लोकसभा तथा राज्यसभा की शक्तियों तथा स्थिति की तुलना कीजिए। उत्तर – लोकसभा और राज्यसभा में तुलना – (i) लोकसभा की सदस्य प्रत्यक्ष मतदान से चुने जाते हैं, जबकि राज्यसभा परोक्ष निर्वाचित तथा आंशिक रूप से मनोनीत सदन है। (ii) लोकसभा का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है। परंतु यह अस्थायी सदन है, जबकि राज्यसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है और यह एक स्थाई सदन है। (iii) धन विधेयक के मामले में लोकसभा सर्वशक्तिमान है, जबकि राज्यसभा को केवल औपचारिक शक्तियाँ ही प्राप्त हैं। (iv) लोकसभा व राज्यसभा को संविधान संशोधन, राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति चुनाव आदि के मामले में लगभग समान अधिकार प्राप्त हैं। (v) कार्यपालिका पर वास्तविक नियंत्रण लोकसभा का होता है, राज्यसभा का नहीं। राज्यसभा को नई अखिल भारतीय सेवा के सृजन तथा राज्य सूची में शामिल किसी विषय को राष्ट्रीय महत्त्व का घोषित करने की विशिष्ट शक्तियाँ प्राप्त हैं। |
प्रश्न 10. संसद के दोनों सदनों-लोकसभा और राज्यसभा की तुलना चार बिंदु देते हुए कीजिए। राज्यसभा – (i) इसमें अधिकतम संख्या 250 होती है। 238 सदस्य राज्य विधान सभाओं द्वारा और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न |
प्रश्न 1. भारतीय राष्ट्रपति की आपात्कालीन शक्तियों का वर्णन कीजिए। उत्तर – राष्ट्रपति की आपात्कालीन शक्तियाँ बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। वह तीन स्थितियों में आपात्काल की घोषणा कर सकता है, जो अग्रलिखित हैं- (i) बाहरी आक्रमण अथवा आंतरिक अशांति के समय – ऐसी स्थिति में नागरिक के मौलिक अधिकार स्थगित कर दिए जाते हैं और शासन कार्य राष्ट्रपति संसद को सौंप देता है। सारे देश में एकात्मक सरकार होती है। किसी राज्य की अपनी सरकार नहीं होती। (ii) राज्यों में संवैधानिक आपात्काल – यदि किसी राज्य का राज्यपाल राष्ट्रपति को सूचित करे कि उसके राज्य का शासन संविधान के अनुसार नहीं चल रहा है, तो राष्ट्रपति इस राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकता है। वह संपूर्ण अधिकार संसद को दे देता है। राज्य की विधानसभाएँ भंग कर दी जाती हैं। (iii) आर्थिक संकटकाल – देश के आर्थिक संकट के काल में भी आपात्काल की घोषणा की जाती है। ऐसे समय में राष्ट्रपति सरकारी कर्मचारी के वेतन, भत्ते और सरकारी खर्च को कम कर सकता है। |
प्रश्न 2. प्रधानमंत्री की नियुक्ति कैसे होती ? उसके किन्हीं दो कार्यों की व्याख्या कीजिए। प्रधानमंत्री की नियुक्ति – प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है, लेकिन राष्ट्रपति केवल उसी व्यक्ति को नियुक्त कर सकता है जो लोकसभा में बहुमत दल का नेता हो। केवल उस स्थिति में जब किसी भी दल को लोकसभा में बहुमत प्राप्त न हो तो स्वविवेक से कार्य कर सकता है। इस दशा में भी प्रधानमंत्री को बहुमत का विश्वास प्राप्त होना अनिवार्य है। प्रधानमंत्री देश का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण और शक्तिशाली व्यक्ति होता है। वह समस्त प्रशासन पर नियंत्रण रखता है। प्रधानमंत्री के कार्य निम्नलिखित हैं- |
प्रश्न 3. मंत्रिपरिषद् और मंत्रिमंडल में अंतर स्पष्ट करें। उत्तर – साधारणत: मंत्रिपरिषद् को मंत्रिमंडल के पर्यायवाची के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। परंतु वास्तव में ये दो भिन्न-भिन्न शब्द हैं। मंत्रिपरिषद् में मंत्रियों की समस्त श्रेणियाँ आ जाती हैं। संविधान में केवल मंत्रिपरिषद् का ही वर्णन किया गया है, मंत्रिमंडल का कहीं नहीं। कैबिनेट में मंत्री मंत्रिपरिषद् के प्रमुख सदस्य होते हैं। मंत्रिपरिषद् का ही एक भाग होती है तथा हम इसको मंत्रिपरिषद की आंतरिक कमेटी भी कह सकते हैं। दूसरे शब्दों में मंत्रिपरिषद् रूपी पहिए के अंदर एक छोटा पहिया है। मंत्रिमंडल मंत्रिपरिषद् में एक धुरी की भाँति कार्य करता है। यह एक उत्तम तथा वरिष्ठ मंत्रियों की समिति है, जो शासन का संचालन करती है। जहाँ मंत्रिपरिषद् में मंत्रिमंडल के सदस्य, राज्यमंत्री, उपमंत्री तथा संसदीय सचिव अर्थात् चार प्रकार के लोग होते हैं। वहाँ मंत्रिमंडल अथवा कैबिनेट में सबसे उच्च पदवी के सदस्य ही केवल सम्मिलित होते हैं। उनको महत्त्वपूर्ण विभाग दिए जाते हैं और वे अपने-अपने विभागों के अध्यक्ष होते हैं। वे देश के गृह तथा विदेश नीति बनाते हैं। |
प्रश्न 4. संसद किसे कहते हैं ? इसकी रचना कैसे होती है ? 1. लोकसभा की रचना – लोकसभा अत्यंत शक्तिशाली सदन है। लोकसभा में कुल 550 सदस्य होते हैं। इनमें से 530 सदस्य विभिन्न राज्यों की जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि हैं और शेष 20 सदस्य केंद्रशासित प्रदेशों की जनता द्वारा निर्वाचित होते हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रपति दो सदस्य एंग्लो-इंडियन लोगों में से मनोनीत कर सकता है यदि वे पहले लोकसभा में न चुने गए हो। लोकसभा का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है। केवल आपात्काल में इसका कार्यकाल एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। पाँच वर्ष की अवधि से पूर्व ही लोकसभा को भंग किया जा सकता है। 2. राज्यसभा की रचना – राज्यसभा के कुल सदस्यों की संख्या 250 है। इनमें से 138 सदस्य राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होते हैं; जबकि साहित्य, विज्ञान, कला, समाज-सेवा आदि क्षेत्रों में ख्याति प्राप्त 12 व्यक्तियों को राष्ट्रपति सदस्य मनोनीत करता है। इसके सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है। राज्यसभा एक स्थायी सदन है। संसद का निचला सदल लोकसभा अपने सबसे पहले अधिवेशन में ही अपने ही सदस्यों में से ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करते हैं। |
प्रश्न 5. संसद की किन्हीं तीन कार्यकारी शक्तियों का वर्णन कीजिए। 2. इन प्रस्तावों पर बहस कर सदस्यों द्वारा शासकीय नीतियों की समीक्षा की जाती है। 3. प्रश्नकाल में सदस्य सरकार से प्रशासन के किसी भी पहलु पर प्रश्न पूछते हैं और संबंधित विभाग के मंत्री को इन प्रश्नों का उत्तर देना पड़ता है। यदि लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव भी लाया जा सकता है। यदि लोकसभा मंत्रिपरिषद् के विरुद्ध बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित कर देती है तो मंत्रिपरिषद् का कार्यकाल समाप्त हो जाता है। |
प्रश्न 6. कार्यपालिका पर संसद कैसे नियंत्रण रखती है ? प्रश्नकाल संसद का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। इसके माध्यम से सदस्य सरकार से प्रशासन के किसी भी पहलु पर प्रश्न पूछते हैं और संबंधित विभाग के अध्यक्ष/मंत्री द्वारा प्रश्न का उत्तर दिया जाता है। संसद के सभी प्रस्तावों में विश्वास सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। यह प्रस्ताव केवल लोकसभा में ही लाया जा सकता है। चूँकि मंत्रिपरिषद् लोकसभा के प्रति उत्तरदायी रहती है और लोकसभा के बहुमत के समर्थन तक पद पर रहती है। इसलिए यदि लोकसभा मंत्रिपरिषद् के विरुद्ध बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित कर देती है, तब मंत्रिपरिषद् समाप्त हो जाती है। |
प्रश्न 7. भारतीय प्रधानमंत्री की किन्हीं चार कार्यपालिका शक्तियों की समीक्षा कीजिए। उत्तर – (i) प्रधानमंत्री देश का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण और शक्तिशाली व्यक्ति होता है। वह समस्त प्रशासन पर नियंत्रण रखता है। वह मंत्रिमंडल का निर्माण करता है। मंत्रियों का चयन और उनके स्तर का निर्धारण करता है। (ii) प्रधानमंत्री मंत्रियों में विभागों का वितरण करता है और मंत्रिमंडल में बैठक की अध्यक्षता करता है। (iii) प्रधानमंत्री मंत्रियों के कार्य में सामंजस्य करता है। वह मंत्रियों के बीच उत्पन्न मतभेदों को सुलझाता है। (iv) प्रधानमंत्री लोकसभा में विभिन्न विधेयकों और बजटों को पारित करवाता है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में देश का प्रमुख वक्ता होता है। वह मंत्रियों को हटा भी सकता है। |
प्रश्न 8. संसद के विधायी कार्यों का वर्णन कीजिए। संसद के विधायी कार्य – संसद कानून बनाने वाली संस्था है। यह संविधान में उल्लेखित संघीय सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाती है। यदि संघीय सरकार और राज्य सरकार के बीच समवर्ती विषय को लेकर कोई विवाद अथवा टकराव हो जाए तो संघीय सरकार का कानून माना जाएगा। इसके अतिरिक्त, यदि कोई विषय किसी भी सूची में दर्ज नहीं है तो उस अवशिष्ट विषय पर कानून बनाने का अधिकार संसद् के पास है। साधारण विधेयक को संसद के किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है। यदि कोई विधेयक लोकसभा में पारित हो जाए तो उसे राज्य सभा में भेजा जाता है जो इसको पारित कर सकती है अथवा कुछ संशोधन का सुझाव दे सकती है। यदि दोनों सदनों में असहमति बनी रहती है तो इसको दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में सुलझाया जाता है। संयुक्त बैठक में लोकसभा का पलड़ा भारी होता है, क्योंकि राज्य सभा के 250 सदस्यों की तुलना में लोकसभा के 550 सदस्य होते हैं। आज तक केवल तीन बार दोनों सदनों की संयुक्त बैठकें हुई हैं। यदि दोनों सदन विधेयक को पारित कर देते हैं तो विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाता है और उनकी स्वीकृति मिलते ही यह विधेयक कानून बन जाता है। |
NIOS Class 10th सामाजिक विज्ञान (पुस्तक – 2) Question Answer in Hindi
- Chapter – 15 संवैधानिक मूल्य तथा भारत की राजनीतिक व्यवस्था
- Chapter – 16 मौलिक अधिकार तथा मौलिक कर्त्तव्य
- Chapter – 17 भारत एक कल्याणकारी राज्य
- Chapter – 18 स्थानीय शासन तथा क्षेत्रीय प्रशासन
- Chapter – 19 राज्य स्तर पर शासन
- Chapter – 20 केन्द्रीय स्तर पर शासन
- Chapter – 21 राजनीतिक दल तथा दवाब समूह
- Chapter – 22 जनता की सहभागिता तथा लोकतान्त्रिक प्रक्रिया
- Chapter – 23 भारतीय लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियाँ
- Chapter – 24 राष्ट्रीय एकीकरण तथा पंथ निरपेक्षता
- Chapter – 25 सामाजिक आर्थिक विकास तथा अभावग्रस्त समूहों का सशक्तीकरण
- Chapter – 26 पर्यावरणीय क्षरण तथा आपदा प्रबन्धन
- Chapter – 27 शान्ति और सुरक्षा
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