NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 7 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध (Popular resistance against British rule) Question Answer in Hindi

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 7 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध (Popular resistance against British rule)

TextbookNIOS
class10th
SubjectSocial Science
Chapter7th
Chapter Nameब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध (Popular resistance against British rule)
CategoryClass 10th NIOS Social Science (213)
MediumHindi
SourceLast Doubt

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 7 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध (Popular resistance against British rule) Question Answer in Hindi जिसमे हम ब्रिटिश शासन के बढ़ते विरोध में किन कारकों का परिणाम हुआ?, किस वर्ष भारतीय ने ब्रिटिश शासन का हिंसक विरोध किया था?, भारत में ब्रिटिश शासन का वास्तविक संस्थापक कौन था?, भारत में ब्रिटिश शासन के परिणाम क्या हैं?, ब्रिटिश शासन की मुख्य विशेषता क्या है?, भारत में ब्रिटिश शासन के दो सकारात्मक प्रभाव क्या थे?, ब्रिटिश शासन का प्रमुख कौन है?, ब्रिटेन का दूसरा नाम क्या है?, ब्रिटेन में लोकतंत्र का उदय कैसे हुआ?, ब्रिटिश शासन का मुख्य उद्देश्य क्या था?, ब्रिटिश शासन पर क्या प्रभाव पड़ा?, ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव क्या थे?, ब्रिटिश शासन से आप क्या समझते हैं?, भारत में ब्रिटिश शासन कब लागू हुआ?, भारत में ब्रिटिश शासन कब आया था?, भारत में ब्रिटिश शासन का अंत कैसे हुआ?, ब्रिटिश साम्राज्य के पतन का कारण क्या था?, ब्रिटिश शासन से भारत को कैसे लाभ हुआ?, ब्रिटिश भारत के प्रथम गवर्नर जनरल कौन थे?, भारत का पहला वायसराय कौन है?, भारत का सबसे अच्छा वायसराय कौन था?, भारत का अंतिम ब्रिटिश गवर्नर जनरल कौन? आदि के बारे में पढ़ेंगे 

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 7 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध (Popular resistance against British rule)

Chapter – 7

ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध

प्रश्न – उत्तर 

पाठांत प्रश्न

प्रश्न 1. किसानों तथा जनजातीय विद्रोहों के दो समान लक्षणों की व्याख्या करें।
उत्तर – किसानों तथा जनजातीय विद्रोहों के दो समान लक्षण निम्न हैं-

(i) किसानों और जनजातियों के लोगों को अपनी ही जमीन से बेदखल करने से वे अपनी ही जमीन पर मजदूर बन गए थे।
(ii) विभिन्न प्रकार के करों ने किसानों और जनजातियों के जीवन को दयनीय बना दिया था।

प्रश्न 2. किस प्रकार राजनीतिक और सामाजिक- धार्मिक कारण 1857 के विद्रोह का कारण बने ?
उत्तर – राजनीतिक कारण-राज्यों को अपने राज्य से मिलाने की नीति के द्वारा औपनिवेशिक विस्तार की प्रकृति, वरुद्ध भारतीय सैनिका भारतीय शासकों में असंतोष का प्रमुख कारण बना। लॉर्ड वेलेजली और लॉर्ड डलहोजी की विस्तारवादी नीतियों से नहीं समुद्रपार ड्यूटा भारतीय नेता समझ चुके थे कि अंग्रेजों के इरादे अच्छे नहीं हैं। लॉर्ड डलहौजी ने सतारा के मराठा राज्यों-नागपुर, झांसी शर्तों में सामाजिक भेदभाव और अन्य कई राज्यों को अपने अंग्रेजी शासन के अधीन के तीन महत्त्वपूर्ण नेताओं लिया था। बाजीराव द्वितीय की मृत्यु के पश्चात् उसे मिलने वाली पेंशन को बंद कर दिया गया था और उनके गोद लिए गए पुत्र नाना साहेब के पेंशन प्राप्त करने के दावे को नकार दिया गया। उक्त घटना से अंग्रेजों और भारतीयों के मध्य दुर्भावना का मार्ग

माजिक और धार्मिक कारण – बाल-विवाह, सती प्रथा पर रोक, विधवाओं का विवाह करवाना आदि कुछ ऐसे कारण थे जिससे कट्टरपंथी हिंदू अंग्रेजों के दुश्मन बन बैठे। शैक्षिक तौर पर भी पाश्चात्य शिक्षा के फैलने से ब्राह्मणों तथा मुल्ला लोगों के पठन-पाठन पर बुरा असर पड़ा। इसाई मिशनरियों के धर्म प्रचार और प्रलोभन देकर धर्म-परिवर्तन कराने के कारण तथा डलहौजी के इस कानून के कारण कि धर्म-परिवर्तन पर भी उस व्यक्ति को पैतृक संपत्ति में हिस्सा देने इससे हिन्दू समाज में खलबली मच गई।

प्रश्न 3. 1857 के विद्रोह के महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर – 1857 के विद्रोह का महत्त्व अनेक दृष्टियों से है। इस विद्रोह से भारतीय अंग्रेजी शासन को समाप्त करना चाहते और मध्य भारत तक थे और इस लक्ष्य के लिए संगठित रूप से उनका मुकाबला करने के लिए खड़े होने के लिए भी तैयार थे। इस विद्रोह में जाति, समुदाय और वर्ग के बंधनों को समाप्त कर दिया। प्रथम बार भारत के लोगों ने एकजुट होकर अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक चुनौती खड़ी की।
प्रश्न 4. 1857 के विद्रोह के मुख्य नेताओं के नाम लिखिए और क्यों उन्होंने विद्रोह में भाग लिया, की एक सारणी बनाए।
उत्तर – कानुपर में नाना साहेब को पेशवा घोषित कर दिया गया। उसकी सैनिक टुकडियों की कमान तात्यों और अजीमुल्लाह ने संभाली। लखनऊ में बेगम हजरत महल ने की। झाँसी में रानी लक्ष्मीबाई किसानों और जनजातियों की सहायता मौलवी की सहायता मौलवी अहमदुल्ला ‘और आरा में कुंवर सिंह ने विद्रोह का नेतृत्व किया। बरेली में इसके नेता थे-खान बहादुर खान।
प्रश्न 5. क्या आप सोचते हैं कि 1857 के विद्रोह ने क्या आप सोचते हैं कि यह कथन आज भी सार्थक है ? स्थिति का विश्लेषण करते हुए अपनी प्रतिक्रिया दें।
उत्तर – विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 6. इतिहास हमें बताता हैं कि सामान्य लोग तब विरोध करते हैं कि जबकि उनकी जीविका संकट में हों हो और किसी समाचार पत्र या पत्रिका में छपी हो तथा उस पर लगभग 50 शब्दों में एक रिपोर्ट बनाए।
उत्तर – विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 7. दिए गए भारत के भौगोलिक मानचित्र पर निम्नलिखित विद्रोहों के क्षेत्रों को अंकित करें।

(क) (i) फकीर और संन्यासी विद्रोह
(ii) संथाल विद्रोह
(iii) मुंडा विद्रोह
(iv) जयतिया तथा गारो विद्रोह ।
(ख) प्रत्येक विद्रोह का कारण लिखें।

उत्तर –

NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 7 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध (Popular resistance against British rule)Question Answer in Hindi

(ख) (i) फकीर और संन्यासी विद्रोह- किसानों पर हो रहे शोषण के कारण फकीर विद्रोह हुए तथा 1770 के भीषण अकाल के बाद बंगाल में संन्यासियों के विद्रोह उभरे।
(ii) संथाल विद्रोह-जबरन करवसूली के विरोध में संथाल विद्रोह हुआ।
(iii) मुंडा विद्रोह-अंग्रेजों और उनके ठकेदारों के हाथों मुंडाओं का यह विस्थापन मुंडा विद्रोह का मुख्य कारण बना।
(iv) जयंतिया और गारो विद्रोह-प्रथम एंग्लो-बर्मा युद्ध के उपरांत अंग्रेजों ने ब्रह्मपुत्र घाटी (आधुनिक असम) को सिल्हट जयंतिया के लिए एक सड़क की योजना बनाई जिसका जयंतिया लोगों और गारों ने विरोध किया जिससे यह विद्रोह उत्पन्न हुआ।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. अंग्रेजों के शासन काल में बड़ी संख्या में विद्रोह क्यों हुए ?
उत्तर – क्योंकि अंग्रेज प्रत्येक क्षेत्र में भारतीय का शोषण एवं दमन करते थे जिससे तंग आकर भारतीय विद्रोह पर उतारू हो जाते थे।
प्रश्न 2. नील की खेती करने वाले किसानों के असंतोष के कोई तीन कारण गिनाए।
उत्तर – किसानों के असंतोष के तीन कारण निम्न थे-
(i) नील उगाने के लिए उन्हें बहुत कम भुगतान किया जाता था।
(ii) नील की खेती लाभप्रद नहीं थी. क्योंकि इसकी और खाद्यान्न फसलों की अवधि एक ही थी।
(iii) नील की खेती के परिणाम स्वरूप मिट्टी की उर्वरा शक्ति समाप्त होना।
प्रश्न 3. संथाल के गढ़ को क्या कहा जाता था ?
उत्तर – संथाल के गढ़ को दमन ए कोह अथवा संथाल परगना कहा जाता था। इसका विस्तार उत्तर में बिहार के भागलपुर से दक्षिण में उड़ीसा तक, हजारी बाग से बंगाल की सीमा तक विस्तृत था।
प्रश्न 4. सिद्ध कानु कौन थे ?
उत्तर – सिद्ध कानु संथाल के नेता थे, जो संथाल विद्रोह का नेतृत्व कर रहे थे।
प्रश्न 5. बिरसा मुंडा कौन थे ?
उत्तर – बिरसा मुंडा, मुंडा विद्रोह के निर्माता थे। वह विद्रोह के महत्त्वपूर्ण नेता थे जिन्हें उनके कार्यों के लिए आज भी याद किया जाता था।
प्रश्न 6. भील विद्रोह से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – भीलों की अधिकांश आबादी खानदेश में थी। खानदेश 1818 में अंग्रेजों के अधीन आ गया। भीलों ने उन्हें विदेशी स्वीकार किया। बाजीराव द्वितीय के बागी मंत्री त्रिंबकजी के उकसाने पर उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर दिया. जिसे हम भील विद्रोह के नाम से जानते हैं।
प्रश्न 7. मैप्पिला विद्रोह किसे कहते हैं ?
उत्तर – मैप्पिला भाड़े पर खेती-बाड़ी करने वाले, भूमिहीन मजदूर और मालाबार क्षेत्र के मछुआरे मुसलमान थे। मालाबार क्षेत्र पर अंग्रेजों के अधिकार करने और नए भूमि कानूनों के साथ जमीन के मालिकों द्वारा अत्याचारों ने मैप्पिला लोगों को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए उकसाया जिससे हम मैप्पिला विद्रोह के नाम से जानते हैं।

प्रश्न 8. 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम के प्रारंभ होने सहायक अनुभव नहीं हुआ कि के सैनिक कारण कहाँ तक उत्तरदायी थे ?
उत्तर – 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम के प्रारंभ होने सैनिक कारण निम्नलिखित है-

(i) अंग्रेज कंपनी का भारतीय सैनिकों के साथ सदैव भेदभावपूर्ण व्यवहार रहता था। भारतीय सैनिकों को कम वेतन दिया जाता था।
(ii) भारतीय सैनिकों के साथ हुए अपमानजनक व्यवहार से उनमें अंग्रेजों के लिए कोई स्थाके पास न नहीं था।
(iii) चर्बी लगे कारतूस के मामले ने उन्हें ऐसा अवसर प्रदान किया कि भारतीय सैनिकों विद्रोह के अतिरिक्त कोई दूसरा मार्ग नहीं था

प्रश्न 9. 1857 के विद्रोह के प्रमुख नेताओं के नाम लिखें।
उत्तर – विद्रोह के कुछ प्रमुख नेता थे-बख्त खान, नाना साहिब, तात्या टोपे, बेगम हजरत महल, मौलवी अहमदुल्लाह, रानी लक्ष्मीबाई, खान बहादुरखान और कुँवर सिंह।
प्रश्न 10, 1857 के विद्रोह के तात्कालिक कारण क्या थे ?
उत्तर – 1857 के विद्रोह के अनेक कारण थे, किन्तु चर्बी लगे कारतूसों की घटना इसका तात्कालिक कारण बनी।
प्रश्न 11. किसानों ने विद्रोह क्यों किया ?
उत्तर – जो लोग लघु कुटीर उद्योगों में लगे हुए थे, उन्हें अंग्रेजों द्वारा उत्पादित सामान के आयात के परिणाम स्वरूप अपने कारखाने बंद करने पड़े थे। इन सभी परिवर्तनों और अंग्रेजी प्रशासन के गैर-जम्मेदार व्यवहार के कारण किसानों को अपनी शिकायतों की अभिव्यक्ति विद्रोह के द्वारा प्रदर्शित करने के लिए मजबूर होना पड़ा। थी ?
प्रश्न 12. 18वीं सदी में किसानों की स्थिति कैसी थी 
उत्तर – 18वीं सदी में किसानों की स्थिति बड़ी दयनीय थी। खेतीहर किसानों को अपनी ही जमीन से बेदखल करने से वे अपनी ही जमीन पर मजदूर बन गए थे। विभिन्न प्रकार के करों ने उनके जीवन को दयनीय बना दिया था।
प्रश्न 13, शिक्षित भारतवासियों ने विद्रोह का समर्थन क्यों नहीं किया ?
उत्तर – शिक्षित भारतीयों ने विद्रोह का समर्थन इसलिए नहीं किया कि उनका मानना था कि विद्रोही परंपरागत रूढ़ियों और सामंती ढाँचे से जुड़े थे। शिक्षित लोगों ने उन तत्त्वों का समर्थन किया जिन्हें वह प्रगतिशील और आधुनिकीकरण से सहायक तत्त्व मानते थे उन्हें यह अनुभव नहीं हुआ कि अंग्रेज ब्रिटिस हितों के लिए भारतीय हितों की बलि चढ़ा देंगे।
प्रश्न 14, 1857 के विद्रोह के दो मुख्य परि क्या थे?
उत्तर – 1857 के विद्रोह परिणाम निम्न
(1) भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी के निकल कर ब्रिटिश राज को हस्तांतरण।
(ii) भारतीय रियासतों के राजाओं को उनके और विशेषाधिकार सुरक्षित रखने का आश्वासन मिला।
प्रश्न 15. लॉर्ड डलहौजी ने किस नीति के अंतर्गत आठ राज्यों को सीधे अंग्रेजी राज्य में विलय कर लिया था ?
उत्तर – उत्तराधिकार (लैप्स की नीति) की नीति के अंतर्गत।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1, संथालों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह क्यों किया ?
उत्तर – अंग्रेज अधिपत्य की नीति लेकर ही भारत आ थे। जो काम उनके लिए पहाड़ियों ने नहीं किया, वो काम संथालियों ने पूरा कर दिया। संचालियों ने जंगलों की कटाई कर कृषि तथा व्यापार के लिए भूमि का निर्माण किया जैसे-जैसे इनकी स्थिति सुधरने लगी, वैसे-वैसे अंग्रेजों ने इन पर अपना अधिकार जमाना आरंभ कर दिया। वे इनकी भूमि हड़पने लगे। इन पर ज्यादा कर का बोझ डाल दिया गया। परिणामस्वरूप संथाली हीन भावना के शिकार होने लगे जिसके कारण उनके अंदर विद्रोह की भावना पनपने लगी। संथालियों को यह लगने लगा कि एक आदर्श संसार के निर्माण के लिए उनका अपना शासन होना चाहिए। अपने हित की रक्षा के लिए उन्हें स्वयं को बलशाली बनाना होगा और इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्हें जमींदारों, साहूकारों य अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का सबसे अच्छा मौका यही था इसलिए उन्होंने विद्रोह कर दिया।

प्रश्न 2. निम्नलिखित पर 60 से 80 शब्दों में निबंध लिखें-
(i) नील विद्रोह, (ii) मुंडा विद्रोह, (iii) जयतिया और गारो विद्रोह ।
उत्तर – (i) नील विद्रोह-नील विद्रोह बंगाल में हुआ था। अंग्रेजों ने अधिक से अधिक धन अर्जित करने के उद्देश्य से लोगों के जीवन-यापन के बुनियादी साधनों में हस्तक्षेप करना आरंभ कर दिया। उन्होंने न केवल नई फसलों की शुरूआत को अपितु खेती-बाड़ों की नई तकनीक भी शुरू कर दी हैं। बिरसा मुंडा अपेक्षाकृत किसानों और जमींदारों पर भारी कर अदा किए जाने और उन्होंने अपनी जनजाति वाणिज्यिक फसलें उगाने के लिए गहरा दबाव डालना शुरू कर दिया। ऐसी एक वाणिज्यिक फसल थी- नील नील की खेती का निर्धारण अंग्रेजों के कपड़ा बाजार के अनुरूप ही किया जाता था। किसानों को उन व्यापारियों और दलालों के हाथों परेशान होना पड़ता जिन पर उन्हें अपने सामान को बेचने और कभी-कभार बहुत सस्ते दामों पर बेचने के लिए निर्भर होना पड़ता था। ऐसे में किसानों ने बंगाल में नील की खेती न किए जाने के लिए एक अभियान चलाया जिसे इतिहास में नील विद्रोह की संज्ञा दी गई।

(ii) मुंडा विद्रोह 1857 के पश्चात् हुए अत्यंत महत्त्वपूर्ण और प्रमुख विद्रोहों में से एक था मुंडा विद्रोह पारंपारिक रूप
से मुंडाओं को जंगलों की सफाई करने के रूप में कुछ विशेषाधिकार प्राप्त थे, जो किसी अन्य जनजाति को नहीं दिया जाता था। परंतु जब अंग्रेज इस क्षेत्र में आए और जब उन्होंने ठेकेदारों और सौदागारों को इस क्षेत्र से परिचित कराया तो उन्होंने इस पद्धति को और भी तेजी से नष्ट करने में सहायता की। इन ठेकेदारों को इनके साथ काम करने के लिए इकरारनामे में बँधे मजदूरों की आवश्यकता थी। अंग्रेजों और उनके ठेकेदारों के हाथों मुंडाओं के इस विस्थापन ने महत्त्वपूर्ण विद्रोह को जन्म दिया जिसे हम मुंडा विद्रोह के नाम से जानते हैं। इस विद्रोह के प्रमुख नेता थे- बिरसा मुंडा

(iii) जयंतिया और गारो विद्रोह प्रथम एंग्लो-बर्मा युद्ध के उपरांत अंग्रेजों ने ब्रह्मपुत्र घाटी को सिल्हूट से जोड़ने के लिए एक सड़क बनाने की योजना बनाई। भारत के उत्तरी-पूर्वी भाग में जयंतिया और गारो लोगों ने इस सड़क के निर्माण का विरोध किया जो कि अंग्रेजों के लिए सैन्य दलों के आवागमन के लिए यौद्धिक महत्त्व की थी। 1827 में जयतिया लोगों ने काम को रोकने की कोशिश की और बहुत जल्द ही यह असंतोष पड़ोस के गारो पहाड़ियों तक फैल गया। तभी अंग्रेजों ने कुछ जयंतिया और गारो के गाँव को जला दिया। अंग्रेजों द्वारा सन 1860 के दशक में गृहकर और आयकर शुरू किए जाने पर यह शत्रुता और भी बढ़ गई। जयंतियाओं के नेता  यू कियांग नागवा को गिरफ्तार कर लिया गया और सार्वजनिक रूप से उसे फाँसी दे दी गई और गारो नेता तोगान संगमा अंग्रेजोंके हाथों पराजित हुए।

प्रश्न 3. मुंडा विद्रोह में बिरसा मुंडा के योगदानों को याद कीजिए।
उत्तर – मुंडा विद्रोह।में बिरसा मुंडा के योगदानों को याद कीजिए हैं। बिरसा मुंडा अपेक्षाकृत शिक्षित और जागरूक व्यक्ति थे लोगों को पवित्र वृक्ष कुंजों की पूजा को जीवित रखने के लिए किया। अंग्रेजों द्वारा अपनी बंजर जमीन पर कब्जे से बचने के लिए ऐसी कार्यवाही कराना बहुत महत्त्वपूर्ण था। इसके लिए बिरसा मुंडा ने ऋणदाताओं/महाजनों और अंग्रेज अधिकारियों के विरुद्ध लड़ाई की। उसने पुलिस थानों, गिरजाघरों और धर्म प्रचारकों पर आक्रमण किया। दुर्भाग्यवश विद्रोहियों की हार हुई, और शीघ्र ही सन् 1900 में जेल में मुंडा की मृत्यु हो गई। इस प्रकार  बिरसा मुंडा के योगदानों को सदैव स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।
प्रश्न 4. इनडेन्बई से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – इनडेन्वई मजदूर से तात्पर्य है वह व्यक्ति जिसे एक संविदा के आधार पर एक निर्धारित समयावधि के लिए किन्हीं दूसरे व्यक्तियों के लिए काम करना पड़ता है। उस व्यक्ति को विदेश किसी नए स्थान पर काम करना पड़ता है और उसके बदले में उसे यात्रा करने के लिए किराए का भुगतान, आवास और खाना दिया जाता है।
प्रश्न 5. किसान विद्रोह की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर – अंग्रेजों की आक्रामक आर्थिक नीतियों ने भारत की पारंपरिक कृषि प्रणाली को तहस-नहस कर दिया और किसानों की हालात को दयनीय बना दिया। देश के विभिन्न भागों में होने वाले किसान विद्रोह मुख्यतः इन्हीं नीतियों से निर्देशित थे। यद्यपि इन विद्रोहों का उद्देश्य भारत से अंग्रेजी राज को उखाड़ फेंकने का नहीं था, फिर भी इन्होंने भारतीयों में एक जागरूकता अवश्य पैदा की। अब उन्होंने और दमन के विरुद्ध संगठित होने पर और मिलकर इसके खिलाफ लड़ने की आवश्यकता अनुभव की संक्षेप में कहें तो इन विद्रोहों ने उनके अन्य प्रतिरोधों के लिए भूमिका तैयार की।
प्रश्न 6. 1857 की क्रांति के स्वरूप का वर्णन करें।
उत्तर – 1857 का विद्रोह कोरा सैनिक विद्रोह नहीं था। यह निश्चित रूप से ही भारतीयों द्वारा स्वतंत्रता के लिए लड़ा गया प्रथम संग्राम था। सैनिकों ने अवश्य विद्रोह किया, परंतु उसका निशाना भी रियासते लेना नहीं अपितु अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालना था। यद्यपि यह विद्रोह देश के कुछ भागों तक ही सीमित रहा तथापि इसका अर्थ यह नहीं कि संपूर्ण देश की जनता आजादी नहीं चाहती हो। इस विद्रोह में हिन्दू और मुसलमान दोनों ने मिलकर भाग लिया जिससे यह स्पष्ट होता है कि सभी लोग अंग्रेजी सत्ता से त्रस्त थे और इससे मुक्ति चाहते थे। ऐसा महान कर्म स्वतंत्रता संग्राम के लिए किया जा सकता है। अतः यह सैनिक विद्रोह नहीं अपितु प्रथम स्वतंत्रता संग्राम था।
प्रश्न 7. विद्रोह की सार्थकता और प्रभावों को लिखें।
उत्तर – 1857 के विद्रोह का प्रथम लक्ष्य था कि भारतीय अंग्रेजी शासन को समाप्त करना चाहते थे और इस लक्ष्य के लिए संगठित रूप से इसका मुकाबला करने के लिए खड़े  होने के लिए भी तैयार थे। यद्यपि वे अपने उद्देश्य प्राप्त करने में असफल रहे, परंतु वे भारतीयों के मन में राष्ट्रीयता के बीज बोने में सफल रहे। भारतीय लोग उन बहादुरों के लिए, जागरूक हो गए थे, जिन्होंने इस विद्रोह में अपने जीवन का बलिदान किया तथापि यहाँ से हिन्दू और मुसलमानों में परस्पर अविश्वास की शुरूआत हुई जिसका बाद में अंग्रेजों ने भारत में शासन जारी रखने के लिए शोषण किया।

प्रश्न 8. 1857 के विद्रोह के सामान्य कारण क्या
उत्तर – 1. अंग्रेजों ने अपने स्वार्थ के लिए भारत का खूब आर्थिक शोषण किया तथा वे विभिन्न तरीकों से भारत का धन उस पार ले गए।

2. भारत में ब्रिटिश प्रशासन में सभी स्तरों पर व्यापक तथा भारी भ्रष्टाचार व्याप्त था। सरकार जनकल्याण में कोई रुचि नहीं लेती थी।

3. वेलेजली तथा डलहौजी की साम्राज्यवादी तथा विस्तारवादी नीतियों ने कई राजाओं को नाराज कर दिया।

4. विदेशी शासन के विरुद्ध विद्रोह को भड़काने का काम चर्बी वाले कारतूसों ने तत्कालीन कारण के रूप में किया। हिन्दू तथा मुस्लिम सैनिक भड़क जाने से 10 मार्च, 1857 ई० को सर्वप्रथम विद्रोह भड़क उठा। मेरठ छावनी में इसका भयंकर रूप सामने आया।

प्रश्न 9. विद्रोह के तात्कालिक कारणों का पता कीजिए।
उत्तर – विद्रोह के तात्कालिक कारण चर्बी वाले कारतूस थे। इस समय अनेक अफवाहें सेना में फैल रही थीं। जैसे अफवाह यह भी थी कि सैनिकों के आटे में हड्डियाँ पीस कर मिला दी जाती थी। इन्हीं अफवाहों में एक अफवाह चर्बी वाले कारतूस के प्रति भी अफवाह फैल रही थी। इन कारतूसों को दाँतों से काटना पड़ता था तथा इसमें लगी हुई चर्बी के विषय में यह संदेश था कि वह गाय तथा सुअर की है अर्थात् सरकार हिन्दू और मुसलमान दोनों का धर्म भ्रष्ट करना चाहती  । इन्हें ईसाई बनाना चाहती है। इन चर्बी लगे कारतूसों न “विद्रोह का तात्कालिक कारण प्रस्तुत कर दिया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. जनजातीय विद्रोह पर एक निबंध लिखें।
उत्तर – 1763 से 1856 तक छोटे-छोटे विद्रोहों को छोड़कर विद्रोह हुए। उनमें से एक जनजातीय विद्रोह भी था। अन्य अंग्रेजी शासन को समाप्त करना चाहते थे और इस लक्ष्य के समुदायों की भाँति जनजातीय समूहों का भी एक महत्वपूर्ण लिए संगठित रूप से इसका मुकाबला करने के लिए खड़े स्थान था। ये भी एक सुव्यवस्थित एवं सुसंगठित जीवन होने के लिए भी तैयार थे। यद्यपि वे अपने उद्देश्य प्राप्त करने व्यतीत कर रहे थे। प्रत्येक समुदाय का एक मुखिया होता था। में असफल रहे, परंतु वे भारतीयों के मन में राष्ट्रीयता के बीज जमीन और जंगल उनकी जीविका का मुख्य साधन था। बोने में सफल रहे। भारतीय लोग उन बहादुरों के लिए अंग्रेजी सरकार की नीतियाँ जनजातीय समाज के लिए बहुत जागरूक हो गए थे, जिन्होंने इस विद्रोह में अपने जीवन का हानिकारक थीं। अंग्रेजों ने इनकी आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था और बलिदान किया तथापि यहाँ से हिन्दू और मुसलमानों में परस्पर समुदायों को नष्ट कर दिया जिनसे इनके अंदर अंग्रेजों के प्रति अविश्वास की शुरूआत हुई जिसका बाद में अंग्रेजों ने भारत विद्रोह की भावना भड़क उठी और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ में शासन जारी रखने के लिए शोषण किया।

जनजातीय लोग युद्ध में अक्सर पारंपारिक हथियारों, विशेष रूप से धनुष बाणों का प्रयोग करते थे और अक्सर हिंसक हो जाते थे। अंग्रेजों ने इनकी सख्ती से दमन कर इन्हें अपराधी और समाज विरोधी घोषित कर दिया। इनकी संपत्ति पर कब्जा कर लिया गया। उन्हें जेलों में डाल दिया गया और कईयों को फांसी पर चढ़ा दिया गया। जनजातीय आंदोलन भारत के कुछ हिस्सों तक ही सीमित रहा।

प्रश्न 2. 1857 के विद्रोह की असफलता के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – 1857 के विद्रोह की असफलता के एक नहीं अनेक कारण थे, प्रमुख की विवेचना निम्नलिखित है-
(i) धन और आधुनिक साधन के अभाव में असफलता का मार्ग प्रशस्त किया। अंग्रेजी अस्त्र-शस्त्र के समक्ष भारतीय सैनिक बौने सिद्ध हुए।

(ii) सैनिक दुर्बलता का विद्रोह की असफलता में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। बहादुर शाह जफर और नाना साहिब एक कुशल संगठनकर्ता अवश्य थे, पर उनमें सैन्य नेतृत्व की क्षमता का अभाव था।

(ii) हिन्दू तथा मुसलमानों ने एक होकर अंग्रेजी राज्य को समाप्त करने की योजना बनाई थी. परंतु क्रांति के आरंभ होने पर अंग्रेजों ने इनमें फुट डालनी शुरू कर दी। परिणाम स्वरूप यह विद्रोह विफल हो गया।

(iv) विद्रोहियों को पास ठोस लक्ष्य और स्पष्ट योजना का अभाव था। उन्हें अगले क्षण क्या करना होगा, यह निश्चित नहीं था। वे मात्र भावावेश एवं परिस्थितिवश आगे बढ़ रहे थे।

(v) आवागमन और संचार के साधनों के उपभोग से अंग्रेजों को विद्रोह को दबाने में काफी सहायता मिली और इस प्रकार आवागमन और संचार के साधनों में भी इस विद्रोह को असफल करने में सहयोग दिया।

प्रश्न 3. विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजों ने कौन-कौन से कदम उठाए ?
उत्तर – अंग्रेजों ने विद्रोह को दबाने के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण कदम उठाए, जैसे-

(i) मई और जून के पास किए गए कई कानूनों के द्वारा न केवल संपूर्ण उत्तर भारत में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया. अपितु फौजी अफसरों और यहाँ तक कि अंग्रेजों को भी ऐसे हिन्दुस्तानियों पर मुकदमा चलाने और उनको दंडित करने की अनुमति प्रदान कर दी, जिन पर विद्रोह में सम्मिलित होने का संदेह होता था।

(ii) कानून और मुकदमों की सामान्य प्रक्रिया समाप्त ‘कर दी गई और यह स्पष्ट कर दिया गया कि विद्रोह को केवल एक ही सजा हो सकती है और वह है-मृत्युदण्ड ।

(ii) अंग्रेजों ने विद्रोह को दबाने के लिए नए-नए कानून बनाए और ब्रिटेन से अस्त्रों से लैस टुकड़ियाँ मँगवाई।

(iv) दिल्ली में अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए बड़े माने पर आक्रमण किए, जिनसे दोनों पक्षों को धन और जन की भारी क्षति उठानी पड़ी।

प्रश्न 4. 1857 के विद्रोह के क्या परिणाम परिलक्षित हुए ?
उत्तर – 1857 के विद्रोह के अनेक दूरगामी परिणाम परिलक्षित हुए, जिनकी व्याख्या निम्नलिखित में की जा रही है –

(i) (विद्रोह समाप्त होने के पश्चात् 1858 ई० में ब्रिटिश संसद ने एक कानून पारित कर ईस्ट इंडिया कंपनी के अस्तित्व को समाप्त कर दिया।

(ii) सेना पुनर्गठन के आधार पर यूरोपीय सैनिकों की संख्या को बढ़ाया गया। उच्च सैनिक पदों पर भारतीयों की नियुक्तियों को बंद कर दिया गया।

(ii) 1857 ई० के विद्रोह के बाद साम्राज्य विस्तार की गीति का ही खात्मा हो गया, परंतु उसके स्थान पर आर्थिक शेषण का दौर आरंभ हो गया।

(iv) विद्रोह के परिणामस्वरूप भारतीयों में राष्ट्रीय एकत की भावना का विकास हुआ और हिन्दू-मुस्लिम एकता ने जोर पकड़ना आरंभ किया, जिसका कालांतर में अच्छा योगदान रहा।

प्रश्न 5. 1857 के विद्रोह की प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – 1857 का विद्रोह भारतीय इतिहास की एक महत्त्वपूर्ण घटना है तथापि इसके स्वरूप अथवा प्रकृति के विषय में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। विभिन्न इतिहासविदों ने इसे अलग-अलग दृष्टि से देखा और उसी के आधार पर अपने विचार व्यक्त किए।

(i) सैनिक विद्रोह – इतिहासकारों का यह भी कहना है कि यह केवल सैनिक विद्रोह के अलावा कुछ नहीं था। यह केवल करना निराधार है, क्योंकि अवध में इस विद्रोह में अनेक वर्ग के लोग सम्मिलित थे। यह सही है कि इस विद्रोह की शुरूआत सैनिक विद्रोह के रूप में हुई थी. किंतु कालांतर में उसकी प्रकृति में परिवर्तन आ गया।

(ii) असंतुष्ट देशी शासकों और जमींदारों का विद्रोह – कुछ विद्वानों के अनुसार 1857 का विद्रोह असंतुष्टदेशी शासकों और  जमींदारों का विद्रोह था जिनसे डलहौजी या ब्रिटिश गवर्नर जनरलों ने उनके राज्य या जागीर-पेंशन अथवा भत्ते छिन लिए थे।

(iii) ईसाइयों के विरुद्ध विद्रोह – कुछ इतिहासकारों का कहना है कि यह विद्रोह धर्मांधों ने ईसाइयों के विरुद्ध किया था। विभिन्न धर्मो के लोगों ने सत्ताधारी ईसाई धर्मावलम्बियों का विरोध किया था।

(iv) मुसलमानों का षड्यंत्र – कुछ विदेशी इतिहासकारों बात का मानना है कि यह विद्रोह मुसलमानों के षड्यंत्रों का परिणाम था। वह पुनः अपनी सत्ता स्थापित करना चाहते थे। उपर्युक्त अध्ययन के पश्चात् यह बात स्पष्ट हो जाती है। ही कि यह विद्रोह ब्रिटिश सरकार को उलटने के लिए किया गया एक योजनाबद्ध और सुसंगठित विद्रोह कदापि नहीं था, किंतु पिछले सौ वर्षों में जनता में कंपनी के शासन के प्रति जो के अरुचि उत्पन्न हो गई थी, उसका प्रतिफल अवश्य था।

प्रश्न 6. 1857 के विद्रोह के कारणों का पता की कीजिए।
उत्तर – 1857 का विद्रोह इतिहास की एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण घटना है। इन विद्रोह की चिंगारी अचानक नहीं फुटी अपितु की यह दीर्घ संघर्ष का परिणाम था। 1857 से पूर्व का काल भारतीय यिक इतिहास में साम्राज्य विस्तार का काल रहा। 1857 का विद्रोह 1757 के प्लासी युद्ध के पश्चात् सौ वर्षों तक एकत्र हुए कारणों का विस्फोट था। इसकी शुरूआत सिपाहियों यानी कंपनी की सेना के भारतीय सैनिकों बगावत से हुई, किंतु शीघ्र ही यह काफी विस्तृत रूप से फैल गई। विद्रोह के लिए सैनिक असंतोष के अतिरिक्त राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा आर्थिक असंतोष भी उत्तरदायी है, जिसकी विस्तृत विवेचना अग्रलिखित है-

राजनीतिक कारण – राजनीतिक कारण के अंतर्गत लॉर्ड डलहौजी की हड़प नीति विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इस नीति के माध्यम से डलहौजी ने एक के बाद एक करके सतारा, नागपुर, झाँसी, अवध, संभल और जैतपुर की रियासतें हड़प ली जिससे भारतीय असंतुष्ट हो गए।

आर्थिक कारण – इस विद्रोह का एक महत्त्वपूर्ण कारण था। पारंपरिक भारतीय अर्थव्यवस्था का विघटन और इसका अंग्रेजी अर्थव्यवस्था के अधीन होना। अंग्रेजी नीतियों के अधीन भारतीय अर्थव्यवस्था को अब तक झकझोर कर रख दिया था। भारतीय के मन में ऐसे में असंतोष उत्पन्न होना स्वाभाविक था।

आर्थिक कारण – धार्मिक दृष्टि से विद्रोह का कारण यह था कि ईसाई धर्म और इस्लाम की उम्र एवं अशिष्ट सार्वजनिक आलोचनाएँ की। लोगों को यह संदेह हो गया कि विदेशी सरकार इसाई धर्म प्रचारकों की गतिविधियों का समर्थन दे रही है।

सामाजिक कारण – अंग्रेजों ने भारतीय समाज में सुधार हेतु कतिपय कानून बनाए, जैसे-सती प्रथा का अंत, विधवा विवाह, धर्म परिवर्तन की कानूनी सुविधा। इन नियमों को भारतीय शंका की दृष्टि से देखते थे, जिससे भारतीयों में असंतोष था, जो कालांतर में विद्रोह का कारण बना।

प्रश्न 7. सन् 1857 के विद्रोह के लिए लॉर्ड डलहौजी कहाँ तक उत्तरदायी थे ? इस विद्रोह से ब्रिटिश नीति किस प्रकार प्रभावित हुई ?
उत्तर – लॉर्ड डलहौजी एक साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का व्यक्ति तो था, किंतु वह अपने साम्राज्य का विस्तार येन-केन-प्रकारेण करना चाहता था। इसके लिए उसने उचित-अनुचित सभी उपायों को अपनाया, जैसे-युद्ध, हड़पनीति, कुशासन इत्यादि। लॉर्ड डलहौजी ने गोद निषेध करके भारतीयों की भावनाओं की ओर तनिक भी ध्यान नहीं दिया। नैतिक दृष्टि से भी यह अनुचित था। क्योंकि कुछ राज्य कंपनी के अधीन न होने पर इस नीति के शिकार बने तथा उसका बलपूर्वक अपहरण किया गया, जैसे-सतारा, जैतपुर, उदयपुर, संभल, झाँसी इत्यादि। चूँकि डलहौजी साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का व्यक्ति था, इसलिए उसने सोचा यदि इस प्रथा को समाप्त कर दिया जाए तो संतानहीन राजाओं के राज्य को अंजाम सही ब्रिटिश साम्राज्य में सम्मिलित किया जा सकेगा। यही सोचकर उसने गोद निषेध प्रथा को लागू किया, जो कालांतर में विद्रोह का कारण बना।

विद्रोह का ब्रिटिश नीति पर प्रभाव 1859 तक पूरे भारत पर ब्रिटिश सत्ता पूरी तरह स्थापित हो चुकी थी. परंतु विद्रोह व्यर्थ नहीं गया। यह हमारे देश के इतिहास का शानदार पड़ाव बन गया। अधिकांश लोगों ने भारतीय जनता का प्रथम महान संघर्ष माना। इसने आधुनिक राष्ट्रीय आंदोलन के विकास का आधार तैयार कर दिया। 1857 के वीरतापूर्वक तथा देश भक्तिपूर्ण विद्रोहियों की कुर्बानियों ने देश की जनता के हृदय पर एक अमिट छाप छोड़ी। उसने ब्रिटिश शासन के प्रतिरोध की शानदार स्थानीय परंपरा स्थापित की। यह विद्रोह आगे के स्वराज्य संघर्ष के लिए प्रेरणा प्रदान करने वाला अमर स्रोत न गया।

प्रश्न 8. भारत के मानचित्र पर 1857 के विद्रोह के निम्नलिखित प्रमुख केंद्रों को दर्शाइए-
(i) मेरठ, (ii) दिल्ली, (iii) कानपुर, (iv) लखनऊ, (v) झाँसी।
उत्तर – देखें मानचित्र पृष्ठ संख्या 80 पर।

NIOS Class 10th सामाजिक विज्ञान (पुस्तक – 1) Question Answer in Hindi

You Can Join Our Social Account

YoutubeClick here
FacebookClick here
InstagramClick here
TwitterClick here
LinkedinClick here
TelegramClick here
WebsiteClick here