NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 23 भारतीय लोकतन्त्र समक्ष चुनौतियाँ (Challenges before Indian democracy)
Textbook | NIOS |
class | 10th |
Subject | Social Science |
Chapter | 23th |
Chapter Name | भारतीय लोकतन्त्र समक्ष चुनौतियाँ (Challenges before Indian democracy) |
Category | Class 10th NIOS Social Science (213) |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter –23 भारतीय लोकतन्त्र समक्ष चुनौतियाँ (Challenges before Indian democracy) Question & Answer in Hindi जिसमे हम भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियाँ क्या हैं समझाइए?, भारतीय लोकतंत्र के सामने मुख्य चुनौतियां क्या हैं?, भारतीय लोकतंत्र की दो विशेषताएं क्या है?, भारतीय लोकतंत्र से आप क्या समझते हैं?, लोकतंत्र कितने प्रकार के होते हैं?, भारत किस प्रकार का लोकतंत्र है?, भारत में लोकतंत्र की शुरुआत कब हुई?, लोकतंत्र का दिवस कब मनाया जाता है?, भारत में लोकतंत्र कौन लाया?, भारत को लोकतांत्रिक कौन बनाता है?, भारतीय लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक क्या माना जाता है?, लोकतंत्र का नियम क्या है?, हमें लोकतंत्र की आवश्यकता क्यों है? आदि के बारे में पढ़ेंगे
NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 23 भारतीय लोकतन्त्र समक्ष चुनौतियाँ (Challenges before Indian democracy)
Chapter – 23
भारतीय लोकतन्त्र समक्ष चुनौतियाँ
प्रश्न – उत्तर
पाठांत प्रश्न
प्रश्न 1. लोकतंत्र के अर्थ की व्याख्या करें। क्या आप यह मानते हैं कि यदि लोकतंत्र को केवल राजनीतिक संदर्भ में परिभाषित किया जाए, तो इसकी परिभाषा व्यापक नहीं हो सकती ? उत्तर- ‘लोकतंत्र’ अंग्रेजी भाषा के शब्द ‘डेमोक्रेसी’ का हिंदी रूपांतरण है। ‘डेमोक्रेसी’ शब्द यूनानी भाषा के ‘डेमोक्रेशिया’ शब्द से आया है जिसका अर्थ है “लोगों को शासन”। यह दो शब्दों से मिलकर बना है-‘डिमोस’ जिसका अर्थ है-‘लोग’ तथा ‘क्रेटोस’ जिसका अर्थ है-‘सत्ता’। इसका अर्थ यह है कि लोकतंत्र में सत्ता जनता के हाथों में रहती है। लोकतंत्र का यह अर्थ यूनान के कुछ नगर राज्यों प्रमुख रूप से एथेंस के शासन के अनुभवों पर आधारित है। आज भी लोकतंत्र को शासन के एक प्रकार के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें सर्वोच्च सत्ता लोगों के हाथों होती है, जिसका प्रयोग उनके द्वारा समय-समय पर होने वाले चुनावों की व्यवस्था के माध्यम से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से होता है। जब आप लोकतंत्र की उपर्युक्त परिभाषाओं का परीक्षण करते हैं तो आप पाते हैं कि उनमें से अधिकार लोकतंत्र को एक ऐसी शासन प्रणाली के रूप में परिभाषित करते हैं, जो निर्वाचित प्रतिनिधियों के द्वारा संचालित होती हैं। |
प्रश्न 2. सच्चे अर्थों में लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाने वाली शर्तों का विश्लेषण कीजिए । उत्तर- सच्चे अर्थों में लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाने वाली, शर्तों का विश्लेषण निम्नलिखित हैं- (अ) राजनीतिक शर्तें – लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाने वाली सबसे राजनीतिक शर्तों सबसे महत्त्वपूर्ण हैं लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए यह आवश्यक है कि वहाँ एक संविधान को अंगीकृत किया गया हो, जो सर्वोच्च शक्ति में निहित करें। समानता, चिंतन, अभिव्यक्ति, आस्था. एक जगह से दूसरी जगह आने-जाने, संचार तथा संघ बनाने की स्वतंत्रता जैसे मानवीय अधिकारों एवं मूल अधिकारों को संविधान को संविधान का संरक्षण प्राप्त हो। लोकतात्रिक व्यवस्था में शासन के विभिन्न स्तरों पर सार्वभौम वयस्क मताधिकार के आधार पर प्रतिनिधियों को चुनने की व्यवस्था हो। लोकतांत्रिक व्यवस्था और भी अधिक मजबूत होती है, यदि यहाँ प्रबुद्ध जनमत का समाचार-पत्रों एवं अन्य संचार माध्यमों द्वारा संप्रेषण होता रहे।(ख) सामाजिक और आर्थिक शर्त – एक लोकतांत्रिक व्यवस्था को यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सामाजिक विकास लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप हो। सामाजिक विकास में सामाजिक स्थिति की समानता, विकास के समान अवसर, सामाजिक सुरक्षा, विकास सामाजिक कल्याण जैसे मूल्य प्रतिबिंबित होने चाहिए। सभी नागरिकों को सार्वभौम तथा अनिवार्य शिक्षा के अवसर उपलब्ध होने चाहिए। उनमें आर्थिक विकास के साधनों के उपभोग की क्षमता विकसित होनी चाहिए। आर्थिक विकास के परिणामों का लाभ सभी को विशेष रूप से समाज के गरीब तथा वंचित वर्गों को अवश्य मिलना चाहिए। |
प्रश्न 3. लोकतंत्र के समक्ष कौन-सी प्रमुख चुनौतियाँ हैं? ये चुनौतियाँ किस प्रकार एक प्रभावशाली लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाने के संभावित अवसर हैं ? व्याख्या कीजिए। उत्तर- आज भारत अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। इनमें कुछ समस्याओं को चुनौती समझा जाता है। क्योंकि वे अधिक गंभीर और कठिन है और देश के भविष्य के लिए भी घातक है। जैसे पर्यावरण की समस्याएँ भी एक गंभीर चुनौतियाँ है, उसी प्रकार भारतीय लोकतंत्र के लिए भी अनेक गंभीर चुनौतियाँ हैं, जिनका वर्णन हम निम्नलिखित में करेंगे- निरक्षरता-निरक्षरता लोकतंत्र के लिए न केवल चुनौती अपितु अभिशाप है। आज निरक्षरता एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। कोई भी देश तभी विकसित हो सकता है जब वहाँ की जनता शिक्षित हो। लोकतंत्र का शासन जनता का शासन होता है और जनता जब शिक्षित होगी, तभी वह अपने विवेक से प्रतिनिधि का चुनाव करेगी। इसके अतिरिक्त साक्षरता का उद्देश्य नागरिकों को केवल चुनावों में भागीदारी करने तथा अपने मतों का प्रभावशाली ढंग से प्रयोग करने योग्य बनाना नहीं है। जनता की साक्षरता का बड़ा महत्व इसलिए है ताकि वे देश के संबंध में महत्त्वपूर्ण मुद्दों. 251 समस्याओं, माँगों, तथा हितों के प्रति जागरुक बने रहें। सबके लिए आवश्यक स्वतंत्रता एवं समानता के सिद्धांतों के प्रति जागरूक बने रहें और इस बात के लिए सदैव जागरूक रहें कि उनके द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि समाज के सभी वर्गों के हितों का समुचित प्रतिनिधित्व करें। इसलिए सभी नगारिकों की शिक्षा लोकतंत्र की सफलता के लिए अनिवार्य है।गरीबी- लोकतंत्र के लिए गरीबी सबसे बड़ा अभिशाप है। आज भारत की बहुत बड़ी संख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यतीत कर रही है जो एक बड़ी समस्या है। गरीबी रेखा का अर्थ आय का वह स्तर जिसमें मनुष्य अपनी न्यूनतम आवश्यकता भी पूरी न कर सके। न्यूनतम आवश्यकता से अभिप्राय रोटी, कपड़ा और झोंपड़ी से है। यह मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता है। वास्तव में आर्थिक विकास की प्रक्रिया सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने में असफल रही है तथा गरीब और अमीर के बीच की खाई को पाटा नहीं जा सकता। इन सभी कारणों से गरीबी भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। लैंगिक भेदभाव – लैंगिक भेदभाव भी लोकतंत्र के लिए बड़ी चुनौती है; जबकि लैंगिक समानता लोकतंत्र का एक महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है। भारतीय संविधान में भी समानता के अधिकार को प्रमुख स्थान दिया गया है। किंतु इसके विपरीत इस भेदभाव को देखा जा सकता है, जो सफल लोकतंत्र के लिए घातक है। उपर्युक्त कारणों के अतिरिक्त जातिवाद, सांप्रदायिकता तथा धार्मिक कट्टरवाद, क्षेत्रवाद, भ्रष्टाचार, अपराधीकरण राजनीतिक हिंसा तथा उग्रवाद प्रमुख चुनौतियाँ हैं जिनका सामना करने की आवश्यकता है। |
प्रश्न 4. भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियों का सामना करने के लिए किन-किन महत्त्वपूर्ण सुधारात्मक उपायों को करना आवश्यक है ? उत्तर- भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियों का सामना करने के लिए कुछ सुधारात्मक उपाय करने की आवश्यकता है। ऐसे सुधारात्मक उपाय सार्वभौम साक्षरता, अर्थात् सबके लिए शिक्षा, गरीबी उन्मूलन, लैंगिक भेदभाव को मिटाना क्षेत्रीय असंतुलन को समाप्त करना, प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधार तथा दीर्घकालीन आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास जैसे मुद्दों पर केंद्रित होने चाहिए। |
प्रश्न 5. भारतीय समाज तथा सरकार के अनुभवों के संदर्भ में लोकतंत्र में नागरिकों की भूमिका की चर्चा कीजिए। उत्तर- लोकतंत्र में नागरिकों की भूमिका बड़ी महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। वास्तव में लोकतंत्र तभी सफल हो सकता है, जब वहाँ के नागरिकों के चिंतन एवं व्यवहार में आधारभूत लोकतांत्रिक मूल्य स्पष्ट होने चाहिए। उनके द्वारा, समानता, पंथनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय, उत्तरदायित्व तथा सबके प्रति आदर जैसे मूल्यों को आत्मसात् किया जाना आवश्यक है। लोकतंत्र के लक्ष्यों को मूर्तरूप देने के लिए नागरिकों को अपनी वांछित भूमिका का निर्वाह करने के अवसरों को ठीक से समझना चाहिए तथा आगे बढ़कर अपनी भूमिका का निर्वहन करना चाहिए। लोकतंत्र में नागरिकों की भागीदारी मात्र चुनावों में मतदान करने या चुनाव की अन्य क्रियाओं में भाग लेने तक सीमित नहीं होती। राजनीतिक दलों या स्वतंत्र गैर-सरकारी संगठनों के सदस्य के रूप में काम करना भी भागीदारी है। इसके अतिरिक्त नागरिकों को लोकतांत्रिक व्यवस्था को उत्तरदायी एवं प्रतिसंवेदी बनाना भी आवश्यक है। नागरिकों के लिए यह आवश्यक है कि वे सांसदों, राज्य विधायिकाओं के सदस्यों तथा पंचायती राज की संस्थाओं, नगरपालिकाओं. एवं नगर-निगमों में प्रतिनिधियों को उत्तरदाई बनाएँ। |
प्रश्न 6. सही अर्थों में भारतीय नागरिक होने के लिए एक व्यक्ति में कौन-कौन से गुण होने चाहिए ? उत्तर- सही अर्थों में भारतीय नागरिक होने के लिए एक व्यक्ति में निम्नलिखित गुण होने चाहिए- (i) उच्च नैतिक चरित्र हो । (ii) अपने कर्त्तव्यों के प्रति सचेत एवं निष्ठावान हो । (iii) ईमानदार हो और ईमानदारी के साथ देश के कानून का पालन करता हो। (iv) शासन प्रक्रिया में भागीदार हो । (v) स्वहित से ऊपर उठकर देशहित के लिए सोचता हो। (vi) अनुशासित और भावनाओं पर नियंत्रण रखने वाला हो। |
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. लोकतंत्र की कोई एक परिभाषा दीजिए। उत्तर- लोकतंत्र जनता की, जनता के लिए, जनता के द्वारा शासन है। |
प्रश्न 2. लोकतंत्र की दो अनिवार्य शर्तें बताइए । उत्तर- लोकतंत्र की दो शर्तें हैं- (i) सभी नागरिकों को सार्वभौम तथा अनिवार्य शिक्षा के अवसर उपलब्ध होने चाहिए। (ii) सभी नागरिकों को केवल नियमित अंतराल पर चुनावों में ही नहीं अपितु राजनीतिक प्रक्रिया के अन्य पहुलओं में भी राजनीतिक भागीदारी करने के अवसर उपलब्ध हों। |
प्रश्न 3. लोकतंत्र के समक्ष दो महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ क्यहैं ? उत्तर- लोकतंत्र के समक्ष दो महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ निरक्षरता और गरीबी हैं। |
प्रश्न 4. भारत में बढ़ती गरीबी के कोई दो कारण बातइए। उत्तर- भारत में बढ़ती गरीबी के दो कारण हैं- (i) बेरोजगारी, और (ii) बढ़ती जनसंख्या। |
प्रश्न 5. लैंगिक भेदभाव से आप क्या समझते हैं ? उत्तर- लैंगिक भेदभाव का आशय है-वह देश अथवा समाज यहाँ महिला एवं पुरुषों में भेदभाव अंतर समझा जाता है। |
प्रश्न 6. भारतीय संविधान में लैंगिक भेदभाव के संबंध में क्या प्रावधान है ? उत्तर- भारतीय संविधान में लैंगिक भेदभाव को अस्वीकार किया गया है। भारतीय संविधान ने महिला और पुरुष को समानता का अधिकार प्रदान किया है। |
प्रश्न 7. बिहार पंचायत संशोधन विधेयक कब पारित हुआ ? उत्तर- बिहार पंचायत संशोधन विधेयक, 2006 को पारित कर राज्य के तीन स्तरीयं पंचायती राज व्यवस्था में 50 प्रतिशत सीटों को महिलाओं के लिए आरक्षित कर दिया गया है। इसके बाद होने वाले चुनावों में 54 प्रतिशत सीटों पर महिलाओं की जीत हुई है। राज्य में दो लाख महिलाएँ पंचायत की सदस्य हैं। |
प्रश्न 8. न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के प्रमुख कारण. क्या हैं ? उत्तर- ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल के अनुसार न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के प्रमुख कारण हैं- (1) मामलों को निपटाने में देरी, (i) न्यायाधीशों की संख्या में कमी, तथा (iii) जटिल न्यायिक प्रक्रिया। |
प्रश्न 9. राजनीति का अपराधीकरण से आप क्या समझते हैं ? उत्तर- राजनीति का अपराधीकरण से आशय है-राजनीति में अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का प्रवेश। |
प्रश्न 10. साक्षर किसे कहते हैं ? उत्तर- भारत की जनगणना के अनुसार 7 वर्ष या उससे ऊपर का व्यक्ति जो किसी एक भाषा में लिख और पढ़ सकता हो, साक्षर कहते हैं। |
प्रश्न 11. राष्ट्रीय साक्षरता मिशन कब शुरू हुआ ? उत्तर- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन की शुरूआत 1988 में की गई थी। |
प्रश्न 12. राष्ट्रीय साक्षरता मिशन का उद्देश्य क्या है ? उत्तर- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन का उद्देश्य निरक्षरता दूर करना है। |
प्रश्न 13. साक्षरता अभियान ने अब तक कितनी सफलता प्राप्त हुई है ? उत्तर- साक्षरता अभिमान देश के 450 जिलों में चलाया गया जिनमें से 280 जिले उत्तर- साक्षरता चरण में पहुँच चुके हैं। |
प्रश्न 14, भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियों का सामना करने के लिए कुछ सुधारात्मक उपाय बताए गए हैं। आप उन उपायों को बताएँ। उत्तर- भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियों का सामना करने के लिए कुछ सुधारात्मक उपाय है- (1) सर्वशिक्षा अभियान (i) गरीबी उन्मूलन (ii) लैंगिक भेदभाव को मिटाना। (iv) क्षेत्रीय असंतुलन को समाप्त करना। (v) प्रशासनिक तथा न्यायिक सुधार। |
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सांप्रदायिकता के तीन दुष्प्रभाव बताओ। उत्तर- (1) चुनावों में सांप्रदायिकता की भावना महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। प्रायः सभी राजनैतिक दल अपने उम्मीदवारों का चुनाव करते समय सांप्रदायिकता को महत्त्व देते हैं और जिस चुनाव क्षेत्र में जिस संप्रदाय के अधिक मतदाता होते हैं, प्राय: उसी संप्रदाय का उम्मीदवार उस चुनाव क्षेत्र में खड़ा किया जाता है।(ii) राजनीतिक दल ही नहीं अपितु मतदाता भी अपने धर्म से प्रभावित होकर अपने मत का प्रयोग करते हैं। प्रायः यह देखा गया है कि मुस्लिम मतदाता और सिख मतदाता अपने अधिकार अपने धर्म से संबंधित उम्मीदवार को ही वोट देते हैं।(iii) धर्म के नाम पर हमारे देश में समय-समय पर राजनीतिक संघर्ष और सांप्रदायिक झगड़े होते रहते हैं। इस प्रकार की भावना से लोगों में सहनशीलता समाप्त हो जाती है और देश में हिंसक वातावरण पैदा हो जाता है। |
प्रश्न 2. दीर्घकालीन विकास से आप क्या समझते हैं ? उत्तर- दीर्घकालीन विकास संसाधनों के उपभोग की ऐसी प्रकृति है, जिसका उद्देश्य पर्यावरण का संरक्षण करते हुए मनुष्य की जरूरतों को पूरा करना है। यह आवश्यक है। केवल आज की जरूरतों को ही नहीं, अपितु आनेवाली पीढ़ियों की जरूरतों को भी पूरा किया जाए। इस पद का प्रयोग ब्रुटलैण्ड आयोग के द्वारा 1987 में किया गया। इसी ने ऐसी परिभाषा दी, जिसे बार-बार उद्धृत किया जाता है। इस परिभाषा के अनुसार, “दीर्घकालीन विकास एक ऐसा विकास है, जो भावी पीढ़ियों द्वारा अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता के साथ समझौता किए बिना आज की पीढ़ी की आवश्यकता को पूरा करता है।” |
प्रश्न 3. लोकतंत्र की सफलता में नागरिकों की भूमिका का वर्णन कीजिए। उत्तर- भारतीय लोकतंत्र तभी सफल हो सकता है जब इसके नागरिक अपने सोच-व्यवहार में समानता, स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय, उत्तरदायित्व एवं सबके लिए आदर जैसे लोकतांत्रिक मूल्यों को आत्मसात् करेंगे। यह भी आवश्यक है कि नागरिकों का सोच और व्यवहार लोकतंत्र के आवश्यक शर्तों के अनुकूल हो । नागरिकों के लिए लोकतांत्रिक प्रणाली के प्रत्येक पहलू में भागीदारी करना, व्यवस्था को उत्तरदायी बनाना, अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करना तथा लोकतंत्र के लक्ष्यों को मूर्त रूप देने के लिए अग्रणी भूमिका निभाना भी आवश्यक है। |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारतीय राजनीति में जातिवाद की भूमिका का वर्णन कीजिए। उत्तर- यूँ तो भारत के जातिवाद का प्रादुर्भाव प्राचीन समाज में ही हो चुका था, जब वैदिक समाज चार श्रेणियों में विभाजित था। धीरे-धीरे यह समाज में प्रोत्साहित होती गई। आज यह भारतीय समाज की धूरी है। वास्तव में जाति एक साधन है जिसके द्वारा भारतीय जनता लोकतंत्रात्मक राजनीति से बंधी हुई है। में जातिवाद का उपयोग संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए ज ये अनुचित लाभ उठाने की रणनीति के रूप में हुआ है। वस्तुत:बाद लोकतंत्र के मौलिक तत्त्वों का विरोधी है। लोकतंत्र से उपलब्ध समानता, भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा संघ बनाने की स्वतंत्रता जैसे मूल अधिकारों, निर्वाचन प्रक्रिया में भाग लेने के अवसर, स्वतंत्र मीडिया तथा प्रेस एवं विधायी मंच का दुरुपयोग प्रायः जातिगत पहचान को प्रोत्साहन देने तथा उससे गलत लाभ उठाने के लिए किया जाता है। |
प्रश्न 2. साक्षरता अभियान क्या है ? उन कार्यक्रमों की सफलता के लिए अपनाई गई कार्यनीतियों का वर्णन कीजिए। उत्तर- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन की शुरूआत 1988 में की गई। इस मिशन का उद्देश्य 15-35 आयु वर्ग को समयबद्ध तरीके से कम लागत में निरक्षरता दूर करना है। 10 करोड़ लोगों साक्षरता अभियान के मूल चरण में सीखने वाले लोग स्व-विकास कर रहे हैं। इस साक्षरता विकास के दूसरे चरण में उत्तर-साक्षरता अभियान शुरू किया गया है। प्रौढ़ शिक्षा का उद्देश्य सतत शिक्षा कार्यक्रम के द्वारा एक शिक्षित समाज सृजन करना है। इससे सतत् शिक्षा कार्यक्रम तथा व्यक्तिगत अभिरुचि प्रोत्साहन कार्यक्रम जैसे पैकेट प्रदान करना है। देश के 450 जिलों में साक्षरता चरण में पहुँच गए हैं। अब साक्षरता मिशन का ध्यान सात प्रमुख हिन्दी भाषी राज्यों बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ पर है। जहाँ निरक्षरता दर अधिक है। |
प्रश्न 3. राजनीतिक भ्रष्टाचार को समाप्त करने के उपाय बताइए। उत्तर- लोकतंत्र को सफल बनाने और राष्ट्र की शक्ति बनाने के राजनीति से भ्रष्टाचार के उखाड़ फेंकना अत्यावश्यक है। भ्रष्टाचार को समाप्त करने के निम्नलिखित उपाय हैं- (1) राजनीतिक भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए आम जनता का जागरूक होना अति आवश्यक है। आम जनता शिक्षित तथा समझदार होनी चाहिए ताकि राजनीतिक भ्रष्टाचार के विरुद्ध सशक्त जनमत का निर्माण किया जा सके। भ्रष्ट राजनीतिज्ञका जनता को सामाजिक बहिष्कार करना चाहिए और बेईमान राजनीतिज्ञों को विधेयक नहीं चुनना चाहिए। (i) राजनीतिक भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोक आयुक्त की स्थापना की जानी चाहिए। लोकपाल का कार्यकारिणी से स्वतंत्र होना चाहिए और उसका स्तर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से कम नहीं होनी चाहिए। (ii) निर्वाचन आयोग को राजनीतिक दलों के हिसाब की पूरी जाँच-पड़ताल करने का अधिकार होना चाहिए। (iv) प्रत्येक उम्मीदवार को चुनाव से पूर्ण अपनी संपूर्ण संपत्ति और नकद धनराशि की घोषणा सार्वजनिक रूप से करनी आवश्यक हो। |
प्रश्न 4. राजनीतिक भ्रष्टाचार के क्या कारण है ? उत्तर- भारतीय राजनीति की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता और समस्या भ्रष्टाचार है। भ्रष्टाचार एक अभिशाप है और राजनीतिक भ्रष्टाचार सब भ्रष्टाचारों से बुरा है। शासन का शायद ही कोई हिस्सा हो जहाँ भ्रष्टाचार न पाया जाता है। इसके अनेक कारण हैं, जो निम्नलिखित हैं-(i) निरक्षरता – राजनीतिक भ्रष्टाचार का एक मुख्य कारण निरक्षरता है। आज भी देश की बड़ी जनसंख्या निरक्षर है। निरक्षर व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होती है। उसमें देश की समस्या को समझने और समाधान करने की क्षमता भी नहीं होती है। इसलिए उन्हें कोई भी दल आसानी से मूर्ख बनाकर अपने पक्ष में कर लेते हैं।(ii) सशक्त जनमत का अभाव – भारत में राजनीतिक भ्रष्टाचार का एक अन्य कारण सशक्त जनमत का अभाव है। भारत की अधिकांश जनता गरीब और अशिक्षित हैं, जिस कारण भ्रष्टाचार के विरुद्ध सशक्त जनमत का निर्माण नहीं हो जात है।(ii) गरीबी – भारत की बड़ी जनसंख्या गरीब है। गरीबी स्वयं में अनेक बुराइयों की जड़ है। गरीब नागरिक अपने मत का स्वतंत्रतापूर्वक प्रयोग नहीं कर सकता। गरीब व्यक्ति अपने का स्वतंत्रतापूर्वक प्रयोग नहीं कर सकता। गरीब व्यक्ति अपने अपने पक्ष में मत डलवाते हैं।(v) नैतिक मूल्यों का अभाव – प्राचीन काल में जीवन एवं उच्च विचार” के नैतिक आदर्श ने सम एवं सामाजिक आचरण को बहुत अधिक प्रभावित शहरीकरण और औद्योगीकरण ने प्राचीन नैतिक मूल्यों का किया है। नैतिक मूल्यों के हास से भ्रष्टाचार फैला है। |
NIOS Class 10th सामाजिक विज्ञान (पुस्तक – 2) Question Answer in Hindi
- Chapter – 15 संवैधानिक मूल्य तथा भारत की राजनीतिक व्यवस्था
- Chapter – 16 मौलिक अधिकार तथा मौलिक कर्त्तव्य
- Chapter – 17 भारत एक कल्याणकारी राज्य
- Chapter – 18 स्थानीय शासन तथा क्षेत्रीय प्रशासन
- Chapter – 19 राज्य स्तर पर शासन
- Chapter – 20 केन्द्रीय स्तर पर शासन
- Chapter – 21 राजनीतिक दल तथा दवाब समूह
- Chapter – 22 जनता की सहभागिता तथा लोकतान्त्रिक प्रक्रिया
- Chapter – 23 भारतीय लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियाँ
- Chapter – 24 राष्ट्रीय एकीकरण तथा पंथ निरपेक्षता
- Chapter – 25 सामाजिक आर्थिक विकास तथा अभावग्रस्त समूहों का सशक्तीकरण
- Chapter – 26 पर्यावरणीय क्षरण तथा आपदा प्रबन्धन
- Chapter – 27 शान्ति और सुरक्षा
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