NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 3 आधुनिक विश्व – Ⅰ (Modern World – Ⅰ)
Textbook | NIOS |
Class | 10th |
Subject | सामाजिक विज्ञान (Social Science) |
Chapter | 3rd |
Chapter Name | आधुनिक विश्व – Ⅰ (Modern World – Ⅰ) |
Category | Class 10th सामाजिक विज्ञान |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 3 आधुनिक विश्व – Ⅰ (Modern World – Ⅰ) Question & Answer In Hindi आधुनिक विश्व शब्द क्या है, आधुनिक इतिहास को अंग्रेजी में क्या कहते हैं, विश्व आधुनिक कब हुआ, आधुनिक विश्व का उदय कब हुआ था, आधुनिक दुनिया किससे बनती है, आधुनिक युग किसे कहते हैं, आधुनिक दुनिया की शुरुआत किसने की, आधुनिक भारत कब से है, आधुनिक दुनिया को बनाने वाले परिवर्तन क्या हैं, विश्व के पहले इतिहासकार कौन थे, भारत में आधुनिक काल किससे जुड़ा है, आधुनिक भारत का पहला नाम क्या है, इतिहास के प्रथम पिता कौन थे, इतिहास के पिता का नाम क्या है, भारत इतिहास का जनक कौन है, भारत कब बना है, अंग्रेजी का पिता कौन है, भारत में कितने वंश हैं आदि आगे पढ़े।
NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 3 आधुनिक विश्व – Ⅰ (Modern World – Ⅰ)
Chapter – 3
आधुनिक विश्व
Question & Answer
प्राठीत प्रश्न
प्रश्न 1. शहरों की वृद्धि और व्यापार के उद्भव सामंती प्रथा का किस प्रकार पतन किया ? उत्तर – आप पिछले अध्याय में ही सामंतवाद के विषय में अध्ययन कर चुके हैं और आपको मालूम होगा कि सामंतवाद क्या है और किस प्रकार यह फला-फुला। इसमें कोई दो मत नहीं कि सामंतवाद एक संस्था के रूप में कई शताब्दियों तक फलता-फुलता रहा। लेकिन मध्यम वर्ग के साथ ही इसका पतन शुरू हो गया था। इसके पतन का मुख्य कारण शक्तिशाली राज्यों का उदय तथा समाजवादी स्वामियों में आपस में युद्ध होना था। इसके अतिरिक्त नए नगरों और शहरों के उदय होने थी। तथा व्यापार के पुनरुद्धार से सामंतवाद का विघटन हुआ। ये नगर उत्पादन के केंद्र थे तथा इन पर निर्वाचित प्रतिनिधियों का नियंत्रण था। इन नगरों का वातावरण और नियंत्रण सामंती प्रतिबंधों से मुक्त था। क्योंकि लोग कहीं भी आने-जाने तथा कोई भी व्यवसाय करने के लिए स्वतंत्र थे। नगरों ने कारीगरों और किसानों को आकृष्ट किया, क्योंकि इन्होंने जीवन की बेहतर संभावना उपलब्ध कराई तथा सामंती शोषणों से छुटकारा दिलवाया। |
प्रश्न 2. आप क्यों सोचते हैं कि पुनर्जागरण सोच ने अस्तित्व और विचारों के पुराने तरीकों को प्रभावित किया ? लगभग 100 शब्दों में लिखो। उत्तर – आधुनिक युग में अर्थात् मध्यकाल के पश्चात् सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्र में जो परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए, उससे यह स्पष्ट होता है कि पुनर्जागरण से लोगों में एक नवीन चेतना एवं जागृति उत्पन्न हुई। उनके सोच को बदल दिया।‘पुनर्जागरण’ का शाब्दिक अर्थ है-पुनर्जन्म। यह सर्वप्रथम इटली में 14वीं सदी के आस-पास प्रारंभ हुआ और धीरे-धीरे यह पुनर्जागरण का केंद्र बन गया। इस समय की प्रमुख घटनाओं में सम्मिलित थे-शहरी जीवन के पुनरुत्थान, वाणिज्य के आधार पर निजी पूँजी बैंकिंग, राष्ट्र-राज्यों के गठन. अन्वेषण के लिए नए मार्गों और प्रदेशों और स्थानीय भाषा ता साहित्य के विकास, जो प्रिंटिंग प्रेस द्वारा लोकप्रिय था। इस समय सृजित नए विचारों यथा मानवतावाद, बुद्धिवाद और जाँच की भावना से लोगों की सोच में गहरा परिवर्तन हुआ। ग्रीक और रोमन साम्राज्य की सांस्कृतिक उपलब्धियाँ नए सिरे से रुचिकर हो गईं। इतना ही नहीं, मानवतावाद की भावना को कला और साहित्य के क्षेत्र में भी अभिव्यक्ति मिली। पुनर्जागरण कलाकारों की सबसे बड़ी उपलब्धियाँ चित्रकला के क्षेत्र में |
प्रश्न 3. धर्म-सुधार ने किस प्रकार यूरोप और दुनिया को प्रभावित किया। उत्तर – मार्टिन लूथर नामक एक जर्मन पुजारी ने पहले रोमन कैथोलिक चर्च के अधिकारियों को चुनौती दी। उसका मानना था कि चर्च पर अंधविश्वास करने की बजाय यीशू है। लूथर के विचारों ने पश्चिम में प्रोटेस्टेंट धर्म-सुधार की मसीह में विश्वास के माध्यम से मोक्ष प्राप्त किया जा सकता शुरुआत हुई, और इसाई जगत् को दो भागों में बाँट दिया-प्रोस्टेंस्टेट और रोमन कैथोलिक। उसके अनुसार इसाइयों को मुक्ति ईसा मसीह के बताए रास्ते पर चलने से मिलती है, न कि पोप स्वीकारोक्ति पत्र खरीदने से। हालांकि इंग्लैण्ड में धर्म-सुधार आंदोलन लूथर के विचारों से प्रभावित था। परंतु यह वहाँ के राजा हेनरी आठवें के अपनी पत्नी कैथरीन को तलाक देने के प्रयासों से शुरू हुआ। राजा के प्रधानमंत्री थॉमस कार्नवैल ने संसद में दो कानून पारित करने में मदद की। |
प्रश्न 4. नई भूमि की खोजों ने कैसे आधुनिक दुनिया की अर्थव्यवस्था और समाज को बदला है ? उत्तर – परीक्षण को भावना ने कई साहसिक लोगों को नई भूमि की खोज करने के लिए प्रोत्साहित किया। नए व्यापार मार्गोंों की खोज ने दुनिया के इतिहास को बदला। यह कहा जाता है कि भगवान् प्रतिष्ठा और सोना इन खोजों के मुख्य उद्देश्य थे। भौगौलिक खोजों से पहले यूरोपीय दुनिया पूर्व से मसालों, कपास, जवाहरात, रेशम आदि वस्तुएँ मंगाते थे. यह तीन वर्गों या यात्रा करनी पड़ती थी। व्यापार और औपनिवेशीकरण में संपदा में विभाजित किया गया था पादरी या चर्च, प्रथम जबर्दस्त वृद्धि से यूरोपीय धन वृद्धि पर एक महान प्रभाव इस्टेट, कुलीन वर्ग या दूसरा एस्टेट। पहले दो एस्टेट विलासिता पड़ा। एक सबसे प्रसिद्ध राजा जो यात्रा को प्रायोजित करता और धर्म पर कई विशेषाधिकारों और देश के शासन का था, पुर्तगाली था। वह था राजा हेनरी, जो हेनरी नेविगेटर के आनंद लेते थे। किसान, आम लोग शहर के श्रमिक और रूप में भी जाना जाता है। इन खोजों के लिए तकनीकी मध्यम वर्ग के रूप में आम आदमी तीसरे एस्टेट में थे और आधार, कम्पास, वेधयंत्र की, खगोलीय सारणी और नक्शे भारी करों के बोझ तले दब थे। फ्रांस की आंतरिक हालातों ने बनाने की कला के आविष्कार से हुआ। इन यात्राओं से विश्व क्रांति के लिए आदर्श मंच बनाया। एक ऐतिहासिक फ्रेंच के विभिन्न भागों में, जैसे-अफ्रीका, अमेरिका तथा एशिया में दस्तावेज, आदमी और नागरिक अधिकार की घोषणा की व्यापारिक चौकी बनाने और औपनिवेशिक साम्राज्य की स्थापना के लिए मार्ग प्रशस्त हुआ। अब वाणिज्यिक सोच अटलांटिक था। सभी पुरुषों की समानता, लोगों, संप्रभुता और स्वतंत्रता के अपनाया गया। यह अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा से प्रभावित महासागर से भूमध्य सागर से स्थानांतरित हो गई कई नई अधिकार संपत्ति, सुरक्षा, सही शिक्षा पर जोर देते हुए मुक्त वस्तुएँ, जैसे–तम्बाकू, गुड़, शुतुरमुर्ग पंख, आलू आदि व्यापार भाषण को अपनाया। सभी गरीबों की सार्वजनिक सहायता में शामिल किए गए। इसने अमानवीय दास व्यापार की प्रतिबंध, यातना और गुलामी से मुक्ति को अपनी सरकार चुनने शुरूआत की। गुलाम अफ्रीका से पकड़ कर अटलांटिक की मान्यता और सार्वजनिक कार्यालयों में रोजगार के लिए महासागर के पार और उतरी अमरीका में वृक्षारोपण में काम सभी नागरिकों को समानता दी गई। यह औद्योगिक क्रांति थी जिसने उन्हें और नेपोलियन बोनापार्ट के तहत एक गणतंत्र बन गया। |
प्रश्न 5. अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा में दिए गए मुख्य विचारों को लिखें। उत्तर – 16वीं शताब्दी के आस-पास इंग्लैण्ड में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से यूरोपीय अमेरिका में बसे थे। उनमें से कुछ आर्थिक अवसरों से आकर्षित थे। उनमें 13 उपनिवेश थे, जो स्थानीय विधानसभाओं द्वारा अपनी समस्याओं का निपटारा करते थे। वाणिकवाद की ब्रिटिश आर्थिक नीति लागू थी.जिसके माध्यम से ब्रिटिश अपने हित में औपनिवेशिक वाणिज्य को विनियंत्रित करने की कोशिश करते थे और पुनर्निवेशों को उद्योग स्थापित करने की आज्ञा नहीं थी और उन्हें लोहा, कपड़े जैसे ब्रिटिश माल खरीदने पड़ते थे। वे केवल इंग्लैण्ड द्वारा निर्धारित कीमतों पर चीनी, तम्बाकू. कपास आदि का निर्यात करते थे, जिसने अमरीकी उपनिवेशों को विरोध के लिए उकसाया। अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा में दिए गए मुख्य विचार थे-समानता, जीवन की स्वतंत्रता, भाषण, प्रेस, धर्म और कानून के तहत न्याय की स्वतंत्रता। |
प्रश्न 6. फ्रांसीसी क्रांति के किन विचारों ने विश्व पर प्रभाव डाला ? उत्तर – 18वीं सदी में फ्रांसीसी समाज अभी पूरी तरह सम्राट के पूर्ण अधिकार के साथ सामंती था। यह तीन वर्गों या संपदा में विभाजित किया गया था पादरी या चर्च, प्रथम इस्टेट, कुलीन वर्ग या दूसरा एस्टेट। पहले दो एस्टेट विलासिता और धर्म पर कई विशेषाधिकारों और देश के शासन का आनंद लेते थे। किसान, आम लोग शहर के श्रमिक और ध्यम वर्ग के रूप में आम आदमी तीसरे एस्टेट में थे और भारी करों के बोझ तले दब थे। फ्रांस की आंतरिक हालातों ने क्रांति के लिए आदर्श मंच बनाया। एक ऐतिहासिक फ्रेंच दस्तावेज, आदमी और नागरिक अधिकार की घोषणा की| अपनाया गया। यह अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा से प्रभावित था। सभी पुरुषों की समानता, लोगों, संप्रभुता और स्वतंत्रता के अधिकार संपत्ति, सुरक्षा, सही शिक्षा पर जोर देते हुए मुक्त भाषण को अपनाया। सभी गरीबों की सार्वजनिक सहायता प्रतिबंध, यातना और गुलामी से मुक्ति को अपनी सरकार चुनने की मान्यता और सार्वजनिक कार्यालयों में रोजगार के लिए सभी नागरिकों को समानता दी गई। फ्रांसीसी क्रांतिकारी ने यूरोप की मध्ययुगीन संरचनाओं को अंत किया और उदारवाद और राष्ट्रवाद के नए विचारों से फ्रांस में एक पूर्ण परिवर्तन, प्रशासन, सेना, समाज और संस्कृति में परिवर्तन हुआ। फ्रांस नेपोलियन बोनापार्ट के तहत एक गणतंत्र बन गया। फ्रांसीसी क्रांति एक मार्गदर्शक सिद्धांत स्वतंत्रता, भाईचारा समानता थे। क्रांतिकारी कई प्रबुद्धता विचारकों वाल्टेयर, मॉन्टेस्क्यू और रूसी जैसे दार्शनिकों के विचार से प्रेरित थे। |
प्रश्न 7. जर्मन और इतालीव नेताओं द्वारा इस्तेमाल की गई एकीकरण की रणनीतियों पर चर्चा करें। उत्तर – मज्जिनी और गौरी बाहड़ी ने गुप्त समाजी के साथ-साथ कई क्रांतिकारी इतालवियों में एक स्वतंत्र एकीकृत गणराज्य के विचार के वास्तविक रूप प्रदान करने का प्रयास आरंभ किया। 1849 ई० के बाद से पाईडमोंट, सार्डिनिया, जिसका राजा विक्टर एम्मनुऐल था, ने एकीकरण में एक सक्रिय भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में कैवर, जो प्रधानमंत्री था, ने अस्ट्रिया में लोम्बार्डी तुस्केनी, योर्डना आदि को मुक्त कराया। गौरी बाहडी ने विद्रोह का नेतृत्व सिसली और नेपहस में किया। उसने दो राज्यों का प्रभार एम्मनुऐल को सौंप दिया। वह इटली का राजा बना। बाद में रोम और वेतनिया इतालवी राज्यों के संघ में शामिल हो गए। इटली के एकीकरण की प्रक्रिया 1815 ई० में विएना के कांग्रेस के साथ शुरू हुई और फ्रांसीसी, प्रशिया युद्ध के साथ 1871 ई० में समाप्त हुई। जर्मनी 39 छोटे राज्यों का एक संघ था जो आस्ट्रिया और प्रशिया के नेतृत्व में था। ये राज्य सदैव एक-दूसरे के साथ युद्ध की स्थिति में थे। प्रशिया को राजा कैंसर विलियम प्रथम प्रधानमंत्री बिस्मार्क को प्रशिया के शासन के अधीन जर्मनी को एकजुट करना चाहता था और आस्ट्रिया और फ्रांस को पूरी तरह से बाहर रखना चाहता था। विस्मार्क निडर था और जर्मनी के एकीकरण की तत्काल आवश्यकता में विश्वास था। 1864 ई० में उसने आस्ट्रिया के साथ डेनमार्क के खिलाफ हाथ मिलाया। बिस्मार्क ने अपनी नीति और रणनीति से शेष जर्मन राज्यों पर आस्ट्रिया को छोड़ कब्जा कर लिया और वे जर्मनी के साथ शामिल हो गए। जर्मनी का एकीकरण कैंसर विलियम द्वारा पूरा किया गया और जल्द ही जर्मनी यूरोप में अग्रणी बन गया। |
प्रश्न 8. औद्योगिक श्रमिकों की उस स्थिति का वर्णन करें जिसने क्रांति को प्रभावित किया ? उत्तर – औद्योगिक क्रांति का प्रभाव अनेक क्षेत्रों में दृष्टिगोचर हुआ। सबसे पहले तो औद्योगिक क्रांति ने एक असमान समाज की स्थापना की और लोगों को सोचने पर विवश किया कि समाज में सामाजिक और आर्थिक संदर्भ में समानता होनी चाहिए। समाजवाद की स्थापना इसी विचार का परिणाम था। इस संदर्भ में व्यावहारिक उदाहरण रूसी क्रांति है जिससे दुनिया की पहली समाजवादी सरकार की स्थापना हुई। 1905 ई० की रूसी क्रांति ने निरंकुश जार का तख्ता पलट कर ड्यूमा के गठन के साथ एक संवैधानिक राजशाही के गठन का नेतृत्व किया। हालाँकि 1905 ई० की क्रांति के पश्चात् भी नागरिक अधिकार और लोकतांत्रिक 1917 ई० में रूस में एक और क्रांति हुई। हुई, क्योंकि वह रूसी मजदूरों और किसानों और रूम में रहने वाले गैर-रूसी लोगों की हालत बार निकोलस द्वितीय के निरंकुश शासन के अधीन बुरी थी। इसके उनके खिलाफ उठे। इस बार एक अन्य दल बोल्योविक ने ललित की अध्यक्षता में सोवियत संघ का आयोजन किया और अ 1917 ई० में सरकार की जगह ले रही। यह अक्टूब रूसी क्रांति का अंतिम चरण था। इसने जार के शासन को समाप्त कर दिया और संघ का गठन हुआ जिसने एक नई विश्व व्यवस्था का नेतृत्व किया। |
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. सामवाद का पतन कैसे हुआ ? उत्तर – शक्तिशाली राज्यों के उदय तथा समाजवादी स्वामियों के आपस में युद्ध होने से इसका पतन हुआ। |
प्रश्न 2. व्यापारी वर्ग का उदय कैसे हुआ ? उत्तर – स्वामियों ने अपने जागीरदारों से सेवाओं के बजा पैसा लेना आरंभ कर दिया था। क्योंकि विभिन्न उपयोग की वस्तुएँ खरीदने के लिए उन्हें भी पैसे की आवश्यकता होती थी। इससे शक्तिशाली व्यापारी वर्ग का उदय हुआ। |
प्रश्न 3. पुनर्जागरण आंदोलन का जन्म कब और कहाँ हुआ ? उत्तर – ‘पुनर्जागरण’ का शाब्दिक अर्थ है पुनर्जन्म। इसका जन्म 1350 ई० में इटली में हुआ। धीरे-धीरे यह पूरे विश्व में फैला विशेषकर पश्चिम में। |
प्रश्न 4. पुनर्जागरण के आने से समाज में क्या प्रभाव परिलक्षित हुए। उत्तर – पुनर्जागरण से लोगों के बौद्धिक और सांस्कृतिक जीवन में अनेक परिवर्तन आए। नवीन विचारों का जन्म हुआ जिसने मानवतावाद, तर्कवाद और प्रश्न करने की प्रवृत्ति को जन्म दिया। |
प्रश्न 5. मानवतावाद से आप क्या समझते हैं ? उत्तर – मानवतावाद वास्तव में एक विचारधारा है जिसमें मानव का गुणगान किया जाता था और मानव के सुखभोग के अधिकार तथा सांस्कृतिक इच्छाओं की पूर्ति का समर्थन किया जाता था। |
प्रश्न 6. पुनर्जागरण काल की महान साहित्यिक कृतियों के नाम बताए। उत्तर – दाँते की ‘डिवाइन कॉमेडी’, इरास्मस की ‘इनप्रेज ऑफ फाली’, मैकियावेली की ‘प्रिंस’, सर्वांतेस की ‘डानक्विजोट’ प्रमुख कृतियाँ हैं। |
प्रश्न 7. मध्ययुगीन कैथोलिक चर्च की सबसे उल्लेखनीय बुराइयाँ क्या थीं ? उत्तर – मध्ययुगीन कैथोलिक चर्च की बुराइयाँ सबसे अधिक यह थी कि इसमें अंधविश्वास, भ्रष्टाचार, धन का लाभ जैसी बुराइयाँ आ गई थीं। |
प्रश्न 8. पुनर्जागरण के उत्तरार्द्ध के यूरोप में इतिहास में कौन-से दो महत्त्वपूर्ण विकास हुए ? उत्तर – पुनर्जागरण के उत्तरार्द्ध में यूरोप के इतिहास में दो विकास हुए प्रथम प्रोटेस्टेंट सुधार था जो इसाई धर्म में विभाजन का परिणाम; दूसरे, रोमन कैथोलिक चर्च के भीतर से संबंधित तथा आज साधारणतः कैथोलिक सुधार या काउंटर सुधार के रूप में माना जाता है। |
प्रश्न 9. यीशू के सैनिक, सैनिक संगठन की स्थापना किसने की ? उत्तर – स्पेन के एक सैनिक ‘लोभोलो’ नामक सैनिक ने यीशू के सैनिक रूपी पुरोहितों के एक संगठन की स्थापना की। उसने ईश्वर की उपासना, परोपकारी कार्य, पवित्रता और समाज सेवा पर अधिक बल देना आरंभ किया। |
प्रश्न 10. आइजक न्यूटन कौन था और वह क्यों प्रसिद्ध है ? उत्तर – आइजक न्यूटन प्रसिद्ध वैज्ञानिक था। उसने कैपलर के विचार को विकसित किया और बताया कि सभी खगोलीय पिण्ड गुरुत्वाकर्षण के अंतर्गत घूमते हैं। |
प्रश्न 11. पुनर्जागरण काल से पूर्व सूर्य और पृथ्वी की क्या मान्यता थी ? उत्तर – पुनर्जागरण काल से पूर्व मान्यता थी कि सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करता है और इस धारणा पर प्रश्न करने वाला अधर्मी और सजा का पात्र होता है ? |
प्रश्न 12. गैलीलियों कौन था और वह क्यों प्रसिद्ध है उत्तर – गैलीलियों एक वैज्ञानिक था, जिसने स्वनिर्मित – दूरबीन की सहायता से आकाश के पिण्डों का अवलोकन किया। उसने बृहस्पति के उपग्रहों, शनि की कक्षाओं और सूर्य में उपस्थित चिह्नों की खोज की। |
प्रश्न 13. नई भूमि की खोज का मुख्य उद्देश्य क्या था ? उत्तर – नई भूमि अथवा समुद्री यात्रा का मुख्य उद्देश्य यश, सोना और ईश्वर प्राप्त करना तथा पूर्वी देशों के साथ व्यापार कर मुनाफा कमाना था। |
प्रश्न 14. वास्कोडिगामा कौन था और वह इतिहास में क्यों प्रसिद्ध है ? उत्तर – वास्कोडिगामा एक नाविक था, जिसने 1492 ई० में भारत की खोज की। वह यूरोप से भारत की समुद्री मार्ग की खोज करना चाहता था। |
प्रश्न 15, साहसिक समुद्री यात्राओं से कौन-से आविष्कार को बल मिला ? उत्तर – इन समुद्री अभियानों में कंपास, एस्ट्रोलैव, खगोलीय – सूचीपत्र और मानचित्र का आविष्कार हुआ। ये समुद्री अभियानों में आवश्यक साधन थे। |
प्रश्न 16, समुद्री अभियानों से क्या परिणाम निकले ? उत्तर – समुद्री अभियानों का परिणाम यह हुआ कि साम्राज्य विस्तार या औपनिवेशीकरण के युग का प्रारंभ हुआ। इन अभियानों ने विश्व व्यापार को स्वरूप प्रदान किया। |
प्रश्न 17. इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति की सफलता के क्या कारण थे ? उत्तर – इंग्लैण्ड ने उन उपनिवेशों को हथिया लिया जहाँ से उन्हें कच्चा माल मिल सकता था। इंग्लैण्ड के पास लोहा और कोयला था जो मशीनी उद्योग के लिए आवश्यक था। इससे इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति को बल मिला। |
प्रश्न 18. औद्योगिक क्रांति का प्रारंभ किंस उद्योग से हुआ ?” उत्तर – औद्योगिक क्रांति का प्रारंभ कपड़ा उद्योग से हुआ। पुराने चरखे और करघे से उत्पादन कम होता था। अतः सूत कातने की मशीन का आविष्कार हुआ। कपड़ा बनाने के लिए बड़े-बड़े कारखाने स्थापित हुए। |
प्रश्न 19. औद्योगिक क्रांति के क्या परिणाम परिलक्षित हुए ? उत्तर – औद्योगिक क्रांति ने उद्योग और संचार व्यवस्था में क्रांति ला दी। श्रमिकों के श्रम को प्रोत्साहन मिला। कृषि में उत्पादन क्षमता का विस्तार हुआ। बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाने लगा। विदेशी व्यापार में वृद्धि हुई। |
प्रश्न 20. औद्योगिक क्रांति का श्रमिकों पर क्या प्रभाव पड़ा ? उत्तर – औद्योगिक क्रांति ने श्रमिकों के श्रम को प्रोत्साहन दिया। वे शहरों की झुग्गियों में दयनीय और अस्वस्थ जीवनव्यतीत करते थे। उन्हें किसी प्रकार की कोई सुविधा प्राप्त नहीं थी। उनका जीवन स्तर लगातार गिरता जा रहा था। महिलाएँ एवं बच्चे इस प्रकार शोषण से मुक्त नहीं थे। |
प्रश्न 21. अमेरिका उपनिवेशवादियों के लिए किस प्रकार उपयोगी था ? उत्तर – अमेरिका उपनिवेशवादियों के लिए कच्चे माल का स्रोत था, साथ ही एक बड़ा बाजार भी था। यहाँ से तम्बाकू, चीनी, पटसन, नील आदि का केवल इंग्लैण्ड में ही निर्यात किया जा सकता था। |
प्रश्न 22. फिलाडेल्फिया सम्मेलन में क्या घोषणा की गई ? उत्तर – 1774 ई० में फिलाडेल्फिया में प्रथम महाद्वीपीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें अधिकार और आपत्ति की घोषणा का प्रस्ताव पास किया गया और ब्रिटेन के राजा से कर समाप्त करने के लिए अपील की गई। |
प्रश्न 23. फ्रांस की क्रांति को किन दार्शनिकों के विचारों ने प्रभावित किया था ? उत्तर – फ्रांस की क्रांति को मॉटस्की, लॉक, रूसो, वाल्टेयर आदि दार्शनिकों ने प्रभावित किया। |
प्रश्न 24. जर्मनी का एकीकरण किसके नेतृत्व में संभव हुआ ? उत्तर – जर्मनी का एकीकरण विस्मार्क के नेतृत्व में संभव हुआ। |
प्रश्न 25. वैज्ञानिक समाजवाद को जन्म देने वाले कौन थे ? उत्तर – कार्ल मार्क्स और उनके सहयोगी फ्रेडरिक एंजेल्स ने वैज्ञानिक समाजवाद को जन्म दिया। |
प्रश्न 26. कार्ल मार्क्स ने समाजवाद के विषय में क्या घोषणा की थी ? उत्तर – कार्ल मार्क्स ने कहा कि पूँजीपति अक्सर मजदूरों का शोषण करते हैं और स्वयं अधिक से अधिक मुनाफा अर्जित करने में लगे रहते हैं। समाज में वर्ग संघर्ष पूँजीवाद को समाप्त कर देगा और श्रमिक वर्ग का शासन स्थापित हो जाएगा। इसमें कार्य के अनुसार वेतन प्राप्त होगा। |
प्रश्न 27. 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में रूस में किसानों और श्रमिकों की स्थिति कैसी थी ? उत्तर – 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में रूसी किसानों, मजदूरों और रूस में रह रहे गैर-रूसियों की स्थिति बड़ी दयनीय थी। |
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. पुनर्जागरण आरंभिक विचारों और मान्यताओं से किस प्रकार भिन्न है ? व्याख्या कीजिए। उत्तर – पुनर्जागरण का प्रादुर्भाव सामंती व्यवस्था के पतन के पश्चात् और नए विचारों के साथ आरंभ हुआ। नए युग और नए विचारों ने मानवतावाद, तर्कवाद और प्रश्न करने की प्रवृत्ति को जन्म दिया। पुनर्जागरण में मानव का गुणगान किया जाता था। मानव के सुख भोग के अधिकार और सांसारिक इच्छा की पूर्ति का समर्थन किया जाता था। इसने मध्ययुगीन चर्च द्वारा प्रतिपादित परलोक की धारणा, धार्मिक तपस्या तथा संन्यास का विरोध किया। मानवतावाद में लोगों की इस नई अभिरुचि से भाषा, इतिहास, नीतिशास्त्र, विज्ञान, दर्शन, कला के क्षेत्र में नवीन विचारों एवं परिवर्तनों को प्रोत्साहन मिला। |
प्रश्न 2. मजदूर वर्ग किन परिस्थितियों में रहता और कार्य करता था ? व्याख्या कीजिए। उत्तर – रूस में किसानों और मजदूरों की स्थिति बड़ी दयनीय थी। पूँजीपति मजदूरों द्वारा अधिक श्रम और कम वेतन की नीति थी। मजदूरों का शोषण किया जा रहा था। मजदूरों का जीवन स्तर बहुत गिर गया था। उन्हें किसी भी प्रकार के अधिकार प्राप्त नहीं थे। अतः मजदूरों के अंदर गुस्सा पैदा हो गया और वे संघर्ष करने के लिए प्रेरित हो गए। किसानों को भारी कर चुकाने पड़ते थे और पूरी तरह सामंतों के अधिकार में थे। जब मजदूर और किसान संगठित हुए तो 1917 ई० में रूस में क्रांति हो गईं। लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक पार्टी का भार संभाला और रूसियों को संगठित किया। क्रांति ने जार का तख्ता पलट दिया तथा मजदूरों और किसानों के हितों को सरकार स्थापित हुई। |
प्रश्न 3.”रूस की क्रांति जारशाही की निरंकुशता का परिणाम था।” स्पष्ट कीजिए। उत्तर – बीसवीं सदी के इतिहास में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण घटना रूस की राज्य क्रांति थी। इस क्रांति ने रूस के सम्राट के एकतंत्र, स्वेच्छाचारी शासन का अन्त करके न केवल लोकतंत्र की स्थापना की अपितु सामाजिक, आर्थिक तथा व्यावसायिक क्षेत्रों में कुलीनों, पूँजीपतियों और जमीदारों को शक्ति का अंत करके सर्वसाधारण मजदूर और किसान जनता की सत्ता भी स्थापित की। इस क्रांति से संसार में एक नई विचारधारा प्रारंभ हुई, जिसे कम्युनिज्म कहते हैं। |
प्रश्न 4. पुनर्जागरण के क्षेत्र में खगोल विज्ञान के क्षेत्र में क्या प्रगति हुई ? उत्तर – पुनर्जागरण काल में खगोल विज्ञान के क्षेत्र में कोपरनिकस, कैपलर और गैलिलियो तीन महान खगोल शास्त्री थे। कोपर्निकस ने बताया कि पृथ्वी और ग्रह अपनी धुरी पर चक्कर लगाते हुए सूर्य की परिक्रमा करते हैं। उसने सूर्य और पृथ्वी के बीच चुम्बकीय आकर्षण का सिद्धांत स्पष्ट किया। |
प्रश्न 5. सामंती समाज के विघटन के लिए उत्तरदायी कारणों को रेखांकित कीजिए। उत्तर – मध्य युग के अंत में व्यापार के विकास के साथ ही नगरों का भी विकास होता गया। व्यापार और शहरों के उत्थान ने सामंती व्यवस्था की नींव हिला दी और इसका पतन आरंभ हो गया। नगरों में लोग कुछ भी व्यवसाय कर सकते। थे। ग्रामीण क्षेत्र के लोग व्यवसाय की खोज में तो नगरों में आए, साथ ही वे सामंती उत्पीड़न से अभी आजाद हो गए। शहरों ने उत्पाद के लिए नकदी फसलों को प्रोत्साहन दिया। किसान अब कर की आदायगी श्रम के बजाए नकद रकम में करने लगे। मुद्रा के प्रचलन से व्यापार को प्रोत्साहन मिला। इससे संबंधों की प्रकृति में भी परिवर्तन आया जिस पर सामंती समाज व्यवस्था टिकी हुई थी। आर्थिक रूप से संपन्न व्यापारी वर्ग सामाजिक स्तर पर उच्च स्थिति प्राप्त करने लगें और सम्राट को अपना समर्थन प्रदान किया। |
प्रश्न 6. ‘बोस्टन चाय पार्टी’ से क्या समझते हैं ? उत्तर – अमेरिका में उपनिवेशवासियों को सभी व्यापारिक सीदों पर कर देना पड़ता था। अमेरिकियों ने इसका विरोध किया। 1773 ई० में कुछ क्रांतिकारियों ने इंग्लैण्ड के जहाजों में आने वाली चाय को उतारने से इंकार कर दिया और चाय की पोटलियाँ समुद्र में फेंक दीं। अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में इन घटना को ‘बोस्टन की चाय पार्टी’ के नाम से जाना जाता हैं। |
प्रश्न 7. पुनर्जागरण की किन्हीं चार विशेषताओं को वर्णन कीजिए। उत्तर – पुनर्जागरण जिसका शाब्दिक अर्थ होता है-पुनर्जन्म। मध्यकाल में जब सामंती व्यवस्था ने अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया, समाज के बौद्धिक लोग इसके विरुद्ध आवाज़ उठाने लगे, जिससे समाज में एक नया जागरण आया। इस जागरण ने इसे एक नए आंदोलन को जन्म दिया जिसे पुनर्जागरण कहते हैं। इसका प्रारंभ इटली में हुआ। पुनर्जागरण से लोगों के बौद्धिक और सांस्कृतिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसकी अनेक विशेषताएँ हैं जिनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं- 1. पुनर्जागरण से मानवतावाद, तर्कवाद और प्रश्न करने की प्रवृत्ति को जन्म मिला। 2. मानवतावाद में लोगों की रुचि बढ़ाने से साहित्य, भाषा, इतिहास, नीति शास्त्र, विज्ञान और कला के क्षेत्रों में नए विचारों और परिवर्तनों को प्रोत्साहन मिला। 3. इस काल में मूर्तिकला, वास्तुकला और चित्रकला के क्षेत्र में सुंदर कार्य किया गया। 4. कलाकारों ने सुंदर मूर्तियों का निर्माण किया। 5. लोगों में राष्ट्रीयता की भावना गहरी होती चली। |
प्रश्न 8. औद्योगिक क्रांति के दो अच्छे परिणाम और दो खराब परिणाम बताइए । उत्तर – अच्छे परिणाम- (1) औद्योगिक क्रांति का प्रारंभ इंग्लैण्ड में हुआ। वहाँ लगभग 1750 ई० में औद्योगिक क्रांति के अनुकूल वातावरण निर्मित हुआ। व्यापारियों ने खूब धन कमाया और अधिक लाभ के लिए इन उत्पादों पर निवेश करने लगे जिनकी माँगें नगरों और कस्बों में अधिक थीं। (2) औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप नए-नए कृषि औजार बनने लगे। इससे नकदी फसलों के उत्पादन में सुविधा हो गई और कृषि की उत्पादन क्षमता बढ़ गई। औद्योगिक क्रांति ने मजदूरों के श्रम को बढ़ा दिया। बुरे प्रभाव-(1) श्रमिक ग्रामीण क्षेत्रों से निकलकर शहरी क्षेत्रों में आकर गंदी बस्तियों में नारकीय जीवन व्यतीत करने के लिए विवश हो गए। उनका जीवन-स्तर नीचे गिरने लगा। (2) बच्चों और स्त्रियों को जोखिम पूर्ण कार्यों में प्रयोग किया जाने लगा। समाज दो वर्गों में विभाजित हो गया वर्ग और श्रमिक वर्ग। |
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. धर्म-सुधार आंदोलन के विषय में आप क्या जानते हैं ? 200 शब्दों में अपना उत्तर दें। उत्तर – मध्यकाल में कैथोलिक चर्च में अनेक बुराइयाँ उत्पन्न हो गई थीं, जैसे-अंधविश्वास, भ्रष्टाचार और धन का लोभ, नरक के दण्ड को भोगने से मुक्ति दिलाने के लिए चर्च द्वारा पत्रों की बिक्री की जाती थी। धनी व्यक्ति अपने पापों का प्रायश्चित और स्वर्ग में स्थान प्राप्त करने के लिए पुरोहित वर्ग से ‘दण्ड- मोचन’ के पत्र खरीद लिया करते थे। जीवन के पापों से छुटकारा दिलाने के लिए परिपत्र बेचे जाते थे। कोई भी व्यक्ति चर्च को फीस देकर मुक्ति प्राप्त कर सकता था। लकड़ी के टुकड़ों को जिन पर ईसा मसीह का चित्र था देखने के लिए फीस वसूल की जाती थी। चर्च श्रद्धालुओं से अधिक-से-अधिक फीस वसूल करने का प्रयत्न करते थे। जो लोग चर्च की मान्यताओं पर आस्था नहीं रखते थे, वे अधर्मी कहलाते थे और ऐसे अधर्मियों को दण्ड देने के लिए अदालत की स्थापना की गई थी। धर्म-विरोधियों की सम्पत्ति छीन कर चर्च और मुखबिर के बीच बाँट दी जाती थी। पुनर्जागरण काल में कैथोलिक चर्च की शक्ति को मार्टिन लूथर ने प्रथम बार चुनौती दी। मार्टिन लूथर के विचारों ने धर्म-सुधार आंदोलन का रूप ले लिया। इस धर्म-सुधार ने इसाई धर्म को प्रोटेस्टेंट और रूढ़िवादी रोमन कैथोलिक चर्च में विभाजित कर दिया। धर्म-सुधार आंदोलन का यह प्रभाव पड़ा कि कैथोलिक चर्च में भी धर्म सुधार किया गया। यीशू के सैनिक नामक पुरोहितों के एक संगठन ने ईश्वर की उपासना, परोपकारी कार्य पवित्रता और समाज सेवा पर अधिक बल दिया। |
प्रश्न 2. समुद्री यात्राओं द्वारा नए देशों की खोज और उपनिवेश में किस प्रकार विश्व को शताब्दियों तक प्रभावित किया ? उत्तर – पुर्नजागरण काल में कुछ नया करगुजरने की जिज्ञासा ने समुद्री यात्राओं को प्रोत्साहन दिया। परिणामस्वरूप नए देशों की खोज हुई। इन यात्राओं ने विश्व को बहुत से अप्रत्याशित परिणाम दिए। समुद्री यात्राओं का मुख्य उद्देश्य ईश्वर, यश और सोना प्राप्त करना था। लेकिन इन यात्राओं का प्रमुख उद्देश्य पूर्व के देशों के साथ व्यापर करके मनाफा अर्जित करना था। यूरोप के लोग स्थल मार्ग से व्यापार करते थे और पूर्वी देशों में मसाले, कपड़े, कीमती रत्न और रेशम जैसी वस्तुओं को अपने यहाँ ले जाकर मुनाफा कमाते थे। नए देशों में जाकर इसाई धर्म का प्रचार किया और उन देशों के मूल निवासियों को इसाई बना लिया। उनके लिए यह कार्य ईश्वर की सेवा और उपासना का कार्य था। इन समुद्री यात्राओं को सम्राट और धनी लोगों द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती थी। इन समुद्री अभियानों ने विश्व व्यापार के स्वरूप को बदल दिया। अब भूमि व्यापार के बदले समुद्री व्यापार पर लोगों का ध्यान केंद्रित हो गया तथा साम्राज्य विस्तार को प्रोत्साहन मिला। यूरोपीय व्यापारियों ने खूब धन कमाया जिससे औद्योगिक क्रांति का जन्म हुआ। |
प्रश्न 3. नए औद्योगिक मजदूर वर्ग की समस्याओं और आवश्यकताओं में किस हद तक समाजवाद के विचार को जन्म दिया ? “रूस की क्रांति समाजवाद के विकास का परिणाम थी।” इस कथन की पुष्टि कीजिए। उत्तर – उत्तर- जिस समय रूस में क्रांति हुई, उस समय जारशाही की निरंकुशता अपनी चरम सीमा पर थी। राजा की साथी शक्ति सार के हाथों में केंद्रित थी। पूँजीपति मजदूरों से अधिक घण्टे काम लेते थे और उन्हें कम मजदूरी देते थे। वे उनका हर प्रकार से शोषण करते थे। उन्हें किसी भी प्रकार के अधिकार प्राप्त नहीं थे। अतः मजदूर उत्तेजित हो गए और वे संघर्ष करने के लिए प्रेरित हो गए। किसानों को भारी कर चुकाने पड़ते थे और पूरी तरह सामंतों के अधिकार में थे। इस दमनकारी व्यवस्था अब असहनीय हो गई थी तब मजदूर और किसान संगठित हुए, तो 1917 ई० में रूस में क्रांति हो गई। लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक पार्टी का भार संभाला और रूसियों को संगठित किया। क्रांति में जार का शासन समाप्त हो गया तथा मजदूरों और किसानों की सरकार बनी। 20वीं शताब्दी के आरंभ में रूसी किसानों, मजदूरों और रूस में रह रहे बगैर रूसी लोगों की स्थिति जार के शासन काल में अत्यंत दयनीय थी। पूँजीपतियों के हाथों मजदूरों का शोषण, खराब जीवन स्तर कम वेतन अधिक समय तक काम करना, अधिकार प्राप्त न होना आदि ने श्रमिकों के अंदर गुस्सा पैदा कर दिया और उन्हें संघर्ष के लिए टॉलस्टाय जैसे दार्शनिकों के विचारों से प्रभावित हुए। मजदूरों को मजदूर उत्पादन व्यवस्था से लाभकारी प्रवृत्ति को समाप्त करके रूसियों के समान अधिकार दे दिए गए और आर्थिक विकास के लिए योजनाओं का निर्माण किया गया जिससे के सभी देशों पर प्रभाव पड़ा। |
प्रश्न 4. औद्योगिक क्रांति से आप क्या समझते है ? इसके क्या परिणाम हुआ ? उत्तर – अठारहवीं शताब्दी में अर्थव्यवस्था तथा शिल्प-विज्ञान के रूप में जो सशक्त और तीव्रगति से प्रगति हुई तथा जिसके फलस्वरूप आधुनिक उद्योगवाद का जन्म हुआ, उसे ही औद्योगिक क्रांति कहते हैं। ‘क्रांति’ का शब्दिक अर्थ होता है-किसी समाज के स्वरूप या मनुष्यों के विचारों में आमूल परिवर्तन। औद्योगिक क्रांति का आरंभ इंग्लैण्ड में हुआ। यहाँ लगभग 1750 ई० में औद्योगिक क्रांति के लिए अनुकूल यूरोपीय व्यापारियों ने खून धन कमाया और वे अधिक लाभ के लिए उन उत्पादों पर निवेश करने के लिए तैयार थे जिनकी माँग नगरों और कस्बों में अधिक थी। उपनिवेशों से सस्ता कच्चा माल सरलता से उपलब्ध हो जाता था। इंग्लैण्ड के पास लोहा और कोयला प्रचुर मात्रा में था जो मशीनी उद्योगों के लिए आवश्यक थे। इस प्रक्रिया में औद्योगिक क्रांति को बल मिला। इंग्लैण्ड ने जहाज उद्योग का भी तेजी से विकास कर लिया। जमीनी और समुद्री दोनों मार्गों से वस्तुएँ ले जाने में सहायता मिलने लगीं। सूत कातने की मशीन और भाप के इंजन के आविष्कार से, पक्की सड़कों और डाक तार सेवा के विकास से औद्योगिक क्रांति को सफलता मिली। औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप नए-नए कृषि औजार बनने लगे। इससे नकदी फसलों के उत्पादन में सुविधा हो गई। और कृषि की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई। औद्योगिक क्रांति ने मजदूरों के श्रम को बढ़ा दिया। श्रमिक ग्रामीण क्षेत्रों से निकलकर शहरी क्षेत्रा में आकार गंदी बस्तियों में नारकीय जीवन व्यतीत करने के लिए विवश हो गए। उनका जीवन स्तर नीचे गिरने लगा। बच्चों और स्त्रियों को भी जोखिम पूर्ण कार्यों में प्रयोग किया जाने लगा।समाज दो वर्गों में विभाजित हो गया-पूँजीपति वर्ग और श्रमिक वर्ग। पूँजीपति वर्ग धनी वर्ग था और श्रमिक वर्ग गरीब और शोषित वर्ग था। |
प्रश्न 5. अमेरिकी क्रांति के क्या कारण थे ? उत्तर – अमेरिकी स्वतंत्रता युद्ध इतनी अधिक महत्त्वपूर्ण घटना है कि इसे क्रांति की संज्ञा दी जाती है। अमेरिकी क्रांति अपने स्वरूप में इतिहास की अन्य क्रांतियों से भिन्न थी। 16वीं शताब्दी से यूरोप के लोगों ने पलायन कर अमेरिका में आकर बसने लगे। बहुत से लोग धार्मिक दण्ड से बचने के लिए वहाँ जाकर बसे । कुछ समय के बाद इंग्लैण्ड यहाँ वदेशी शक्ति के रूप में सबसे शक्तिशाली बन गया। उत्तरी अमेरिका में लगभग 13 उपनिवेश थे। प्रत्येक उपनिवेश में एक विधानसभा थी जो स्थानीय मामलों के बारे में कानून बनाती और कर लगाती थी। परंतु व उस देश की सरकार के अधीन थी जिसके वे उपनिवेश थे। उपनिवेशों के रहने वाले लोग इंग्लैण्ड के कानूनों से नाराज थे, क्योंकि वे आर्थिक हितों के विरुद्ध थे। इस प्रकार उनके मन में स्वतंत्र राष्ट्र बनाने का विचार का उदय हुआ और इसने युद्ध का रूप ले लिया। इस संघर्ष को अमेरिकी क्रांति कहा जाता है। अमेरिका उपनिवेशवादियों के लिए कच्चे माल का एक स्रोत तो तथा ही, एक बड़ा बाजार भी था। यहाँ से पटसन, चीनी, नील, तम्बाकू का इंग्लैण्ड को निर्यात किया जाता था। 1765 ई० में इंग्लैण्ड ने स्टांप एक्ट पास किया जिसके अंतर्गत अमेरिका में सभी व्यापारिक सौदों पर कर देना पड़ता था। अमेरिका में इस कर का कड़ा विरोध हुआ और 1773 ई० में कुछ क्रांतिकारियों ने इंग्लैण्ड के जहाजों में आने वाली चाय को उतारने से इंकार कर दिया। और समुद्र में फेंक दिया। 1774 ई० में फिलाडेल्फिया में पहले महाद्वीपीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। ब्रिटेन के राजा से अपील की गई कि उद्योगों और व्यापार पर लगाए गए प्रतिबंध तुरंत हटा लिए जाए। परंतु ब्रिटिश सरकार ने ऐसा करने से मना कर दिया। जॉर्ज वाशिंगटन को अमेरिकी सेनाओं का नेतृत्व प्रदान किया गया और स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए युद्ध की घोषणा कर दी गई। अंत में 1781 ई० में ब्रिटेन ने अपने 13 उपनिवेशों कीस्वतंत्रता स्वीकार कर ली। अमेरिकी स्वतंत्रता ने विश्व वातावरण को बहुत अधिक प्रभावित किया। अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा में मनुष्य की समानता और स्वतंत्रता को निश्चित किया गया। नागरिकों को भाषण, प्रकाशन, धार्मिक आचरण व न्याय प्राप्त करने के अधिकार दिए गए। |
प्रश्न 6. फ्रांसीसी क्रांति में दार्शनिकों के विचारों के योगदानों का वर्णन कीजिए। उत्तर – अठारहवीं शताब्दी का फ्रांसीसी समाज अभिजात वर्ग, पादरी तथा सामान्य लोगों में विभक्त था। पादरियों और अभिजात वर्ग को विशेष अधिकार प्राप्त थे। उन्हें अनेक सुविधाएँ प्राप्त थीं। दूसरे और तीसरे वर्ग में किसान, मजदूर, मध्यम वर्ग तथा व्यवसासी थे जिन पर करों का भारी बोझ था। किसानों को सम्राट के लिए अपनी सेवा निम्न दरों पर प्रदान करनी पड़ती थी और न ही उन्हें किसी प्रकार की कोईसुविधा प्राप्त थी। डॉक्टर, शिक्षक आदि को स्थिति तो और भी बुरी थी। फ्रांस का राजा शक्तिमान था। राजकाज के मामले में उसकी पत्नी का प्रभाव अधिक था। खजाना खाली हो गया। था। जनता दुःखी थी। फ्रांस की क्रांति पर लॉक, रूसो, वाल्टेयर आदि दार्शनिकों का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा। फ्रांस की क्रांति के लिए लॉक के सीमित शासन का सिद्धांत, मॉटेस्की के शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत प्रेरणा के स्रोत सिद्ध हुए। 1789 ई० में तीसरे वर्ग ने स्वयं को राष्ट्रीय सभा घोषित कर फ्रांस के लिए एक संविधान बनाने का निर्णय किया। राष्ट्रीय सभा ने मानव और नागरिकों के अधिकारों की घोषणा को स्वीकार किया। नेपोलियन की नियम संहिता, कानून के समक्ष समानता, धार्मिक उदारता और निजी संपत्ति की सुरक्षा पर आधारित थी। फ्रांस की क्रांति से स्वतंत्रता सामनता और बंधुत्व के सिद्धांत को बल मिला। |
प्रश्न 7. समाजवाद से आप क्या समझते हैं ? इसका उदय किन परिस्थितियों में ? उत्तर – समाजवाद का जन्म औद्योगिक क्रांति के परिणाम स्वरूप हुआ। औद्योगिक क्रांति ने समाज में दो वर्ग पूँजीपति और मजदूर वर्ग को जन्म दिया। श्रमिक वर्ग गरीब और शोषित थे। उन्हें कोई अधिकार प्राप्त नहीं थे। कुछ लोग ऐसे समाज की कल्पना करने लगे जिसमें सामाजिक और आर्थिक स्तर पर समानता हो। 19वीं शताब्दी में कुछ समाजवादी नेताओं जिनमें सेंट साइमन चार्ल्स फरियर और रॉबर्ट ओवेन आदि का महत्त्वपूर्ण स्थान है, ऐसे समाज की स्थापना करना चाहते थे जिसमें समानता हो । समाजवाद की सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली संकल्पना थी- ‘वैज्ञानिक समाजवाद’। कार्ल मार्क्स और उसके सहयोगी फ्रेडरिक एंजेल्स ने इसे प्रस्तुत किया था। समाजवाद के ये विचार ‘कम्युनिस्ट घोषणा पत्र’ और मार्क्स की पुस्तक ‘दास कैपीटल’ में देखे जा सकते हैं। मार्क्स के अनुसार सभी समाजों को इतिहास वर्ग संघर्ष पर आधारित है। पूँजीपति मजदूरों का शोषण करके अपने लाभ को बढ़ाने का प्रयास करते हैं। समाज में वर्ग संघर्ष पूँजीवाद को खत्म कर देगा। और निम्न वर्ग का शासन स्थापित होगा। कार्य के अनुसार वेतन मिलगा और उत्पादन शक्ति राज्य के हाथ में होगी। |
प्रश्न 8. रूस की बोल्शेविक क्रांति के सामाजिक एवं आर्थिक पहलुओं का मूल्यांकन कीजिए। उत्तर – संसार की पराधीन जातियों और यूरोप के साम्राज्यवादी देशों पर बोल्शेविक क्रांति का प्रभाव विशेष रूप से पड़ा। बोल्शेविक क्रांति के बाद हुए गृहयुद्ध में बोल्शेविक सरकार विजयी रही। किंतु तीन वर्ष के निरंतर संघर्ष के फलस्वरूप रूस की अर्थव्यवस्था पूर्णतः अस्त-व्यस्त हो गई। साम्यवादी व्यवस्था में किसानों से उनकी आवश्यकता की पूर्ति से बचे हुए अनाज को सरकार लेती थी। यह प्रथा बंद कर दी गई उनसे सिर्फ कर लिया जाने लगा तथा बाजार में बचे हुए अनाज को बेचने की अनुमति मिल गई। औद्योगिक क्षेत्र में भी परिवर्तन हुआ। बड़े-बड़े कारखानों पर तो राज्य का ही नियंत्रण रहा। लेकिन छोटे-छोटे कारखानों को उत्पादन और वितरण के मामले में स्वतंत्र कर दिया। विदेशी व्यापार पर सरकार का एकाधिकार बना रहा। किंतु सरकारी नियंत्रण के अंतर्गत निजी परचून व्यापार की अनुमति दे दी गई। विदेशी पूँजी को आकर्षित करने के लिए सुविधाएँ दी गई। मुद्रा का फिर से प्रचलन किया गया। औद्योगीकरण की दिशा में एक उल्लेखनीय बात यह थी कि यूराल पर्वतमाला के पूरब उद्योगों को भारी विस्तार हुआ और इस प्रकार एशियाई क्षेत्रों का आधुनिकीकरण हुआ। |
NIOS Class 10th सामाजिक विज्ञान (पुस्तक – 1) Question Answer in Hindi
- Chapter – 1 प्राचीन विश्व
- Chapter – 2 मध्यकालीन विश्व
- Chapter – 3 आधुनिक विश्व – Ⅰ
- Chapter – 4 आधुनिक विश्व – Ⅱ
- Chapter – 5 भारत पर ब्रिटिश शासन का प्रभाव : आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृति (1757-1857)
- Chapter – 6 औपनिवेशिक भारत में धार्मिक एवं सामाजिक जागृति
- Chapter – 7 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध
- Chapter – 8 भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन
- Chapter – 9 भारत का भौतिक भूगोल
- Chapter – 10 जलवायु
- Chapter – 11 जैव विविधता
- Chapter – 12 भारत में कृषि
- Chapter – 13 यातायात तथा संचार के साधन
- Chapter – 14 जनसंख्या हमारा प्रमुख संसाधन
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