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NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 9 भारत का भौतिक भूगोल (Physical Geography of India) Notes in Hindi

March 16, 2023
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    NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 9 भारत का भौतिक भूगोल (Physical Geography of India)

    TextbookNIOS
    Class10th
    Subjectसामाजिक विज्ञान (Social Science)
    Chapter9th
    Chapter Nameभारत का भौतिक भूगोल (Physical Geography of India)
    CategoryClass 10th सामाजिक विज्ञान
    MediumHindi
    SourceLast Doubt

    NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 9 भारत का भौतिक भूगोल (Physical Geography of India) Notes in Hindi भारत का भौतिक भूगोल क्या है, भारत का भूगोल में क्या क्या आता है, भारत को कुल कितने भौतिक भागों में विभाजित किया जाता है, भूगोल का पिता कौन है, भारत का कुल भूगोल कितना है, भारत में कुल भूगोल कितना है, भूगोल के पिता का क्या नाम है, भूगोल के गुरु कौन है, भूगोल के जनक का नाम क्या है, भारत के 5 भौतिक विभाग कौन से हैं, भारत के 6 भौतिक विभाग कौन से हैं, भारत की भौतिक विशेषताएं क्या हैं, भूगोल का दूसरा नाम क्या है, भूगोल की खोज कब हुई थी, भूगोल कितने शब्दों से मिलकर बना है, भूगोल में कितने होते हैं, भूगोल के लेखक कौन हैं, भूगोल के कितने साल, भूगोल के 5 प्रकार कौन से हैं, पृथ्वी की सही उम्र क्या है, भारतीय भूगोल के जनक कौन है, भूगोल का दूसरा पिता कौन है, भूगोल की उत्पत्ति कैसे हुई, हिंदी के पिता का क्या नाम है, भाषा का जनक कौन है, भाषा का जनक कौन है, हिंदी की पहली पुस्तक कौन सी है आदि आगे पढ़े।

    NIOS Class 10th Social Science (213) Chapter – 9 भारत का भौतिक भूगोल (Physical Geography of India)

    Chapter – 9

    भारत का भौतिक भूगोल

    Notes

    स्थान

    शिक्षक : छात्रों, जब कोई पूछे भारत कहां है, हम निरपेक्ष और सापेक्ष स्थिति के संदर्भ में दो तरीकों से उत्तर दे सकते हैं। हमारा तात्पर्य निरपेक्ष और सापेक्ष स्थिति से क्या हैं? निरपेक्ष स्थिति अक्षांश और देशांतर की डिग्री में दिया जाता हैं। सापेक्ष स्थिति संदर्भ किसी बिंदु पर निर्भर करता है, उदाहरण के लिए, निकट या दूर या आस-पास का कोई स्थान।

    स्थानीय महत्व

    भारत का दक्षिणी भाग समुद्र से घिरा है। भारत की हिन्दमहासागर में सामरिक स्थिति है। क्या आपने चित्र 9.2 में नोट किया है? भारत दक्षिण एशिया में जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि में सबसे बड़ा देश है। यह यूरोप और अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया, पूर्वी एशिया दूरस्थ क्षेत्र और ओशिनिया के बीच समुद्री मार्गो पर नियंत्रण करता है। यही कारण है कि भारत के व्यापारिक संबंध प्राचीन काल से अनके देशों के साथ अच्छे रहें हैं। भारत समुद्र और भूमि से अच्छी तरह से जुड़ा है। नाथू-ला (सिक्किम) और शिपकी-ला (हिमाचल प्रदेश), और जोजिला और बुर्जीला (जम्मू कश्मीर) जैसे विभिन्न दरों मर्ण घाटियों का अपना महत्व है। मुख्य व्यापार भारत-तिब्बत के बीच है। दार्जिलिंग के निकट कलिम्पोंग जलपा-लादरें के माध्यम से लहासा (तिब्बत) से हुआ है। दरें प्राचीन यात्रियों के लिए एक मार्ग नहीं प्रदान कराती हैं, बल्कि विचारों और संस्कृति का आदान-प्रदान के लिए महत्वपूर्ण हैं।

    भारत के राज्य और संघीय राज्य

    क्षेत्र के अनुसार भारत संसार का सातवां बड़ा देश है। इसकी 15,200 किलोमीटर स्थलसीमा और 6100 किलोमीटर लंबी तट रेखा है। भारत का कुल क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर है। संसार के कुल भू-क्षेत्र का लगभग 2.47 प्रतिशत भारत का क्षेत्रफल है।

    अच्छे शासन के लिए, भारत को 28 राज्यों और 7 संघ राज्य क्षेत्रों में विभाजित किया गया हैं। आइए, हम नीचे दिये गये मानचित्र 9.3 को देखते हैं।

    इस मानचित्र मे स्पष्ट रूप से बताया गया है कि प्रत्येक राज्य और संघ क्षेत्र की अपनी राजधानी है। यह नोट करना दिलचस्प होगा कि केवल भारत की राजधानी नई दिल्ली है, यह केन्द्रशासित दिल्ली की भी राजधानी है। आप इस तरह किसी भी अन्य राजधानी की पहचान कर सकते है? हां, यह चंडीगढ़ है जो कि हरियाणा और पंजाब की राजधानी है और केन्द्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ की भी राजधानी हैं।

    अपक्षय : अपक्षय पृथ्वी की सतह के निकट हवा, पानी, जलवायु परिवर्तन आदि के कारण भौतिक, रासायनिक और जैविक प्रक्रियाओं के माध्यम से चट्टानों के क्रमिक विनाश की प्रक्रिया हैं।

    कटाव : कटाव की प्रक्रिया प्राकृतिक एजेंसियों जैसे हवा, नदियाँ, ग्लेशियरों आदि द्वारा अपक्षयित सामग्री का क्रमिक परिवहन हैं।

    अपक्षय कटाव से भिन्न है क्यों अपरदन में परिवहन शामिल है जबकि अपक्षय के मामले में शामिल नहीं हैं।

    भारत भौगोलिक विविधता का देश है। यहाँ कुछ क्षेत्रों में उच्च पर्वत चोटियां हैं। दूसरी ओर नदियों द्वारा निर्मित समतल मैदान भी हैं। भौतिक विशेषताओं के आधार पर भारत को निम्नलिखित छह भागों में विभाजित किया जा सकता हैं :

    1. उत्तरी पर्वत
    2. उत्तरी मैदान
    3. प्रायद्वीपीय पठार
    4. भारतीय रेगिस्तान
    5. तटीय मैदान
    6. द्वीप समूह

    उत्तारी पर्वत : इसको तीन समूहों में विभाजित किया गया हैं। वे हैं :

    (क) हिमालय
    (ख) ट्रांस हिमालय
    (ग) पूर्वांचल हिमालय

    (क) हिमालय

    हिमालय एक नवीन वलित पर्वत हैं। यह संसार का सर्वोच्च पर्वत श्रृंखला हैं। हिमालय प्राकृतिक अपरोध के रूप में कार्य करता है। अत्यधिक ठंडा, बर्फीला और बीहड़ स्थलाकृतियां पड़ोसियों को हिमालय के माध्यम से भारत में प्रवेश करने के लिए हत्तोसाहित करता है। यह पश्चिम-पूर्व दिशा से भारत की उत्तरी सीमा के साथ 2500 किलोमीटर की दूरी में सिंधु नदी से ब्रहाम्पुत्र नदी तक फैला हैं। इसकी चौड़ाई 100 किलोमीटर से 150 किलामीटर है। हिमालय तीन समानान्तर श्रेणियों में विभाजित किया जाता है :

    1. महान हिमालय या हिमाद्री
    2. मध्य हिमालय या हिमाचल
    3. वाहय हिमालय या शिवालिक

    1. हिमालय या हिमाद्रि : महान हिमालय में उत्तरी पर्वतमाला और चाटियाँ शामिल हैं। इसकी औसत उंचाई 6000 मीटर और चौड़ाई 120 किलामीटर से 190 किलामीटर के बीच हैं। यह सबसे अधिकतम् निरंतर श्रेणी है। यह बर्फाच्छादित है और उसके नीचे कई ग्लेशियर है। यहां उँची चोटियां है जैसे- माउंट एवरेस्ट, कंजनजंगा, मकालू, धौलागिरी, नंगा पर्वत आदि है जो 8000 मीटर से अधिक उंचे है। विश्व की सबसे उँची चोटी माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर) नेपाल में है। भारत में कंचनजंगा चोटी सबसे उंची चोटी है। उच्च पर्वतीय दर्रे जैसे-बारा लाचा-ला, शिपकी-ला, नाथू-ला, बोमीडी-ला आदि भी हैं। हिमालय से गंगा और यमुना नदियां भी नीकलती हैं।

    2. मध्य हिमालय या हिमाचल: इस चोटी की उँचाई 1000 और 4500 मीटर के बीच है और चौड़ाई 50 किलामीटर है। इनमें प्रमुख श्रेणियां पीर पंजाल, धौलाधार और महाभारत है। यहाँ पर कई प्रसिद्ध हिल स्टेशन हैं जैसे- शिमला, डलहौजी, दार्जिलिंग, चकराता, मसूरी और नैनीताल हैं। इनमें कश्मीर, कुल्लू, कांगरा आदि प्रसिद्ध घाटिया भी शामिल हैं।

    3. वाहय हिमालय या शिवालिक : यह हिमालय की सबसे वाह्य पर्वतश्रेणी है। इसकी उँचाई 900-1100 मीटर और चौड़ाई 10-50 किलोमीटर के बीच है। ये कम उँचाई की पहाड़ियाँ है जैसे जम्मू हिल्स, मिशीमी हिल्स आदि। शिवालिक पहाड़ी और मध्य हिमालय के बीच स्थित कई घाटियाँ है जिसे दून कहा जाता है जैसे- देहरादून, कोटली दून और पाटली दून ।

    (ख) ट्रांस हिमालय (हिमालय के उसपार )

    यह महान हिमालय के उत्तर में समानान्तर फैला है जिसे जस्कर पर्वत कहते है । जस्कर पर्वत के उत्तर में लद्दाख श्रेणी स्थित है। जस्कर और लद्दाख श्रेणी के बीच से होकर सिंधु नदी बहती है। कराकोरम श्रेणी देश के सबसे उत्तर स्थित है। के-2 संसार की दूसरी सबसे उँची चोटी है।

    (ग) पूर्वांचल पहाड़ियाँ

    इसमें मिशामी, नागा, मिजो पहाड़ियां है जो पूर्व की ओर स्थित हैं। मेघालय पठार के गारो, खासी और जयंतिया पहाड़ियाँ भी शामिल हैं।

    2. उत्तरी मैदान

    भारत के उत्तरी मैदान (चित्र 9.5) में स्थिति राज्यों के नाम लिखने की कोशिश करते हैं। उत्तरी मैदान हिमालय के दक्षिण और प्रायद्वीप पठार के उत्तर के बीच स्थित हैं। (यह सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र और तीन मुख्य नदियों द्वारा जमा किये गये अवसादों से बना है। पश्चिम में पंजाब से पूर्व में असम तक इस मैदान की लम्बाई लगभग 2400 किलोमीटर हैं। इसकी चौडाई पूर्व में 150 किलोमीटर और पश्चिम में लगभग 300 किलामीटर है। यह मैदान दुनिया के सबसे बड़े और सबसे उपजाउ मैदानों में से एक है। प्रमुख फसले जैसे गेहूं, चावल, गन्ना, दालें, तिलहन और `जुट यहां उगाए जाते है। उचित सिंचाई के कारण मैदान अनाज के उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देता है। उत्तरी मैदान मोटे तौर पर दो भागो में विभाजित है-

    1. पश्चिमी मैदान
    2. गंगा-ब्रहम्पुत्र मैदान

    1. पश्चिमी मैदान

    यह मैदान सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के द्वारा बना है। यह अरावली के पश्चिम में स्थित है। यह मैदान सतलुज, व्यास और रावी नदियों द्वारा लाए गए अवसादों के जमा होने से बना है। मैदान का यह भाग दोआब से बना है।

    2. गंगा-ब्रहम्पुत्रा मैदान

    यह दो मुख्य नदी तंत्र अर्थात् गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा लाई अवसादों के जमा होने से बना है। सभी प्राचीन सभ्यताएं जैसे हड़प्पा और मोहनजोदडों जिसे नदी घाटी सभ्यता भी कहते हैं, मैदानी क्षेत्रों में फैली थी। यह भूमि के उपजाउ और नदियों द्वारा जल की उपलब्धता के कारण है।

    3. प्रायद्वीपीय पठार

    नीचे दिए गए मानचित्र (चित्र 9.6) देखिए। आप पाएंगे कि प्रायद्वीपीय पठार एक त्रिकोणीय आकार की उच्च भूमि है। इस प्राचीन भू-भाग को गोंडवाना लैंड कहा जाता है। यह लगभग 5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। यह गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों में फैला हुआ है। नर्मदा नदी प्रायद्वीपीय पठार को दो भागों में बांटती है-मध्य उच्च भूमि और दक्कन पठार

    1. मध्य उच्च भूमि- इसका विस्तार नर्मदा नदी से उत्तरी मैदानों के मध्य है। अरावली एक महत्वपूर्ण पर्वत है जो गुजरात से राजस्थान होते हुए दिल्ली तक फैली हुई है। अरावली पहाड़ियों की सबसे उँची चोटी माउंट आबू के पास गुरुशिखर (1722 मी) है। मालवा पठार और छोटा नागपुर पठार मध्य उच्च भूमि के हिस्से हैं। बेतवा, चंबल और केन मालवा पठार की महत्वपूर्ण नदियां है जबकि महादेव, कैमूर और मैकोल छोटा नागपूर पठार की महत्वपूर्ण पहाड़ियां है। नर्मदा घाटी विंध्य और सतपुड़ा के मध्य स्थित है। नर्मदा नदी पूर्व से पश्चिम बहती हुई अरब सागर में मिलती है।

    2. दक्कन का पठार – मध्य उच्च भूमि से डक्कन पठार एक भ्रंश से अलग है (चट्टानों में एक अस्थिभंग जो चट्टानों के साथ अपेक्षाकृत प्रतिस्थापन) डक्कन पठार में काली मिट्टी क्षेत्र डेक्कन ट्रेप के रूप में जाना जाता है। यह ज्वालामुखी विस्फोट के कारण बना है। यह मिट्टी कपास और गन्ना की खेती के लिए अच्छी है। मोटे तौर पर डेक्कन पठार में दो भागों में विभाजित है-

    (क) पश्चिमी घाट
    (ख) पूर्वी घाट

    (क) पश्चिमी घाट : यदि आप मानचित्र (चित्र 9.6) देखते है तो पश्चिमी घाट या सह्याद्रि ढक्कन पठार के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। यह पश्चिमी तट के समानान्तर लगभग 1600 किलोमीटर लम्बा है। पश्चिमी घाट की औसत उंचाई 1000 मीटर है। इस क्षेत्र में प्रसिद्ध चोटियाँ दोदाबेहा, अनाइमुदी, और माकुर्ती आदि हैं। इस क्षेत्र में सबसे उंची चोटी (2695 मीटर) अनायूमुदी है। पश्चिमी घाट निरंतर है और पाल घाट, थालघाट, भोरघाट दर्रे के माध्यम से पार किया जा सकाता है। गोदावरी, भीमा और कृष्णा नदियों का प्रवाह पूर्व की ओर है जबकि ताप्ती नदी पश्चिम की ओर बहती है।

    यह नदी अरब सागर में प्रवेश करने से पहले जलप्रपात और क्षिप्रिका बनाती है। प्रसिद्ध जलप्रपात शरावती नदी पर जोग प्रपात और कावेरी पर शिव समुन्द्रम् है ।

    (ख) पूर्वी घाट : पूर्वी घाट का विस्तार लगातार नहीं है। इनकी औसत उंचाई 600 मीटर है। यह महानदी घाटी के दक्षिण से पूर्वी नट के साथ नीलगिरी पहाड़ियों तक है। इस क्षेत्र में सबसे उंची चोटी महेन्द्रगिरी (1501 मीटर) है। प्रसिद्ध पहाड़ियाँ उड़ीसा में महेन्द्रगिरि, निमाइगिरि, दक्षिणी आन्ध्रप्रदेश में नल्लामलाई और तमिलनाडु में कोल्लीमलाई और पांचीमलाई है। यह महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदी तंत्रों द्वारा अपवाहित है। दक्षिण में नीलगिरि पहाड़ियाँ पश्चिमी और पूर्वी घाट को जोड़ती हैं।

    4. भारतीय रेगिस्तान

    भारतीय रेगिस्तान अरावली पहाड़ियों के पश्चिमी किनारे की ओर स्थिति है। इसे थार मरूस्थल भी कहा जाता है। यह संसार में नौवां सबसे बड़ा रेगिस्तान है। यह गुजरात और राजस्थान राज्यों में फैला हुआ है। यहाँ अर्द्ध शुष्क मौसम की स्थिति है। यह प्रति वर्ष 150 मिमी से कम वर्षा प्राप्त करता है। यहां कांटेदार झाडिया वनस्पति के रूप में पाई जाती है। लूनी इस क्षेत्र में मुख्य नदी है। सभी धाराएं वर्षा के समय में ही दिखाई देती है, अन्यथा वे रेत में गायब हो जाती है ।

    5. तटीय मैदान

    भारत में तटीय मैदान अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के समानांतर प्रायद्वीपीय पठार के साथ है। पश्चिमी तटीय मैदान अरब सागर के साथ एक संकीर्ण पट्टी 10-20 किलोमीटर चौड़ा है। यह कच्छ के रण से कन्याकुमारी तक फैला है। पश्चिमी तटीय मैदान तीन भागों में बटा है (1) कोंकण तट (मुबंई से गोवा), (2) कर्नाटक तट (गोवा से मंगलौर), (3) मालाबार तट (मंगलौर से कन्या कुमारी तक) शामिल है। पूर्वी तट बंगाल की खाड़ी के साथ है। यह पश्चिमी तटीय मैदान से अधिक व्यापक है। इसकी औसत चौड़ाई 120 किलोमीटर है। इस तट के उत्तरी भाग को उत्तरी सिरकार और दक्षिणी भाग कोरोमंडल तट कहा जाता है। पूर्वी तटीय मैदान महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों के द्वारा बनाई गई डेल्टा चिहिन्त है। चिल्का भारत में सबसे बड़ी खारे पानी की झील है जो महानदी डेन्टा के दक्षिण में स्थित है। तटीय मैदानों में मसाले, चावल, नारियल, काली मिर्च आदि उगाए जा रहे है। वे व्यापार और वाणिज्य का केंद्र रहे है। तटीय क्षेत्रों में मछली पकड़ने की गतिविधियों के लिए जाना जाता है। इसलिए बड़ी संख्या में मछली पकड़ने के लिए गांवो को तट के साथ विकसित किया गया है। विम्बनाद प्रसिद्ध लैगून है जो मालाबार तट पर स्थित है।

    6. द्वीप समूह

    भारत में द्वीप के दो मुख्य समूह हैं । बंगाल की खाड़ी में 204 द्वीपों का अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और अरब सागर में 43 द्वीपों का लक्ष्यद्वीप समूह है। लक्ष्यद्वीप केरल के मालाबोर तट के निकट अरब सागर में स्थित है। वह 32 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली है । कवरती लक्ष्यद्वीप की राजधानी है । यह कोरल द्वारा बना है और विभिन्न प्रकार के पौधे एवं जानवरों से संपन्न है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह उत्तर से दक्षिण में बंगाल की खाड़ी में विस्तृत है। वे आकार में बड़े है । ये अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में बंजर द्वीप पर एक सक्रिय ज्वालामुखी स्थित है। अंडमान और निकोबार द्वीप पर्यटकों को बहुत आकर्षित करती है। इन द्वीपों पर विभिन्न आकर्षक पर्यटन गतिविधियों विकसित की गई हैं, जैसे पानी और पानी के खेल आदि के लिए विशेषतौर पर जाने जाते है।

    भारत म जल प्रवाह प्रणाली

    जल प्रवाह प्रणाली सतह के पानी का मुख्य रूप से नदियों के माध्यम प्रवाह होता है। एक नदी और उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र बेसिन कहा जाता है। जल प्रवाह प्रणाली के लिए भूमि की ढ़ाल, भूगर्भिक संरचना और पानी की मात्रा से संबंधित है। जल प्रवाह प्रणाली के माध्यम से एक नदी कई कार्य करती है। ये एक विशेष क्षेत्र से अधिक पानी बहाने, एक स्थान से दूसरे स्थान पर अवसादों का परिवहन, सिचांई के लिए प्राकृतिक स्रोत को बनायें रखता है। परंपरागत रूप से, नदियाँ प्रचुर मात्रा में ताजा पानी और जल परिवहन स्रोत के रूप में उपयोगी थे। आज दुनिया में नदियों के महत्व में जल विद्युत उत्पादन, नदी, नौकायान, चट्टानों से कूदना और पानी आधारित उद्योगों की स्थापना बढ़ी है। ये भी नौका विहार जैसे गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण पर्यटक आकर्षण हैं। उनकी उपयोगिता के कारण नदियाँ जीवन के लिए महत्वपूर्ण है, इसलिए नदियों को जीवन रेखा के रूप में माना जाता है। कई नगर नदियों के किनारे स्थित हैं और घनी आबादी वाले हैं। दिल्ली, यमुना किनारे, पटना गंगा नदी के किनारे, गुवाहाटी ब्रहम्पुत्र के किनारे, नासिक गोदावरी के किनारे, कटक महानदी के किनारे, आदि कुछ उदाहरण है। उत्पत्ति के आधार (चित्र 9.8) पर जल प्रवाह के दो भागों में विभाजित किया जा सकता है :

    1. हिमालय जलप्रवाह प्रणाली
    2. प्रायद्वीप जलप्रवाह प्रणाली

    सहायक नदी : एक धारा या नदी जो एक बड़ी नदी में बहते हुए जा मिलती है। यमुना गंगा में मिलती है।

    डेल्टा : नदी के निचले हिस्से में मुहाने पर छोटे रेत, गाद जमा होने से एक त्रिकोणीय आकार की भूमि विकसित होती है। जैसे गंगा डेल्टा।

    एश्चुयरी : आंशिक रूप से संलग्न समुद्री नमकीन पानी नदी के ताजे पानी के साथ मिलता है। जैसे नर्मदा नदी एक एश्युयरी बनाती हैं।

    मुख्य जल प्रवाह प्रणाली

    उत्पत्ति के आधार पर पहले उल्लेख किया है कि भारतीय नदी तंत्र को दो प्रमुख जल प्रवाह प्रणाली में वर्गीकृत किया गया हैं। दो जल प्रवाह प्रणली के बीच तुलना की चर्चा करते हैं।

    हिमालय नदी प्रणाली

    1. हिमनद से उत्पन्न बारहमासी नदियां हैं।
    2. अपरदन की प्रक्रिया के द्वारा नदियां घाटियां बनाती हैं।
    3. वे मैदानों के उपजाउ क्षेत्रों से गुजरती है इसलिए नदियाँ सिंचाई के उद्देश्य के लिए आदर्श मानी जाती है।
    4. वे नदियां में विसर्य बने हैं जो समय के साथ मार्ग परिवर्तन करती रहती हैं।

    हिमालय जल प्रवाह प्रणाली

    हिमालयी नदियाँ अधिकांश बारहमासी है। इसका तात्पर्य है कि इनमें वर्ष भर पानी होता है। क्योंकि ये नदियाँ अधिकांशतः हिमनद और बर्फ चोटियों से उत्पन्न होती है। ये वर्षा से भी पानी प्राप्त करते हैं। इस श्रेणी में मुख्य नदियाँ इस प्रकार है :
    1. सिंधु नदी प्रणाली                झेलम, रावी, व्यास और सतलुज।
    2. गंगा नदी प्रणाली                यमुना, रामगंगा, घाघरा, गामती, गंडक, कोशी आदि।
    3. ब्रहाम्पुत्र नदी प्रणाली           दिबांग, लोहित, तिस्ता और मेघना आदि।

    प्रायद्वीप जल प्रवाह प्रणाली

    प्रायद्वीप पठार के बारे में आप पहले पढ़ चुके हैं। अधिकतर प्रायद्वीप पूर्व की ओर बहती हुई बंगाल की खाड़ी में प्रवेश करती हैं। केवल नर्मदा और तापी नदियां पश्चिम की ओर प्रवाह करती हैं। ये पनबिजली पैदा करने के लिए उपयुक्त है क्योंकि ये नदियां जलपात एवं क्षिप्रिका बनाती हैं। महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी मुख्य प्रायद्वीपीय नदियां हैं।

    नदियों को साफ रखें

    क्या आप जानते हैं कि पृथ्वी पर उपलब्ध कुल जल का 97 प्रतिशत से अधिक खारा है और शेष 3 प्रतिशत का अधिकांश भाग ध्रुवीय प्रदेश में बर्फ के रूप में जमें हुए। जल का 1 प्रतिशत से भी कम बारिश, नदियों, झीलों और भूमिगत पानी के रूप में प्राप्त हैं। मीठे ताजा पानी का यह छोटा भाग विश्व की पूरी आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए है। अतः ताजा पानी एक बहुमूल्य संसाधन है और नदियों और झीलों को बढते प्रदूषण के कारण एक चेतावनी हमारे समक्ष है।

    आप अपने शहर, गाँव या कहीं बह रही नदि को देखी है। भारत में अनेकों नदियाँ हैं। उनके
    किनारे रहने वाले लाखों लोगो के लिए जीवन रेखा हैं। इन नदियों को मोटे तौर पर चार समूहों
    में वर्गीकृत किया जा सकता है :

    1. हिमालय के बर्फ और हिमनदों के पिघलने से निकलने वाली नदियां। ये बारहमासी हैं, और वर्ष में कभी नहीं सूखती ।

    2. दक्कन के पठार की नदियाँ, पानी के लिए वर्षा पर निर्भर है।

    3. तटवर्ती नदियाँ, विशेष रूप से पश्चिमी तट पर है। इनमें पानी कम होता है और पूरे वर्ष भर पानी नहीं होता है।

    4. पश्चिमी राजस्थान के अंतर्देशीय जल प्रवाह क्षेत्र की नदियाँ वर्षा पर निर्भर है। इन नदियों में प्रायः रेत अथवा गाद प्रवाहित करते हुए झीलों तक पहुँचती है।

    नदियों को हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। कई शहर और इसी प्रकार पवित्र स्थान नदियों के किनारें हैं, और वास्तव में, गंगा और यमुना नदियां लाखों के लिए पवित्र हैं। इसके बावजूद, वे पर्यावरण को गैर जिम्मेदाराना और पर्यावरणीय विनाशक गति विधियों के साथ प्रदूषित किया जा रहा है। भारतीय नदियों में लगभग 70 प्रतिशत मल निकास से प्रदूषण होता हैं। केवल रासायनिक प्रदूषण का भारी भार आमतौर पर भिन्न-भिन्न तरीकों से नीचे की ओर से उपयोगकर्ताओं द्वारा जलमार्ग में प्रवेश कराई जाती हैं। यह जलीय जीवन को प्रभावित करता है और विभिन्न स्वास्थय के खतरों का कारण बनता है। प्रदूषण के साथ, नदियों के प्रति लोगों की असंवेदनशीलता गंभीर समस्या को जोड़ती हैं। नदियों के साथ थोड़ा शहरी निवासियों की पहचान। उदाहरण के लिए अत्यधिक दूषित नई दिल्ली में यमुना नदी का कालपन लिए हुए पानी जो राजधानी नागरिकों से शायद ही ध्यान खींचता हों।

    यद्यपि पानी के मुद्दो को भारत में प्रांतीय सरकारों द्वारा आवंटित किया जाता हैं, प्रत्येक उनमें से अपने साथ नदी के बहाव के प्रभाव को कम या कोई संबंध के साथ, मानते हैं। परिस्थितिकी विज्ञानशास्त्री और संरक्षणवादियों ने लंबे समय से मांग की है कि नदियों को एक इकाई और गंभीर प्रयास के एक निर्धारित समय के विशिष्ट संयोजन पर काम के रूप में लाने के लिए व्यस्था किया जाना चाहिए। यह नदियों के पानी की गुणवत्ता के सुधार के लिए आवश्यक है। सरकार ने महत्वाकांक्षी गंगा नदी कार्य योजना (जीएपी) और पानी की गुणवत्ता में सुधार की है। राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (एन.आर.सी.पी.) पानी के गुणवत्ता में उम्मीद की है। जल संचयन देश भर में लोकप्रियता प्राप्त कर रहा हैं, जिसके माध्यम से मानसूनी पानी नदी वेसिन में बनाए रखा जा सकता है। कई नागरिक संगठनों और लोगों के आदोलनों ने नदियों की गम्भीर हालत के लिए जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ाने में योगदान दे रहें हैं।

    आपने क्या सीखा

    • भारत 8° 4′ और 37 6′ उत्तरी अक्षाशों और 68°7′ और 97°25′ पूर्वी देशांतरों के बीच स्थित हैं। भारत की स्थल सीमा 15,200 किलोमीटर तथा 6100 किलोमीटर लंबी तट रेखा हैं। भारत का कुल क्षेत्रफल 3.28 लाख वर्ग किलोमीटर है।

    • भारत को छः भौतिक भू-भागों उत्तरी हिमालय, उत्तरी मैदान, प्रायद्वीपीय पठार, भारतीय रेगिस्तान, तटीय मैदान और द्वीप समूह में विभाजित किया जा सकता हैं।

    • महान हिमालय या हिमाद्रि मध्य हिमाचल या हिमालय और बाहरी हिमालय या शिवालिक तीन समानान्तर श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता हैं।

    • उत्तरी मैदान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल राज्यों में मुख्य रूप से फैला है। यहां मिट्टी पोषक तत्वों से समृद्ध है और इसलिए गेंहू, चावल, गन्ना, सब्जियाँ, फल आदि विभिन्न फसलों की खेती के लिए अच्छा है।

    • प्रायद्वीपीय पठार अरावली श्रृंखला से भारत के दक्षिणी सिरे तक फैला है। यह उच्च भूमि है जो पुराने और कायान्तरित चट्टानों से बनी है।

    • महान भारतीय रेगिस्तान गुजरात और राजस्थान राज्यों में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में शुष्क और अर्द्ध शुष्क मौसम की स्थिति हैं।

    • भारत में तटीय मैदान प्रायद्वीपीय पठार के साथ अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के समानांतर में फैले हैं। उन्हें पश्चिमी तटीय मैदान और पूर्वी तटीय मैदान कहा जाता है।

    • भारत में द्वीप के दो मुख्य समूह हैं। बंगाल की खाड़ी में 204 द्वीप जिसे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और अरब सागर में 43 द्वीप जिसे लक्ष्यद्वीप समूह कहा जाता हैं।

    • भारतीय नदी प्रणाली को दो मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है हिमालय जलप्रवाह प्रणाली और प्रायद्वीप जलप्रवाह प्रणाली हिमालय प्रणाली में तीन मुख्य नदियां गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु हैं। मुख्य प्रायद्वीपीय नदियां नर्मदा, तापी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी और महानदी हैं।

    NIOS Class 10th सामाजिक विज्ञान (पुस्तक – 1) Notes in Hindi

    • Chapter – 1 प्राचीन विश्व
    • Chapter – 2 मध्यकालीन विश्व
    • Chapter – 3 आधुनिक विश्व – Ⅰ
    • Chapter – 4 आधुनिक विश्व – Ⅱ
    • Chapter – 5 भारत पर ब्रिटिश शासन का प्रभाव : आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृति (1757-1857)
    • Chapter – 6 औपनिवेशिक भारत में धार्मिक एवं सामाजिक जागृति
    • Chapter – 7 ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लोकप्रिय जन प्रतिरोध
    • Chapter – 8 भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन
    • Chapter – 9 भारत का भौतिक भूगोल
    • Chapter – 10 जलवायु
    • Chapter – 11 जैव विविधता
    • Chapter – 12 भारत में कृषि
    • Chapter – 13 यातायात तथा संचार के साधन
    • Chapter – 14 जनसंख्या हमारा प्रमुख संसाधन

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