Class 10th English (First Flight) Chapter – 1 A Letter to God Explanation in Hindi
Textbook | NCERT |
Class | 10th |
Subject | English |
Chapter | 1st |
Chapter Name | A Letter to God |
Category | Class 10th English Explanation in Hindi |
Medium | English |
Source | Last Doubt |
Class 10th English (First Flight) Chapter – 1 A Letter to God Explanation in Hindi
Chapter – 1
A Letter to God
Explanation in Hindi
A Letter to God
They say faith can move mountains. But what should we put our faith in? This is the question this story delicately poses. लोग कहते हैं विश्वास पहाड़ों को हिला सकता है। लेकिन हम किस पर विश्वास करें? यही प्रश्न प्रस्तुत कहानी सुंदरतापूर्वक उठाती है। |
Lencho is a farmer who writes a letter to God when his crops are ruined, asking for a hundered pesos. Does Lencho’s letter reach God? Does God send him the money? Think what your answers to these questions would be, and guess how the story continues, before you begin to read it. लॅचो एक किसान है जब उसकी फसल नष्ट हो जाती हैं वह एक सौ पीसोज (रुपये) माँगते हुए भगवान को पत्र लिखता है। क्या चो का पत्र भगवान तक पहुँचता है? क्या भगवान उसे रुपया भेजते हैं? सोचिए, इन प्रश्नों के आपके पास क्या उत्तर होंगे, और इसे पढ़ना शुरू करने से पहले अनुमान लगाइए कहानी कैसे आगे बढ़ेगी? The house the only one in the entire valley-sat on the crest of a low hill. From this height one could see the river and the filed of ripe corn dotted with the flowers that always promised a good harvest. The only thing the earth needed was a downpour or at least a shower. Throughout the morning Lencho-Who knew his fields intimately-had done nothing else but see the sky towards the north-east. उस घाटी में वह अकेला घर था। वह पहाड़ की चोटी पर बना हुआ था। इतनी ऊँचाई से नदी, पकी मक्का के खेत और फूलों भरे मैदान दिखाई देते थे। फूलों को देखकर लगता था कि फसल अच्छी होगी। धरती को केवल भारी नहीं तो कम से कम हल्की वर्षा की आवश्यकता थी। लेंचो, जो अपने खेतों के बारे में सब कुछ जानता था. सुबह से ही आकाश में उत्तर-पूर्व की ओर देख रहा था। इसके अलावा उसने अन्य कोई काम नहीं किया। |
“Now we’re really going to get some water, woman.” The woman, who was preparing supper, replied, “Yes, God willing.” The older boys were working in the field, while the smaller ones were playing near the house until the woman called to them all, “Come for dinner”. अब वास्तव में बरसात होने वाली है।” लेंचो ने खाना बनाती महिला से कहा। “हाँ, भगवान ने चाहा तो” वह बोली। बड़े बेटे खेतों में काम कर रहे थे जबकि छोटे घर के पास खेल रहे थे। महिला ने उनको पुकारा. “खाना खाने को आ जाओ।” It was during the meal that, just as Lencho had predicted, big drops of rain began to fall. In the north east huge mountains of clouds could be seen approaching. The air जब वे खाना खा रहे थे तो लेंचो की भविष्यवाणी के अनुसार बरसात की बड़ी-बड़ी बूँदे गिरने लगी। उत्तर-पूर्व दिशा से पहाड़ जैसे बादल आ रहे थे। हवा में ताजगी एवं मधुरता थी। लेंचो वर्षा का आनंद लेने के लिए बाहर निकल आया। जब वह वापस लौटा तो वह खुशी से चिल्लाया, “आकाश से ये वर्षा की बूँदे नहीं बल्कि नए-नए सिक्के बरस रहे हैं। बड़ी बूँदें दस के सेंट हैं तथा छोटी बूँदे पाँच सेंट।” |
With a satisfied expression he regarded the field of ripe corn with its flowers, draped in a curtain of rain. But suddenly a strong wind began to blow and along with the rain very large hailstones began to fall. These truly did resemble new silver coins. The boys, exposing themselves to the rain, ran out to collect the frozen pearls. संतुष्ट भाव से उसने अपने मक्का के पके खेत को देखा जिसमें फूल खिले थे, (और जो) वर्षा की चादर में लिपट गया था किंतु अचानक तेज हवा चलने लगी और वर्षा के साथ-साथ ओलावृष्टि होने लगी। यह ठीक नए चाँदी के सिक्कों से मिलते-जुलते थे। बालक नंगे बदन बारिश में जमे हुए मोतियों को बटोरने के लिए बाहर दौड़ गए। “It’s really getting bad now”, exclaimed the man. “I hope it passes quickly.” It did not pass quickly. For an hour the hail rained on the house, the garden, the hillside, the cornfield, on the whole valley. The field was white, as if covered with salt. मैं आशा करता हूँ यह शीघ्र ही टल जाएगा।” परंतु लेंचो ने कहा, “वास्तव में मौसम खराब होता जा रहा यह शीघ्र नहीं टला अर्थात् मौसम ठीक नहीं हुआ. ओलावृष्टि नहीं रुकी। एक घंटे तक मकान, बगीचे पहाड़ी. मक्का के खेत और संपूर्ण घाटी में ओलावृष्टि होती रही। खेत सफेद हो गया मानों नमक ढका हो। Not a leaf remained on the trees. The corn was totally destroyed. The flowers were gone from the plants. Lencho’s soul was filled with sadness. When the storm had passed, he stood in the middle of the field and said to his sons, “A plague of locusts would have left more than this. The hail has left nothing. This year we will have no corn.” वृक्षों पर एक भी पत्ता शेष न था। फसल बरबाद हो चुकी थी। पौधों से फूल झड़ चुके थे। लेंचो की आत्मा उदासी से भर गई। जब तूफान थमा, वह अपने खेत के मध्य खड़ा था और उसने अपने बेटों से कहा- टिड्डी दल के हमले के बाद भी इससे अधिक बच गया होता। ओलों ने कुछ भी नहीं छोड़ा। इस वर्ष हमें अनाज नहीं मिलेगा। |
That night was a sorrowful one. “All our work, for nothing.” “There’s no one who can help us. “We’ll all go hungry this year.” “वह रात काफी दुख भरी रात थी । ” “हमारी सारी मेहनत खराब गई। ” ‘अब हमारी मदद करने वाला कोई भी नहीं है।” “हमें इस वर्ष भूखे ही रहना पड़ेगा।” But in the hearts of all who lived in that solitary house in the middle of the valley. there was a single hope: help from God. लेकिन घाटी के मध्य स्थित उस घर के सभी व्यक्तियों के मन में एक ही आशा थी और वह भी भगवान से मदद। “Don’t be so upest, even though this seems like a total loss. Remember, no one dies of hunger.”. “That’s what they say: no one dies of hunger.” लेंचों ने कहा, “हालांकि ऐसा प्रतीत होता है कि सब कुछ नष्ट हो गया है परंतु घबराओ नहीं याद रखो, भूख से कोई नहीं मरता।” “ऐसा माना जाता है कि भूख से कोई नहीं मरता।” All through the night, Lencho thought only of his one hope: the help of God, whose eyes, as he had been instructed, see everything, even what is deep in one’s conscience. Lencho was an ox of a man, working like an animal in the fields, but still he knew how to write. The following Sunday, at day break, he began to write a letter which he himself would carry to town and place in the mail. It was nothing less than a letter to God. सारी रात, लेंचो अपनी एकमात्र आशा के बारे में सोचता रहा, भगवान की सहायता, जिसकी आँखे, जैसे कि उसे शिक्षा दी गई थी. सब कुछ देखती हैं, यहाँ तक जो एक व्यक्ति के अंतः करण की गहराई में होता है। लेंचो बैल की तरह परिश्रमी था, खेतों में पशुओं की तरह काम करता था, किंतु फिर भी वह लिखना जानता था। अगले रविवार को प्राप्तः वह पत्र लिखने लगा जिसे वह स्वंय शहर में ले जाएगा और उसे डाक में डाल देगा। यह भगवान को लिखे गए पत्र से कम नहीं था। “God,” he wrote, “if you don’t help me, my family and I will go hungry this year. I need a hundred pesos in order to sow my field again and to live until the crop comes, because the hailstorm…” उसने लिखा, “ईश्वर, यदि आप मेरी सहायता नहीं करेंगे तो इस वर्ष मेरा परिवार और में भूखे रह जाएँगे। मुझे अपने खेत में पुनः बीजारोपण के लिए तथा अगली फसल आने तक जीवित रहने के लिए एक सौ पीसोज चाहिएँ क्योंकि ओलावृष्टि… “ |
He wrote “To God” on the envelope, put the letter inside and, still troubled, went to town. At the post office, he placed a stamp on the letter and dropped it into the mailbox. लिफाफे पर उसने ‘ईश्वर के लिए’ लिखा पत्र को अंदर डाला और परेशान सा शहर की ओर चला गया। डाकघर में उसने लिफाफे पर डाक टिकट लगाया तथा उसे पत्र पेटी में डाल दिया। One of the employees, who was a postman and also helped at the post office, went to his boss laughing heartily and showed him the letter to God. Never in his career as a postman had he known that address. The postmaster-a fat, amiable fellow-also broke out laughing, but almost immediately he turned serious and, tapping the letter on his desk, commented, “What faith! I wish I had the faith of the man who wrote this letter. Starting up a correspondence with God!” कर्मचारियों में से एक जो डाकिया था तथा डाकघर में सहायक के रूप में भी काम करता था, अपने बॉस के पास हँसता हुआ पहुँचा तथा उसे ईश्वर के नाम वाला पत्र दिखाया। एक डाकिए के रूप में अपने संपूर्ण कार्यकाल में उसने ऐसा पता नहीं देखा था। डाकपाल एक मोटा, मिलनसार व्यक्ति भी जोर से हँसने लगा। परंतु शीघ्र ही गंभीर होकर वह पत्र को मेज पर थपथपाते हुए बोला, “क्या अटूट विश्वास है। काश! मुझे भी इस आदमी जैसा विश्वास होता, जिसने यह पत्र लिखा है, जो ईश्वर से पत्र-व्यवहार कर रहा है।” So, in order not to shake the writer’s faith in God, the postmaster came up with an idea: answer the letter. But when he opened it, it was evident that to answer it he needed something more than goodwill, ink and paper. But he stuck to his resolution: he asked for money from his employees, he himself gave part of his salary, and several friends of his were obliged to give something ‘for an act of charity.’ अतः उस व्यक्ति का भगवान में विश्वास कायम रखने के लिए डाकपाल के दिमाग में एक विचार आया- पत्र का जवाब दिया जाए। डाकपाल ने उसकी मदद करने का विचार बनाया। परंतु लिफाफा खोलने पर उसको पता चला। कि सद्भावना, स्याही और कागज के अतिरिक्त किसी और चीज की आवश्यकता है। लेकिन फिर भी वह अपने निश्चय पर अडिग रहा। उसने अपने कर्मचारियों से पैसे माँगे, स्वयं अपने वेतन से कुछ रकम दी तथा उसके अन्य मित्रों ने भी इस पुण्य कार्य में सहयोग दिया। It was impossible for him to gather together the hundred pesos, so he was able to send the farmer only a little more than half. He put the money in an उसके लिए एक साथ सौ पीसोज धनराशि जुटाना असंभव था, अतः वह किसान को केवल आधे से कुछ अधिक धनराशि ही भेज सकता था। उसने धन एक लिफाफे में डाला, उस पर लेंचो का पता लिखा और उसमें एक पत्र भी डाल दिया जिस पर एक शब्द लिखा था, “ईश्वर” हस्ताक्षर के रूप में। |
The following Sunday Lencho came a bit eariler than usual to ask if there was a letter for him. It was the postman himself who handed the letter to him while the postmaster, experiencing the contentment of a man who has performed a good deed, looked on from his office. अगले रविवार लेंचो समय से पहले आ गया था। उसने पूछा कि उसका कोई पत्र आया या नहीं। डाकिए ने स्वयं उसे वह पत्र दिया जबकि डाकपाल उस व्यक्ति की तरह आत्मसंतुष्टि अनुभव करते हुए जिसने कोई नेक कार्य किया था, दफ्तर से देख रहा था। Lencho showed not the slightest surprise on seeing the money; such was his confidence but he became angry when he counted the money. God could not have made a mistake, nor could he have denied Lencho what he had requested.. लेंचों को पैसा पाकर जरा भी आश्चर्य नहीं हुआ। उसको पूरा विश्वास था। लेकिन जब उसने पैसा गिना तो वह क्रोधित हो गया। भगवान ऐसी गलती नहीं कर सकता था और न ही वह लेंचो को, जो उसने माँगा था,देने से मना कर सकता था। Immediately, Lencho went up to the window to ask for paper and ink. On the public writing-table, he started to write, with much wrinkling of his brow, caused by the effort he had to make to express his ideas. When he finished, the went to the window to buy a stamp which he licked and then affixed to the envelope with a blow of his fist. The moment the letter fell into the mailbox the postmaster went toopen it. It said, “God: of the money that I asked for only seventy pesos reached me. Send me the rest, since I need it very much. But don’t send it to me through the mail, because the post office employees are a bunch of crooks. Lencho.” लेंचो तुरंत कागज तथा स्याही माँगने के लिए खिड़की पर गया। सार्वजनिक लिखने वाली मेज पर उसने अपनी भौहों पर सिलवटें दिखाते हुए लिखना आरंभ किया। (वे सिलवटें) उसके विचारों को अभिव्यक्त करने के प्रयास के कारण पड़ गई थीं। जब उसने पत्र लिख लिया, वह टिकट खरीदने के लिए खिड़की की ओर गया, जिस पर उसने थूक लगाया और मुक्का मारकर लिफाफे पर चिपका दिया। जैसे ही पत्र पत्र-पेटी में गिरा, पोस्टमास्टर (डाकपाल) उसे खोलने चला गया। उसने लिखा था: “भगवान, जितनी राशि की मैंने माँग की थी, उसमें से केवल |