Class 10th English (First Flight Poem – 3) The Ball Poem Explanation in Hindi

Class 10th English (First Flight Poem – 3) The Ball Poem Explanation in Hindi

TextbookNCERT
Class10th
SubjectEnglish 
Poem3rd
Chapter NameThe Ball Poem 
CategoryClass 10th English Explanation in Hindi
Medium English
SourceLast Doubt

Class 10th English (First Flight Poem – 3) The Ball Poem Explanation in Hindi

Poem – 3

The Ball Poem

Explanation in Hindi

THE BALL POEM

A boy loses a ball. He is very upset. A ball doesn’t cost much, nor is it difficult to buy another ball. Why then is the boy so upset’ Read the poem to see what the poet thinks has been lost, and what the boy has to learn from the experience of losing something.

एक छोटे लड़के की गेंद खो गई। वह बहुत निराश है। एक गेंद की कीमत ज्यादा नहीं होती है और एक नई गेंद खरीदना कोई बड़ी बात भी नहीं है। फिर वह लड़का इतना निराश क्यों है? प्रस्तुत कविता को पढ़ें और यह देखें कि कवि के अनुसार क्या खो गया हैं और लड़कों को कुछ खोने के अनुभव से क्या सीखना चाहिए।

What is the boy now, who has lost his ball,
What, what is he to do? I saw it go
Merrily bouncing, down the street, and then
Merrily over-there it is in the water!
No use to say ‘O there are other balls’:

अब (उस) बच्चे को क्या हो गया है, जिसने अपनी गेंद खो दी है। क्या वह क्या करे? मैंने उसे प्रसन्नता से उछलते गली में जाते और प्रसन्नता से अदृश्य होते और पानी में जाते देखा। इसे कहने से कोई लाभ नहीं है, ‘ओह! अन्य गेंदे भी हैं।

An ultimate shaking grief fixes the boy
As he stands rigid, trembling, staring down
All his young days into the harbour where
His ball went I would not intrude on him,
A dime, another ball, is worthless) Now
He senses first responsibility
In a world of possessions. People will take
Balls, balls will be lost always, little boy.
And no one buys a ball back. Money is external.
He is learning, well behind his desperate eyes,
The epistemology of loss/how to stand up
Knowing what every man must one day know
And most know many days, how to stand up.

एक अंतिम झटका देने वाला दुःख लड़के को हिला देता है। जैसे ही वह कठोर रूप से काँपता हुआ और अपने बालपन के सारे दिनों के बारे में उस बंदरगाह में घूर कर देखता है जहाँ उसकी गेंद चली गई थी। मैं अनुचित रूप से इसमें हस्तक्षेप नहीं करूंगा। दस सैंट की दूसरी गेंद बेकार है। अब वह इस भौतिक संसार में अपने उत्तरदायित्व का अहसास करता है। लोग गेंद लेंगे। छोटे बालक, गेंदे तो हमेशा खो देंगे और फिर कोई भी गेंद नहीं खरीदता । पैसा तो बाह्य है। अपनी निराश आंखों के पीछे बालक यह सब सीख रहा है। वह हानि की प्रकृति को समझता है, इसे कैसे कहा जाए। यह जानते हुए जिस बात को प्रत्येक व्यक्ति एक दिन जान जाएगा। और बहुत से लोग काफी दिनों से जानते हैं कि कैसे खड़े रहें।