NCERT Solutions Class 12th Hindi (अभिव्यक्ति और माध्यम) कैसे लिखें कहानी Notes

NCERT Solutions Class 12th Hindi (अभिव्यक्ति और माध्यम) कैसे लिखें कहानी

TextbookNCERT
Class 12th
Subject Hindi
Chapter Nameकैसे लिखें कहानी
CategoryClass 12th Hindi अभिव्यक्ति और माध्यम
Medium Hindi
SourceLast Doubt

Class 12th Hindi (अभिव्यक्ति और माध्यम) कैसे लिखें कहानी Notes इस अध्याय में हम, कहानी लिखने की शुरुआत कैसे करें?, कहानी कैसे लिखते?, फर्स्ट पर्सन में कहानी कैसे शुरू करते हैं?, कहानी लिखने के नियम क्या है?, मुझे लिखना कहां से शुरू करना चाहिए?, अच्छी कहानी कैसे बनाएं?, सबसे अच्छी कहानी कौन सी है?, कहानी कितने प्रकार के होते हैं?, कहानी लिखने के लिए क्या आवश्यक है?, कहानी के अंत में क्या लिखना चाहिए?, कहानी का उद्देश्य क्या है?, कहानी में भाषा शैली का क्या महत्व है? इत्यादि के बारे में पढ़ेंगे।

NCERT Solutions Class 12th Hindi (अभिव्यक्ति और माध्यम) कैसे लिखें कहानी

 कैसे लिखें कहानी

Notes

कहानी – किसी घटना पात्र या समस्या का क्रमबद्ध ब्यौरा जिसमें परिवेश हो, द्वंद्वात्मकता हो, कथा का क्रमिक विकास हो, चरम उत्कर्ष का बिन्दु हो, उसे कहानी कहा जाता है। कहानी जीवन का अविभाज्य अंग है। हर व्यक्ति अपनी बातें दूसरों को सुनाना और दूसरों की बातें सुनना चाहता है। कहानी लिखने का मूलभाव सभी में होता है, विकसित कर पाते हैं, इसे कुछ लोग कुछ नहीं।
कहानी का इतिहास – जहाँ तक कहानी के इतिहास का सवाल है, वह उतना ही पुराना है जितना मानव इतिहास, क्योंकि कहानी, मानव स्वभाव और प्रकृति का हिस्सा है। मौखिक कहानी की परम्परा बहुत पुरानी है। प्राचीनकाल में मौखिक कहानियाँ अत्यन्त लोकप्रिय थी, क्योंकि यह संचार का सबसे बड़ा माध्यम थीं। धर्म प्रचारकों ने भी अपने सिद्धांत और विचार लोगों तक पहुँचाने के लिए कहानी का सहारा लिया था । शिक्षा देने के लिए भी पंचतंत्र जैसी कहानियाँ लिखी गईं, जो जगप्रसिद्ध हैं।

कथानक – कहानी का केन्द्र बिन्दु कथानक होता है। जिसमें प्रारम्भ से लेकर अन्त तक कहानी की सभी घटनाओं और पात्रों का उल्लेख होता है। कथानक को कहानी का प्रारम्भिक नक्शा माना जा सकता है।

कहानी का कथानक आमतौर पर कहानीकार के मन में किसी घटना, जानकारी, अनुभव या कल्पना के कारण आता है। कहानीकार कल्पना का विकास करते हुए एक परिवेश, पात्र और समस्या को आकार देता है तथा एक ऐसा काल्पनिक ढांचा तैयार करता है जो कोरी कल्पना न होकर संभावित हो और लेखक के उद्देश्य से मेल खाता हो। कथानक में प्रारम्भ, मध्य और अन्त – कथानक का पूरा स्वरूप होता है।

द्वंद्व – कहानी में द्वंद्व के तत्व का होना आवश्यक है । द्वंद्व कथानक को आगे बढ़ाता है तथा कहानी में रोचकता बनाए रखता है। द्वंद्व के तत्वों से अभिप्राय यह है कि परिस्थितियों के रास्ते में एक या अनेक बाधाएँ होती हैं उन बाधाओं के समाप्त हो जाने पर, किसी निष्कर्ष पर पहुँच कर कथानक पूरा हो जाता है। कहानी की यह शर्त है कि वह नाटकीय ढंग से अपने उद्देश्य को पूर्ण करते हुए समाप्त हो जाए। कहानी द्वंद्व के कारण ही पूर्ण होती है।
देशकाल और वातावरण – हर घटना, पात्र और समस्या का अपना देशकाल और वातावरण होता है। कहानी को रोचक और प्रामाणिक बनाने के लिए आवश्यक है कि लेखक देशकाल और वातावरण का पूरा ध्यान रखे।
पात्र – पात्रों का अध्ययन कहानी की एक बहुत महत्वपूर्ण और बुनियादी शर्त है। हर पात्र का अपना स्वरूप, स्वभाव और उद्देश्य होता है। कहानीकार के सामने पात्रों का स्वरूप जितना स्पष्ट होगा, उतनी ही आसानी से उसे पात्रों का चरित्र चित्रण करने और उसके संवाद लिखने में होगी।
चरित्र चित्रण – पात्रों का चरित्र चित्रण पात्रों की अभिरूचियों के माध्यम से, कहानीकार द्वारा गुणों का बखान करके, पात्र के क्रिया-कलापों, संवादों के माध्यम से किया जाता है।
संवाद – कहानी में संवाद का विशेष महत्व है। संवाद ही कहानी को और पात्र को स्थापित एवं विकसित करते हैं, साथ ही कहानी को गति देते हैं, आगे बढ़ाते हैं, जो घटना या प्रतिक्रिया, कहानीकार नहीं दिखा सकता, उसे संवादों के माध्यम से सामने लाता है। संवाद पात्रों के स्वभाव और पूरी पृष्ठभूमि के अनुकूल होते हैं।
चरमोत्कर्ष (क्लाइमेक्स) – कथानक के अनुसार कहानी चरमोत्कर्ष (क्लाइमेक्स) की ओर बढ़ती है। सर्वोत्तम यह है कि चरमोत्कर्ष पाठक को स्वयं सोचने के लिए प्रेरित करे तथा उसे लगे कि उसे स्वतन्त्रता दी गई है, उसने जो निष्कर्ष निकाले हैं, वह उसके अपने हैं।
कहानी लिखने की कला – कहानी लिखने की कला को सीखने का सबसे अच्छा और सीधा रास्ता यह है कि अच्छी कहानियाँ पढ़ी जाएं और उनका विश्लेषण किया जाए।

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