NCERT Solutions Class 12th Hindi (अभिव्यक्ति और माध्यम) विशेष लेखन-स्वरूप और प्रकार
Textbook | NCERT |
Class | 12th |
Subject | Hindi |
Chapter Name | विशेष लेखन-स्वरूप और प्रकार |
Category | Class 12th Hindi अभिव्यक्ति और माध्यम |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
Class 12th Hindi (अभिव्यक्ति और माध्यम) विशेष लेखन-स्वरूप और प्रकार Notes, इस अध्याय में हम विशेष लेखन के कितने प्रकार हैं?, विशेष लेखन क्या है तथा प्रकार बताइए?, अभिव्यक्ति और माध्यम का क्या अर्थ है?, विशेष लेखन से आप क्या समझते हैं विशेष लेखन के कोई चार क्षेत्रों के नाम लिखिए?, लेखन के प्रकार कौन से हैं?, माध्यम उपयोगी लेखन कितने प्रकार के होते हैं?, पत्रकार कितने प्रकार के होते हैं इत्यादि के बारे में पढ़ेंगे।
NCERT Solutions Class 12th Hindi (अभिव्यक्ति और माध्यम) विशेष लेखन-स्वरूप और प्रकार
विशेष लेखन-स्वरूप और प्रकार
Notes
विशेष लेखन – जब किसी खास विषय पर सामान्य लेखन से हटकर लेखन किया जाए तो उसे विशेष लेखन कहते हैं। जैसे की साहित्य, विज्ञान, खेल इत्यादि की भी पर्याप्त जानकारी देते हैं इसी कार्य के अन्तर्गत हैं। |
डेस्क – समाचार पत्र-पत्रिकाओं रेडियो और टी.वी. में विशेष लेखन के लिए अलग डेस्क होता है और उस विशेष डेस्क पर काम करने वाले पत्रकारों का समूह भी अलग होता है जिनसे अपेक्षा की जाती है कि संबंधित विषय या क्षेत्र में उनकी रुचि होगी। |
विशेष लेखन के क्षेत्र – विशेष लेखन के कई क्षेत्र हैं जैसे अर्थ व्यापार, खेल, मनोरंजन, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कृषि, विदेश, पर्यावरण, रक्षा, कानून, स्वास्थ्य इत्यादि। |
बीट – संवाददाताओं के बीच काम का विभाजन आमतौर पर उनकी दिलचस्पी और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। मीडिया की भाषा में इसे बीट कहते हैं। एक संवाददाता की बीट अगर अपराध है तो इसका अर्थ है कि वह आपराधिक घटनाओं की रिपोर्टिंग के लिए जिम्मेदार है। विशेष लेखन केवल बीट रिपोर्टिंग नहीं है। अब बीट रिपोर्टिंग के आगे एक तरह की विशेषीकृत रिपोर्टिंग है जिसमें न सिर्फ उस विषय की गहरी जानकारी होनी चाहिए बल्कि उसकी रिपोर्टिंग से संबंधित भाषा और शैली पर भी पूरा अधिकार होना चाहिए। |
बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग में अंतरबीट रिपोर्टिंग | विशेषीकृत रिपोर्टिंग | बीट रिपोर्टिंग के लिए संवाददाता में उस क्षेत्र की जानकारी होना पर्याप्त है उसे सामान्य तौर पर खबरें ही लिखनी होती हैं। | विशेषीकृत रिपोर्टिंग के लिए संवाद- दाता को सामान्य खबरों से आगे बढ़कर उस क्षेत्र से जुड़ी सूचनाओं का बारीकी से विश्लेषण कर पाठकों के लिए उसका अर्थ स्पष्ट करना होता है। | बीट कवर करने वाले रिपोर्टर को संवाददाता कहते हैं। | विशेषीकृत रिपोर्टिंग करने वाले रिपोर्टर को विशेष संवाददाता कहते हैं। |
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पत्र पत्रिकाओं को विशेष लेख लिखने वाले सामान्यतः पेशेवर पत्रकार न होकर विषय विशेषज्ञ होते हैं। जैसे खेल के क्षेत्र में हर्षा भोगले, जसदेव सिंह और नरोत्तम पुरी आदि प्रसिद्ध हैं। |
विशेष लेखन की भाषा शैली – विशेष लेखन में हर क्षेत्र की विशेष तकनीकी शब्दावली का प्रयोग किया जाता है। जैसे- - कारोबार और व्यापार में सोना उछला, चाँदी लुढ़की आदि।
- पर्यावरण संबंधित लेख में आद्रता, टाक्सिक कचरा, ग्लोबल वार्मिंग आदि।
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विशेष लेखन – विशेष लेखन की कोई निश्चित शैली नहीं होती। विषयानुसार उल्टा पिरामिड या फीचर शैली का प्रयोग हो सकता है। पत्रकार चाहे कोई भी शैली अपनाएँ लेकिन उसे यह ध्यान में रखना होता है कि खास विषय में लिखा गया आलेख सामान्य से अलग होना चाहिए। |
विशेषज्ञता का अभिप्राय – विशेषज्ञता का अर्थ है कि व्यावसायिक रूप से प्रशिक्षित न होने के बावजूद उस विषय में जानकारी और अनुभव के आधार पर अपनी समझ को इस हद तक विकसित करना कि सूचनाओं की सहजता से व्याख्या कर पाठकों को उसके मायने समझा सकें। |
विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए स्वयं का अपडेट रहना, पुस्तकें पढ़ना, शब्दकोश आदि का सहारा लेना, सरकारी-गैरसरकारी संगठनों से संपर्क रखना, निरंतर दिलचस्पी और सक्रियता आवश्यक है। |
कुछ वर्षों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण रूप से उभरने वाली पत्रकारिता-आर्थिक पत्रकारिता है क्योंकि देश की राजनीति और अर्थव्यवस्था के बीच रिश्ता गहरा हुआ है। आर्थिक मामलों की पत्रकारिता सामान्य पत्रकारिता की तुलना में काफी जटिल होती है क्योंकि आम लोगों को इसकी शब्दावली का मतलब नहीं जान पाते है। |
किसी भी लेखन को विशिष्टता प्रदान करने के लिए महत्व रखने वाली बातें हैं कि हमारी बात पाठक / श्रोता तक पहुँच रही है या नहीं तथा तथ्यों और तर्कों में तालमेल है या नहीं। |
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