NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 1 कार्नेलिया का गीत
Textbook | NCERT |
Class | 12th |
Subject | Hindi |
Chapter | 1st |
Grammar Name | कार्नेलिया का गीत |
Category | Class 12th Hindi अंतरा |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
NCERT Solutions Class 12th Hindi अंतरा Chapter – 1 कार्नेलिया का गीत
Chapter – 1
कार्नेलिया का गीत
प्रश्न – उत्तर
प्रश्न 1. ‘कार्नेलिया का गीत’ कविता में प्रसाद ने भारत की किन विशेषताओं की ओर संकेत किया है? उत्तर – प्रसाद जी ने भारत की निम्नलिखित विशेषताओं की ओर संकेत किया है- 1. भारत प्राकृतिक रूप से सुंदर है इसलिए भारत को मधुमय कहा गया है। 2. भारत की भूमि पर सबसे पहले सूर्य की किरण पहुंचती है। 3. भारत देश में हर व्यक्ति और प्राणी को आश्रय मिलता है। 4. यहाँ पर किसी अपरिचित व्यक्ति को भी घर में प्रेमपूर्वक रखा जाता है। 5. यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भूत और आदित्य है। 6. भारत के लोगों के हृदय में दया, करुणा, सहानुभूति जैसी भावनाए है। 7. भारतीय सभी के सुख की कामना से जीते हैं। 8. भारत की सभ्यता विश्व में महान एवं गौरवशाली मानी जाती है। |
प्रश्न 2. ‘उड़ते खग’ और ‘बरसाती आँखों के बादल’ में क्या विशेष अर्थ व्यंजित होता है? उत्तर – प्रसाद जी ने कार्नेलिया का गीत उड़ते खगों को जिस दिशा में जाने की बात कही है। वह भारत देश है यहां आकर पक्षियों को तक को आश्रय मिलता है। दूसरे शब्दों, में भारत सभी की आश्रय-स्थली इतना ही नहीं, भारत-भूमि पर आकर सभी जीवों-प्राणियों को आत्मिक शांति और संतोष मिलता है। किसी अनजान को सहारा देना भारतीय संस्कृति की विशेषता रही है। बरसाती आंखों के बाद से यह विशेष प्रकट होता है कि भारतीय दया, करुणा, साहनुभूति जैसे मानवीय भावों से भाव से परिपूर्ण है। यहां के लोग दूसरों के दुखों को जानकर द्रवित हो उठते हैं। लोग दूसरों के दुख में दुखी होने से उनकी आंखों में आंसू आंसू बहने लगते हैं। |
प्रश्न 3. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए- हेम कुंभ ले उषा सवेरे-भरती ढुलकाती सुख मेरे मदिर ऊँघते रहते सब-जगकर रजनी भर तारा। उत्तर – प्रस्तुत काव्यांश में उषा का मानवीकरण कर उसे पानी भरने वाली स्त्री के रूप में चित्रित किया गया है। इन पंक्तियों में भोर का सौंदर्य सर्वत्र दिखाई देता है। कवि के अनुसार भोर रूपी स्त्री अपने सूर्य रूपी सुनहरे घड़े से आकाश रूपी कुएँ से मंगल पानी भरकर लोगों के जीवन में सुख के रूप में लुढ़का जाती है। तारें ऊँघने लगते हैं। भाव यह है कि चारों तरफ भोर हो चुकी है और सूर्य की सुनहरी किरणें लोगों को उठा रही हैं। तारे भी छुप गए हैं। (क) उषा तथा तारे का मानवीकरण करने के कारण मानवीय अंलकार है। (ख) काव्यांश में गेयता का गुण विद्यमान है। अर्थात इसे गाया जा सकता है। (ग) जब-जगकर में अनुप्रास अलंकार है। (घ) हेम कुंभ में रूपक अलंकार है। |
प्रश्न 4. ‘जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा’- पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। उत्तर – इसका तात्पर्य है कि भारत जैसे देश में अजनबी लोगों को भी आश्रय मिल जाता है, जिनका कोई आश्रय नहीं होता है। कवि ने भारत की विशालता का वर्णन किया है। उसके अनुसार भारत की संस्कृति और यहाँ के लोग बहुत विशाल हृदय के हैं। यहाँ पर पक्षियों को ही आश्रय नहीं दिया जाता बल्कि बाहर से आए अजनबी लोगों को भी सहारा दिया जाता है। |
प्रश्न 5. कविता में व्यक्त प्रकृति-चित्रों को अपने शब्दों में लिखिए। उत्तर – प्रसाद जी के अनुसार भारत देश बहुत सुंदर और प्यारा है। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत है। यहाँ सूर्योदय का दृश्य बड़ा मनोहारी होता है। सूर्य के प्रकाश में सरोवर में खिले कमल तथा वृक्षों का सौंदर्य मन को हर लेता है। ऐसा लगता है मानो यह प्रकाश कमल पत्तों पर तथा वृक्षों की चोटियों पर क्रीड़ा कर रहा हो। भोर के समय सूर्य के उदित होने के कारण चारों ओर फैली लालिमा बहुत मंगलकारी होती है। मलय पर्वत की शीतल वायु का सहारा पाकर अपने छोटे पंखों से उड़ने वाले पक्षी आकाश में सुंदर इंद्रधनुष का सा जादू उत्पन्न करते हैं। सूर्य सोने के कुंभ के समान आकाश में सुशोभित होता है। उसकी किरणें लोगों में आलस्य निकालकर सुख बिखेर देती है। “मैंने भ्रमवश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई”‐ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए। |
NCERT Solutions Class 12th हिंदी अंतरा Chapter – 1 जयशंकर प्रसाद
NCERT Solutions Class 12th हिंदी All Chapters अंतरा
काव्य खंड
- Chapter – 1 जयशंकर प्रसाद
- Chapter – 2 सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
- Chapter – 3 सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
- Chapter – 4 केदारनाथ सिंह
- Chapter – 5 विष्णु खरे
- Chapter – 6 रघुवीर सहाय
- Chapter – 7 तुलसीदास
- Chapter – 8 बारहमासा
- Chapter – 9 पद
- Chapter – 10 रामचंद्रचंद्रिका
- Chapter – 11 कवित्त / सवैया
गद्य खंड
- Chapter – 12 प्रेमघन की छाया – स्मृति
- Chapter – 13 सुमिरिनी के मनके
- Chapter – 14 कच्चा चिट्ठा
- Chapter – 15 संवदिया
- Chapter – 16 गांधी, नेहरू और यास्सेर अराफ़ात
- Chapter – 17 शेर, पहचान, चार हाथ, साझा
- Chapter – 18 जहां कोई वापसी नहीं
- Chapter – 19 यथास्मै रोचते विश्वम्
- Chapter – 20 दूसरा देवदास
- Chapter – 21 कुटज
You Can Join Our Social Account
Youtube | Click here |
Click here | |
Click here | |
Click here | |
Click here | |
Telegram | Click here |
Website | Click here |