वैश्वीकरण

वैश्वीकरण

• एक विचार के रूप में वैश्वीकरण का बुनियादी तत्व ‘प्रवाह’ है  प्रवाह कई प्रकार के होते हैं जैसे – वस्तुओं, पैसा, श्रम और विचारों का विश्व के एक हिस्से से दूसरे अन्य हिस्से में मुक्त प्रवाह।

• वैश्वीकरण को भूमण्डलीयकरण भी कहते है और यह एक बहुआयामी अवधारणाा है  यह न तो केवल आर्थिक परिघटना है और न ही सिर्फ सांस्कृतिक या राजनीतिक परिघटना।

वैश्वीकरण के कारण

• अच्छे  किस्म क़े प्रौद्योगिकी और विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव जिस कारण आज विश्व एक वैश्विक गाँव बन गया है।

• टेलीग्राफ, मोबाइल, माइक्रोचिप, इंटरनेट और कई  सूचनाएँ  तकनीकी साधनों ने विश्व के अलग -अलग  भागों के बीच संचार की क्रांति कर दिखाई है।

• पर्यावरण की वैश्विक समस्याओं जैसे सुनामी, जलवायु परिवर्तन वैश्विक तापवृद्धि से निपटने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग।

 वैश्वीकरण की विशेषताएँ बताएँ 

• पैसा, श्रम, वस्तु और  विचारों का तेजी से बढ़ना और मुक्त प्रवाह।

• पूंजीवादी व्यवस्था, खुलेपन और विश्व व्यापार में वृद्धि।

• देशों के बीच आपसी जुड़ाव और अन्तः  बहुत से निर्भर आर्थिक घटनाएँ जैसे मंदी और तेजी तथा महामारियों जैसे एंथ्रेक्स, इबोला, HIV AIDS, स्वाइन फ्लू जैसे मामलों में वैश्विक सहयोग एवं प्रभाव।

 वैश्वीकरण के कुछ उदाहरण 

• सभी प्रकार की विदेशी वस्तुओं की भारत में उपलब्धता हुई।

• युवाओं को कैरियर के विभिन्न नए अवसरों का मिलना।

• किसी भारतीय का अमेरिकी कैलेंडर और समयनुसार सेवा प्रदान करना।

• फसल ख़राब होने के कारन कई किसान आत्म -हत्या कर लेते थे।

• अनेक फुटकर (रिटेल) व्यापारियों को डर है कि में प्रत्यक्ष रिटेल विदेशी निवेश (FDI) लागू होने से बड़ी रिटेल कम्पनियाँ आयेंगी और उनका रोजगार छिन जाएगा।

• लोगों के बीच आर्थिक समानता में विकास हुई।

वैश्वीकरण कितने प्रकार के होते है 

 (i) राजनीतिक

 (ii) आर्थिक

(iii) सांस्कृतिक

 वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव 

• वैश्वीकरण से राज्य की योग्यता में कमी आई है  राज्य अब कुछ खास कामो जैसे कानून व्यवस्था बनाना तथा सुरक्षा तक ही सीमित है।

• अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का खास निर्धारक है ।

• राज्य की प्रमुखता बरकरार है तथा उसे वैश्वीकरण से कोई खास चुनौती नहीं मिल रही है।

• इस पहलू के अनुसार वैश्वीकरण के कारण अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के बूते राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते है और कारगर ढंग से काम कर सकते है  अतः राज्य अधिक शक्तिशाली हुए है।

 वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव 

• अन्तर्राष्ट्रीय पैसा कोष, विश्वबैंक एवं विश्व व्यापार संगठन जैसे – अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा आर्थिक नीतियों का बनाना  इन संस्थाओं में अमीर, प्रभावशाली और विकसित देशों का प्रभुत्व।

• बाहर के देशो से सामान पर रोक लगा देना।

पैसो के प्रवाह से पूंजीवादी देशों को लाभ लेकिन श्रम के निर्बाध चिन्ता न होने के कारण विकासशील देशों को कम नाम।

• विकसित देशों द्वारा वीजा नीति द्वारा लोगों की आने जाने  पर प्रतिबंध।

• वैश्वीकरण के कारण सरकारे अपने सामाजिक सरोकारों से मुंह मोड़ रही है उसके लिए सामाजिक सुरक्षा कवच की जरूरत हैं।

• वैश्वीकरण के आलोचक कहते है कि इससे समाजों में आर्थिक असमानता बढ़ रही है।

भारत और वैश्वीकरण 

• आजादी के बाद भारत ने संरक्षणवाद की नीति अपनाकर अपने घरेलू उत्पादों पर जोर दिया ताकि भारत आत्मनिर्भर रहे।

• 1991 में लागू नई आर्थिक नीति द्वारा भारत वैश्वीकरण के लिए तैयार हुआ और खुलेपन की नीति अपनाई।

• आज वैश्वीकरण के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत वार्षिक की दर से बढ़ रही है जो 1990 में 5.5 प्रतिशत वार्षिक थी । भारत के अनिवासी भारतीय विदेशों में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दे रहे है।

• भारत के लोग कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में अपना वर्चस्व स्थापित करने में कामयाब रहे है।

• आज भारतीय लोग वैश्विक स्तर पर उच्च पदों पर आसीन होने में सफल हुए है।

 वैश्वीकरण का विरोध 

• वामपंथी विचारक इसके विभिन्न पक्षों की आलोचना करते है । राजनीतिक अर्थों में उन्हें राज्य के कमजोर होने की चिंता है।

• आर्थिक क्षेत्र में वे कम से कम कुछ क्षेत्रों में आर्थिक निर्भरता एवं संरक्षण वाद का दौर कायम करना चाहते है।

• सांस्कृतिक संदर्भ में इनकी चिंता है कि परंपरागत संस्कृति को हानि होगी और लोग अपने सदियों पुराने जीवन मूल्य तथा तौर तरीकों से हाथ धो देंगे।

• वर्ल्ड सोशल फोरम (WSF) नव उदारवादी वैश्वीकरण के विरोध का एक विश्वव्यापी मंच है इसके तहत मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी मजदूर, युवा और महिला कार्यकर्ता आते है।

• 1999 में सिएट्ल में विश्व व्यापार संगठन की मंत्री – स्तरीय बैठक का विरोध हुआ जिसका कारण आर्थिक रूप से ताकतवर देशों द्वारा व्यापार के अनुचित तौर – तरीकों के विरोध में हुआ।