NCERT Solutions Class 12th Home Science Chapter – 5 खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा (Food Quality and Food Safety) Notes In Hindi

NCERT Solutions Class 12th Home Science Chapter – 5 खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा (Food Quality and Food Safety)

TextbookNCERT
classClass – 12th
SubjectHome Science
ChapterChapter – 5
Chapter Nameखाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा
CategoryClass 12th Home Science Notes In Hindi
MediumHindi
SourceLast Doubt

NCERT Solutions Class 12th Home Science Chapter – 5 खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा (Food Quality and Food Safety) Notes In Hindi खाद्य सुरक्षा से क्या तात्पर्य है?, खाद्य सुरक्षा के तीन मुख्य आयाम कौन कौन से हैं?, खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य क्या है?, 5 खाद्य सुरक्षा क्या है?, भारतीय खाद्य सुरक्षा के दो घटक कौन कौन से है?, विश्लेषणात्मक क्षमता परीक्षण क्या है?, विश्लेषणात्मक कौशल का अर्थ क्या है?, विश्लेषणात्मक सिद्धांत किसका है?, तार्किक क्षमता का अर्थ क्या है?, विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान के जनक कौन है?, खाद्य गुणवत्ता क्या है समझाइये?खाद्य आविषालुता क्या है?, खाद्य सेवा का महत्व क्या है?, खाद्य मानक कितने प्रकार के होते हैं?, खाद्य अपमिश्रण कितने प्रकार के होते हैं?, WTO के वर्तमान अध्यक्ष कौन हैविश्व व्यापार संगठन क्या है समझाइए?, विश्व व्यापार संगठन में भारत कब शामिल हुआ?, वर्तमान में विश्व व्यापार संगठन के कितने सदस्य हैं?, WTO की प्रथम महिला अध्यक्ष कौन है?, WTO के प्रमुख उद्देश्य क्या है? आदि के बारे में पढ़ेंगे।

NCERT Solutions Class 12th Home Science Chapter – 5 खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा (Food Quality and Food Safety)

Chapter – 5

खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा

Notes

खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा को पढ़ने की आवश्यकता क्यों?

वर्ष 2005 में दस्त जैसे रोगों से 18 लाख लोगों की मृत्यु हुई। भारत में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सितंबर 2010 में बताया कि 5 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों में प्रतिवर्ष गंभीर दस्त के 30 करोड़ से अधिक मामले सामने आए है।

इस तरह की घटनाएं यह दिखाती हैं कि खाद्य सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है साथ ही खाद्य पदार्थों के अच्छी गुणवत्ता के होने की बहुत आवश्यकता है खाद्य पदार्थों से होने वाले रोग ना केवल मृत्यु के लिए उत्तरदाई हैं बल्कि इनसे व्यापार और पर्यटन को भी क्षति पहुंचती है इस कारण धनार्जन में हानि, बेरोजगारी और मुकदमेबाजी बढ़ती है। आर्थिक विकास में रुकावट आती है और इन कारणों से पूरे विश्व में खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता के महत्व में वृद्धि हुई है।

खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता से जुड़ी मूलभूत संकल्पनाऐं

खाद्य सुरक्षा – (Food safety) – खाद्य सुरक्षा का तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि खाद्य पदार्थ उपभोक्ता के लिए सुरक्षित है अथवा वह उपभोक्ताओं को किसी प्रकार की हानि नहीं पहुँचाएगा खाद्य सुरक्षा को बेहतर ढंग से समझने के लिए निम्न संकल्पनाओ को समझना जरूरी है।

आविषालुता / विषैलापन – (Toxicity )- किसी पदार्थ की विभिन्न परिस्थितियों में किसी भी प्रकार की क्षति अथवा संकट उत्पन्न करने की क्षमता को उसे पदार्थ की आविषालुता अथवा विषैलापन कहते हैं। यहाँ खतरे (Hazard) का तात्पर्य उस सापेक्षिक संभावना (relative probability) से है कि जब किसी पदार्थ को उसके प्रस्तावित तरीक और मात्रा में  प्रयुक्त न किया जाए तो उसके फलस्वरूप क्षति हो सकती हैं। संकट भौतिक रासायनिक और जैविक (Hazard can be physical, chemical ro biological) हो सकता है जो उपभोक्ताओं में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

आविषालुता / विषैलापन – (Toxicity ) के प्रकार

भौतिक खतरा (Physical Hazard)
रासायनिक खतरा (Chemical Hazard)
जैविक खतरा (Biological Harard)

भौतिक खतरा (Physical Hazard) – भौतिक खतरा ऐसा कोई भी भौतिक पदार्थ हो सकता है, जो प्राकृतिक रूप से खाद्य पदार्थी में नहीं पाया जाता हैं, परंतु खाद्य उत्पादन तथा पकाने के दौरान अनजाने में मिल जाते है तथा जिसके उपभोग से रोग उत्पन्न हो सकता है अथवा आघात पहुँच सकता है। उदाहरण लकड़ी, पत्थर, कीट के  अंश, बाल, इत्यादि।
रासायनिक खतरा (Chemical Hazard) – रासायनिक खतरा /संकट का तात्पर्य उन रासायनिक अथवा हानिकारक पदार्थ से है जो खाद्य पदार्थों में प्राकृति रूप से पाए जाते हैं अथवा उनमें जाने – अनजाने मिला दिए जाते हैं।  सभी प्रकार के कीटनाशक रासायनिक अवशेष, विषैली  धातुएँ, पॉलिक्लोरोकृत बाईफिनाइल, परिरक्षक, खाद्य रंग तथा अन्य मिलावटी पदार्थ संबंधी रासायनिक खतरे के है। उदाहरण  कीटनाशकों अवशेष, मार्जन रसायन, मिलावट, पशुचिकित्सीय अवशेष।
जैविक खतरा (Biological Harard) –जैविक खतरे का तात्पर्य उन जीवधारियों अथवा सूक्ष्मजीवी से हैं जो खाद्य पदार्थों में पहले से उपस्थित होते हैं या फिर किसी विशेष परिस्थिति में उनमें पनपते है। खाद्य पदार्थों में ऐसे सूक्ष्मजीवों कि उपस्थिति से विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं । ऐसे जीवाणुओं को खाद्य – जनित रोगाणु (pathogen) भी कहा जाता है । विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीवी रोगाणुओं द्वारा दो प्रकार के खाद्यजनित रोग उत्पन्न होते हैं- उदाहरण मक्खी, धुन, तिलचट्टा (कॉकरोच), कृमि। 

जैविक खतरा (Biological Harard) – के दो प्रकार

1.संक्रमण (infections)
2.विषाक्तता (poisoning)

1. संक्रमण (infections) – खाद्य संक्रमण, खाद्य पदार्थों के साथ रोगाणुओं के शरीर में प्रवेश करने से उत्पन्न होता है, रोगाणु शरीर में पहुँच कर तेजी से संख्या में वृद्धि करते हैं जिसके कारण रोग उत्पन्न होता हैं। उदाहरण के लिए साल्मोनेला (Salmonella) यह जीव मुख्य रूप से जंतुओं की आतो में पाया जाता है इसके अतिरिक्त यह कच्चे दूध और अंडे में भी पाया जाता है। हालांकि गर्म करने पर साल्मोनेला नष्ट हो जाता हैं परंतु यदि उपरोक्त खाद्य पदार्थों को आदर्श ताप पर न पकाया जाए तो कुछ जीव जीवित बचे रहते हैं। आमतौर पर साल्मोनेला पारसंदूषण (Cross contamination) द्वारा फैलते हैं।

2.  विषाक्तता (poisoning) – कई जीवाणु हानिकारक आविष उत्पन्न करते हैं जो जीवाणुओ /रोगाणुओ के नष्ट हो जाते पर भी खाद्य पदार्थों में बने रहते हैं। आमतौर पर जीवाणु आविष तभी उत्पन्न करते हैं जब खाद्य पदार्थ न तो अधिक गर्म होते है और न ही अधिक ठंडे। खाद्य पदार्थों में उपस्थिति आविष को किसी विशेष प्रकार की गंध, दिखावट अथवा स्वाद द्वारा नहीं पहचाना जा सकता। इसलिए यह जरूरी नहीं कि जो खाद्य पदार्थ चखने तथा सूंघने पर ठीक लगे, वह उपभोग के लिए सुरक्षित ही हों।उदाहरण के लिए ‘ स्टैफलोकॉकस आरियस ‘ (staphylococcus aureus) नामक जीवाणु , यह जीवाणु हवा, तथा जल में पाया जाता है।

खाद्यजनित रोगो के रोगाणुओ के निम्न प्रकार उत्पन्न होते हैं

  • मानव परपोषी (Human host)
  • जंतु परपोषी (Animal hosts)
  • मानव एव स्वयं रोगाणुओ के साथ उनकी पारस्परिक क्रियाएँ (Their interactions with humans and pathogens itself)
  • पर्यावरण जिसमें भोजन का उत्पादन, संसाधन, भोजन पकाना, परोसना आदि क्रियाएँ और भंडारण होता है (Environment in which food produced, processed, handled or stoed)
  • जीवो में अनुवांशिक विनियम अथवा परिवर्तन (Genetic exchange or changes) के कारण ऐसे नए प्रभेद (New strains) पैदा हो सकते हैं जिसमें रोग उत्पन्न करने की क्षमता होती है
संदूषण (Contamination) – खाद पदार्थ के उत्पादन संसाधन अथवा भंडारण के दौरान खाद पदार्थ में हानिकारक अथवा आपत्तिजनक बाहरी पदार्थ जैसे कि रसायन सूक्ष्मजीव इस पदार्थ की उपस्थिति प्रदूषण कहलाती है।
अपमिश्रण(Adulteration) – वह किया जिसमें बेईमानी करने करने  किसी उत्पाद को सस्ता बनाने या नकली सामग्री तैयार करने के लिए जानबूझकर या संयोगवश  ऐसे अशुद्व /सस्ते या अनावश्यक पदार्थ मिलाए जाते है जिससे खाद्य पदार्थों के वास्तविक गुणो और संघटनो में परिवर्तित आता है  तथा खाद्य पदार्थ एक गुणवत्ता भी कम हो जाती है अपमिश्रण कहलाती है।

खाद्य गुणवत्ता (Food Quality) – खाद्य  गुणवत्ता का तात्पर्य उन गुणों से है जो उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों के महत्व को प्रभावित करते हैं  किसी खाद्य पदार्थ की (quality) का निर्धारण करते समय उसके सकारात्मक गुणों जैसे कि- रंग, सुगंध, बनावट इत्यादि के साथ – साथ उसके नकारात्मक गुणों जैसे कि- सड़ना, संदूषण, अपमिश्रण, खाद्य सुरक्षा खतरे इत्यादि का भी आकलन किया जाता हैं।

खाद्य मानक (Food Standards) – खाद्य मानक सरकार या संबंधित एजेंसी द्वारा निर्धारित वह नियम व निर्देश होते है जिनका पालन खाद्य उत्पादन संसाधन तथा भण्डारण करने वाली सभी इकाइयों को करना जरूरी होता है ताकि खाद पदार्थ की गुणवत्ता एवं सुरक्षा सुनिशिचत की जा सकें।

कंपनी मानक (Company standards) – कई मानक कंपनी जो द्वारा अपने स्वय के उपयोग के लिए बनाए जाते है। सामान्यत राष्ट्रीय मानकों की नकल ही होती  है। उदाहरण के लिए ISI

क्षेत्रीय मानक (Rerional standards) – वह मानक जो किसी विशेष क्षेत्र की भौगोलिक तथा जलवायु संबंधी परिस्थितियो को ध्यान में रखकर निर्धारित किए जाते है क्षेत्रीय मानक कहलाते है।

राष्ट्रीय मानक (National standards) – वह मानक जो राष्ट्रीय मानक संगठन द्वारा निर्धारित किए जाते है राष्ट्रीय मानक कहलाते है। यह मानक देश की खाद पदार्थ सबधित इकाईयो के लिए एक समान रहते है। उदाहरण के लिए FSSAI, FPO

PFA के अतिरिक्त, अन्य आदेश अधिनियम भी हैं जो विशिष्ट खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करते हैं, जैसे कि :-

फल और सब्जी उत्पाद आदेश (Fruit and Vegetable Product Order) – यह फल और सब्जी उत्पादो की गुणवत्ता सुनिशिचय  करने के लिए दिशा तालिका निर्धारित करना है।

माँस खाद्य उत्पादन आदेश (Meat food Products order) – इस आदेश के अंतर्गत सभी प्रकार के माँस संबंधी उत्पादो के संसाधन को अनुज्ञापित पत्र (लाइसेंस) दिया जाता है।

वनस्पति तेल उत्पाद आदेश (Vegetable oil Products order) – इस आदेश के अंतर्गत सभी प्रकार के वनस्पति तेलों मारजरीन तथा के विनिर्दश निर्धारित किए गए है। FPO प्रमाणित कुछ वस्तुओ जैसे की जैली अचार चटनी सॉस  इत्यादि।

स्वैच्छिक उत्पादन प्रमाणीकरण (Voluntary Product certification)

बीआईएस अर्थात भारतीय मानक ब्यूरो एवं एगमार्क विभिन्न उपभोक्ता सामग्री के मानकीकरण से संबंधित है। बीआईएस संसाधित खाद्य पदार्थों के लिए ISI के नाम से जानी जाने वाली स्वैच्छिक प्रमाणीकरण योजना चलाता है।

8 मार्च कच्चे और संसाधित कृषि उत्पादों की प्रमाणीकरण के लिए लागू एक सच्चीं की योजना है। एगमार्क कच्चे और संसाधित कृषि उत्पादों की प्रमाणीकरण के लिए लागू एक स्वैच्छिक योजना है।

ISI चिन्ह (ISI mark) – भारतीय मानक संस्थान जो अब भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of indian standard BIS) के नाम जाना जाता है द्वारा प्रदान किए जाने वाले मानकीकरण चिन्ह है। इस चिन्ह के प्रयोग का लाइसेंस औद्योगिक व उपभोक्ता वस्तुओं के उन उत्पादकों को दिया जाता है,जिनका उत्पाद इन संस्थान द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप तथा जांच प्रणाली में सही पाया जाता है ISI मार्क युक्त उत्पाद खरीदने से उपभोक्ता को भरोसा होता है की  उसने है सही एवं सुरक्षित उत्पाद खरीदा है।
भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा ISI प्रमाणन चिन्ह प्राप्त कुछ वस्तुओं /उत्पादों की सूची 

खाद्य पदार्थ – नमक, बिस्कुट, पाउडर दूध, कॉफी कस्टर्ड पाउडर, आदि।

विधुत उपकरण – विधुत स्त्री, पंखे, पानी गर्म करने की रॉड, गीजर, इत्यादि।

घरेलू उपकरण – प्रेशर कुकर, गैस का चूल्हा इत्यादि।

एगमार्क (Agmark) – एगमार्क चिन्ह भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अधीन विपणन एव निरीक्षक निदेशालय द्वारा कृषि उत्पादों की गुणवत्ता के लिए निर्धारित किया गया है। यह संस्थान विभिन्न प्रकार के संशोधन और अर्थ कृषि उत्पादों जैसे सभी प्रकार के मसालों, खाद्य तेलों, घी, मक्खन, चावल, दालो,चाय पत्ती, शहद तथा अंडे इत्यादि की गुणवत्ता की जांच कर उनके स्तर के अनुरूप विभिन्न श्रेणियाँ  प्रदान करती है। एगमार्क चिन्ह प्रदान करते समय उत्पाद की प्राकृतिक, रसायनिक और रचनात्मक खूबियों का ध्यान रखा जाता है संस्थान द्वारा समय-समय पर एगमार्क वस्तु की गुणवत्ता की जांच भी की जाती है ।

मुख्य एगमार्क  वस्तुएं – आटा- चावल,दालें, बेसन, घी, मक्खन, सभी प्रकार के मसाले, शहद, मूंगफली, गुड़, चाय पत्ती, कॉपी तथा नमक इत्यादि।

खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 (Food safety and standard Act- FSSA  2006) – खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने समय-समय पर कई नियम और नियमन (Rules and regulations) बनाए जो धीरे-धीरे खाद्य उद्योग को बहुत पेचीदा लगने लगे। अतः इस बात की आवश्यकता महसूस की गई है कि खाद्य गुणवत्ता के नियमन के लिए इन सभी नियमों का एकीकरण कर दिया जाए इस उद्देश्य से भारत सरकार ने वर्ष 2006 में खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम – एफ.एस. एस.ए. (Food safety and standard Act- FSSA  2006) पारित किया।

खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 उद्देश्य 

इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य खाद्य से संबंधित विभिन्न नियमों को समेकित (Consolidate) करता था

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण की स्थापना खाद्य वस्तुओं के लिए विज्ञान आधारित मानकों का निर्धारित करने और मानव उपभोग के लिए सुरक्षित और पौष्टिक आहार की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु उनके विनिर्माण, भंडार, वितरण, बिक्री तथा आया को विनियमित करता है।

इस अधिनियम में खाद्य पदार्थ के निर्माण परिसरऔर उसके चारों ओर स्वास्थ्यजनक परिस्थितियााँ बनाए रखने वैज्ञानिक तरीके से मानव स्वास्थ्य में खतरों के संभावित कारको का आकलन तथा उनके प्रबंधन का भी प्रावधान है, जो खाद्य अपमिश्रण  अधिनियम (PFA) में स्पष्ट नहीं थे।

खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम खाद्य नियमों के अंतरराष्ट्रीय मानकों को काफी हद तक अनुकरण करता है।

कोडेक्स ऐलिमेन्टैरियस कमीशन – सी. ए. सी (Codex Alimentarius Commission – CAC)

कोडेक्स ऐलिमेन्टैरियस कमीशन अर्थात सी. ए. सी एक अंतरसरकारी (Intergovermental Body) जिस उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को बनाने तथा खाद्य एवं कृषि के अंतरराष्ट्रीय व्यापार को आसान बनाने के लिए स्थापित किया गया है

वर्ष 2017 में 187 देश इस संस्था के सदस्य थे भारत भी अपने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के माध्यम से इन संस्था का सदस्य है

 हाल वर्ष में सी ए सी खाद्य मानकों से संबंधित विकास कार्यो के लिए एक मात्रा तथा सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संदर्भ केंद्र बनगया

खाद्य नियमों के अतिरिक्त इन प्रलेख के उपभोक्ताओं हितों की रक्षा तथा खाद्य व्यापार में उचित पद्धतियों (Fair practices) को सुनिश्चित करने के लिए मानक, पद्धति की नियमावली, मार्गदर्शन और अन्य अनुशाअनुशंसाएँ (Recommemdations) भी सम्मिलित की गई है

विभिन्न देश ने अपने राष्ट्रीय मानकों के विकास के लिए कोडेक्स मानकों का ही अनुसरण या उपयोग करते हैं

अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण  संगठन- आई. एस. ओ (International organization for Standardization ISo) 

विश्व के विभिन्न देशों की राष्ट्रीय मानक संस्थाओं ( आई.एस.ओ. सदस्य देश ) का अंतर्राष्ट्रीय गैर- सरकारी संघ है।

इस संगठन का मिशन वस्तुओं ISO के अंतर्राष्ट्रीय विनिमय को आसान बनाने और बुद्धिजीवि, वैज्ञानिक प्रौद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों के क्षेत्रों में सहयोग विकसित करने के उद्देश्य से विश्व में मानकीकरण और संबंधित गतिविधियों के विकास को प्रोत्साहन देना है।

अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन द्वारा किया गया कार्य अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के रूप में माना जाता है, जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों के रूप में प्रकाशित होते है।

ISO 9000 गुणवत्ता आवश्यकताओं का एक ऐसा ही अंतर्राष्ट्रीय संकेत चिह है। यह किसी संस्थान के “गुणवत्ता प्रबंधन “से संबंधित होता हैं।

विश्व व्यापार संगठन- ( World Trade Organization WTO)

विश्व व्यापार संगठन की स्थापना वर्ष 1955 में की गई थी।

इस संगठन का मुख्य उद्देश्य – अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के समझौतों को लागू करना

किसी भी प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधी विवाद को सुलझाना

अपने सदस्य देशों की व्यापार नीति से संबंधित मुद्दों में सहायता करके व्यापार को सहजतापूर्वक, स्वतंत्रतापूर्वक, निष्कपटतापूर्वक और पूर्वानुमान के साथ चलाने में सहायता करना है।

WTO समझौता के अंतर्गत वस्तुएँ, सेवााएँ तथा बौद्धिक संपदा शामिल होती है।

खाद्य नियंत्रण प्रणाली (Food Control System) –खाद्य मानकों अपनाने और उन्हें प्रभावी रूप से लागू करने के लिए एक मजबूत खाद्य नियंत्रण तंत्र की आवश्यकता होती है। एक प्रभावी खाद्य नियंत्रण प्रणाली में भिन्न का होना बहुत जरूरी है।

खाद्य निरीक्षक (Food Inspection)

सभी प्रकार के खाद्य उत्पादों की मानकों के अनुरूप गुणवत्ता को निरीक्षण (Quality Test) द्वारा ही जाँचा जाता है।

निरीक्षण द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि उस खाद्य पदार्थ को उत्पादन हस्तन संसाधन भंडारण तथा वितरन निर्धारित नियमनो के अनुसार और कानूनों के अनुरूप किया गया है यह नहीं।

इसके लिए केंद्रीय तथा राज्यकीय सरकार एवं संबंधित नगर परिषद प्राधिकारी खाद्य निरीक्षको की नियुक्ति करते हैं जो अपनी प्रयोगशालाओं में मानकों के अनुरूप खाद्य उत्पादो के नमूने लेकर उनकी गुणवत्ता एवं समनुरूपता की स्थिति का आकलन करते हैं।

विश्लेषणात्मक क्षमता (Analytical Capability) – खाद्य संदूषण पर्यावरणीय रसायनों, जैव आविषो, रोगजनक  जीवाणु खाद्य जनित जीवाणुओ और परपोषियों का पता लगाने की खाद्य विश्लेषण क्षमतााओ की आवश्यकता होती है।

किसी भी प्रकार के खाद्य पदार्थ के विश्लेषण के लिए परीक्षण संबंधी सभी सुविधाओं से युक्त तथा सरकारी द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त उसमें परीक्षण करने वाले सभी कर्मचारी अच्छे तरह से प्रशिक्षित कर्मचारियों होने चाहिए। अर्थात उन्हें प्रयोगशाला प्रबंधन के सिद्धांतो और भौतिक, रासायनिक तथा सूक्ष्मजैविक विश्लेषण में कुशल तथा खाद्य एवं खाद्य उत्पादों के परीक्षणों का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए।

खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियाँ -(Food Safety Management Systems) – खाद्य मानकों को अपनाने और उन्हें प्रभावी रूप से लागू करने के लिए एक मजबूत खाद्य नियंत्रण तंत्र की आवश्यकता होती है ।

उत्तम निर्माण पद्धतियाँ (Good Manufacturing Practice )

उत्तम निर्माण पद्धतियाँ गुणवत्ता आश्वासन (Quality assurance) का एक भाग हैं, जो यह सुनिश्चित करती हैं कि
खाद्य उत्पाद निर्माता/संसाधक अपने उत्पादों को उपभोग के लिए सुरक्षित बनाए रखने के लिए पहले से ही उपाय करें अर्थात तय मानको का पालन करें।

उत्तम निर्माण पद्धतियाँ अपनाने से संदूषण की संभावना को कम या पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है तथा गलत उत्पादन पर गलत लेबलिंग बचा जा सकता है।

निर्माताओं /उत्पादकों द्वारा उत्तम निर्माण पद्धतियाँ का अनुपालन करने से उपभोक्ताओं के मन में उस उत्पाद/कंपनी के प्रति विश्वसनीयता बढ़ती है इसलिए जी.एम.पी को एक अच्छा व्यवसायिक माध्यम माना जाता है।

उत्तम हस्तन पद्धतियाँ – (Good Handling Practices )

उत्तम हस्तन पद्धतियाँ ताप्तर्य ऐसे व्यापक अभिगम (Comprehensive Approach) है जो खेत से दुकान अथवा उपभोक्ता तक पहुँचाने के दौरान खाद्य संदूषण के संभावित स्रोतों की पहचान करता हैऔर यह बताता है कि खाद्य संदूषण के खतरे को कम करने के लिए कौन – कौन से कदम उठाने चाहिए तथा कौन – कौन सी विधियाँ अपनानी चाहिए।

उत्तम हस्तन विधियाँ यह सुनिश्चित करती है कि खाद्य पदार्थ का हस्तन(Handling) करने वाले सभी व्यक्तियों की स्वास्थ संबंधी आदतें अच्छीहै।

संकट विश्लेषणात्मक महत्वपूर्ण नियंत्रण बिंदु – एच. ए. सी. सी. पी. (Hazard Analysis Critical Control Point- HASSP)

एच. ए. सी. सी. पी. खाद्य पदार्थ का उपभोग के लिए सुरक्षित होने का आश्वासन देने का एक साधन है।

एच. ए. सी. सी. पी. खाद्य निर्माण और भंडारण के लिए एक उपागम है, जिसमें किसी खाद्य उत्पाद के निर्माण में  प्रयुक्त होने वाली कच्ची सामग्री (Raw Material) तथा निर्माण प्रक्रिया के प्रत्येक चरण पर विस्तार ध्यान दिया जाता है ताकि रोगजनक सूक्ष्मजीवों अथवा अन्य खाद्य संकटों के विकास में, सामग्री तथा प्रक्रिया के योगदान की क्षमता का आकलन किया जा सके।

एच. ए. सी. सी. पी.में निम्न को सम्मिलित किया जाता है –

  • संभावित संकटों की पहचान
  • कच्ची सामग्री एकत्र करना
  • निर्माण
  • वितरण
  • खाद्य उत्पादो का उपयोग
  • संकटों के नियंत्रण के लिए उपाय
एच. ए. सी. सी. पी का महत्व /आवश्यकता 

यह खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चत करने का उपागम है।

हालांकि हर तैयार खाद्य उत्पादन का निरीक्षण और परीक्षण महत्वपूर्ण होता है परंतु यह अधिक समय लेने वाली तथा में महँगी प्रक्रिया है। खाद्य निरीक्षण तथा पिरीक्षण के दौरान कोई भी समस्या केवल तभी पकड़ में आती है जब वे  उत्पादन हो  जाती है।जबकि इसके विपरीत एच ए सी सी पी अंतिम उत्पाद की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए संसाधन या निर्माण प्रक्रिया के किसी भी स्तर पर जब समस्या उत्पन्न होती है तभी उचित कार्रवाई करके हमें  खतरों की पहचान करने के लिए सक्षम बनातीहै।

यहां खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उत्पादकों, संसाधकों, वितरकों और निर्यात करने वालों  को संसाधकों का उपयोग प्रभावशाली तरीके से करने के लिए सक्षम बनाती है।

खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 एच. ए. सी. सी. पी. और बी. एम.  पी. के माध्यम से खाद्य सुरक्षा का प्राथमिक उत्तरदायित्व उत्पादों को और आपूर्ति करने वालों पर डालता है यह उपभोक्ता संरक्षण और अंतरराष्ट्रीय खाद्य व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है।

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