NCERT Solutions Class 12th Economics (भारत का आर्थिक विकास) Chapter – 4 निर्धनता (poverty) Notes In Hindi

NCERT Solutions Class 12th Economics (भारत का आर्थिक विकास) Chapter – 4 निर्धनता (poverty)

TextbookNCERT
classClass – 12th
SubjectEconomics (भारत का आर्थिक विकास)
ChapterChapter – 4
Chapter Nameनिर्धनता
CategoryClass 12th Economics Notes In Hindi
Medium Hindi
SourceLast Doubt

NCERT Solutions Class 12th Economics (भारत का आर्थिक विकास) Chapter – 4 निर्धनता (poverty)

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निर्धनता

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निर्धनता – निर्धनता वह स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति जीवन की न्यूनतम आवश्यकता को पूरा करने में असमर्थ रहता है।

निर्धनता के प्रकार

  • क) सापेक्ष निर्धनता
  • ख) निरपेक्ष निर्धनता

क) सापेक्ष निर्धनता – इसका अभिप्राय अन्य व्यक्तियों क्षेत्रों या राष्ट्रों की तुलना में लोगों की गरीबी से होता है ।

ख) निरपेक्ष निर्धनता – इसका अभिप्राय न्यूनतम जीवन निर्वाह आवश्यकताओं के पूरा न कर पाने से है या गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या से होता है ।

निर्धनता की श्रेणी

चिरकालिक निर्धन – वे व्यक्ति जो सदैव निर्धन होते हैं ।

अल्पकालिक निर्धन – वे व्यक्ति जो कभी निर्धनता रेखा के उपर कभी नीचे रहते हैं ।

गैर निर्धन – वे कभी निर्धन नहीं होते हैं ।

निर्धनता रेखा का निर्धारण

न्यूनतम कैलोरी – शहरी क्षेत्र में 2100 तथा ग्रामीण क्षेत्र में 2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन उपभोग करने वाले लोग गरीबी रेखा के उपर माने जाते हैं ।

न्यूनतम कैलोरी का मौद्रिक मूल्य – इसके अनुसार शहरी क्षेत्र में ₹1000 तथा ग्रामीण क्षेत्र में ₹816 प्रति व्यक्ति मासिक व्यय करने वाला गरीबी रेखा के उपर है ।

निर्धनता के कारण

  • जनसंख्या में तेजी से वृद्धि।
  • राष्ट्रीय उत्पाद का निम्न स्तर।
  • कीमत में वृद्धि।
  • बेरोजगारी।
  • विकास की कम दर।
  • पूंजी की कमी।
  • ग्रामीण ऋणग्रस्तता
  • ब्रिटिश शासन के अधीन शोषण
  • कम शिक्षा
  • महंगाई का दबाव
  • ग्रामीण क्षेत्रों से प्रवास का उच्च स्तर
  • भूमि सुधारों को लागू करने में विफलता।

निर्धनता निवारण हेतु उपाय एवं नीतियाँ – गरीबी दूर करने के लिए सरकार द्वारा अपनाए गए कुछ प्रमुख उपाय नीचे दिए गए हैं:

  • समरंजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाई)
  • संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (एसजीआरवाई)
  • प्रधान मंत्री ग्रामोदय योजना (पीजीवाई)
  • जय प्रकाश रोजगार गारंटी योजना (JPRGY)
  • स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई)
  • प्रधानमंत्री रोजगार योजना
  • लघु और कुटीर उद्योगों का विकास
  • न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम
  • बीस सूत्रीय कार्यक्रम
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी

‘काम के बदले अनाज ‘ कार्यक्रम

राष्ट्रीय कार्य के बदले अनाज कार्यक्रम को प्रचलित रूप से काम के बदले अनाज कहा जाता है जिसे 2004 में शुरू किया गया था ।

इसका उद्देश्य देश के आठ राज्यों नामित – गुजरात , छत्तीसगढ़ , हिमाचल प्रदेश , मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र , ओडिशा , राजस्थान और उत्तराखंड के सूखा प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी रोजगार द्वारा खाद्य सुरक्षा प्रदान करना है ।

खाद्य अनाज केंद्रीय सरकार द्वारा इन आठ राज्यों को उपलब्ध कराए जाते हैं । मजदूरी राज्य सरकार द्वारा आशिक रूप से नकद और खाद्य अनाजों के रूप में दी जा सकती है ।