NCERT Solutions Class 11th Sociology (समाज का बोध) Chapter – 4 पाश्चात्य समाजशास्त्री-एक परिचय (Introducing Western Sociologists)
Textbook | NCERT |
class | Class – 11th |
Subject | Sociology |
Chapter | Chapter – 4 |
Chapter Name | पाश्चात्य समाजशास्त्री-एक परिचय (Introducing Western Sociologists) |
Category | Class 11th Sociology |
Medium | Hindi |
Source | Last Doubt |
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NCERT Solutions Class 11th Sociology (समाज का बोध) Chapter – 4 पाश्चात्य समाजशास्त्री-एक परिचय (Introducing Western Sociologists)
Chapter – 4
पाश्चात्य समाजशास्त्री-एक परिचय
प्रश्न – उत्तर
अभ्यास
प्रश्न 1. बौद्धिक ज्ञानोदय किस प्रकार समाजशास्त्र के विकास के लिए आवश्यक है? उत्तर –
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प्रश्न 2. औद्योगिक क्रांति किस प्रकार समाजशास्त्र के जन्म के लिए उत्तरदायी है? उत्तर –
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प्रश्न 3. उत्पादन के तरीकों के विभिन्न घटक कौन-कौन से हैं? उत्तर – उत्पादन के तरीकों के निम्नलिखित घटक हैं-
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प्रश्न 4. मार्क्स के अनुसार विभिन्न वर्गों में संघर्ष क्यों होते हैं? उत्तर – मार्क्स ने दोनों वर्गों का अध्ययन किया है। प्रत्येक समाज में दो विरोधी समूह पाये जाते हैं। प्रारंभ से ही इन दो वर्गों के बीच संघर्ष सामान्यतया बढ़ता जा रहा है।
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प्रश्न 4. मार्क्स के अनुसार विभिन्न वर्गों में संघर्ष क्यों होते हैं? उत्तर – मार्क्स ने दोनों वर्गों का अध्ययन किया है। प्रत्येक समाज में दो विरोधी समूह पाये जाते हैं। प्रारंभ से ही इन दो वर्गों के बीच संघर्ष सामान्यतया बढ़ता जा रहा है।
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प्रश्न 5. “सामाजिक तथ्य’ क्या हैं? हम उन्हें कैसे पहचानते हैं? उत्तर –
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प्रश्न 6. ‘यांत्रिक’ और ‘सावयवी’ एकता में क्या अंतर है? उत्तर – दुर्खाइम का मत है कि प्रत्येक समाज में कुछ मूल्य, विचार, विश्वास, व्यवहार के ढंग, संस्था और कानून विद्यमान होते हैं, जो समाज को संबंधों के बंधन से बाँध कर रखते हैं। इन तत्वों की उपस्थिति के कारण समाज में संबंधों और एकता का अस्तित्व कायम रहता है। उन्होंने सामाजिक एकता की प्रकृति के आधार पर समाज को वर्गीकृत किया जिसका समाज में अस्तित्व कायम है और जो निम्नलिखित हैं- | |
यांत्रिक एकता | सावयवी एकता |
(i) कम विकसित समाज में यह प्रभुत्वसम्पन्न होता है। | (i) अत्यधिक विकसित समाजों में यह प्रभुत्वसम्पन्न होता है। |
(ii) इसकी प्रकृति खण्डीय होती है। | (ii) इसकी प्रकृति संगठित होती है। |
(iii) इसके अंतर्गत सामाजिक संबंधों का बंधन कमजोर होता है। | (iii) इसमें सामाजिक संबंधों का बंधन मज़बूत होता है। |
(iv) कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में इसका प्रभावअधिक होता है। | (iv) अत्यधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में इसका प्रभावमहसूस किया जाता है। |
(v) इसका स्वरूप कठोर और विशिष्ट होता है। | (v) यह अमूर्त और सामान्य होता है। |
प्रश्न 7. उदाहरण सहित बताएँ कि नैतिक संहिताएँ सामाजिक एकता को कैसे दर्शाती हैं? उत्तर – सामाजिकता को आचरण की संहिताओं में ढूंढा जा सकता था, जो व्यक्तियों पर सामूहिक समझौते के अंतर्गत थोपा गया था। अन्य तथ्यों की तरह नैतिक तथ्य भी सामाजिक परिघटनाएँ हैं। उनका निर्माण क्रिया के नियमों से । हुआ है जो विशेष गुणों के द्वारा पहचाने जाते हैं। उनका अवलोकन, वर्णन और वर्गीकरण संभव है। और विशिष्ट कानूनों के द्वारा समझाया भी जा सकता है। दुर्खाइम के मतानुसार, सामाज एक सामाजिक तथ्य है। इसका अस्तित्व नैतिक समुदाय के रूप में व्यक्ति से ऊपर था। सामाजिक एकता समूह के प्रतिमानों और उम्मीदों के अनुरूप व्यवहार करने के लिए व्यक्तियों पर दबाव डालती है। नैतिक संहिताएँ विशिष्ट सामाजिक परिस्थितियों का प्रदर्शन हैं। एक समाज की उपयुक्त नैतिक संहिता दूसरे समाज के लिए अनुपयुक्त होती है। वर्तमान सामाजिक परिस्थतियों का परिणाम नैतिक संहिताओं से निकाला जा सकता है। इसने समाजशास्त्र को प्राकृतिक विज्ञान के समान बना दिया है और इसका बृहत उद्देश्य समाजशास्त्र को एक कष्टदायी वैज्ञानिक संकाय के रूप में स्थापित करने के अत्यधिक निकट है। व्यवहार के प्रतिमानों का अवलोकन कर उन प्रतिमानों, संहिताओं और सामाजिक एकताओं को पहचानना संभव है, जो उन्हें नियंत्रित करते हैं। व्यक्तियों के सामाजिक व्यवहारों के प्रतिमानों का अध्ययन कर अन्य रूप से अदृश्य वस्तुओं का अस्तित्व; जैसे- विचार, प्रतिमान, मूल्य और इसी प्रकार अन्य को आनुभविक रूप से सत्यापित किया जा सकता है। |
प्रश्न 8. नौकरशाही की बुनियादी विशेषताएँ क्या हैं? उत्तर – नौकरशाहों के निश्चित कार्यालयी क्षेत्राधिकार होते हैं। इसका संचालन नियम, कानून तथा प्रशासनिक विधानों द्वारा होता है। कार्यान्वयन के लिए उच्च अधिकारी द्वारा अधीनस्थ वर्गों को आदेश स्थायी रूप में दिए जाते हैं, परंतु जिम्मेदारियों को परिसीमित कर उसका जिम्मा अधिकारियों को सौंप दिया जाता है। नौकरशाही में पदों की स्थितियाँ स्वतंत्र होती है। अधिकारी और कार्यालय श्रेणीगत सोपान पर आधारित होते हैं। इस व्यवस्था के अंतर्गत उच्च अधिकारी निम्न अधिकारियों का निर्देशन करते हैं। नौकरशाही व्यवस्थाओं का प्रबंधन लिखित दस्तावेजों के आधार पर चलाया जाता है। इन लिखित दस्तावेजों को फाइलें भी कहते है। इन फ़ाइलों को रिकॉर्ड के रूप में सँभाल कर रखा जाता है। कार्यालय में अपने असीमित कार्यालय समय के विपरीत कर्मचारियों से समग्र एकाग्रता की अपेक्षा की जाती है। इस प्रकार कार्यालय में एक कर्मचारी का आचरण बृहत नियमों और कानूनों द्वारा नियंत्रित होता है। |
प्रश्न 9. सामाजिक विज्ञान में किस प्रकार विशिष्ट तथा भिन्न प्रकार की वस्तुनिष्ठता की आवश्यकता होती है? उत्तर –
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प्रश्न 10. क्या आप ऐसे किसी विचार अथवा सिद्धांत के बारे में जानते हैं जिसने आधुनिक भारत में किसी सामाजिक आंदोलन को जन्म दिया हो? उत्तर –
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प्रश्न 11. मार्क्स तथा वैबर ने भारत के विषय में क्या लिखा है-पता करने की कोशिश कीजिए। उत्तर –
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प्रश्न 12. क्या आप कारण बता सकते हैं कि हमें उन चिंतकों के कार्यों का अध्ययन क्यों करना चाहिए जिनकी मृत्यु हो चुकी है? इनके कार्यों का अध्ययन न करने के कुछ कारण क्या हो सकते हैं? उत्तर –
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