NCERT Solutions Class 12th Sociology (भारत में सामाजिक परिवर्तन एवं विकास) Chapter – 2 सांस्कृतिक परिवर्तन (Cultural Change) Notes In Hindi

NCERT Solutions Class 12th Sociology (भारत में सामाजिक परिवर्तन एवं विकास) Chapter – 2 सांस्कृतिक परिवर्तन (Cultural Change)

TextbookNCERT
Class12th
SubjectSociology (भारत में सामाजिक परिवर्तन एवं विकास)
Chapter2nd
Chapter Nameसांस्कृतिक परिवर्तन (Cultural Change)
CategoryClass 12th Sociology (भारत में सामाजिक परिवर्तन एवं विकास)
Medium Hindi
SourceLast Doubt
NCERT Solutions Class 12th Sociology (भारत में सामाजिक परिवर्तन एवं विकास) Chapter – 2 सांस्कृतिक परिवर्तन (Cultural Change) Notes In Hindi सामाजिक परिवर्तन और सांस्कृतिक परिवर्तन में क्या अंतर है? सामाजिक परिवर्तन क्या है सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक एवं तकनीकी कारको का उल्लेख कीजिए? सांस्कृतिक परिवर्तन कक्षा 12 क्या है? सांस्कृतिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? सामाजिक परिवर्तन के 3 प्रकार कौन से हैं? सामाजिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? संस्कृति और समाज में परिवर्तन व्यक्ति के गठन को कैसे प्रभावित करते हैं? सामाजिक परिवर्तन क्या होता है? सामाजिक परिवर्तन का सिद्धांत कौन है? संस्कृतिकरण का क्या अर्थ है? सामाजिक विकास का अर्थ क्या है? सामाजिक कारण को कितने भागों में बांटा गया है? संस्कृति का अर्थ क्या होता है? सामाजिक सांस्कृतिक प्रक्रिया क्या है? सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन के स्रोत क्या है? सामाजिक परिवर्तन के चार प्रकार कौन से हैं? सामाजिक परिवर्तन के कारक क्या है? सामाजिक परिवर्तन में संस्कृति क्यों महत्वपूर्ण है? संस्कृति सामाजिक परिवर्तन कैसे ला सकती है?

NCERT Solutions Class 12th Sociology (भारत में सामाजिक परिवर्तन एवं विकास) Chapter – 2 सांस्कृतिक परिवर्तन (Cultural Change)

Chapter – 2

सांस्कृतिक परिवर्तन

Notes

संस्कृति – मनुष्य ने आज तक अपनी बुद्धि से जो कुछ भी हासिल किया है उसे संस्कृति कहा जाता है। यह विचारों, रास्ते, तरीकों, भौतिक चीजों का एक संग्रह है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को प्रेषित होता है। संस्कृति एक सीखा हुआ व्यवहार है।

सांस्कृतिक परिवर्तन – जब किसी समाज या देश की संस्कृति में परिवर्तन होने लगते हैं तो उसे सांस्कृतिक परिवर्तन कहते हैं।

समाज सुधारक

• ब्रिटिश शासन के दौरान समाज सुधारक भारत में सामाजिक व्यवस्था को बदलना चाहते थे।
• महिलाओं और दलितों का जीवन बदलना, सामाजिक बुराइयों से छुटकारा, महिलाओं के लिए शिक्षा सुनिश्चित करना आदि।
• समाज सुधारक ब्रिटिश शासन के दौरान आए न कि मुगल शासन के दौरान क्योंकि अंग्रेजों ने सामाजिक व्यवस्था को बदलने/आकार देने की कोशिश की थी।

समाज कल्याण के दो उद्देश्य

• समाज कल्याण का प्रथम उद्देश्य समाज के सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति करना है ।
• सामाजिक संबंध स्थापित करने के लिए जिसके साथ लोगों को अपनी क्षमताओं का विकास करने में सक्षम होना चाहिए।

19 वीं और 20 वीं शताब्दी के प्रारंभ में हुए समाज सुधार आंदोलन – समाज सुधार आन्दोलन उन चुनौतियों के जवाब थे, जिन्हें भारत के लोग अनुभव कर रहे हो जैसे- सतीप्रथा, बालविवाह, विधवा पुनर्विवाह तथा जाति प्रथा। राजा राम मोहन राय ने सतीप्रथा का विरोद्ध किया।

समाज शास्त्री सतीश सबर बाल द्वारा औपनिवेशिक भारत में आधुनिक परिवर्तनों के बताए गए पहलू

संचार माध्यम – प्रैस, माईक्रोफोन, जहाज, रेलवे आदि। वस्तुओं के आवागमन में नवीन विचारों को तीव्र गति प्रदान करने में सहायता प्रदान की।

संगठनों के स्वरूप – बंगाल में ब्रहम समाज और पंजाब में आर्य समाज की स्थापना हुई । मुस्लिम महिलाओं की राष्ट्र स्तरीय संस्था अंजुमन – ए – ख्वातीन – ए – इस्लाम की स्थापना हुई ।

विचार की प्रकृति – स्वतंत्रता तथा उदारवाद के नए विचार , परिवार संरचना , विवाह सम्बन्धी नियम , संस्कृति में स्वचेतन के विचार , शिक्षा के मूल्य।

सामाजिक कुरीति के खिलाफ आवाज उठाने वाले समाज सुधारक

राजा राम मोहन राय – सती प्रथा के विरोध में आवाज उठाई
रानाडे ने विधवा – विवाह का समर्थन किया
सर सैयद अहमद खान – स्वतंत्र अन्वेषण की बात कही
ज्योतिबा फुले – जाति भेदभाव, महिला शिक्षा
जहांआरा शाह नवास – बहुविवाह प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई
ब्रह्म समाज – सती प्रथा का विरोध किया

हमारे समाज में सती प्रथा – हमारे समाज में सती प्रथा प्रचलित थी क्योंकि विवाह को कई जन्मों का संबंध माना जाता था। तो पत्नी को भी पति की मौत के साथ मरना पड़ा। इससे एक और धारणा जुड़ी हुई थी कि इससे भगवान प्रसन्न होंगे और सती को मोक्ष की प्राप्ति होगी।

आधुनिक संचार और परिवहन- ब्रिटिश रेलवे और डाक व्यवस्था भारत मे लाए, उन्होंने सड़कों में भी सुधार किया। डाक प्रणाली और रेलवे दोनों को फायदा होता है, क्योंकि अंग्रेजों ने इसका इस्तेमाल माल परिवहन और आसान आवाजाही की सुविधा के लिए किया था और भारतीयों को इससे फायदा हुआ क्योंकि आसान परिवहन के माध्यम से वे स्वतंत्रता संग्राम को सुविधाजनक बना सकते थे। यात्रा आसान होते हुए भी व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता था और उसे यह भी पता होता था कि पूरे देश में क्या हो रहा है।

सांस्कृतिक परिवर्तन की प्रक्रियाओं का विभाजन

• सांस्कृतिक परिवर्तन को चार प्रक्रियाओं के रूप में देखा जा सकता है।
• संस्कृतिकरण
• आधुनिकीकरण
• लोकिकीकरण अथवा निरपेक्षीकरण
• पश्चिमीकरण

संस्कृतिकरण की प्रक्रिया उपनिवेशवाद से पहले भी थी लेकिन बाकी की तीन प्रक्रियाएं उपनिवेशवाद के बाद की देन है।

संस्कृतिकरण- संस्कृतिकरण एम.एस. श्री निवास के अनुसार वह प्रक्रिया हैं जिसमें निम्न जाति या जनजाति, उच्च जाति (द्विज जातियाँ) की जीवन पद्धति, अनुष्ठान मूल्य, आदर्श तथा विचारों का अनुकरण करते हैं। इसके प्रभाव भाषा, साहित्य, विचार–धारा, संगीत, नृत्य, नाटक, अनुष्ठान तथा जीवन पद्धति में देखे जा सकते हैं। यह प्रक्रिया अलग–अलग क्षेत्रों में अलग–अलग ढंग से होती है ।

विसंस्कृतिकण – जिन क्षेत्रों में गैर सांस्कृतिक जातियाँ प्रभुत्वशाली थी, वहां की संस्कृति को इन निम्न जातियों ने प्रभावित किया। श्री निवास ने इसे विसंस्कृतिकण का नाम दिया।

संस्कृतिकरण की विशेषताएं

• संस्कृति केवल ब्राह्मणीकरण नही है।
• संस्कृतिकरण के कई प्रारूप है।
• उच्च जातियों अनुकरण।
• पदमुल्क परिवर्तन।

सांस्कृतिकरण का निम्न जातियों पर प्रभाव

• सांस्कृतिकरण से निम्न जातियों की परिस्थिति में सुधार हुआ।
• सांस्कृतिकरण से निम्न जाति में गतिशीलता बड़ी।
• सांस्कृतिकरण से निम्न जातियों की व्यवसाय की स्थिति में परिवर्तन आए।
• सांस्कृतिकरण से निम्न जातियों के धार्मिक जीवन पर भी प्रभाव पड़ा।

संस्कृतिकरण की आलोचना

• सामाजिक गतिशीलता निम्न जाति के स्तरीकरण में उर्ध्वगामी परिवर्तन करती है।
• उच्च जाति की जीवन शैली उच्च तथा निम्न श्रेणी की जीवन शैली निम्न होने की भावना पाई जाती है।
• उच्च जाति की जीवन शैली का अनुकरण वांछनीय तथा प्राकृतिक है।
• यह अवधारणा असमानता तथा अपवर्जन आधारित है।
• निम्न जाति के प्रति भेदभाव एक विशेषाधिकार है।
• इसमें दलित समाज के मूलभूत पक्षों को पिछड़ा माना जाता है।
• लड़कियों को भी असमानता की श्रेणी में नीचे धकेल दिया जाता है।

पश्चिमीकरण- ब्रिटिश शासन के 150 वर्षों में आए प्रौद्योगिकी, संस्था, विचारधारा, मूल्य परिवर्तनों को पश्चिमीकरण का नाम दिया गया। जीवनशैली एवं चिन्तन के अलावा भारतीय कला तथा साहित्य पर भी पश्चिमी संस्कृति का असर पड़ा है। ऐसे लोग कम ही थे जो पश्चिमी जीवन शैली को अपना चुके थे। इसके अलावा अन्य पश्चिमी सांस्कृतिक तत्वों जैसे नए उपकरणों का प्रयोग, पोशाक, खाद्य पदार्थ तथा आम लोगों की आदतों और तौर–तरीकों में परिवर्तन आदि थे। मध्य वर्ग के एक बड़े हिस्से के परिवारों में टेलीविजन, फ्रिज, सौफा सेट, खाने की मेज आदि आम बात है।

पश्चिमीकरण की विशेषताएं

• पश्चिमीकरण आधुनिकरण से भिन्न है।
• ब्रिटिश संस्कृति का भारतीय समाज पर प्रभाव।
• स्वतंत्रता के बाद भी जारी पश्चिमीकरण।
• पश्चिमीकरण एक जटिल प्रक्रिया।

पश्चिमीकरण का भारतीय समाज पर पड़े प्रभाव

• परिवार पर प्रभाव
• विवाह पर प्रभाव
• नातेदारी पर प्रभाव
• जाति प्रथा पर प्रभाव
• अस्पृश्यता
• धार्मिक जीवन पर प्रभाव

आधुनिकीकरण – प्रारम्भ में आधुनिकीकरण का आशय प्रौद्योगिकी ओर उत्पादन प्रक्रियाओं में होने वाले सुधार से था। परन्तु आधुनिक विचारों के अनुसार सीमित, संकीर्ण स्थानीय दृष्टिकोण कमजोर पड़ जाते है। और सार्वभौमिक दृष्टिकोण यानि पूरा विश्व एक कुटुम्ब है को महत्त्व दिया जाता है।

धर्मनिरपेक्षता- धर्मनिरपेक्षता के आधार पर राज्य सभी धार्मिक समूह विश्वासों को एक समान समझते है। राज्य किसी के साथ भी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता और साथ ही लोगों को किसी विशेष धर्म को मानने व उसका पालन करने के लिए बाध्य नहीं करता।

धर्मनिरपेक्षता के कारण

• भारतीय संस्कृति
• यातायात एवं संचार
• पाश्चात्य संस्कृति
• आधुनिक शिक्षा
• नगरीकरण

आधुनिकीकरण और धर्मनिरपेक्षीकरण

ये धनात्मक तथा अच्छे मूल्यों की ओर झुकाओ।

आधुनिकीकरण का आशय प्रौद्योगिकरण ओर उत्पादन प्रक्रियाओं में होने वाले सुधार से है। इसका मतलब विकास का वो तरीका जिससे पश्चिमी यूरोप या उत्तर अमेरीका ने अपनाया।

आधुनिकीकरण का मतलब ये समझ में आता है कि इसके समक्ष–सीमित संर्कीण–स्थानीय दृष्टिकोण कमजोर पड़ जाते है और सार्वभौमिक प्रतिबद्धता और विश्वजीत दृष्टिकोण ज्यादा प्रभावशाली होता है।

इसमें उपयोगिता, गणना और विज्ञान की सत्यता को भावुकता, धार्मिक पवित्रता ओर अवैज्ञानिक तत्वों के स्थान पर महत्व दिया जाता है।

इसके मूल्यों के मुताबिक समूह/संगठन का चयन जन्म के आधार पर नहीं बल्कि इच्छा के आधार पर होता है।

धर्मनिरपेक्षीकरण का मतलब ऐसी प्रक्रिया से है जिसमें धर्म के प्रभाव में कम आती है। आधुनिक समाज ज्यादा ही धर्मनिरपेक्ष होता है।