NCERT Solutions Class 11th Physical Education Chapter – 10 खेलकूद में प्रशिक्षण और डोपिंग (Training And Doping In Sports) Notes In Hindi खेलों में प्रशिक्षण क्या है?, खेल का उद्देश्य क्या है?, एथलीटों को प्रशिक्षण की आवश्यकता क्यों है?, प्रशिक्षण किसे कहते हैं?, डांस एक खेल है हां या नहीं?, स्पोर्ट्स का फुल मीनिंग क्या है?, पूल एक खेल है या खेल?, प्रशिक्षक किसे कहते हैं?, ट्रेनिंग क्यों जरूरी है?, प्रशिक्षण का बहुवचन क्या है?, क्या अमेरिका में डांस एक खेल है?, डांस कठिन क्यों है?
NCERT Solutions Class 11th Physical Education Chapter – 10 खेलकूद में प्रशिक्षण और डोपिंग (Training And Doping In Sports)
Chapter – 10
खेलकूद में प्रशिक्षण और डोपिंग
Notes
खेल प्रशिक्षण का अर्थ – खेल प्रशिक्षण नियोजित व्यायाम अथवा खिलाड़ी द्वारा निश्चित समय में प्रयास जिसके द्वारा खिलाड़ी को और अधिक प्रशिक्षण भार सहने, विशेष रूप में प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी से लिया जाता है।
दूसरे शब्दों में “खेल प्रशिक्षण नियोजित व्यायामों के माध्यम से खिलाड़ी को विशेष दवाबों के अनुकूल होने के साधन जुटाता हैं।” खिलाडी की इस प्रकार के अनुकूलन से भविष्य में और अधिक प्रशिक्षण भार सहने की तैयारी हो जाती हैं।
प्रशिक्षण की विचारधारा – खेल किसी उपलब्धि अथवा प्रतियोगिता की तैयारी के लिए बदलाव के साथ – साथ किसी प्रतियोगिता की तैयारी हेतु प्रशिक्षण विधियों, एवं नई तकनीको के प्रयोग से आए दिन नए कीर्तिमान स्थापित किए जा रहें है भार प्रशिक्षण (Weight Training) विधि को अपनाने से बहुत ही उत्साह बर्धक परिणाम सामने आए हैं।
अतः यह कहना गलत नहीं होगा हक के अनुसार ”खेल प्रशिक्षण किसी खेल या प्रतियोगिता के लिए वैज्ञानिक सिद्धान्तों एवं तथ्यों पर आधारित एक अनिवार्य प्रक्रिया है जो खिलाड़ी को उच्चतम प्रदर्शन के योग्य बनाती है।“
खेल प्रशिक्षण के सिद्धान्त
निरतंरता का सिद्धान्त
अतिभार का सिद्धान्त
व्यक्तिगत भेद का सिद्धान्त
सामान्य प विशिष्ट तैयारी का सिद्धांत
प्रगति क्रम का सिद्धांत
विशिष्टता का सिद्धांत
विविधता का सिद्धांत
गर्माने व ठण्डा होने का सिद्धांत
आराम तथा पुनः शक्ति प्राप्ति का सिद्धांत
अतिभार का सिद्धांत – इसका अर्थ है कि खिलाड़ियों के प्रदर्शन में बढ़ोत्तरी करने के लिए प्रशिक्षण भार को बढ़ाना चाहिए। उदाहरण के लिए सहन – क्षमता (Enduerance) को बढ़ाने के लिए मांसपेशियों को उससे अधिक लम्बी अवधि तक कार्य करना चाहिए जितना वे अभ्यस्त हो चुकी हों।
प्रगति क्रम का सिद्धांत – इस सिद्धांत के अनुसार, अतिभार (Load) को धीरे धीरे क्रमबद्ध रूप से बढ़ाना चाहिए जिससे कि खिलाड़ी को इसे संभालने में आसानी हो। प्रगति – क्रम का सिद्धांत हमें उचित विश्राम व पुनः शक्ति प्राप्ति का भी अहसास कराता है।
निरंतरता का नियम – इस सिद्धांत के अनुसार प्रशिक्षण की एक निरंतर प्रक्रिया होनी चाहिए। इसमें किसी प्रकार का अवकाश नहीं होना चाहिए। प्रशिक्षण में दो प्रशिक्षण सत्रों के बीच का अंतराल ज्यादा लंबा नहींहोना चाहिए।
विविधता का सिद्धांत – एक सफल प्रशिक्षक को खिलाड़ी की रुचि तथा अभिप्रेरणा को बनाए रखने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम में विविधताओं को शामिल करना चाहिए। विविधता के रूप में व्यायाम की प्रकृति, समय, पर्यावरण में बदलाव आदि के द्वारा, लाई जा सकती है।
व्यक्तिगत भेद का सिद्धांत – इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक खिलाड़ी व्यक्तिगत भेदों के कारण, अलग या भिन्न होता है। पुनः शक्ति प्राप्ति में अधिक समय लेती है।
विशिष्टता का सिद्धांत – इस सिद्धांत के अनुसार शरीर के किसी विशिष्ट या निश्चित अंग या भाग का व्यायाम करने से मुख्य तौर पर वह अंग या भाग विकसित हो जाता है।
सक्रिय ग्रस्तता का सिद्धांत – सक्रिय ग्रस्तता के सिद्धांत का अर्थ है कि प्रभावी – पशिक्षण कार्यक्रम के लिए किसी खिलाड़ी को पूर्ण सक्रियता, क्रियाशीलता तथा अपनी इच्छा से भाग लेना चाहिए।
चक्रीयता का सिद्धांत – खेल – प्रशिक्षण कार्यक्रम विभिन्न प्रशिक्षण चक्रों जैसे मैको चक्र, मेसे चक्र, माइक्रो चक्र के द्वारा विकसित किए जाते हैं। मैको चक्र सबसे लम्बी अवधि, माइक्रो सबसे छोटी अवधि (3 से 10 दिन) और मेसे चक्र मध्यम अवधि का होता है।
सामान्य व विशिष्ट तैयारी का सिद्धांत – प्रदर्शन में बढ़ोत्तरी करने के लिए सामान्य व विशिष्टि तैयारियाँ दोनों ही समान रूप से महत्त्वपूर्ण होती हैं सामान्य तैयारी विशिष्ट तैयारी के आधार के रूप में काम आती हैं।
आराम तथा पुनः शान्ति प्राप्त करने का सिद्धांत – इस सिद्धांत के अनुसार पशिक्षण कार्य क्रम इस प्रकार बनाए जाने चाहिए कि खिलाड़ियों के प्रशिक्षण सम्बंधी क्रियाओं के मध्य अन्तराल व उचित आराम होना चाहिए।
गरमाना – शरीर को गरमाना एक अल्पकालिक क्रिया होती है जो किसी कठोर अथवा कौशल की आवश्यकता वाले कार्य से पहले की जाती है। हम गरमाने के किसी कठोर कार्यक्रम अथवा प्रतियोगिता में भाग लेने से पहले की तैयारी भी कह सकते हैं इस प्रकार के कार्यक्रम द्वारा हम किए जाने वाले कार्य में काम आने वाली मांस पेशियों को तैयारी की स्थिति में लाते हैं।
जिससे वह आवश्यकता पड़ने पर कुशलता से कार्य कर सकें। अतः हम कह सकते है कि “गरमाना एक प्रारभिक तैयारी की प्रक्रिया है जिसके परिणाम स्वरूप खिलाड़ी शरीर – क्रियात्मक एवं मनोवैज्ञानिक रूप से मुख्य क्रिया के लिए तैयार हो जाता है।
गरमाने के प्रकार
सामान्य गरमाना
विशिष्ट गरमाना
शिथिलीकरण – किसी प्रतियोगिता अथवा प्रशिक्षण कार्य समाप्त होने पर एथलीटों को प्रायः कुछ गतिविधियों, जोगिंग अथवा चलने आदि के रूप में की जाती है। इस प्रकार की गतिविधि याँ कुछ समय तक करते रहने को लिंबरिंग डाउन, वार्मिग डाउन कूलिंग डाउन अथवा शिथिलिकरण कहते हैं।
कौशल – कौशल खेल प्रदर्शन का वह अंग है जो कठिन कार्य को सहज रूप से करने में व्यक्ति की सहायता करता है। मांसपेशियों कार्य जो दिखने में आसानी से होता दिखाई दें, कौशल पूर्ण गतिविधि या प्रदर्शन का प्रतीक होता है।
साधारण शब्दों में “कौशल किसी कार्य को भैली – भाँति तथा सुविधापूर्ण ढंग से कर पाने की क्षमता को कहा जा सकता है।” कौशल जो अप्राकृतिक और कठोर (जटिल) होते हैं उन्हें अंशों में विभाजित करके सीखना चाहिए।
कौशल का वर्गीकरण – ऐसी अनेक खेल – क्रियाएं होती है जिनमें प्रत्येक क्रिया में कौशलों की आवश्यकताओं के कारण इनको वर्गीकृत करना वास्तव में काफी मुश्किल काम है। सामान्यताः कौशल निम्न प्रकार के होते हैं।
खुले कौशल – ऐसे कौशल जो नियंत्रण में नहीं होते हैं या जिनके बारे में पहले से कुछ न कहा जा सकता हो उन्हें खुले कौशल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
बन्द कौशल – यह एक स्थिर या पहले से बताए जा सकने योग्य वातावरण में किए जाते हैं।
साधारण कौशल – ऐसे कौशल जिनमें समन्वय या सामजस्य, समय व विचारों की अधि क मात्रा में आवश्यकता नहीं पड़ती उन्हें साधरण कौशल कहा जाता है। ये सीखने में आसान होते हैं। जैसे -चेस्ट पास, अंडर आर्म सर्विस इत्यादि।
जटिल कौशल – इस प्रकार के कौशलों में समन्वय या सामंजस्य समय व विचारों की अधिक मात्रा में आवश्यकता होती है इनको करने में जटिलता का सामना करना पड़ता है जैसे फुटबाल में ओवर हेड किक।
निरतंर कौशल – इन कौशलों का कौई वास्तविक प्रारम्भ व अंत नहीं होता है। उदाहरण के लिए साइक्लिंग आदि करना निरतर कौशलों के उदाहरण है।
ठीक कौशल – ठीक कौशलों में जटिल तथा ठीक गतियाँ जिनमें छोटी मांसपेशियों के समूह का प्रयोग होता है जैसे स्नूकर का शॉट।
व्यक्तिगत कौशल – ये वे कौशल होते हैं जो अलगाव में किए जाते हैं जैसे ऊँचीकूद, लम्बी कूद।
तकनीक – तकनीक का अर्थ किसी कार्य को वैज्ञानिक विधि से करना इस प्रकार कार्य करने की विधि वैज्ञानिक सिद्धांतों तथा लक्ष्य प्राप्त करने में सहायक चाहिए। ये किसी खेल या प्रतियोगिता की मुख्य क्रिया होती है। अंत में हम कह सकते हैं कि तकनीक किसी कौशल को करने की विधि है।
शैली – यह कार्य करने की विधि, जो किसी विशेष व्यक्ति अथवा स्वरूप से संबंधित हो उसे शैली कहते है। इस प्रकार की विधि वैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित हो भी सकती हैं तथा नहीं भी। शैली एक व्यक्ति इसलिए प्रत्येक खिलाड़ी अपनी विशिष्ट मन – संबंधी, शारीरिक जैविक क्षमताओं के कारण एवं अलग तरीके से तकनीक को समझता या महसूस करता है। इसी को उसकी शैली (Style) कहा जाता है।
डोपिंग का अर्थ – जब ऐथलीट प्रतिबाधित पदार्थ या विधियों का प्रयोग करके अपना खेलों में प्रदर्शन बढ़ाता है उसे डोंपिग कहते है। उदाहरण – नशीली दबाएँ स्टीरॉयड्स (Steroids) आदि।
डोपिंग का वर्गीकरण
प्रदर्शन बढ़ाने वाले प्रदार्थ
उत्तेजक
स्टीरायड्स
बीटा -2
डायूरेटिक्स
नशीली दवाएँ
पेप्टाइड हार्मोन्स
कैन्नावाराइस
शारीरिक विधियाँ
रक्त ब्लड डोपिंग
जीन डोपिंग
आटोलोगस ब्लड डोपिंग (खिलाड़ी की 0, में वृद्धि होती है)
होमोलीग्स ब्लड डोपिंग (माँसपेशियों की संरचनाओं में विकास)
रसायनिक व भौतिक तोड़ फोड़
प्रतिबंधित पदार्थ
उत्तेजक
कैन्नावाइनायड्स
स्टीरायड्स
वीटा -2
पेप्डाइट
नशीली दवाएँ
कैपिंग
अल्कोहल
डायूरेटिक्स
प्रतिबंधित विधियाँ
रक्त या ब्लड डोपिंग
जीन डोपिंग
रसायनिक व तोड़ फोड़ डोपिंग
प्रतिबंधित प्रदार्थ ओर उसके दुष्प्रभाव
प्रतिबंधित प्रदार्थ दुष्प्रभाव
उत्तेजक भूख की कमी, तनाव सिरदर्द,
नशीली दवाएँ या नाराकोटिक्स शारीरिक संतुलन बिगड़ना, उल्टी, आना कब्ज आदि।
एना बोलिक स्टीरॉयड्स चेहरे पर अधिक बाल आना, मानसिक अवसाद (Depression)
वीटा ब्लाकर्स सहनदक्षता में कमी, सिर दर्द पेट संबंधी रोंगों का होना।
कन्नाइनाय्य जीभ गले, फेफड़ों का कैंसर।
डयूरोटिक्स पानी की कमी, चक्कर आना, पोटेशियम की कमी।
बीटा -2 ऐगोनिस्ट्स (Depression) आदि हाथ ठंडे पड़ना, नींद कम ओना अवसाद।
नशीले पदार्थ – नशीले पदार्थ ऐसे पदार्थ होते हैं जिनका प्रयोग करने से व्यक्ति को नशा हो जाता है। मादक पदार्थ के सेवन में शराब व ड्रग्स का पुराना या स्थाई उपयोग शामिल है। एक व्यक्ति जो एल्कोहल (शराब) का सेवन करता है। लम्बे समय तक एल्कोहल का प्रयोग करने से इसे सहन करने की क्षमता में बढ़ोत्तरी हो जाती है। जिससे धीरे – धीरे इस पदार्थ की शरीर को अधिक मात्रा की आवश्यकता पड़ती है। प्रारंभ में एल्कोहल व मादक पदार्थों के सेवन से हल्की समस्या होती है। लेकिन धीरे – धीरे वह विकट या गंभीर समस्या में बदल जाती है।
यदि एक बार एक व्यक्ति शराब व मादक पदार्थों के सेवन के जाल में फस जाता है। तो इस समस्या से छुटकारा पाना मुश्किल हो जाता है। वास्तव में इन पदार्थों के सेवन परिवार व दोस्तों के साथ संबंधों को नष्ट कर सकता है। इससे कैरियर व स्वास्थ्य भी तबाह हो सकता है। एल्कोहल (शराब) व मादक पदार्थों का सेवन उपराचात्मक है। उपचार करने वाले विशेषज्ञों की सहायता से इन पदार्थों की लत पर काबू पाया जा सकता है।
शराब और मादक पदार्थों के सेवन से निपटना – एल्कोहल व मादक पदार्थों के सेवन से निपटने के लिए निम्नलिखित विधियों का प्रयोग किया जा सकता है।
मदद मांगे – यदि किसी व्यक्ति को शराब के जाल में फस चुका है तो सर्वप्रथम किसी उपचारात्मक व्यक्ति की सहायता लें जबकि अधिकतर व्यक्ति ये सोचता है कि वह स्वयं ही इस समस्या से बाहर आ सकता है लेकिन ये इतना आसान कार्य नहीं होता है। इसलिए यदि आप अपने सगे – संबंधियों, अध्यापक, परामर्शदाता या डॉक्टर आदि की मदद मांगे तो अच्छा होगा, और उचित सहायता द्वारा इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
विषहरण – विषहरण एक ऐसी विधि है जो किसी व्यक्ति को शराब व अन्य मादक पदार्थ को लेने से रोकने के लिए योग्य बनाती है। दवाओं कि विभिन्न श्रेणियाँ जैसे – उत्तेजक, अवसादक, नशीली दवाएँ व डायूरेटिक्स आदि से विषहरण में किसी ड्रग्स की मात्रा को धीरे – धीरे कम करना शामिल हो सकता है। जो व्यक्ति शराब पर निर्भर रहता है। उसके लिए विषहरण बहुत महत्त्वपूर्ण होता है।
व्यवहारजन्य या आचरणगत चिकित्सा –ये एक मनोचिकित्सा का एक प्रकार है ये चिकित्सा एक प्रशिक्षित मनोचिकित्सक द्वारा की जाती है इसलिए आप एक परामर्शदाता से परामर्श ले सकते हैं। वह आपकी एल्कोहल की तृष्णा या लालसा का सामना करने में सहायता कर सकता है।
प्रेरकपूर्ण चिकित्सा – ये चिकित्सा मादक पदार्थों के सेवन लत को धीरे – धीरे कम करने के लिए प्रयोग में लाई जाती है इस प्रक्रिया में एक चिकित्सक अपनी व्यक्तिगत प्रेरणा व सहानुभूति पूर्ण व्यवहार द्वारा ड्रग्स के सेवन का विरोध करने के लिए बाध्य करता है।
औषधि प्रयोग – शराब व ड्रग्स के प्रयोग को कम करने के लिए कुछ औषधियों का प्रयोग निर्धारित किया जाता है लेकिन ये माना जाता है कि यदि औषधि प्रयोग के साथ – साथ परामर्श भी दिया जाए तो व्यक्ति की लत में अच्छा सुधर होता है।
शांत सामाजिक नेटवर्क बनाएँ – रिकवरी के दौरान शांत वातावरण व अपने सगे संबंधियों और मित्रों का साथ आवश्यक है जो इस लत को छोड़ने में प्रोत्साहन अथवा समर्थन करते हों।
ध्यान बटा देने वाली विफया में स्वयं को शामिल करें – शराब व मादक पदार्थों के सेवन से निपटने के लिए स्वयं को ध्यान बटा देने वाली क्रिया अथवा गतिविधि में शामिल करें। इसके लिए दोस्तों से मिले चलचित्रा देखें (फिल्म), स्वास्थ्यप्रद आदतों और व्यायाम आदि में अपने – आपको शामिल करें।
अपने मित्रों से दूर रहें जो मादक पदार्थों का सेवन करते हो – ऐसे मित्रों की संगत छोड़ दें जो अब भी एल्कोहल या मादक पदार्थों का सेवन करते हों उन मित्रों से दूर रहे जो आपको पुराने घातक आदतों की ओर वापसी का प्रलोभन देते हों।
अपने करीबी मित्रों व परिवार का सहारा लें – रिकवरी के समय अपने करीबी अच्छे मित्रों तथा परिवार के सदस्यों का सहारा अमूल्य धन होता है। अतः उनके अपने आपको प्रेरित करे।
ड्रग्स व शराब को छोड़ने के लिए अपने मित्रों व संबंधियों को सूचित करें – सामान्यतः आपके घनिष्ठ मित्र व परिवारीजन आपके एल्कोहल छोड़ने के निर्णय की प्रशंसा करेंगे। यह कदम काफी प्रभावी हो सकता है।